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नेशनल लोक अदालत का आयोजन 16 को


बिलासपुर।
  TODAY छत्तीसगढ़  /   राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण नई दिल्ली तथा छ.ग. राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण बिलासपुर के निर्देश एवं मार्गदर्शन में 16 दिसम्बर को नेशनल लोक अदालत आयोजित की जानी है। उक्त लोक अदालत जिला न्यायालय बिलासपुर एवं अधिनस्थ समस्त तालुका न्यायालयों के साथ-साथ राजस्व न्यायालय, ट्रिब्यूनल एवं पेंशन लोक अदालत में आयोजित की जावेगी। उक्त नेशनल लोक अदालत में मामलों के निराकरण के लिए जिला विधिक सेवा प्राधिकरण बिलासपुर द्वारा जिला बिलासपुर एवं गौरेला पेण्ड्रा मरवाही में न्यायिक अधिकारियों की कुल 36 खण्डपीठ तथा राजस्व न्यायालयों की कुल 46 खण्डपीठ एवं पेंशन लोक अदालत की 01 खण्डपीठ सहित कुल 83 खण्डपीठों का गठन किया गया है। 

सामुदायिक भवन, वार्ड क्र. 07 (पंचशील मोहल्ला) एवं वार्ड क्र. 09, परसदा, तिफरा, बिलासपुर में मोहल्ला लोक अदालत का आयोजन 

छ.ग. राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण बिलासपुर के निर्देशन तथा जिला न्यायाधीश श्री रमाशंकर प्रसाद के मार्गदर्शन में न्यायालय स्थायी लोक अदालत (जनोपयागी सेवाएं) बिलासपुर के पीठासीन अधिकारी श्री मोहम्मद रिजवान खान द्वारा सामुदायिक भवन, वार्ड क्र. 07 (पंचशील मोहल्ला) एवं वार्ड क्र. 09, परसदा, तिफरा, बिलासपुर में मोहल्ला लोक अदालत का आयोजन किया जावेगा। उक्त मोहल्ला लोक अदालत में आम-जनों से संबंधित जनोपयोगी सेवाएं जैसे नगर निगम के जलकर, सम्पतिकर, सार्वजनिक विद्युत आपूर्ति, साफ-सफाई, पेयजल से संबंधित प्रकरणों का नागरिकों तथा संबंधित विभाग के अधिकारियों की मौजूदगी में मौके पर निराकरण किया जावेगा। 

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व्यवहार न्यायाधीश पदों पर पदोन्नति हेतु चयनित उम्मीदवारों की सूची जारी


 बिलासपुर।
  TODAY छत्तीसगढ़  /   छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय द्वारा छत्तीसगढ़ निम्नतर न्यायिक सेवा (भर्ती एवं सेवा शर्ते) नियम, 2006 के नियम 5(2) के अंतर्गत व्यवहार न्यायाधीश (वरिष्ठ श्रेणी) पदों पर पदोन्नति हेतु वर्ष 2022 के चयनित उम्मीदवारों की सूची छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय, बिलासपुर की वेबसाईट https://highcourt.cg.gov.in/ पर उपलब्ध है। 

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Soumya Vishwanathan Murder Case : चार दोषियों को आजीवन कारावास, पांचवें दोषी को तीन साल की जेल


 नई दिल्ली ।  TODAY छत्तीसगढ़  /   दिल्ली की एक अदालत ने टीवी पत्रकार सौम्या विश्वनाथन की 2008 में हुई हत्या के मामले में शनिवार को चार दोषियों को आजीवन कारावास, जबकि पांचवें दोषी को तीन साल जेल की सजा सुनाई। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश रवींद्र कुमार पांडेय ने सजा सुनाते हुए कहा कि यह अपराध 'दुर्लभतम' मामलों की श्रेणी में नहीं आता है, इसलिए मौत की सजा का अनुरोध अस्वीकार किया जाता है।

अदालत ने मामले में दोषी करार दिये गए रवि कपूर, अमित शुक्ला, बलजीत मलिक और अजय कुमार को आजीवन कारावास, जबकि पांचवें दोषी अजय सेठी को तीन साल साधारण कारावास की सजा सुनाई। अदालत ने कपूर, शुक्ला, मलिक और कुमार पर 1.25-1.25 लाख रुपये का जबकि सेठी पर 7.25 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया। अदालत ने कहा कि सेठी पहले ही 14 साल से अधिक समय जेल में गुजार चुका है। इसने कहा कि दोषियों पर लगाई गई कुल जुर्माना राशि पीड़िता के परिवार को दी जाएगी। सुनवाई के दौरान पीड़िता की मां माधवी विश्वनाथन ने अदालत से कहा कि वह पिछले 15 साल से न्याय मिलने का इंतजार कर रही हैं।

एक प्रमुख अंग्रेजी समाचार चैनल में पत्रकार के रूप में कार्यरत विश्वनाथन की 30 सितंबर, 2008 की देर रात दक्षिणी दिल्ली के नेल्सन मंडेला मार्ग पर उस समय गोली मारकर हत्या कर दी गई थी, जब वह कार्य स्थल से घर लौट रही थीं। पुलिस ने दावा किया था कि हत्या का मकसद लूटपाट करना था। अदालत ने 18 अक्टूबर को रवि कपूर, अमित शुक्ला, बलजीत मलिक और अजय कुमार को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 302 (हत्या) और महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (मकोका) के प्रावधानों के तहत दोषी करार दिया था। 

अजय सेठी को आईपीसी की धारा 411 (चोरी की संपत्ति बेईमानी से प्राप्त करने) तथा संगठित अपराध को बढ़ावा देने, जानबूझकर मदद करने और संगठित अपराध की आय प्राप्त करने की साजिश रचने के लिए मकोका के प्रावधानों के तहत दोषी ठहराया गया था।अभियोजन पक्ष के अनुसार, कपूर ने लूटपाट करने के लिए 30 सितंबर, 2008 को दक्षिण दिल्ली के नेल्सन मंडेला मार्ग पर विश्वनाथन की कार का पीछा करते समय उन्हें गोली मार दी थी। कपूर के साथ शुक्ला, कुमार और मलिक भी थे। अभियोजन पक्ष ने कहा कि पुलिस ने हत्या में इस्तेमाल की गई कार सेठी उर्फ चाचा से बरामद की थी। 

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1086 बंदी जमानत पर रिहा, 369 बंदियों को विशेष अदालत के फैसले से मिली राहत


 बिलासपुर ।
 TODAY छत्तीसगढ़  /  जेलों में बंदियों की बढ़ती भीड़ को देखते हुए दो माह तक छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा चलाए गए विशेष अभियान के माध्यम से प्रदेश के विभिन्न जेलों में बंद 1455 बंदी रिहा किए गए हैं। इनमें से 1086 बंदियों को जमानत पर रिहा किया गया, जबकि 369 बंदियों को विशेष अदालत के फैसले से राहत मिली है। 

उल्लेखनीय है कि उच्चतम न्यायालय ने सन् 2021 की एक क्रिमिनल रिट पिटिशन पर इस संबंध में आदेश दिया है। राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (नालसा) नई दिल्ली का भी निर्देश है कि जेलों में बंदियों की भीड़ कम करने के लिए प्रयास किये जाएं। इसके परिपालन में छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यपालक अध्यक्ष जस्टिस गौतम भादुड़ी की निगरानी में जिला विधिक सेवा प्राधिकरणों में अण्डर ट्रायल रिव्यू कमेटी गठित की गई है। जिलों में कमेटियों ने निरन्तर बैठक ली। इस विशेष अभियान के तहत छत्तीसगढ़ की विभिन्न जेलों में निरुद्ध पात्र बंदियों को जमानत का लाभ प्रदान करते हुए उन्हें रिहा करने की कार्रवाई की गई है।

इस तारतम्य में 18 सितम्बर से 20 नवम्बर तक एक विशेष अभियान चलाया गया। अंडर ट्रायल रिव्यू कमेटी की सतत बैठक करते हुए बंदियों को रिहा करने के लिए निर्देश दिया गया। उक्त कमेटी में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के जिला न्यायाधीश अध्यक्ष एवं संबंधित जिले के कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक, जेलर और सचिव सदस्य हैं। यह समिति बंदियों को जमानत पर रिहा करने की अनुशंसा करती है। उपरोक्त दो माह की अवधि में समस्त जिला विधिक सेवा प्राधिकरणों की कुल 114 बैठके आयोजित की गई और पात्र अभिरक्षा के अधीन बंदियों को जमानत पर रिहा किये जाने हेतु अनुशंसित किया गया है, जिसमें उक्त कमेटी के द्वारा कुल 1389 बंदियों को चिन्हांकित कर 1222 बंदियों को जमानत का लाभ देने की अनुशंसा किया गया, जिस पर संबंधित न्यायालयों ने 1086 बंदियों को जमानत का लाभ प्रदान करते हुए उन्हें रिहा किया। TODAY छत्तीसगढ़ के WhatsApp ग्रुप में जुड़ने के लिए क्लिक करें   


शराब घोटाला : अदालत ने सिसोदिया को बीमार पत्नी से मिलने की इजाजत दी, मीडिया से बातचीत नहीं करने का आदेश

 Former Deputy Chief Minister of Delhi Manish Sisodia reached home from Tihar Jail on Saturday after getting permission from the court to meet his ailing wife. Sisodia is lodged in Tihar Jail in the alleged liquor scam case. He has been allowed to meet his wife for six hours from 10 am to 4 pm.

बीमार पत्नी से मिलने तिहाड़ जेल से घर पहुंचे

नई दिल्ली (भाषा)।  TODAY छत्तीसगढ़  /  दिल्ली के पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया अदालत से अनुमति मिलने के बाद आज शनिवार को अपनी बीमार पत्नी से मिलने तिहाड़ जेल से घर पहुंचे हैं ।

कथित शराब घोटाला मामले में सिसोदिया तिहाड़ जेल में बंद हैं। उन्हें सुबह 10 बजे से शाम चार बजे तक छह घंटे के लिए अपनी पत्नी से मिलने की इजाजत दी गई है।सिसोदिया पुलिस वाहन से मथुरा रोड स्थित अपने आवास पर सुबह करीब दस बजे पहुंचे। उनके साथ पुलिसकर्मी भी हैं। इससे पहले, दिल्ली उच्च न्यायालय ने जून में भी सिसोदिया को अपनी पत्नी सीमा से मिलने की अनुमति दी थी, लेकिन वह उनसे मुलाकात नहीं कर सके थे, क्योंकि सीमा की तबीयत अचानक बिगड़ने के बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था। सिसोदिया की पत्नी 'मल्टीपल स्केलेरोसिस' से पीड़ित हैं। अदालत ने सिसोदिया को पत्नी से मिलने की इजाजत देते हुए उन्हें मीडिया से बात न करने या किसी भी राजनीतिक गतिविधि में शामिल न होने का आदेश दिया है।

आम आदमी पार्टी (आप) के वरिष्ठ नेता सिसोदिया को फरवरी में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने गिरफ्तार किया था। इससे पहले, वह अरविंद केजरीवाल सरकार में उपमुख्यमंत्री थे। उनके पास कई अन्य विभाग भी थे। हाल में उच्चतम न्यायालय ने सिसोदिया की जमानत याचिका खारिज कर दी थी। 

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महादेव ऐप : पुलिस हवलदार भीम और असीम को 24 नवंबर तक न्यायिक रिमांड पर जेल भेजा गया

  Police constables Bhim Yadav and Asim, arrested in the Mahadev App case, have been sent to jail today on judicial remand for 14 days i.e. till 24th November.

Police constables Bhim Yadav and Asim, arrested in the Mahadev App case, have been sent to jail today on judicial remand for 14 days i.e. till 24th November.

रायपुर । 
 TODAY छत्तीसगढ़  /  महादेव ऐप मामले में गिरफ्तार पुलिस हवलदार भीम यादव और असीम को कोर्ट ने आज 14 दिन यानी 24 नवंबर तक न्यायिक रिमांड पर जेल भेजा है। वहीं पूर्व में गिरफ्तार विजय और सुनील दमानी भाइयों की भी जमानत याचिका खारिज कर दी गई है। इनके वकील ने अधूरी जांच के हवाले से जमानत याचिका लगाई थी। इसका ईडी के अधिवक्ता डॉ सौरभ पांडे ने विरोध किया। कोर्ट ने दोनो की दलील सुनने के बाद जमानत याचिका खारिज कर दी ।

       इससे पहले भीम सिंह यादव और कार ड्राइवर असीम दास बंगाली उर्फ बप्पा को आज दोपहर विशेष न्यायाधीश अजय सिंह राजपूत की कोर्ट में पेश किया गया । दोनों की दस दिन की रिमांड खत्म हो रही है। असीम से पिछले सप्ताह पांच करोड़ रूपए राजधानी के एक होटल से जब्त किए गए थे।

महादेव सट्टा एप्प के मामले में ईडी ने छत्तीसगढ़ के दो आईपीएस अफसरों को नोटिस देकर बुलाया है। इन दोनों के नाम का खुलासे से जिक्र सामने आए एक वीडियो में लिया गया था। इनमें से एक से शाम छह बजे से रात डेढ़ बजे तक पूछताछ की खबर है। ऐसा पता लगा है कि एक आईपीएस से कल पूछताछ हुई है और दूसरे को शायद आज बुलाया गया है। इसी तरह से राजधानी के एक टीआई को भी तलब किए जाने की सूचना है।

केरल हाईकोर्ट : बेटी की देखभाल करने वाला कोई नहीं, जेल में बंद माँ को रिहा करें


 कोच्चि  | 
 TODAY छत्तीसगढ़  /   केरल हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को केरल असामाजिक गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 2007 के तहत जेल में बंद एक महिला को यह ध्यान में रखते हुए रिहा करने का निर्देश दिया है कि उसकी बेटी गर्भावस्था के अंतिम चरण में है और देखभाल करने वाला कोई नहीं है।

याचिका पर सुनवाई के बाद एक खंडपीठ ने बताया कि आम तौर पर अदालतें हिरासत के आदेशों में हस्तक्षेप नहीं करती हैं, लेकिन जब मौलिक अधिकार शामिल होते हैं तो यह ऐसी शक्ति से रहित नहीं है।

महिला आपराधिक विश्वासघात और धोखाधड़ी के आरोपों के तहत एक दर्जन से अधिक मामलों में शामिल थी और उसे 15 दिसंबर तक हिरासत में रखा गया था।गर्भावस्था के अंतिम चरण में अपनी बेटी के साथ उसने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया और गुहार लगाई कि उसकी बेटी की देखभाल करने वाला उसके अलावा कोई नहीं है।

हाईकोर्ट ने कहा कि उसे भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत विशिष्ट परिस्थितियों पर विचार करना होगा, और कहा कि याचिकाकर्ता के पास संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत एक बेहतर अधिकार है जिसे उसके जीवन और स्वतंत्रता के अधिकार की रक्षा के लिए उचित आधार पर लागू किया जा सकता है। इन पहलुओं को ध्यान में रखते हुए कोर्ट ने निर्देश दिया कि मां को 14 नवंबर को रिहा किया जाए। TODAY छत्तीसगढ़ के WhatsApp ग्रुप में जुड़ने के लिए क्लिक करें   

Bilaspur High Court : सहायक शिक्षकों और शिक्षकों की पदोन्नति का मामला, पुराने पदस्थ स्कूलों में ज्वाइन करने की छूट


 बिलासपुर /  
TODAY छत्तीसगढ़  / सहायक शिक्षकों और शिक्षकों की पदोन्नति के मामले में हाईकोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसला दिया है। कोर्ट ने याचिकाकर्ता शिक्षकों को पुराने पदस्थ स्कूलों में ज्वाइन करने की छूट दी है। शिक्षकों को 15 दिनों के भीतर स्कूल शिक्षा विभाग में अपना अभ्यावेदन जमा करना होगा। याचिकाकर्ता को यह छूट होगी कि उसने संशोधन के लिए जो प्रमुख आधार बताएं हैं उससे संबंधित या अन्य दस्तावेज भी अभ्यावेदन के साथ प्रस्तुत कर सकता है।

उनके अभ्यावेदन के आधार पर सरकार द्वारा बनाई गई 7 सदस्यीय कमेटी 45 दिनों के भीतर मामले का निराकरण करेगी। वेतन का भुगतान भी संबंधित स्कूल से ही होगा। हाईकोर्ट ने अपने निर्णय में कहा है कि एक समिति का गठन किया जाएगा, जिसमें अध्यक्ष के रूप में स्कूल शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव, एक सदस्य के रूप में लोक शिक्षण निदेशक और सदस्य के रूप में संबंधित पांच प्रभागों के सभी संयुक्त निदेशक शामिल होंगे।

शिक्षकों की याचिका पर सुनवाई के बाद जस्टिस अरविंद सिंह चंदेल की सिंगल बेंच ने अपने फैसले में कहा है कि याचिकाकर्ता शिक्षकों को समिति के समक्ष 15 दिनों के भीतर आवेदन प्रस्तुत करना होगा। समिति प्रत्येक याचिकाकर्ता के मामले का निर्णय करेगी। शिक्षकों के नए पदस्थापना आदेश समिति या सक्षम प्राधिकारी द्वारा जारी किए जाएंगे। निर्णय लेते समय समिति या सक्षम प्राधिकारी याचिकाकर्ताओं के मामले और उनके नए पोस्टिंग आदेश जारी करने के लिए, राज्य की स्थानांतरण नीति के अंतर्गत जारी निर्देशों पर भी विचार करेगी। 

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1900 से अधिक शिक्षकों ने दायर की है याचिका - 

हाईकोर्ट में लगभग 1900 शिक्षकों ने अपने अधिवक्ताओं शिक्षकों के माध्यम से अलग-अलग याचिका दायर कर राज्य शासन द्वारा चार सितंबर 2023 को पारित आदेश को चुनौती दी है। इसमें संबंधित संभागीय संयुक्त निदेशकों द्वारा जारी याचिकाकर्ताओं के संशोधित पोस्टिंग आदेश रद्द कर दिए गए हैं। राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता सतीश चन्द्र वर्मा एवं उप महाधिवक्ता संदीप दुबे द्वारा बताया गया कि सभी याचिकाकर्ता 4 सितंबर के आदेश से कार्यमुक्त हो चुके थे। वेतन भुगतान के लिए उनको पूर्व पोस्टिंग स्थान पर ज्वाइन करना होगा। इसके बाद राज्य सरकार उनके वेतन भुगतान की व्यवस्था करेगी। कोर्ट के आदेश के बाद याचिका निराकॄत कर दी गई है। 

कोयला लेवी मामला : हाईकोर्ट ने कारोबारी रजनीकांत को जमानत देने से किया इनकार

 


बिलासपुर।
 TODAY छत्तीसगढ़  /  कोयला लेवी मामले में हाईकोर्ट ने कारोबारी रजनीकांत तिवारी को जमानत देने से इनकार कर दिया है। इस मामले में उनका भाई सूर्यकांत तिवारी व सौम्या चौरसिया सहित अन्य आरोपी भी अभी जेल में हैं।

मालूम हो कि पूर्व में हाई कोर्ट ने अन्य आरोपियों की भी जमानत अर्जी स्वीकार नहीं की थी। याचिकाकर्ता की ओर से उनके अधिवक्ता ने कहा कि आवेदक पीएमएलए 2002 की धारा 45 के तहत दिए गए अपवादों के तहत लाभ का हकदार है। ऐसे में उसे जेल से बाहर आने की अनुमति मिलनी चाहिए।

जस्टिस नरेंद्र कुमार व्यास की बेंच ने तर्क सुनने के बाद कहा कि प्रथम दृष्टि में आरोपी का जानबूझकर और सक्रिय रूप से जबरन वसूली रैकेट में भाग लेना और अवैध नगदी प्रबंधन करना दिखाई देता है। आवेदक ने प्रवर्तन निदेशालय द्वारा इकट्ठा किए गए सबूतों का खंडन नहीं किया है। अपराध की गंभीरता तथा गवाहों को प्रभावित करने की आशंका को देखते हुए अदालत जमानत याचिका याचिका खारिज करती है।

ज्ञात हो कि ईडी ने जांच के बाद इनके खिलाफ लगाए गए आरोपों में कहा है कि छत्तीसगढ़ में कोयले के परिवहन करने के दौरान 25 रुपये प्रति टन की लेवी वसूलने के लिए वरिष्ठ नौकरशाहों, व्यापारियों, राजनेताओं और बिचौलियों को शामिल करते हुए एक कार्टेल चला रहे थे। इन पर आईपीसी की धारा 186, 204,353, 120बी, 384, धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 की धारा 3 और 4 के तहत मामला दर्ज किया गया है। 

18 महीने की बच्ची से दुष्कर्म, हत्या के आरोपी को 55 दिन के भीतर अदालत ने 'सजाए मौत' दी

 TODAY छत्तीसगढ़  / बहराइच / अपराध करने के 55 दिनों के भीतर एक आरोपी को 18 महीने की बच्ची से दुष्कर्म और हत्या के मामले में मौत की सजा सुनाई गई है। बहराइच की एक अदालत ने सोमवार को फैसला सुनाया। TODAY छत्तीसगढ़ के WhatsApp ग्रुप में जुड़ने के लिए क्लिक करें   

दोषी परशुराम की गिरफ्तारी से लेकर उसकी सजा तक की पूरी कार्यवाही में 55 दिन लगे, जो पुलिस के अनुसार एक रिकॉर्ड है। ट्रायल केवल आठ कार्य दिवसों में समाप्त हो गया था। यह घटना 22 जून की है, जब 30 वर्षीय परशुराम ने एक स्कूल में बच्ची के साथ दुष्कर्म किया, जहां उसकी मौत हो गई। उसे एक मुठभेड़ के बाद गिरफ्तार किया गया था जिसमें उनके पैर में गोली लगी थी।

गोरखपुर जोन के अतिरिक्त महानिदेशक, अखिल कुमार ने कहा कि बहराइच पुलिस द्वारा सावधानीपूर्वक साक्ष्य संग्रह और चार्जशीट दाखिल करने के कारण रिकॉर्ड समय में दोषसिद्धि सुनिश्चित की गई।

पुलिस अधीक्षक, बहराइच, सुजाता सिंह, जिन्होंने जांच का नेतृत्व किया, उन्होंने कहा कि आरोपी पर बलात्कार, हत्या और यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (पोक्सो) अधिनियम से संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है।

उन्होंने कहा, "हमने सुनिश्चित किया कि सभी सबूत एकत्र किए गए और 28 दिनों में आरोप पत्र दायर किया गया। नमूने तेजी से एकत्र किए गए थे, गोरखपुर में नई एफएसएल प्रयोगशाला ने 37 दिनों में डीएनए रिपोर्ट दी।"

मामले की सुनवाई 2 अगस्त से अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश (बलात्कार और पॉक्सो एक्ट आई) नितिन पांडे की अदालत में हुई। अदालत ने अभियोजन पक्ष के तालमेल के चलते 12 अगस्त को महज आठ कार्यदिवसों में परशुराम को दोषी करार दिया। अधिकारी ने कहा, "रिकॉर्ड समय में फैसला समाज में अपराधियों को एक कड़ा संदेश देगा।"

अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) अवनीश अवस्थी ने बहराइच पुलिस को एक लाख रुपये का इनाम देने की घोषणा की है, जबकि डीजीपी मुकुल गोयल ने मामले के जांच अधिकारी को प्रशस्ति पत्र और एफएसएल टीम के साथ पर्यवेक्षी अधिकारियों को प्रशंसा पत्र देने की घोषणा की है।

40 साल पुराने मामले में राजीनामा, देश की पहली फिजिकल, वर्चुअल व मोबाईल नेशनल लोकअदालत लगी


TODAY छत्तीसगढ़  / बिलासपुर / राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (नालसा) नई दिल्ली के निर्देशानुसार 10 जुलाई 2021 को हाईब्रीड नेशनल लोक अदालत का आयोजन छत्तीसगढ़ राज्य में तालुका स्तर से लेकर उच्च न्यायालय स्तर तक सभी न्यायालयों में आयोजित कर राजीनामा योग्य प्रकरणों को पक्षकारों की आपसी सुलह समझौता से निराकृत किया गया। उक्त लोक अदालतों में प्रकरणों को पक्षकारों की भौतिक अथवा वर्चुअल उपस्थिति के माध्यम से निराकृत किये गये।

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश, एवं छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, बिलासपुर के कार्यपालक अध्यक्ष, न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा के निर्देशानुसार उक्त लोक अदालत के लिये प्रत्येक जिले में मजिस्ट्रेट की स्पेशल सीटिंग दी गई थी। छोटे-छोटे मामले पक्षकारों की स्वीकृति के आधार पर निराकृत किये गये। इसके अतिरिक्त विशेष प्रकरणों जैसे धारा 321 सीआरपीसी, 258 सीआरपीसी एवं मामूली अपराध के प्रकरणों तथा कोरोना काल में आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 के अतर्गत दर्ज प्रकरणों का भी निराकरण किया गया। ऐसे मामले जो अभी न्यायालय में प्रस्तुत नहीं हुए हैं, उन्हें भी प्री-लिटिगेशन प्रकरणों के रूप में पक्षकारों की आपसी समझौते के आधार पर निराकृत किये गये। TODAY छत्तीसगढ़ के WhatsApp ग्रुप में जुड़ने के लिए क्लिक करें   

 कुल 10 हजार से अधिक प्रकरणों का निराकरण किये जाने की ख़बर है, जिसमें लगभग एक हजार मामले कोरोना काल में उल्लंघन से संबंधित धारा 188 के हैं, जो शासन की पहल पर वापस लिये गये हैं। इसके अलावा संध्या तक पक्षकारों की उपस्थित न्यायालय परिसर में प्रकरणों के निराकरण हेतु बनी हुई है, जिससे संभावना है कि और अधिक प्रकरणों का निराकरण होगा। इसी प्रकार छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के द्वारा उक्त नेशनल लोक अदालत में 4 खण्डपीठों के द्वारा कुल 123 प्रकरणों का निराकरण किया गया है, जिसमें मोटर दुर्घटना के 103 प्रकरणों का निराकरण करते हुए 2 करोड़ 39 लाख 90 हजार 840 रुपये का अवार्ड पारित किया गया है।

देश की पहली मोबाइल लोक अदालत

न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा के निर्देशानुसार देश की पहली मोबाइल लोक अदालत को आयोजित करते हुए जिला विधिक सेवा प्राधिकरण रायपुर, दुर्ग, राजनांदगांव एवं महासमुंद में जिला न्यायालय में लंबित 7 प्रकरणों को मोबाइल लोक अदालत (वैन) के माध्यम से पक्षकारों के घर पहुंचकर प्रकरणों को आपसी सुलह समझौते के द्वारा निराकरण किया गया। इसके साथ दो प्रकरण दिव्यांग व्यक्तियों के हैं, जो जिला न्यायालय महासमुंद जिले के संबंधित थे। एक व्यक्ति जिला चिकित्सालय में भर्ती था। दो व्यक्ति बीमार होने के कारण तथा दो व्यक्ति वृद्ध होने के कारण न्यायालय में उपस्थित नहीं हो पा रहे थे।

दुर्ग न्यायालय में व्यवहार न्यायाधीश वर्ग एक जज हरेन्द्र नाग की अदालत में राज्य विरुद्ध आकाश यादव वगैरह प्रकरण धारा 323, 294, 506 आईपीसी के अंतर्गत 2018 से लंबित था। उक्त प्रकरण में दो प्रार्थी न्यायालय में उपस्थित हो गए थे, परन्तु एक प्रार्थी दयानंद नामक व्यक्ति बीमार होने के कारण अस्पताल में भर्ती था, जिसकी सहमति के बिना राजीनामा होना संभव नहीं था। उक्त सूचना जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव को मिलने पर उनके द्वारा पक्षकार के मोबाइल नंबर के माध्यम से संपर्क किया गया, जिस पर प्रार्थी ने बताया कि वह अभी चलने-फिरने में असमर्थ है, वह अपनी सहमति प्रदान करने हेतु न्यायालय नहीं आ सकता है। ऐसे में सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा राजेश श्रीवास्तव, अध्यक्ष, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, दुर्ग को उक्त जानकारी प्रदान की गई। इस पर पी.एल.व्ही. श्री दुलेश्वर मटियारा को मोबाईल वैन के माध्यम से उक्त प्रार्थी का राजीनामा हेतु सहमति अंकित किए जाने हेतु भेजा गया। इसमें प्रार्थी ने उक्त प्रकरण को राजीनामा के माध्यम से खत्म करने हेतु अपनी सहमति व्यक्त की, जिसके परिणामस्वरूप वर्ष 2018 से लंबित यह प्रकरण समाप्त किया गया।

व्यवहार न्यायाधीश वर्ग-2, दुर्ग सुश्री रुचि मिश्रा के न्यायालय में लंबित एक अन्य मामले में प्रार्थी वासुदेव की तबीयत खराब होने के कारण वह न्यायालय आने में असमर्थ था। तब मोबाईल वैन के माध्यम से प्रार्थी तक पहुंचा गया तथा उनकी राजीनामा हेतु सहमति प्राप्त की गई। इसी न्यायालय में लंबित एक अन्य प्रकरण में पक्षकार वृद्ध (उम्र 65 वर्ष) होने के कारण न्यायालय आने में असमर्थ था, जिसे भी मोबाईल वैन के माध्यम से संपर्क किया गया एवं उसकी राजीनामा में सहमति प्राप्त की गई।

अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश दुर्ग श्री आनंद कुमार बघेल के न्यायालय में लंबित मोटर दुर्घटना मुआवजा से संबंधित प्रकरण श्रीमती भावना महुले विरुद्ध बीनानाथ शाह में प्रार्थी महिला चोट से ग्रसित होने के कारण न्यायालय आने में असमर्थ थी। मोबाईल वैन के माध्यम से उन तक पहुंचा गया एवं उनकी राजीनामा हेतु सहमति प्राप्त कर 9 लाख 50 हजार रुपए की मुआवजा राशि स्वीकृत की गई।

जिला न्यायाधीश दुर्ग श्री राजेश श्रीवास्तव के न्यायालय में लंबित व्यवहार वाद संविदा के विशिष्ट पालन हेतु 6 करोड 20 लाख रुपये की अस्थायी निषेधाज्ञा हेतु मामला 20 जुलाई 2020 पेश किया गया था, जिसमें 19 लाख 20 हजार का न्याय शुल्क चस्पा किया गया था। प्रकरण में प्रतिवादीगण 2 करोड़ 18 लाख रुपये प्रदान करने हेतु सहमत हुए, जिसके फलस्वरूप न्याय शुल्क के रूप में जमा 19 लाख 20 हजार रूपये की वापसी का आदेश न्यायालय द्वारा पारित किया गया।

आज रोड एक्सीडेंट के एक मामले में 78 वर्ष के बुजुर्ग पक्षकार, अली असगर अजीज को न्यायालय आने में परेशानी थी, उनके घुटनों का ऑपरेशन हुआ था। वे बुजुर्ग होने के कारण वे मोबाइल का उपयोग भी नहीं कर पाते थे। उनकी परेशानी को देखते हुये प्राधिकरण के दो पैरालीगल वालिंटियर्स ने रायपुर के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट श्री भूपेन्द्र कुमार वासनीकर की खंडपीठ में वीडियो कान्फ्रेंस के माध्यम से निःशक्त पक्षकार अली असगर को उपस्थित कराया। न्यायालय द्वारा वीडियो कान्फ्रेंस के माध्यम से ही अली असगर को समझाइश दी गई और राजीनामा के संबंध में चर्चा की गई। थाना कोतवाली, रायपुर में राजीनामा के उपरांत मामला समाप्त किया।
इसी तरह चेक बाउंस के एक अन्य मामले में पक्षकार राजवंत सिंह एक दुर्घटना का शिकार हो गये और उनकी पसलियां टूट गई। वर्तमान में वे चलने-फिरने में असमर्थ हैं। राजवंत सिंह भी अपने मामले मे राजीनामा कर मामले को खत्म करना चाहते थे लेकिन अपने स्वास्थगत कारणों से वे न्यायालय आने में असमर्थ थे। राजवंत सिंह विरोधी पक्षकार को लिये गये उधार के एवज में चेक, न्यायालय के सामने देना चाहते थे। जब यह बात प्राधिकरण को पता चली तो प्राधिकरण ने पैरा वालिंटियर्स को वाहन सहित उनके घर भेजा और उनकी इच्छा के अनुसार उन्हें न्यायालय लेकर आ गये। उन्हें डा. सुमित सोनी के न्यायालय में उन्होंने चेक प्रदान किया और राजीनामा के माध्यम से यह मामला भी खत्म हुआ।
सरगुजा में 40 वर्ष पुराने मामले का निराकरण
भूमि संबंधी विवाद को लेकर रामदुलार चौधरी वगैरह, के पिता शिबोधी चौधरी के द्वारा वर्ष 1980 में शिवमंगल सिंह के विरूद्ध व्यवहार न्यायालय के समक्ष प्रकरण प्रस्तुत किया गया था। उक्त व्यवहारवाद के सुनवाई के दौरान उभय पक्ष शिबोधी चौधरी एवं शिवमंगल सिंह की मृत्यु भी हो गई। उसके पश्चात् उनके उत्तराधिकारीगण प्रकरण में पक्षकार बनकर प्रकरण संचालित किये। इस मध्य प्रकरण माननीय उच्च न्यायालय के समक्ष भी लंबित रहा, उक्त मामला न्यायालय के समक्ष 35 वर्षों तक संचालित रहा और वर्ष 2015 में व्यवहार न्यायालय के क्षरा प्रकरण का निराकरण स्वर्गीय शिबोधी चौधरी के उत्तराधिकारियों के पक्ष में फैसला सुनाया। इसके विरूद्ध स्व0 शिवमंगल सिंह के उत्तराधिकारियों के द्वारा वरिष्ठ न्यायालय माननीय पंचम अपर जिला न्यायाधीश अंबिकापुर के समक्ष अपील प्रस्तुत की गई। उक्त अपील के निराकरण के लिए उभय पक्षों के मध्य समझौता की बातचीत हुई। इसमें संबंधित न्यायालय के द्वारा उभय पक्षों को समझाईश दी गई। अंततः मामला उभय पक्षों के द्वारा संबंधित न्यायालय के पीठासीन अधिकारी श्री ओम प्रकाश जायसवाल की समझाईश तथा आपसी बातचीत कर समझौता के आधार पर अपील का निराकरण नेशनल लोक अदालत के माध्यम से 6 वर्षों के पश्चात् हो गया। उक्त समझौता प्रकरण 40 वर्ष पुराना होने के कारण संबंधित न्यायालय के पीठासीन अधिकारी के समझाईश एवं सहयोग से हुआ जिसमें उभय पक्ष के अधिवक्ता श्री विकास श्रीवास्तव एवं श्री उदयराज तिवारी ने भी सहयोग दिया।

राजद्रोह के आरोपी IPS सिंह हाईकोर्ट की शरण में, सरकार ने दायर की कैविएट

TODAY छत्तीसगढ़  / बिलासपुर / राज्य के निलंबित एडीजी IPS जीपी सिंह देर रात राजद्रोह का मुकदमा दर्ज होने के बाद आज हाईकोर्ट की शरण में पहुँच गए हैं। उन्होंने बिलासपुर हाईकोर्ट में रिट पिटिशन दायर कर उन्होंने मांग की है कि उनके खिलाफ ACB और रायपुर सिटी कोतवाली में जो मामले दर्ज किए गए हैं, उसकी जांच  CBI या फिर किसी स्वतंत्र जांच एजेंसी से कराई जाए। TODAY छत्तीसगढ़ के WhatsApp ग्रुप में जुड़ने के लिए क्लिक करें   राजद्रोह के मामले में फंस चुके निलंबित एडीजीपी जीपी सिंह के हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करने के कुछ ही घंटों बाद शाम को राज्य शासन की ओर से भी कैविएट आवेदन कोर्ट में दाखिल किया गया।

सूत्र बताते हैं कि याचिका में प्रमुखता से बताया गया है कि उन्हें जानबूझकर ट्रेप करवाकर फंसाया गया है। याचिका में कहा गया है कि सरकार में खासा दखल रखने वाले कुछ अफसर और सियासी चेहरों ने बड़े ही सुनियोजित ढंग से मिलकर जीपी सिंह को फंसा कर राजद्रोह का आरोपी बना दिया है। याचिका में हाईकोर्ट से सीबीआई जांच की मांग करते हुए सिंह ने कहा है कि यह पूरी कार्रवाई इसलिए हुई है कि उन्होंने कुछ अवैध कामों को करने से मना किया। उनके असहयोग करने के कारण कुछ अधिकारियों ने पहले उन्हें धमकी दी और बाद में आय से अधिक संपत्ति का आरोप लगाते हुए एसीबी, ईओडब्ल्यू का छापा पड़वाया। इसमें भी बात नहीं बनी तो उनके खिलाफ राजद्रोह का अपराध गलत तरीके से दर्ज कर दिया गया। उन्हें पूरा यकीन है कि यदि उनकी जांच राज्य शासन की पुलिस या कोई एजेंसी करती है तो उनके साथ न्याय नहीं होगा इसलिए सभी मामलों की जांच सीबीआई या किसी स्वतंत्र एजेंसी से कराई जाए जो राज्य शासन के अधीन ना हो। 

याचिका प्रमुख रूप से जीपी सिंह पर गुरुवार आधी रात रायपुर के सिटी कोतवाली थाने में धारा 124 और धारा 153 के तहत दर्ज किए गए राजद्रोह के अपराध के खिलाफ आधारित है। याचिका में कहा गया है कि जिस डायरी और कागजों के आधार पर यह केस दर्ज किया गया है। वह सालों पुरानी है। कचरे, नाली में फेंकी हुई थी और उसे बंगले में छापा मारने वाले खुद ढूंढकर लाए थे। जब इन फटे-पुराने कागजों की जब्ती की जा रही थी, उस समय जीपी सिंह को नहीं बुलाया गया। जबकि, वो बंगले में मौजूद थे। एक डायरी जिसे पुलिस सबूत बता रही है, उसके पन्नें भीगे हुए थे और पुलिस ने उसे सूखाने के बाद उसमें जो अस्पष्ट शब्द लिखे हैं और उसके आधार पर मामला दर्ज कर लिया है। 

सरकार की ओर से कैविएट दाखिल  

राजद्रोह के मामले में फंस चुके निलंबित एडीजीपी जीपी सिंह के हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करने के कुछ ही घंटों बाद शाम को राज्य शासन की ओर से भी कैविएट आवेदन कोर्ट में दाखिल किया गया। इसमें कहा गया कि जीपी सिंह की याचिका की सुनवाई में कोई भी निर्णय करने से पहले या कोई संरक्षण देने से पहले उनका पक्ष भी सुना जाए। जानकारी के मुताबिक इस मामले की सुनवाई मंगलवार को हो सकती है।

कल देर रात दर्ज हुआ राजद्रोह का मामला  - 

छत्तीसगढ़ के निलंबित ADGP, आईपीएस जीपी सिंह पर गुरुवार देर रात राजद्रोह का मामला दर्ज कर लिया गया है।  ACB के शिकंजे में फंसे आईपीएस अफसर के सरकारी बंगले से कुछ ऐसी चिटि्ठयां, फटे हुए पन्ने और पेन ड्राइव मिले जो साबित करते हैं कि जीपी सिंह न सिर्फ सरकार के खिलाफ षड्यंत्र जाल बुन रहे थे बल्कि समाज में वैमनस्यता फैलाने का प्रयास भी किया जा रहा था । सरकारी बंगले से मिले दस्तावेजों की जांच में सरकार विरोधी गतिविधियों की बात खुलकर सामने आई हैं। तमाम तथ्य और दस्तावेजों को आधार बनाकर राजधानी रायपुर की सिटी कोतवाली पुलिस ने जीपी सिंह के खिलाफ राजद्रोह का मामला दर्ज किया है। बताया जा रहा है कि IPS जीपी सिंह फरार हो गए हैं, हालांकि पुलिस उनकी जल्द गिरफ्तारी का दावा कर रही है।

आपको बता दें कि छत्तीसगढ़ में IPS जीपी सिंह भारतीय प्रशासनिक सेवा के ऐसे पहले अफसर हैं जिनके ऊपर राजद्रोह का आरोप लगा है और मामला भी दर्ज किया गया है । राज्य के चर्चित आईपीएस अफसर जीपी सिंह जिस ACB के मुखिया रहे उसी विभाग ने सिंह के पुलिस लाइन स्थति सरकारी बंगले पर एक जुलाई की सुबह 6 बजे छापा मारा था। इसके साथ ही उनके 15 अलग-अलग ठिकानों पर भी एक साथ ACB और EOW ने कार्रवाई की थी। करीब 70 घंटे से भी ज्यादा समय तक चली कार्रवाई के दौरान जीपी सिंह के यहां 10 करोड़ की अघोषित संपत्ति के साथ बंगले के पीछे गटर से डायरी, कुछ फटे हुए पन्ने और एक दर्जन पेन ड्राइव मिली थी। 

जीपी सिंह के सरकारी आवास से मिली डायरी के पन्नों और पेन ड्राइव से निकाले गए दस्तावेजों से सरकार विरोधी गतिविधियों के संकेत मिले हैं । ख़बर है कि ACB ने डायरी के पन्ने और पेन ड्राइव से निकाले गए दस्तावेजों का ब्योरा तीन दिन पहले ही पुलिस को सौंप दिया था। कोतवाली पुलिस ने कार्रवाई के पहले करीब 2 दिनों तक ACB से मिले दस्तावेजों का परीक्षण किया उसके बाद छापे मारने वाली टीम के अफसरों का बयान भी लिया। पुलिस ने मिले दस्तावेजों की जांच और छापा मारने वाली टीम के सदस्यों के बयान के बाद ही राजद्रोह का मामला दर्ज किया है।  

नेशनल लोक अदालत का आयोजन 10 जुलाई को, 40 हजार प्रकरण चिन्हांकित


TODAY छत्तीसगढ़  / रायपुर / राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (नालसा) नई दिल्ली के निर्देशानुसार 10 जुलाई 2021 को नेशनल लोक अदालत का आयोजन किया जा रहा है, इसी अनुक्रम में छत्तीसगढ़ राज्य में भी तालुका स्तर से लेकर उच्च न्यायालय स्तर तक सभी न्यायालयों में 10 जुलाई को नेशनल लोक अदालत का आयोजन किया गया है। जिसमें राजीनामा योग्य प्रकरणों को पक्षकारों की आपसी सुलह समझौता से निराकृत किया जाएगा। प्रकरणों की सुनवाई के लिए विशेष न्यायाधीशों की नियुक्ति के साथ 322 खण्डपीठों का गठन और 40 हजार प्रकरण चिन्हांकित किए गए हैं। 

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       लोक अदालत में पक्षकार अपने निकटस्थ व्यवहार न्यायालय, जिला न्यायालय या विधिक सेवा संस्थान से संपर्क कर अपने प्रकरणों को अपनी भौतिक उपस्थिति के अतिरिक्त वर्चुअल मोड के द्वारा भी जुड़कर अपने प्रकरणों का निराकरण करा सकते हंै। न्यायमूर्ति श्री प्रशांत कुमार मिश्रा, कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एवं कार्यपालक अध्यक्ष, छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण बिलासपुर के निर्देशानुसार मजिस्ट्रेट को स्पेशल सिटिंग की शक्ति प्रदान की गई है, जिसके चलते मजिस्ट्रेट अपनी शक्तियों का प्रयोग कर राजीनामा के अतिरिक्त छोटे मामलों में स्वीकृति के आधार पर मामले को निराकृत कर सकेंगे। इसके अतिरिक्त विशेष प्रकरणों जैसे धारा 321 दप्रसं, 258 दप्रसं एवं पेट्टी आफेन्स के प्रकरणों को भी रखा जाकर निराकृत किया जाएगा।

 कोरोना काल में आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 के अंतर्गत दर्ज प्रकरणों का भी निराकरण किया जाएगा। उक्त लोक अदालत में फैमिली कोर्ट, स्थायी लोक अदालत, श्रम न्यायालयों के प्रकरण, बैंक वसूली, बिजली, पानी, श्रम न्यायालय मोटर दुर्घटना के प्रकरण, वैवाहिक मामले, धारा 138 चेक बाउंस मामले, समस्त सिविल मामले जो न्यायालय में लंबित है, इसके अलावा ऐसे मामले जो न्यायालय में अभी पेश नहीं हुए हैं, (प्री-लिटिगेशन) को निराकृत किया जाएगा। इसके साथ ही पक्षकारों के मध्य लोक अदालत की तिथि के पूर्व प्री-सिटिंग के माध्यम से भी प्रकरणों को निराकृत किया जाएगा। 

बिलासपुर हाईकोर्ट में निकली भर्तियां : 89 पदों पर नियुक्ति के लिए 20 जुलाई तक कर सकते हैं आवेदन

TODAY छत्तीसगढ़  / बिलासपुर / छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने कई पदों पर नियुक्तियां निकाली हैं। हाईकोर्ट रजिस्ट्रार जनरल के हस्ताक्षर से जारी विज्ञापन में स्टाफ, कार ड्राइवर, लिफ्ट मैन और आकस्मिक निधि से वेतन पाने वाले कर्मचारियों समेत 89 पदों पर नियुक्ति निकाली गई है। इन पदों पर 8वीं पास से लेकर 12वीं पास तक के कैंडिडेट अप्लाई कर सकते हैं। 20 जुलाई की शाम 5 बजे तक इन सभी पदों के लिए आवेदन किए जा सकते हैं।

इन पदों पर होनी हैं नियुक्तियां

पद का नाम-स्टाफ कार ड्राइवर, इस पद के लिए कैंडिडेट को मान्यता प्राप्त बोर्ड से 10वीं पास होना जरूरी है। इसके साथ ही कमर्शियल ड्राइविंग लाइसेंस के साथ सभी तरह की गाड़ियों को चलाने का अनुभव जरुरी है।

सैलरी-19500 से लेकर 62000 तक सैलरी मिलेगी।

पदों की संख्या-10

वर्ग अनुसार पदों का विवरण

अनारक्षित -04, अनु.जनजाति -03, अनु.जाति - 01, अन्य पिछड़ा वर्ग -02

लिफ्ट मैन के लिए 4 पद

लिफ्ट मैन के 4 पद निकाले गए हैं। जिसमें भी सैलरी 19500 से लेकर 62000 तक मिलेगी। इस पद के लिए अनारक्षित -02, अनु जनजाति -01 और अन्य पिछड़ा वर्ग के एक कैंडिडेट का सिलेक्शन किया जाएगा। वहीं आकस्मिक निधि से वेतन पाने वाले कर्मचारी जिसमें सफाई कर्मचारी, कुक, माली, चौकीदार, इलेक्ट्रिशियन, प्लंबर, ड्राइवर, पेंट्री स्टाफ, पंप अटेंडेंट जैसे पदों के लिए कुल 75 पद निकाले गए हैं। इन पदों पर सैलरी जिलाध्यक्ष बिलासपुर द्वारा समय समय पर निर्धारित दैनिक वेतनमान के अनुसार दी जाएगी।

वर्ग अनुसार पदों का विवरण

अनारक्षित -31(02 दिव्यांग ,9 महिला पद के लिए रिजर्व)

अनु जाति - 09(1 दिव्यांग 2 महिला पद के लिए रिजर्व)

अनु जनजाति -25(01 दिव्यांग ,07 पद महिला के लिए रिजर्व)

अन्य पिछड़ा वर्ग -10(3 महिला पद के लिए रिजर्व)

राज्य से बाहर के लोगों के लिए न्यूनतम आयु 18 वर्ष और अधिकतम 30 वर्ष से कम होनी चाहिए। राज्य के मूल निवासियों के लिए 40 वर्ष की आयु तक की छूट दी जाएगी। छत्तीसगढ़ राज्य के अनुसूचित जाति/ जनजाति/पिछड़ा वर्ग के लिए 5 वर्ष की छूट दी जाएगी। वहीं इन वर्गों के अंतर्गत आने वाली राज्य की महिला अभ्यर्थियों के लिए 10 वर्ष छूट रहेगी। लेकिन किसी भी अभ्यर्थी की अधिकतम आयु 45 वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए।

BILASPUR HIGHCOURT : पूरे प्रदेश में नीलाम की गई कुल जमीन, कितने लोगों को दी गई सरकार वो सूचि उपलब्ध कराये

TODAY छत्तीसगढ़  /  बिलासपुर / सरकारी जमीनों की नीलामी मामले में बुधवार को बिलासपुर हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूरे प्रदेश में नीलाम की गई कुल जमीन, कितने लोगों को दी गई, संंबंधित हितग्राहियों की पूरी सूची चार हफ्ते में कोर्ट में पेश करने का आदेश दिया है। पूरे मामले की सुनवाई HC के एक्टिंग चीफ जस्टिस प्रशांत मिश्रा की बेंच में हुई है। इधर, याचिकाकर्ता ने कहा है कि कोर्ट की जांच के बाद देश के सबसे बड़े जमीन घोटाले का पर्दाफाश होगा।

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दरअसल, सुशांत शुक्ला ने कोर्ट में याचिका दायर की थी। जिसमें इस पूरी प्रक्रिया पर आपत्ति करते हुए राज्य सरकार के द्वारा अभी तक पूरे प्रदेश में कितनी सरकारी जमीन की नीलामी की गई, कितने लोगों को जमीनें दी गई इसकी जानकारी मांगी है। याचिकाकर्ता ने हितग्राहियों की सूची की मांग भी की थी। इसके बाद मामले की गंभीरता को देखते हुए चीफ जस्टिस की बेंच में इसकी सुनवाई हुई। कोर्ट ने राज्य सरकार से चार हफ्ते में पूरी सूची कोर्ट के सामने पेश करने का आदेश दिया है। 

मामले में सुशांत शुक्ला की ओर से रोहित शर्मा, राज्य सरकार की तरफ से वी.आर तिवारी और चंद्रेश श्रीवास्तव ने पैरवी की। इस आदेश को लेकर याचिकाकर्ता सुशांत शुक्ला ने कहा है कि हाईकोर्ट ने एक सुसंगत आदेश जारी किया है। जिससे प्रदेश सरकार के संरक्षण वाले भू-माफिया और सत्ताधारी दल से जुड़े जमीन के बड़े व्यापारियों के नाम सामने आएंगे।

                                              

बिलासपुर हाईकोर्ट : पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा प्रवक्ता के खिलाफ टूलकिट मामले में FIR पर रोक, राज्य सरकार से माँगा जवाब

TODAY छत्तीसगढ़  / बिलासपुर /  टूल किट विवाद में बिलासपुर हाईकोर्ट ने भाजपा नेताओं को अंतरिम राहत दी है। कोर्ट ने FIR और विवेचना पर रोक लगा दी है। साथ ही सरकार से जवाब पेश करने के लिए कहा है। जवाब आने के बाद मामले की सुनवाई होगी। छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह और भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने FIR को निरस्त करने की मांग को लेकर याचिका लगाई है। दोनों नेताओं पर रायपुर के सिविल लाइंस थाने में 19 मई 2021 को FIR दर्ज कराई गई थी।

पूर्व मुख्यमंत्री डॉक्टर रमन सिंह की ओर से भाजपा  राज्य सभा सदस्य और अधिवक्ता महेश जेठमलानी, विवेक शर्मा, गैरी मुखोपाध्याय ने पैरवी की है। इससे पहले शुक्रवार को हुई सुनवाई में अधिवक्ताओं ने कहा था कि यह है अभिव्यक्ति की आजादी का हनन है। इस पर कोई आपराधिक मामला नहीं बनता है। जिसके बाद कोर्ट ने आवेदन पर फैसला सुरक्षित कर लिया था। फिलहाल दोनों नेताओं को अंतरिम राहत दी गई है। फैसला जस्टिस एनके व्यास के सिंगल बेंच से आया है। TODAY छत्तीसगढ़ के WhatsApp ग्रुप में जुड़ने के लिए क्लिक करें   

ये था मामला -  पूर्व मुख्यमंत्री डॉक्टर रमन सिंह ने 18 मई को अपने ट्विटर अकाउंट से कांग्रेस का कथित लेटर पोस्ट करते हुए दावा किया था कि इसमें देश का माहौल खराब करने की तैयारी की प्लानिंग लिखी है। साथ ही लिखा गया कि विदेशी मीडिया में देश को बदनाम करने दुष्प्रचार और जलती लाशों की फोटो दिखाने का कांग्रेस षड्यंत्र कर रही है। ऐसा ही पोस्ट संबित पात्रा ने भी किया था। इसके बाद युवा कांग्रेस के नेताओं ने रमन सिंह व संबित पात्रा पर FIR दर्ज करा दी।

                                               

बीमार कुत्ते के पास सुलाते थे जज साहब ! कुत्ते से बदत्तर ज़िंदगी जी रहे कोर्ट के चपरासी का बंगले में शव मिला, भाई ने मांगा न्याय

मृतक महमूद आलम का बड़ा भाई 

TODAY छत्तीसगढ़  / बैकुंठपुर। कोरिया जिला न्यायालय में काम करने वाले एक भृत्य की लाश संदिग्ध परिस्थितियों में जिला जज के बंगले में मिली है । मृतक के भाई ने जिला जज पर मानसिक प्रताड़ना का गंभीर आरोप लगाया है और बताया है कि उसे जिला जज के पालतू कुत्ते के पास सोने के लिए मजबूर किया जाता था।

जिला जज ओपी गुप्ता के सरकारी बंगले में न्यायालय के कर्मचारी महमूद आलम की लाश शनिवार की सुबह पाई गई। आनकारी मिली है कि मृतक जिला न्यायालय बैकुंठपुर में भृत्य का काम करता था। मृतक के भाई महफूज आलम ने बताया कि आज सुबह करीब 8.30 बजे जिला जज का ड्राइवर ओमप्रकाश मिंज उसके पास आया और कहा कि जज उसे जरूरी काम से बुला रहे हैं। बंगला पहुंचने पर जज ने बताया कि तुम्हारे भाई महमूद की मौत हो गई है और उसका शव बंगले में पड़ा है। महफूज के मुताबिक जब उसने जाकर देखा तो कुत्ते को बांधने वाली जगह पर उसके भाई की लाश पड़ी हुई थी।

महफूज का कहना है कि जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने अपने बंगले में कुत्ते की तबीयत खराब होने का हवाला देकर महमूद को तीन दिन पहले अपने घर बुलाया था और दो दिन से वह सरकारी बंगले में ही जज के कहने पर रुक रहा था। TODAY छत्तीसगढ़ के WhatsApp ग्रुप में जुड़ने के लिए क्लिक करें 

                                                  

मृत्यु से पूर्व महमूद ने अपने भाई को बताया था कि जज उसे पालतू कुते के पास जबरन सुलाते थे। उसकी जिंदगी कुत्ते से बदतर हो गई है। आदेश नहीं मानने पर जज उसे नौकरी से निकाल देने की धमकी देते थे। यहां तक उसे छुट्टी भी नहीं मिलती थी। मृतक के भाई ने हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस से गुहार लगाई है कि उसके भाई के संदिग्ध मौत की सही तरीके से जांच की जाए और उसे न्याय दिलाया जाए।

                                                 

4 साल की बच्ची से दुष्कर्म, दोषी टेक्सी चालक को आजीवन कारावास

 TODAY छत्तीसगढ़  / दुर्ग / जिला एवं सत्र न्यायालय दुर्ग ने आज दुष्कर्म के एक मामले में फैसला सुनाते हुए आरोपी को उम्र कैद की सजा दी है। छत्तीसगढ़ में दुर्ग जिले के भिलाई में तीन वर्ष पहले हुए, चार वर्ष की बच्ची से दुष्कर्म के मामले में जिला एवं सत्र न्यायालय दुर्ग की  न्यायाधीश डा0 ममता भोजवानी ने यह फैसला सुनाया है। वकील कमल किशोर वर्मा ने बताया कि इस मामले में शामिल आरोपी किशोर कुमार उर्फ छोटू भारद्वाज को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है और उस पर 8 हजार रुपए का अर्थदंड भी लगाया गया है। 

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इस घटनाक्रम के मामले में हासिल जानकारी के मुताबिक भिलाई में रहने वाली एक महिला अपनी चार वर्ष की बच्ची के साथ रहती थी। पड़ोस में ही किशोर कुमार उर्फ छोटू भारद्वाज भी रहता था, जो कि टैक्सी चलाने का काम करता था। आरोपी छोटू भारद्वाज 26 जून 2018 को खव्वा खिलाने के बहाने बच्ची को अपने साथ घर ले जाकर उसके साथ दुष्कर्म किया। मामले की शिकायत के बाद पुलिस ने अपराध दर्ज कर आरोपी को गिरफ्तार किया और न्यायालय के समक्ष सारे दस्तावेज और साक्ष्य प्रस्तुत किये। 

                                              

टूल किट विवाद : आवेदन पर फैसला सुरक्षित, बिलासपुर हाईकोर्ट ने सरकार से 3 सप्ताह में मांगा जवाब

 TODAY छत्तीसगढ़  / बिलासपुर / टूल किट विवाद में बिलासपुर हाईकोर्ट ने आवेदन पर फैसला सुरक्षित रख लिया है। वहीं इसको लेकर सरकार से 3 सप्ताह में जवाब पेश करने के लिए कहा है। जवाब आने के बाद मामले की सुनवाई होगी। छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह और भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने FIR को निरस्त करने की मांग को लेकर याचिका लगाई है। भाजपा के दोनों नेताओं के खिलाफ रायपुर के सिविल लाइंस थाने में 19 मई को FIR दर्ज कराई गई थी।

पूर्व मुख्यमंत्री डॉक्टर रमन सिंह की ओर से भाजपा के राज्य सभा सदस्य और अधिवक्ता महेश जेठमलानी, विवेक शर्मा, संजय कुमार ने पैरवी की। वहीं शासन की ओर से महाधिवक्ता सतीशचंद्र वर्मा, अभिषेक सिंघवी ने बात रखी। इस पर कोर्ट में करीब 4 घंटे बहस चली। जिसके बाद कोर्ट ने आवेदन पर फैसला सुरक्षित कर लिया। अब अगली सुनवाई तीन सप्ताह बाद होगी। वहीं दोनों नेताओं की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि उनके खिलाफ कोई केस नहीं बनता है। TODAY छत्तीसगढ़ के WhatsApp ग्रुप में जुड़ने के लिए क्लिक करें   

दोनों भाजपा नेताओं ने अधिवक्ता विवेक शर्मा के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका लगाई है। इसमें कहा गया है कि जिस टूल किट को लेकर अपराध दर्ज किया गया है, वह सार्वजनिक डोमेन में उपलब्ध था। याचिकाकर्ताओं ने पब्लिक डोमेन में मौजूद उस डिजिटल डॉक्यूमेंट पर टिप्पणी की है। ऐसे में उनके खिलाफ कोई अभियोग नहीं बनता है। इस मामले में रोस्टर के अनुसार याचिका पर सुनवाई जस्टिस नरेंद्र व्यास की कोर्ट में हुई।

आपको बता दें कि पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने 18 मई को अपने ट्विटर अकाउंट से कांग्रेस का कथित लेटर पोस्ट करते हुए दावा किया था कि इसमें देश का माहौल खराब करने की तैयारी की प्लानिंग लिखी है। साथ ही लिखा गया कि विदेशी मीडिया में देश को बदनाम करने दुष्प्रचार और जलती लाशों की फोटो दिखाने का कांग्रेस षड्यंत्र कर रही है। ऐसा ही पोस्ट संबित पात्रा ने भी किया था। इसके बाद युवा कांग्रेस के नेताओं ने रमन सिंह व संबित पात्रा पर FIR दर्ज करा दी।

                                         

बिलासपुर हाईकोर्ट का धारा 91 पर ऐतिहासिक फैसला, उच्च न्यायालय ने कहा FIR दर्ज किए बिना पुलिस किसी को भी थाने नहीं बुला सकती


TODAY छत्तीसगढ़  / बिलासपुर / दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 91 को लेकर हाईकोर्ट जस्टिस संजय के. अग्रवाल की एकलपीठ ने एक बड़ा फैसला सुनाया है। फैसले में कहा है कि सीआरपीसी की धारा 154 के अंतर्गत एफआईआर के पूर्व प्रारंभिक जांच में दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 91 लागू नहीं होगी। बिलासपुर जिले के सरकंडा थाने में छत्तीसगढ़ इंस्टीट्यूट ऑफ एजुकेशन बोर्ड के डायरेक्टर ने राजेश्वर शर्मा के खिलाफ लिखित शिकायत की।

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शिकायत में कहा गया कि राजेश्वर ने उनकी जमीन पर कब्जा कर लिया है। शिकायत के आधार पर सरकंडा पुलिस ने राजेश्वर शर्मा को दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 91 के तहत नोटिस जारी कर बार-बार थाने बुलाया और प्रताड़ित किया। प्रताड़ना से तंग आकर राजेश्वर शर्मा ने अधिवक्ता सौरभ शर्मा के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर की। इसमें बताया कि पुलिस बिना एफआईआर दर्ज किए उसके खिलाफ धारा 91 का दुरुपयोग करते हुए दिन रात थाने में बुलाकर प्रताड़ित करती है। मामले की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट की एकलपीठ ने मामले को गंभीरता से लेते हुए एक बड़ा और ऐतिहासिक फैसला सुनाया। इसमें हाईकोर्ट ने कहा है कि सीआरपीसी की धारा 154 के अंतर्गत एफआईआर के पूर्व प्रारंभिक जांच में दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 91 लागू नहीं होगी। 

                                             
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