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राजद्रोह के आरोपी IPS सिंह हाईकोर्ट की शरण में, सरकार ने दायर की कैविएट

TODAY छत्तीसगढ़  / बिलासपुर / राज्य के निलंबित एडीजी IPS जीपी सिंह देर रात राजद्रोह का मुकदमा दर्ज होने के बाद आज हाईकोर्ट की शरण में पहुँच गए हैं। उन्होंने बिलासपुर हाईकोर्ट में रिट पिटिशन दायर कर उन्होंने मांग की है कि उनके खिलाफ ACB और रायपुर सिटी कोतवाली में जो मामले दर्ज किए गए हैं, उसकी जांच  CBI या फिर किसी स्वतंत्र जांच एजेंसी से कराई जाए। TODAY छत्तीसगढ़ के WhatsApp ग्रुप में जुड़ने के लिए क्लिक करें   राजद्रोह के मामले में फंस चुके निलंबित एडीजीपी जीपी सिंह के हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करने के कुछ ही घंटों बाद शाम को राज्य शासन की ओर से भी कैविएट आवेदन कोर्ट में दाखिल किया गया।

सूत्र बताते हैं कि याचिका में प्रमुखता से बताया गया है कि उन्हें जानबूझकर ट्रेप करवाकर फंसाया गया है। याचिका में कहा गया है कि सरकार में खासा दखल रखने वाले कुछ अफसर और सियासी चेहरों ने बड़े ही सुनियोजित ढंग से मिलकर जीपी सिंह को फंसा कर राजद्रोह का आरोपी बना दिया है। याचिका में हाईकोर्ट से सीबीआई जांच की मांग करते हुए सिंह ने कहा है कि यह पूरी कार्रवाई इसलिए हुई है कि उन्होंने कुछ अवैध कामों को करने से मना किया। उनके असहयोग करने के कारण कुछ अधिकारियों ने पहले उन्हें धमकी दी और बाद में आय से अधिक संपत्ति का आरोप लगाते हुए एसीबी, ईओडब्ल्यू का छापा पड़वाया। इसमें भी बात नहीं बनी तो उनके खिलाफ राजद्रोह का अपराध गलत तरीके से दर्ज कर दिया गया। उन्हें पूरा यकीन है कि यदि उनकी जांच राज्य शासन की पुलिस या कोई एजेंसी करती है तो उनके साथ न्याय नहीं होगा इसलिए सभी मामलों की जांच सीबीआई या किसी स्वतंत्र एजेंसी से कराई जाए जो राज्य शासन के अधीन ना हो। 

याचिका प्रमुख रूप से जीपी सिंह पर गुरुवार आधी रात रायपुर के सिटी कोतवाली थाने में धारा 124 और धारा 153 के तहत दर्ज किए गए राजद्रोह के अपराध के खिलाफ आधारित है। याचिका में कहा गया है कि जिस डायरी और कागजों के आधार पर यह केस दर्ज किया गया है। वह सालों पुरानी है। कचरे, नाली में फेंकी हुई थी और उसे बंगले में छापा मारने वाले खुद ढूंढकर लाए थे। जब इन फटे-पुराने कागजों की जब्ती की जा रही थी, उस समय जीपी सिंह को नहीं बुलाया गया। जबकि, वो बंगले में मौजूद थे। एक डायरी जिसे पुलिस सबूत बता रही है, उसके पन्नें भीगे हुए थे और पुलिस ने उसे सूखाने के बाद उसमें जो अस्पष्ट शब्द लिखे हैं और उसके आधार पर मामला दर्ज कर लिया है। 

सरकार की ओर से कैविएट दाखिल  

राजद्रोह के मामले में फंस चुके निलंबित एडीजीपी जीपी सिंह के हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करने के कुछ ही घंटों बाद शाम को राज्य शासन की ओर से भी कैविएट आवेदन कोर्ट में दाखिल किया गया। इसमें कहा गया कि जीपी सिंह की याचिका की सुनवाई में कोई भी निर्णय करने से पहले या कोई संरक्षण देने से पहले उनका पक्ष भी सुना जाए। जानकारी के मुताबिक इस मामले की सुनवाई मंगलवार को हो सकती है।

कल देर रात दर्ज हुआ राजद्रोह का मामला  - 

छत्तीसगढ़ के निलंबित ADGP, आईपीएस जीपी सिंह पर गुरुवार देर रात राजद्रोह का मामला दर्ज कर लिया गया है।  ACB के शिकंजे में फंसे आईपीएस अफसर के सरकारी बंगले से कुछ ऐसी चिटि्ठयां, फटे हुए पन्ने और पेन ड्राइव मिले जो साबित करते हैं कि जीपी सिंह न सिर्फ सरकार के खिलाफ षड्यंत्र जाल बुन रहे थे बल्कि समाज में वैमनस्यता फैलाने का प्रयास भी किया जा रहा था । सरकारी बंगले से मिले दस्तावेजों की जांच में सरकार विरोधी गतिविधियों की बात खुलकर सामने आई हैं। तमाम तथ्य और दस्तावेजों को आधार बनाकर राजधानी रायपुर की सिटी कोतवाली पुलिस ने जीपी सिंह के खिलाफ राजद्रोह का मामला दर्ज किया है। बताया जा रहा है कि IPS जीपी सिंह फरार हो गए हैं, हालांकि पुलिस उनकी जल्द गिरफ्तारी का दावा कर रही है।

आपको बता दें कि छत्तीसगढ़ में IPS जीपी सिंह भारतीय प्रशासनिक सेवा के ऐसे पहले अफसर हैं जिनके ऊपर राजद्रोह का आरोप लगा है और मामला भी दर्ज किया गया है । राज्य के चर्चित आईपीएस अफसर जीपी सिंह जिस ACB के मुखिया रहे उसी विभाग ने सिंह के पुलिस लाइन स्थति सरकारी बंगले पर एक जुलाई की सुबह 6 बजे छापा मारा था। इसके साथ ही उनके 15 अलग-अलग ठिकानों पर भी एक साथ ACB और EOW ने कार्रवाई की थी। करीब 70 घंटे से भी ज्यादा समय तक चली कार्रवाई के दौरान जीपी सिंह के यहां 10 करोड़ की अघोषित संपत्ति के साथ बंगले के पीछे गटर से डायरी, कुछ फटे हुए पन्ने और एक दर्जन पेन ड्राइव मिली थी। 

जीपी सिंह के सरकारी आवास से मिली डायरी के पन्नों और पेन ड्राइव से निकाले गए दस्तावेजों से सरकार विरोधी गतिविधियों के संकेत मिले हैं । ख़बर है कि ACB ने डायरी के पन्ने और पेन ड्राइव से निकाले गए दस्तावेजों का ब्योरा तीन दिन पहले ही पुलिस को सौंप दिया था। कोतवाली पुलिस ने कार्रवाई के पहले करीब 2 दिनों तक ACB से मिले दस्तावेजों का परीक्षण किया उसके बाद छापे मारने वाली टीम के अफसरों का बयान भी लिया। पुलिस ने मिले दस्तावेजों की जांच और छापा मारने वाली टीम के सदस्यों के बयान के बाद ही राजद्रोह का मामला दर्ज किया है।  

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