दिल्ली। TODAY छत्तीसगढ़ /सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के उस निर्णय पर रोक लगा दी है, जिसमें कहा गया था कि नाबालिग लड़की के ब्रेस्ट दबाना, पायजामे का नाड़ा तोड़ना और उसे पुलिया के नीचे खींचने की कोशिश करना ‘दुष्कर्म के प्रयास’ की श्रेणी में नहीं आता। सर्वोच्च न्यायालय ने इस फैसले पर सख्त रुख अपनाते हुए टिप्पणी की कि यौन अपराध से जुड़े संवेदनशील मामलों पर अदालतों की टिप्पणी पीड़िता और समाज पर गंभीर असर डालती है, इसलिए जरूरत है कि न्यायिक मर्यादा के अनुरूप दिशानिर्देश तय किए जाएं।
“न्यायपालिका को संवेदनशीलता दिखानी चाहिए। कभी-कभी ऐसे बयान दिए जाते हैं जो पीड़ित पर उल्टा असर डालते हैं और समाज में गलत संदेश पहुंचाते हैं।”






















