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IndiGo पर केंद्र सरकार की सख्ती, उड़ानों में 5% कटौती; 10 एयरपोर्ट पर भेजे गए वरिष्ठ अधिकारी


नई दिल्ली। 
 TODAY छत्तीसगढ़  / लगातार उड़ानें रद्द होने, यात्रियों को हो रही परेशानी और व्यवस्था में अव्यवस्था की शिकायतों के बीच केंद्र सरकार ने इंडिगो एयरलाइंस पर कड़ा कदम उठाया है। कार्रवाई के 8वें दिन सरकार ने इंडिगो की उड़ानों में 5 प्रतिशत कटौती का आदेश दिया है। इसके तहत रोजाना लगभग 115 उड़ानें अब कम होंगी, जिन्हें सरकार अन्य एयरलाइन कंपनियों को आवंटित करेगी।

यात्रियों की लगातार बढ़ती शिकायतों और अनियमित शेड्यूल को देखते हुए सरकार ने यह फैसला लिया है। उड़ानें घटाए जाने के साथ ही 10 वरिष्ठ अधिकारियों को देश के 10 बड़े एयरपोर्ट्स पर तैनात किया गया है, ताकि वे यात्रियों की समस्याओं को सीधे समझ सकें और तत्काल समाधान सुनिश्चित कर सकें।

सूत्रों के अनुसार, इन अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि वे एयरपोर्ट पर सुविधाओं, देरी से उड़ान की जानकारी, सीट व्यवस्था, रिफंड प्रक्रिया और कस्टमर सपोर्ट सिस्टम की निगरानी करें, ताकि यात्रियों को परेशानियों से राहत मिल सके।

सरकार ने यह भी संकेत दिया है कि यदि सेवाओं में सुधार नहीं हुआ तो आगे और सख्त कदम उठाए जा सकते हैं। एयरलाइन कंपनियों को चेतावनी दी गई है कि यात्रियों की असुविधा को हल्के में लेने पर कार्रवाई अपरिहार्य होगी।

सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के विवादित फैसले पर लगाई रोक, यौन हिंसा मामलों में टिप्पणी पर बनेगी गाइडलाइन


दिल्ली। 
 TODAY छत्तीसगढ़  /सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के उस निर्णय पर रोक लगा दी है, जिसमें कहा गया था कि नाबालिग लड़की के ब्रेस्ट दबाना, पायजामे का नाड़ा तोड़ना और उसे पुलिया के नीचे खींचने की कोशिश करना ‘दुष्कर्म के प्रयास’ की श्रेणी में नहीं आता। सर्वोच्च न्यायालय ने इस फैसले पर सख्त रुख अपनाते हुए टिप्पणी की कि यौन अपराध से जुड़े संवेदनशील मामलों पर अदालतों की टिप्पणी पीड़िता और समाज पर गंभीर असर डालती है, इसलिए जरूरत है कि न्यायिक मर्यादा के अनुरूप दिशानिर्देश तय किए जाएं।

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की डिवीजन बेंच ने सुनवाई करते हुए स्पष्ट किया कि इस मामले में ट्रायल IPC की धारा 376 (दुष्कर्म) और POCSO एक्ट की धारा 18 (रेप की कोशिश) के तहत ही चलेगा। अदालत ने इस पर रोक लगाते हुए कहा कि संवेदनशील मामलों में अदालतों के शब्द समाज में गलत संदेश न दें।


यह मामला NGO ‘वी द वीमेन ऑफ इंडिया’ द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई के बाद सामने आया। याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता ने दलील दी कि देश के विभिन्न हाई कोर्ट ऐसे मामलों में आपत्तिजनक टिप्पणियां कर चुके हैं, जिससे सामाजिक मानसिकता और न्यायिक दृष्टिकोण पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
अधिवक्ता ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के एक अन्य फैसले का हवाला देते हुए कहा कि एक पीड़िता के नशे में होने पर कोर्ट ने टिप्पणी की थी कि “आप खुद मुसीबत को बुला रहे हैं।” इसी तरह के बयान कलकत्ता और राजस्थान हाई कोर्ट के मामलों में भी दर्ज हैं।


सुनवाई के दौरान CJI ने कहा,

“न्यायपालिका को संवेदनशीलता दिखानी चाहिए। कभी-कभी ऐसे बयान दिए जाते हैं जो पीड़ित पर उल्टा असर डालते हैं और समाज में गलत संदेश पहुंचाते हैं।”

सुप्रीम कोर्ट ने संकेत दिया कि यौन हिंसा से जुड़े मामलों में अदालतों के लिए जल्द ही मार्गदर्शक सिद्धांत तैयार किए जाएंगे, ताकि न्यायिक टिप्पणियां न्यायिक गरिमा और सामाजिक संवेदनशीलता के अनुरूप हों। 


वोटर लिस्ट में सोनिया गांधी के नाम को लेकर विवाद, दिल्ली कोर्ट ने जारी किया नोटिस


नई दिल्ली।
 TODAY छत्तीसगढ़  / दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने कांग्रेस सांसद सोनिया गांधी को नोटिस जारी किया है। यह नोटिस उस याचिका पर आधारित है जिसमें आरोप लगाया गया कि 1980-81 की वोटर लिस्ट में उनका नाम गलत तरीके से शामिल किया गया था। अदालत ने इस मामले में दिल्ली सरकार को भी नोटिस भेजा है और पूरे केस का रिकॉर्ड (TCR) मंगाया है। अगली सुनवाई 6 जनवरी को तय है, जिसमें सोनिया गांधी और राज्य सरकार को अपना जवाब देना होगा।

याचिकाकर्ता का दावा

 विकास त्रिपाठी द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि नई दिल्ली विधानसभा क्षेत्र की 1980 की वोटर लिस्ट में सोनिया गांधी का नाम मौजूद था, जबकि भारतीय नागरिकता उन्हें अप्रैल 1983 में मिली। याचिकाकर्ता ने मजिस्ट्रेट द्वारा शिकायत खारिज किए जाने के आदेश को भी चुनौती दी है।

भाजपा ने भी सवाल उठाए ।13 अगस्त को भाजपा आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने भी यह दावा किया था कि सोनिया गांधी का नाम वोटर लिस्ट में दो बार शामिल था, जबकि वे उस समय भारतीय नागरिक नहीं थीं। उन्होंने इसे चुनावी कानून के उल्लंघन का उदाहरण बताते हुए सोशल मीडिया पर विस्तार से आरोप साझा किए थे। 

पहली बार नाम शामिल (1980) 

1 जनवरी 1980 को वोटर लिस्ट में संशोधन के दौरान सोनिया गांधी का नाम पोलिंग स्टेशन 145 में क्रम संख्या 388 पर जोड़ा गया, जबकि वे इटली की नागरिक थीं। नाम हटाया और फिर जोड़ा (1983): विरोध के बाद 1982 में नाम हटाया गया, लेकिन 1983 की सूची में फिर से शामिल किया गया। उस समय भी वे भारतीय नागरिक नहीं थीं, क्योंकि नागरिकता उन्हें 30 अप्रैल 1983 को मिली। मालवीय ने सवाल उठाया कि भारतीय नागरिकता लेने में 15 साल का समय क्यों लगा और कैसे एक ही व्यक्ति का नाम बिना नागरिकता के दो बार मतदाता सूची में शामिल हो सकता है।

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