बिलासपुर। TODAY छत्तीसगढ़ / रेलवे में ग्रुप-डी की नौकरी पाने का इंतजार कर रहे अभ्यर्थियों को हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे में वर्ष 2010 में निकाली गई भर्ती की प्रक्रिया को लेकर दायर याचिकाओं पर अदालत ने अभ्यर्थियों के पक्ष में फैसला सुनाया है। जस्टिस अमितेंद्र किशोर प्रसाद की डबल बेंच ने रेलवे की सभी याचिकाएं खारिज कर दी। इसके साथ ही रिप्लेसमेंट कोटा के तहत योग्य अभ्यर्थियों की नियुक्ति का रास्ता साफ हो गया है।
मामला 15 दिसंबर 2010 का है, जब आरआरबी बिलासपुर ने ग्रुप-डी के पदों के लिए अधिसूचना जारी की थी। लंबे समय तक नियुक्ति नहीं होने पर अभ्यर्थियों ने केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण (कैट) में मामला पहुंचाया। कैट ने 6 मार्च 2024 को रेलवे को निर्देश दिया था कि 17 जून 2008 की अधिसूचना के अनुसार रिक्त पदों की स्थिति की जांच कर, रिप्लेसमेंट कोटा में योग्य अभ्यर्थियों की नियुक्ति पर विचार किया जाए।
रेलवे ने कैट के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए दलील दी कि चयन पैनल में शामिल होने से किसी उम्मीदवार को नियुक्ति का अधिकार स्वतः प्राप्त नहीं हो जाता। हाईकोर्ट ने रेलवे की दलील को खारिज करते हुए कहा कि वैध रूप से तैयार चयन पैनल को बिना ठोस कारण नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि भले ही चयनित उम्मीदवार को स्वतः नियुक्ति का अधिकार न हो, लेकिन वह निष्पक्ष, उचित और कानूनी विचार का हकदार है।
अदालत ने यह भी कहा कि जब मेरिट में योग्य उम्मीदवार मौजूद हों और पद रिक्त हों, तो नियुक्ति केवल उचित कारणों से ही रोकी जा सकती है। फैसले से 100 से अधिक अभ्यर्थियों को राहत मिलने की उम्मीद है, जो लंबे समय से नियुक्ति की प्रतीक्षा कर रहे थे।
