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Bilaspur High Court : सहायक शिक्षकों और शिक्षकों की पदोन्नति का मामला, पुराने पदस्थ स्कूलों में ज्वाइन करने की छूट


 बिलासपुर /  
TODAY छत्तीसगढ़  / सहायक शिक्षकों और शिक्षकों की पदोन्नति के मामले में हाईकोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसला दिया है। कोर्ट ने याचिकाकर्ता शिक्षकों को पुराने पदस्थ स्कूलों में ज्वाइन करने की छूट दी है। शिक्षकों को 15 दिनों के भीतर स्कूल शिक्षा विभाग में अपना अभ्यावेदन जमा करना होगा। याचिकाकर्ता को यह छूट होगी कि उसने संशोधन के लिए जो प्रमुख आधार बताएं हैं उससे संबंधित या अन्य दस्तावेज भी अभ्यावेदन के साथ प्रस्तुत कर सकता है।

उनके अभ्यावेदन के आधार पर सरकार द्वारा बनाई गई 7 सदस्यीय कमेटी 45 दिनों के भीतर मामले का निराकरण करेगी। वेतन का भुगतान भी संबंधित स्कूल से ही होगा। हाईकोर्ट ने अपने निर्णय में कहा है कि एक समिति का गठन किया जाएगा, जिसमें अध्यक्ष के रूप में स्कूल शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव, एक सदस्य के रूप में लोक शिक्षण निदेशक और सदस्य के रूप में संबंधित पांच प्रभागों के सभी संयुक्त निदेशक शामिल होंगे।

शिक्षकों की याचिका पर सुनवाई के बाद जस्टिस अरविंद सिंह चंदेल की सिंगल बेंच ने अपने फैसले में कहा है कि याचिकाकर्ता शिक्षकों को समिति के समक्ष 15 दिनों के भीतर आवेदन प्रस्तुत करना होगा। समिति प्रत्येक याचिकाकर्ता के मामले का निर्णय करेगी। शिक्षकों के नए पदस्थापना आदेश समिति या सक्षम प्राधिकारी द्वारा जारी किए जाएंगे। निर्णय लेते समय समिति या सक्षम प्राधिकारी याचिकाकर्ताओं के मामले और उनके नए पोस्टिंग आदेश जारी करने के लिए, राज्य की स्थानांतरण नीति के अंतर्गत जारी निर्देशों पर भी विचार करेगी। 

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1900 से अधिक शिक्षकों ने दायर की है याचिका - 

हाईकोर्ट में लगभग 1900 शिक्षकों ने अपने अधिवक्ताओं शिक्षकों के माध्यम से अलग-अलग याचिका दायर कर राज्य शासन द्वारा चार सितंबर 2023 को पारित आदेश को चुनौती दी है। इसमें संबंधित संभागीय संयुक्त निदेशकों द्वारा जारी याचिकाकर्ताओं के संशोधित पोस्टिंग आदेश रद्द कर दिए गए हैं। राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता सतीश चन्द्र वर्मा एवं उप महाधिवक्ता संदीप दुबे द्वारा बताया गया कि सभी याचिकाकर्ता 4 सितंबर के आदेश से कार्यमुक्त हो चुके थे। वेतन भुगतान के लिए उनको पूर्व पोस्टिंग स्थान पर ज्वाइन करना होगा। इसके बाद राज्य सरकार उनके वेतन भुगतान की व्यवस्था करेगी। कोर्ट के आदेश के बाद याचिका निराकॄत कर दी गई है। 

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