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10 हाथी की मौत : बांधवगढ़ के फील्ड डायरेक्टर और सहायक वन संरक्षक निलंबित, अब छत्तीसगढ़ में कार्रवाही का इंतज़ार

फ़ाइल फोटो 

भोपाल / 
 TODAY छत्तीसगढ़  /  मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने रविवार को उमरिया जिले में 10 जंगली हाथियों की मौत के मामले में लापरवाही बरतने के आरोप में बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर गौरव चौधरी और प्रभारी सहायक वन संरक्षक फतेह सिंह निनामा को निलंबित करने का आदेश दिया।

 उन्होंने हाथी टास्क फोर्स के गठन का भी आदेश दिया। बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व क्षेत्र में हुई बड़ी संख्या में हाथियों की मौत की समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री यादव ने कहा कि यह एक गंभीर घटना है, जिसमें कई हाथियों की मौत हुई है, लेकिन फील्ड डायरेक्टर छुट्टी से वापस नहीं आए और हाथियों के झुंड के आने के बाद आवश्यक सावधानियां नहीं बरती गईं। 

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डॉक्टर मोहन यादव ने कहा कि हाथी-मानव के बीच सौहार्दपूर्ण सह-अस्तित्व को बढ़ावा देने के लिए मध्य प्रदेश में राज्य स्तरीय हाथी टास्क फोर्स का गठन किया जाएगा। इस पहल का समर्थन करने के लिए विशेष "हाथी मित्र" नियुक्त किए जाएंगे। हाथियों की अधिक गतिविधि वाले क्षेत्रों में फसलों की सुरक्षा के लिए सौर बाड़ लगाने की व्यवस्था की जाएगी।  

मुख्यमंत्री को दी गई रिपोर्ट में कहा गया है कि हाथियों की मौत के मामले में कोई मानवीय साजिश ​ सामने नहीं आई है। इधर, हमलावर हाथी को बांधवगढ़ प्रबंधन की टीम ने रेस्क्यू कर पेड़ से बांध दिया है। मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव ने वन राज्य मंत्री दिलीप अहिरवार, एसीएस वन अशोक वर्णवाल व पीसीसीएफ असीम श्रीवास्तव को जांच के लिए बांधवगढ़ भेजा था। रविवार को इन्हें सीएम ने समीक्षा के लिए बुलाया था। इसके बाद यह कार्रवाई की गई। हाथियों द्वारा मारे गए लोगों के परिजनों को सरकार 8 लाख के बजाय 25 लाख रु. देगी।

प्रारंभिक जांच रिपोर्ट में अब तक कहा जा रहा था कि कोदो की फसल में मौजूद पेस्टिसाइड से 10 हाथियों की मौत हुई है। रविवार काे सीएम ने ट्वीट करके जानकारी दी कि कोदो की फसल में पेस्टिसाइड के उपयोग के सबूत नहीं मिले हैं। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि फिर हाथियों की मौत कैसे हुई? हाथियों के पोस्टमार्टम की रिपोर्ट 2-3 दिन में मिल सकती है। 

फेरबदल : हार के बाद एमपी से कमलनाथ की छुट्टी, जीतू होंगे प्रदेश अध्यक्ष

पूर्व मंत्री और राहुल गांधी के नजदीकी माने जाने वाले जीतू पटवारी को मध्यप्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनाया गया है। वे अब वरिष्ठ नेता कमलनाथ की जगह लेंगे। वहीं सदन में नेता प्रतिपक्ष की भूमिका अब आदिवासी नेता और विधायक उमंग सिंघार संभालेंगे। 


भोपाल।  TODAY छत्तीसगढ़  /  मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में हार के बाद कांग्रेस ने संगठन में बड़ा बदलाव किया है. पार्टी ने मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद से कमलनाथ को हटाकर जीतू पटवारी को नया अध्यक्ष नियुक्त किया है. वहीं उमंग सिंघार को नेता प्रतिपक्ष और हेमंत कटारे को उप नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी दी है. इससे पहले गोविंद सिंह नेता प्रतिपक्ष थे. जीतू पटवारी और उमंग दोनों ही कांग्रेस के दिग्गज नेता कमलनाथ और दिग्विजय सिंह के विरोधी खेमे के माने जाते हैं. मध्य प्रदेश चुनाव में हार के बाद से ही चर्चा थी की पार्टी बड़ा बदलाव करेगी. 

इसी तरह कांग्रेस ने छत्तीसगढ़ में पूर्व विधानसभा अध्यक्ष डॉक्टर चरण दास महंत को नेता विपक्ष बनाया है. दीपक बैज को प्रदेश अध्यक्ष के पद पर बरकरार रखा गया है. खास बात यह है कि छत्तीसगढ़ में बीजेपी के आदिवासी सीएम कार्ड की काट में कांग्रेस ने नेता विपक्ष और प्रदेश अध्यक्ष दोनों आदिवासी समाज से बनाए हैं. 

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एमपी में अब 'मोहन' राज, मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद बोले 'मोदी की गारंटी' पूरी करेंगे


 भोपाल।
 TODAY छत्तीसगढ़  /    मोहन यादव मध्यप्रदेश के नए सीएम बन गए हैं. एमपी के राज्यपाल मंगूभाई छगनभाई पटेल ने उज्जैन दक्षिण से विधायक मोहन यादव को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई. मोहन यादव के अलावा जगदीश देवड़ा और राजेंद्र शुक्ला को डिप्टी सीएम पद की शपथ दिलाई. भोपाल के परेड ग्राउंड मैदान में आयोजित भव्य समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, बीजेपी अध्यक्ष जेपी नेड्डा मौजूद रहे. इसके अलावा यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ, महाराष्ट्र सीएम एकनाथ शिंदे, डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस, अजित पवार, उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, ज्योतिरादित्य सिंधिया समेत तमाम बीजेपी नेता मौजूद रहे. एमपी के बाद छत्तीसगढ़ में विष्णुदेव साय दोपहर 2 बजे सीएम पद की शपथ लेंगे. छत्तीसगढ़ में विजय शर्मा और अरुण साव को डिप्टी सीएम की शपथ दिलाई जाएगी. 


शिवराज लाडली बहनों से मिलकर भावुक हो गए, कहा भाई बहन मिलते रहेंगे उनके प्यार के लिए धन्यवाद

 


भोपाल।
  TODAY छत्तीसगढ़  /   मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री पद पर लंबे समय तक रहने के बाद शिवराज सिंह चौहान ने मंगलवार को प्रेस कॉन्फ्रेस को संबोधित करते हुए कहा कि मैं संतोष के साथ विदा ले रहा हूं. उन्होंने दिल्ली जाने की अटकलों पर भी विराम लगा दिया. शिवराज ने कहा मैं दिल्ली नहीं जा रहा. लेकिन साथ ही उन्होंने नये सीएम मोहन यादव से एक बात की इजाज़त मांग ली.

सीएम पद से विदा होने के बाद शिवराज सिंह चौहान भोपाल में मीडिया से मुखातिब हुए. इस दौरान उन्होंने अपने कार्यकाल की उपलब्धियों, पार्टी नेतृत्व, संगठन, प्रशासनिक सहयोगियों और जनता सबका जिक्र किया. भावुक हुए शिवराज सिंह ने एक बात दिलचस्प की. उन्होंने कहा मैं नये सीएम मोहन यादव से एक मांग करता हूं कि वो मुझे रोज एक पेड़ लगाने की इजाजत दें. उसके लिए जमीन उपलब्ध कराते रहे और पेड़ों की सुरक्षा होती रहे.दरअसल शिवराज सिंह चौहान रोज एक पौधा रौंपते हैं. वो भोपाल में हों या किसी भी दूसरे शहर में वो रोज एक पौधा जरूर लगाते हैं. ये उनकी दिनचर्या में शामिल है.

शिवराज सिंह चौहान ने कहा अगर मेरे कार्यकाल के दौरान मुझसे कोई गलती हुई है तो उसके लिए क्षमा प्रार्थी हूं. अपनी नयी भूमिका के बारे में कहा बीजेपी एक मिशन है. इस मिशन में जो जिम्मेदारी दी जाएगी उसका निर्वहन करूंगा. छिंदवाड़ा से चुनाव लड़ने पर कहा अपने बारे में मैं कोई फैसला नहीं लेता पार्टी जो फैसला लेगी वह मंजूर होगा. दिल्ली न जाने के सवाल पर कहा कि उस समय से सब लोग दिल्ली में थे तब मैंने कहा था की मैं दिल्ली नहीं जाऊंगा. मेरा ऐसा मानना है अपने लिए कुछ मांगने से बेहतर मरना पसंद करूंगा.

लाडली बहनों से मिलकर भावुक

मीडिया से मुखातिब होने से पहले शिवराज सिंह चौहान लाडली बहनों से मिलकर भावुक हो गए. उन्होंने बहनों के सिर पर हाथ रखा. बहनें भी भावुक हो गयीं और उनकी आंखें छलछला उठीं. बहनों के भावुक होने पर कहा भाई बहन मिलते रहेंगे उनके प्यार के लिए धन्यवाद. बाद में प्रेस कॉन्प्रेंस में शिवराज सिंह चौहान ने नारी शक्ति को भी नमन किया. उन्होंने कहा महिला सशक्तिकरण मेरे लिए वोट पाने का साधन नहीं रहा. मेरे मन में हमेशा महिला उत्थान रहा है. लाडली लक्ष्मी योजना से एमपी में लिंगानुपात सुधरा है. 

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मोहन यादव एमपी के नये मुख्यमंत्री, तोमर को विस अध्यक्ष बनाया गया


  भोपाल।  TODAY छत्तीसगढ़ /   छत्तीसगढ़ के बाद अब आखिरकार आज शाम मध्यप्रदेश को भी नया मुख्यमंत्री मिल ही गया . मध्यप्रदेश की कमान अब 'शिव' नहीं 'मोहन' संभालेंगे। उज्जैन दक्षिण से भाजपा विधायक डॉक्टर मोहन यादव को मध्यप्रदेश में भाजपा विधायक दल के नेता के रूप में चुना गया है। मध्यप्रदेश में मोहन यादव मुख्यमंत्री और दो उप मुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा और राजेंद्र शुक्ला के अलावा नरेंद्र सिंह तोमर को विधानसभा अध्यक्ष बनाये जाने पर सहमति बनी है।   

 बीएससी, एलएलबी और पीएचडी की डिग्री हासिल कर चुके मोहन यादव शिवराज सरकार में उच्च शिक्षा मंत्री रहे हैं. नेटवर्थ की बात करें तो इनके पास करोड़ों की संपत्ति है. विधानसभा चुनाव के दौरान उन्होंने चुनाव आयोग में दिए गए हलफनामे में इसका खुलासा किया था.  

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एक जानकारी के मुताबिक, मध्य प्रदेश के नए सीएम के पास कुल 42 करोड़ रुपये की संपत्ति है. जबकि उनके ऊपर देनदारी की बात करें तो ये करीब 9 करोड़ रुपये है. MP के नए मुख्यमंत्री मोहन यादव की गिनती राज्य के अमीर नेताओं में की जाती है, इससे पहले मध्यप्रदेश में 2018 के हुए विधानसभा चुनाव के लिए अधिकतम संपत्ति घोषित करने वाले एमपी के टॉप-3 मंत्रियों में पहले नंबर पर भूपेंद्र सिंह और दूसरे नंबर पर मोहन यादव का नाम था.  

हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों के दौरान चुनाव आयोग को दिए गए हलफनामे में मोहन यादव ने अपनी संपत्ति का ब्योरा दिया था. इस पर नजर डालें तो मध्यप्रदेश के नए मुख्यमंत्री के पास 1.41 लाख रुपये कैश, जबकि उवकी पत्नी के पास 3.38 लाख रुपये की नकदी है. बैंकों में जमा राशि की बात करें तो अलग-अलग बैंकों में उनके और उनकी पत्नी के अकाउंट्स में 28,68,044.97 रुपये जमा हैं.  

"सभी को राम राम..." शिवराज सिंह चौहान ने अपने ट्वीट में हाथ जोड़ते हुए अपनी एक तस्‍वीर पोस्‍ट की

 


भोपाल।  TODAY छत्तीसगढ़  /  नवनिर्वाचित भाजपा विधायकों की महत्वपूर्ण बैठक से दो दिन पहले मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शनिवार को X पर संदेश 'सभी को राम राम' पोस्ट किया. इस पोस्ट में चौहान हाथ जोड़कर तस्वीर में दिखाई देने के बाद अटकलें तेज हो गईं क्योंकि ‘राम राम' का इस्तेमाल अभिवादन के साथ साथ विदाई संदेश दोनों के रूप में किया जाता है, लेकिन राज्य भाजपा प्रमुख वी डी शर्मा ने कहा कि विधानसभा चुनावों में भाजपा की भारी जीत के बाद विधायक और शीर्ष नेतृत्व तय करेंगे कि राज्य का अगला मुख्यमंत्री कौन बनेगा.  शर्मा ने शनिवार को संवाददाताओं से कहा कि तीनों (केंद्रीय) पर्यवेक्षक सोमवार सुबह यहां पहुंचेंगे. विधायक अपना नेता चुनने के लिए शाम 4 बजे बैठक करेंगे. विधायकों को निमंत्रण भेज दिया गया है. पार्टी की प्रक्रिया का पालन कर निर्णय लिया जायेगा. 

शिवराज सिंह चौहान ने अपने ट्वीट में हाथ जोड़ते हुए अपनी एक तस्‍वीर पोस्‍ट की है. साथ ही लिखा, "सभी को राम राम..."

  

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'भाभी' का नाम लेकर तूने बुलाई अपनी मौत, IAS लोकेश को जान से मारने की धमकी

TODAY छत्तीसगढ़  / लगातार तबादलों की वजह से मध्यप्रदेश के 'खेमका' के नाम से मशहूर हो रहे आईएएस लोकेश कुमार जांगिड़ को जान से मारने की धमकी मिली है। आरोप है कि किसी ने उन्हें अज्ञात नंबर से सिग्नल एप पर कॉल किया और कहा कि साधना भाभी का नाम लेकर तूने अपनी मौत बुला ली है। बता दें कि साढ़े चार साल की नौकरी में जांगिड़ का नौ बार तबादला हो चुका है। वहीं, कुछ समय पहले उन्हें बड़वानी जिले में अपर कलेक्टर के पद से राज्य शिक्षा केंद्र भेज दिया गया। ऐसे में उन्होंने बड़वानी कलेक्टर पर सवाल उठाए। साथ ही, उन पर भ्रष्टाचार के आरोप भी लगाए। इस संबंध में उन्होंने मध्यप्रदेश आईएएस असोसिएशन के ग्रुप में अपने दिल की बात लिखी। यह चैट वायरल हो गई, जिससे राज्य की राजनीति में घमासान शुरू हो गया। 

पोस्ट नहीं हटाई तो ग्रुप से निकाला -

बताया जा रहा है कि आईएएस असोसिएशन के ग्रुप में किए गए पोस्ट को हटाने के लिए लोकेश जांगिड़ पर काफी दबाव बनाया गया। जब उन्होंने पोस्ट हटाने से इनकार कर दिया तो उन्हें ग्रुप से निकाल दिया गया। इसके बाद आईएएस लोकेश जांगिड़ ने मीडिया के सामने अपनी बात रखी। साथ ही, बड़वानी कलेक्टर पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए। ऐसे में जांगिड़ के रुख पर राज्य सरकार ने नाराजगी जताई और शासन की तरफ से उन्हें नोटिस जारी कर दिया गया, जिसका जवाब सात दिन में मांगा गया है। उधर, आईएएस लोकेश जांगिड़ ने महाराष्ट्र में डेपुटेशन के लिए आवेदन दे दिया। 


अनजान नंबर से मिली धमकी -

जानकारी के मुताबिक, इस बीच आईएएस लोकेश को गुरुवार (17 जून) रात अनजान नंबर से धमकी मिली, जिसके बाद उन्होंने डीजीपी को लिखित शिकायत दी। उन्होंने बताया कि गुरुवार रात करीब 11:30 बजे सिग्नल एप पर अज्ञात नंबर से कॉल आया। कॉल करने वाले ने कहा कि तू नहीं जानता, तूने किससे पंगा लिया है। साधना भाभी का नाम लेकर तूने मौत को बुलाया है। तुझे अपनी और बेटे की जान की परवाह है तो छह महीने की छुट्टी पर चला जा। मीडिया से बात करना बंद कर दे। आईएएस लोकेश ने कहा कि धमकी मिलने के बाद मेरे परिवार को जान का खतरा हो गया है। उन्होंने भोपाल स्थित अपने आवास पर सुरक्षाकर्मियों की मांग की। - अमर उजाला

एक बार फिर गूंजेगी अफ्रीकी चीतों की दहाड़, एमपी के नौरादेही अभ्यारण्य में बसाने की कोशिशें शुरू हुईं

" भारत के सुप्रीम कोर्ट ने अफ्रीकी चीतों को देश में उचित स्थान पर बसाने की इजाजत दे दी है. इस प्रयोग में यह देखा जाएगा कि क्या वे भारत की जलवायु में खुद को ढाल पाते हैं. "
TODAY छत्तीसगढ़  /  भारत में आखिरी बार सन 1947 में चीतों का शिकार हुआ था. कहा जाता है कि सरगुजा के महाराजा ने आखिरी तीन चीतों का शिकार किया था. विशेषज्ञों का कहना है कि देश में पहले से ही जंगली जानवर और इंसानों का संघर्ष चल रहा है और इस पर पहले ध्यान देने की जरूरत है.

दुनिया भर में इस वक्त अनुमान के मुताबिक 7,100 चीते ही बचे हैं. करीब 120 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से दौड़ने वाला यह जानवर मुश्किल दौर से गुजर रहा है. चीतों का भविष्य अनिश्चितता से भरा हुआ. लेकिन भारत में चीतों को बसाने को लेकर नई उम्मीद जगी है. भारत में विलुप्त हो चुके चीतों को सुप्रीम कोर्ट ने उनके लिए उचित अभयारण्य में बसाने की अनुमति दे दी है. 

 भोपालः देश में विलुप्त हुए चीता को मध्यप्रदेश की सागर जिले स्थित नौरादेही वन्यजीव अभयारण्य में बसाने की कवायद फिर से शुरू हो गई है. इसके लिए मध्यप्रदेश वन विभाग ने नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी (एनटीसीए) को पिछले महीने पत्र लिखा है. गौरतलब है कि यह केन्द्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना है. वर्ष 2010 में यह योजना मध्यप्रदेश को सौंपते हुए केंद्र सरकार ने नौरादेही वन्यजीव अभयारण्य में चीता को पुनर्स्थापित करने को कहा था. कुछ सालों तक इसे अमलीजामा पहनाने के लिए इस पर काम चला, लेकिन पिछले चार साल से यह ठंडे बस्ते में रख दिया गया था.

भारतीय चीते की प्रजाति के विलुप्त होने का जिक्र करते हुए राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) ने सुप्रीम कोर्ट से नामीबिया से उसे यहां लाकर बसाने की इजाजत मांगी थी. मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली बेंच ने इसकी अनुमति देते हुए कहा कि अदालत इस परियोजना की निगरानी करेगी. बेंच ने इस संबंध में तीन सदस्यीय समिति गठित की है. समिति में पूर्व वन्यजीव निदेशक रंजीत सिंह, वन्यजीव महानिदेशक धनंजय मोहन और पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के डीआईजी शामिल हैं.

चीतों को मध्य प्रदेश के कूनो पालपुर में रखे जाने की खबरें हैं. देश में इस वक्त बड़ी बिल्लियों की 15 प्रजातियां मौजूद हैं लेकिन इनमें चीते की कमी है. कुछ वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट इस फैसले को लेकर मिश्रित प्रतिक्रिया दे रहे हैं. वाइल्ड लाइफ एसओएस के सह संस्थापक और सीईओ कार्तिक सत्यनारायण कहते हैं, "बड़ी बिल्लियों की प्रजातियों के सीमित आवास को लेकर देश पहले से ही जूझ रहा है. सभी नस्ल के जंगली जानवर भारी चुनौती का सामना कर रहे हैं. एशियाई शेरों को ही ले लीजिए, इनकी आबादी भारत में मौजूद है लेकिन अगर कोई बीमारी या महामारी फैलती है तो उनके लिए वैकल्पिक आवासों की जरूरत होगी, नहीं तो उनकी पूरी आबादी ही खत्म हो जाएगी." सत्यनारायण आगे कहते हैं, "सरकार ने कई साल तक वैकल्पिक आवास के लिए प्रयास किए थे जो अब तक पूरा नहीं हो पाया है." TODAY छत्तीसगढ़ के WhatsApp ग्रुप में जुड़ने के लिए क्लिक करें   


चीतों को बसाने की चुनौती

साल 2010 में केंद्र सरकार ने चीतों को दोबारा बसाने के लिए विशेषज्ञ समिति गठित की थी. इस समिति ने सुझाव दिया था कि दुनिया के सबसे तेज जानवार का घर मध्य प्रदेश के कूनो पालपुर, गुजरात के वेलावदार राष्‍ट्रीय उद्यान और राजस्थान के ताल छापर अभ्यारण हो सकते हैं. मध्य प्रदेश ने कूनो पालपुर में गुजरात से लाकर एशियाई शेरों को बसाने की योजना बनाई थी लेकिन गुजरात ने शेरों को देने से इनकार कर दिया था. 

"सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय अभ्यारण्यों के लिए अफ्रीकी चीता (Cheetah) लाने की इजाजत दे दी है . कोर्ट ने कहा कि वह अफ्रीकी चीतों को नामीबिया से भारत लाकर मध्यप्रदेश स्थित नौरादेही वन्यजीव अभयारण्य में बसाने की महत्वाकांक्षी परियोजना के खिलाफ नहीं है. न्यायालय ने कहा कि बाघ-चीते के बीच टकराव के कोई सबूत रिकार्ड में नहीं हैं. "

भारत में चीतों को दोबारा बसाने के लिए कूनो पालपुर एक पसंदीदा जगह हो सकती है. हालांकि सत्यनारायण इसके साथ ही जंगली जानवरों और इंसानों के बीच आए दिन होने वाले संघर्ष का भी जिक्र करते हैं. सत्यनारायण कहते हैं, "बाघ और तेंदुए को लेकर हम रोजाना कोई बुरी खबर सुनते हैं कि उनको मारा गया या फिर उनकी मौत दुर्घटना की वजह से हो गई. चीतों को दोबारा बसाने का फैसला स्वागत योग्य है लेकिन साथ ही यह एक बड़ी चुनौती भी है कि हम उनके लिए किस तरह का आवास मुहैया करा पाते हैं." 

" मध्यप्रदेश के नौरादेही में चीतों के लिए 150 वर्ग किलोमीटर के दायरे में बाड़ा बनाने के लिए 25 से 30 करोड़ रूपये की जरूरत होगी. वर्ष 2009 में केंद्र ने मध्यप्रदेश सरकार से चीता के लिए अभ्यारण्य तैयार करने को कहा था और इसको बनाने की घोषणा की थी. " 

सत्यनारायण के मुताबिक, "बड़ी बिल्लियों की प्रजातियां हमारे देश में अच्छा कर रही है लेकिन चीतों को लाने से मौजूदा चुनौतियां और बढ़ेंगी. पहले से मौजूद प्रजातियों के लिए धन का इस्तेमाल किया जाना चाहिए. अगर चीतों को भारत लाते हैं तो हमारा ध्यान एक नई चुनौती की तरफ चला जाएगा. हो सकता है कि आने वाले कुछ सालों में जब हम संघर्ष को कम या खत्म कर दें तो चीतों को लाकर बसाना ज्यादा सफल साबित होगा और उसमें कामयाब भी हो जाएं." चीतों की आबादी फिलहाल ईरान और अफ्रीकी महाद्वीप में बची है. शिकार, तस्करी और प्राकृतिक आवास में कमी के कारण दुनिया भर में चीतों की संख्या प्रभावित हुई हैं. - डीडब्ल्यू . कॉम  

साध्वी प्रज्ञा ठाकुर की उम्मीदवारी के खिलाफ की शिकायत

[TODAY छत्तीसगढ़] / भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) द्वारा मालेगांव ब्लास्ट की आरोपी साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को लोकसभा का टिकट दिए जाने के बाद से विवाद जारी है। अब मालेगांव ब्लास्ट के एक पीड़ित के पिता ने शिकायत दर्ज कराते हुए उनकी उम्मीदवारी को चुनौती दी है। ऐप्लिकेशन में प्रज्ञा ठाकुर के स्वास्थ्य को लेकर सवाल उठाए गए हैं क्योंकि एनआईए कोर्ट ने उन्हें स्वास्थ्य कारणों से ही जमानत दी थी। फिलहाल जमानत पर चल रहीं प्रज्ञा ठाकुर को बीजेपी ने मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल लोकसभा सीट से प्रत्याशी बनाया है। इसी सीट से कांग्रेस के दिग्गज नेता और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह भी लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं। साध्वी प्रज्ञा ठाकुर के उतरने से इस सीट पर रोमांचक मुकाबले की उम्मीद है। 
दिग्विजय सिंह की धुर विरोधी -
साध्वी प्रज्ञा और दिग्विजय सिंह को एक-दूसरे का धुर विरोधी माना जाता है। दिग्विजय सिंह कांग्रेस के उन चुनिंदा नेताओं में से एक हैं, जिन्होंने यूपीए सरकार के दौर में 'भगवा आतंकवाद' के मुद्दे को जोर-शोर से उठाया। शायद यही वजह है कि साध्वी प्रज्ञा चुनावी बिसात पर दिग्विजय सिंह को चुनौती देना चाहती हैं। 
साध्‍वी प्रज्ञा ठाकुर और दिग्विजय का मुकाबला इसलिए भी दिलचस्‍प होने वाला है क्‍योंकि दिग्विजय 16 साल बाद चुनाव लड़ने जा रहे हैं। 1993 से 2003 तक लगातार 10 सालों तक मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे दिग्विजय सिंह 2003 के बाद से अबतक किसी भी लोकसभा या विधानसभा चुनाव में नहीं लड़े हैं। 

2008 में चर्चा में आईं प्रज्ञा ठाकुर -
साध्वी प्रज्ञा ठाकुर पहली बार तब चर्चा में आईं, जब 2008 के मालेगांव ब्लास्ट केस में उन्हें गिरफ्तार किया गया। वह 9 सालों तक जेल में रहीं और फिलहाल जमानत पर बाहर हैं। जमानत पर बाहर आने के बाद उन्होंने कहा था कि उन्हें लगातार 23 दिनों तक यातना दी गई थी। साध्वी प्रज्ञा 2007 के आरएसएस प्रचारक सुनील जोशी हत्याकांड में भी आरोपी थीं लेकिन कोर्ट ने उन्हें सभी आरोपों से बरी कर दिया। साध्वी प्रज्ञा का जन्म मध्य प्रदेश के भिंड जिले के कछवाहा गांव में हुआ था। हिस्ट्री में पोस्ट ग्रैजुएट प्रज्ञा का शुरुआत से ही राष्ट्रवादी संगठनों की तरफ रुझान था। वह आरएसएस की छात्र इकाई एबीवीपी की सक्रिय सदस्य भी रह चुकी हैं। इनपुट-नवभारत टाइम्स 

मुख्यमंत्री ने पहनाया जूता, बोले इन्हे सलाम करता हूँ

[TODAY छत्तीसगढ़] / संकल्प पूरा होने में भले ही डेढ़ दशक लग गए मगर जो कसम उठाई उसे पूरा होने तक टूटने नहीं दिया। ये किस्सा नहीं हकीकत है मध्यप्रदेश के उस कांग्रेस कार्यकर्ता की जिसने कांग्रेस की सत्ता में वापसी तक नंगे पाँव रहने का संकल्प लिया था। अब जबकि मध्यप्रदेश में कांग्रेस सत्ता के सिंहासन पर बैठ चुकी है तो उस कार्यकर्ता ने बुधवार को मुख्यमंत्री कमलनाथ, पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के समक्ष 15 साल बाद जूते पहने। 
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने ट्वीट पर इसके उल्लेख में लिखा- ‘आज निवास पर राजगढ़ के कार्यकर्ता दुर्गालाल किरार से मिलकर उन्हें जूते पहनाएं। उन्होंने संकल्प लिया था कि जब तक प्रदेश में कांग्रेस की सरकार नहीं बनेगी, तब तक जूते नहीं पहनेंगे। ऐसे कार्यकर्ताओं को सलाम है, जो पूरी निष्ठा से कांग्रेस के लिए दिन-रात मेहनत करते है।’ ट्विटर पर मुख्यमंत्री ने इस मौके का फोटो भी शेयर किया। इस अवसर पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह भी उपस्थित थे।
मध्यप्रदेश के राजगढ़ जिले से लगभग 20 किलोमीटर दूर लिम्मबोदा गांव के दुर्गालाल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह के समर्थक हैं। दुर्गालाल ने 2003 में प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने के बाद कांग्रेस की सरकार बनने तक पैरों में जूते नहीं पहनने और नंगे पैर रहने का संकल्प लिया था। अब 15 साल बाद दुर्गालाल का संकल्प पूरा हुआ।


कमलनाथ मंत्रीमंडल ने ली शपथ, 28 मंत्री बने

[TODAY छत्तीसगढ़] / मध्यप्रदेश में मुख्यमत्री का पदभार संभालने के बाद कमलनाथ ने सोमवार को अपने 28 सदस्यीय मंत्रिमंडल का गठन किया है. विधायकों को सोमवार को मंत्री पद की राज्यपाल आनंदीबेन ने शपथ दिलाई. मंत्री पद की शपथ लेने वालों में सज्जन सिंह वर्मा, हुकुम सिंह कराड़ा, गोविंद सिंह, बाला बच्चन, तुलसी सिलावट, आरिफ अकील, बृजेंद्र सिंह राठौर, विजयलक्ष्मी साधौ, प्रदीप जायसवाल, लाखन सिंह यादव, इमरती देवी, ओमकार सिंह मरकाम, गोविंद राजपूत, प्रभुराम चौधरी, प्रियव्रत सिंह, सुखदेव पांसे, उमंग सिधार, हर्ष यादव, जयवर्धन सिंह, जीतू पटवारी, कमलेश्वर पटेल, लखन घनघोरिया, महेंद्र सिसोदिया, पीसी शर्मा, प्रद्मुमन सिंह, सचिन यादव, सुरेंद्र सिंह बघेल, तरुण भनोत शामिल हैं.

गौरतलब है कि 17 दिसंबर को अकेले मुख्यमंत्री कमलनाथ ने शपथ ली थी. इसके बाद मंत्रिमंडल के गठन को लेकर वे बीते दो दिनों से कांग्रेस आलाकमान से चर्चा करने के लिए दिल्ली में डेरा डाले हुए थे.  उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी सहित कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह, ज्योतिरादित्य सिंधिया सहित अन्य नेताओं से विचार-विमर्श करने के बाद मंत्रिमंडल के सदस्यों का नाम तय किया है.
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