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स्पोर्टस इंजरी के ट्रीटमेंट का हब बन रहा सिम्स, रिफर किये जाते थे रायपुर


 बिलासपुर।
  TODAY छत्तीसगढ़  /  सिम्स के अस्थि रोग विभाग द्वारा स्पोर्टस इंजरी के मरीजों का सफल इलाज डॉक्टरों के द्वारा किया जा रहा है। इलाज कराने के लिए आने वाले मरीजों की औसत उम्र 20 से 35 वर्ष के आसपास होती है एवं अधिकांश मरीजों को घुटनों मे लचकपन, दर्द और सूजन की समस्या रहती है। कुछ मरीज सिम्स अस्पताल में परामर्श के लिए आए थे तथा डॉक्टर द्वारा जाँच और घुटने की एमआरआई करने के बाद पता चला की घुटने की डोरी टुट गई है और कुछ मरीजों में गद्दी (एंटेरियर क्रूसिएट लाइमेंट) फटी पाई गयी। उन्हें दुरबीन पद्धति से (आर्थाेस्कोपिक एसीएल रिकंस्टक्रशन, मेनिस्कूयस रिपेयर) द्वारा ऑपरेशन की सलाह दी गई। दुरबीन पद्धति एक प्रकार की की होल सर्जरी है। इस ऑपरेशन में घुटने में छोटे-छोटे छेद करके ऑपरेशन होता है। 

मरीज की सहमति के बाद ऑपरेशन विभागाध्यक्ष डॉ ए. आर. बेन, प्राध्यापक डॉ आर. के. दास, सहायक प्राध्यापक डॉ संजय कुमार घिल्ले, डॉ अविनाश अग्रवाल एवं डॉ शुभम पाण्डेय की टीम द्वारा किया जाता है। ऑपरेशन में निश्चेतना विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. राकेश निगम एवं उनकी टीम का योगदान महत्वपूर्ण योगदान रहता है। विगत वर्ष 2023 में स्पोर्टस इंजरी के औसतन 40 मरीज प्रतिमाह ओ. पी. डी. में आये, जिनकी जाँच और एमआरआई कराने के पश्चात् इनमें से कुछ मरीजो को ऑपरेशन की होल सर्जरी कराने की सलाह दी गई और कुछ मरीजो का फिजियोथेरपी के माध्यम से इलाज की सलाह दी गई।

     मरीजो की सहमति के पश्चात् गत वर्षाे में 18 मरीजों की "की होल सर्जरी" (आर्थाेस्कोपिक एसीएल रिकंस्टक्रशन) द्वारा ऑपरेशन किया गया ऑपरेशन के बाद मरीज को रेगुलर फिजियोथेरेपी कराया गया इनमें से अधिकांश मरीज बिल्कुल ठीक और अपने स्पोर्टस एक्टिविटी में वापस लौट चुके है औसतन इस ऑपरेशन में कम्प्लीट रिकवरी में लगभग 06 माह लगते है। पहले इस ऑपरेशन के लिये मरीजों को रायपुर रिफर किया जाता था। यह ऑपरेशन सम्पूर्ण इलाज पूर्णतः निःशुल्क किया गया। इससे यह ऑपरेशन बिलासपुर शहर के केवल निजी अस्पताल में उपलब्ध था, जिसमें 70 से 80 हजार रूपये का खर्च आता था। इस ऑपरेशन हेतु अधिष्ठाता के.के. सहारे एवं चिकित्सा अधीक्षक का मार्गदर्शन, पूर्ण संरक्षण एवं सहयोग प्राप्त हुआ। कुछ वृद्ध अवस्था के मरीजो में की होल सर्जरी द्वारा खराब घुटने में डायग्नोस्टिक आर्थाेस्कोपिक कर लूज बॉडी रिमूवल भी किया गया है।

      इस तरह के जटिल ऑपरेशन से इस संभाग में युवा वर्ग जो कि स्पोट्स इंजरी से पीड़ित है। उनको इलाज पूर्णतः निःशुल्क मिल सकेगा। साथ ही ग्रामीण अंचल एवं दुरदराज के गरीब युवा जो पैसे की कमी के कारण इस तरह का इलाज नहीं करा पाते वो भी इसका लाभ प्राप्त कर सकते है।

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पोस्ट मैट्रिक छात्रवृति के लिए अंतिम मौका, 23 तक आधार सीडिंग अनिवार्य

 बिलासपुर। TODAY छत्तीसगढ़जिले में संचालित सभी शासकीय एवं अशासकीय महाविद्यालय, विश्वविद्यालय, इंजीनियरिंग, मेडिकल, नर्सिंग कॉलेज, आईटीआई एवं पालीटेक्निक कॉलेज आदि में अध्ययनरत अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं पिछड़ा वर्ग के विद्यार्थियों को 23 जनवरी तक अपने बैंक शाखा में जाकर अनिवार्य रूप से बैंक खाते को आधार से सीडिंग कराना होगा। इसके साथ उन्हें एनपीसीआई मैपिंग भी सक्रिय कराना आवश्यक है। वर्ष 2022-23 ऑनलाईन पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना अंतर्गत विद्यार्थियों के छात्रवृत्ति का भुगतान भारत सरकार, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय नई दिल्ली द्वारा डीबीटी के माध्यम से किया जा रहा है। इस योजना अंतर्गत विद्यार्थियों के बैंक खाता क्रमांक को आधार से सीडिंग एवं एनपीसीआई मैपिंग इनेबल होने के पश्चात ही विद्यार्थियों के खाते में छात्रवृत्ति राशि हस्तानांतरित होगी। 

सहायक आयुक्त, आदिवासी विकास ने बताया कि आधार सीडिंग की प्रक्रिया पूर्ण नहीं होने के कारण विद्यार्थी यदि छात्रवृत्ति की राशि से वंचित होते है, तो इसकी संपूर्ण जवाबदेही संबंधित विद्यार्थी की होगी। बैंक खाते से आधार सीडिंग का यह अंतिम अवसर है, पुनः अवसर प्रदाय नहीं किया जाएगा। 

स्वास्थ्य विभाग के काम काज की समीक्षा, लापरवाह चिकित्सक व स्वास्थ्य कर्मचारी का वेतन रोकने के निर्देश

 


बिलासपुर।
 TODAY छत्तीसगढ़  / कलेक्टर अवनीश शरण ने अस्पतालों की बुनियादी जरूरतों और सेवाओं में सुधार के लिए स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की मैराथन बैठक लेकर हालात की समीक्षा की। उन्होंने कहा कि लोगों को बुनियादी चिकित्सा सुविधा प्रदान करना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। अस्पतालों की बुनियादी ज़रूरतें प्राथमिकता के साथ पूरी की जा रही हैं, लेकिन इससे ज्यादा  चिकित्सकों और स्टाफ की मरीजों के प्रति समर्पण और सेवा भावना ज्यादा जरूरी है। उन्होंने कहा कि अच्छे काम करने वाले स्वास्थ्य कर्मचारी जहां पुरस्कृत किए जाएंगे वहीं लापरवाही बरतने वालों को दंडित भी किया जाएगा। कलेक्टर ने नियमित रूप से अस्पताल नहीं जाने पर सीपत के चिकित्सा अधिकारी और सेक्टर सुपरवाइजर के वेतन रोकने के निर्देश भी दिए।वहीं अपने कर्तव्य के प्रति गंभीर एवं निष्ठापूर्वक  काम करने वाले तखतपुर के ग्राम राजपुर के एएनएम और शहर के राजकिशोर नगर के चिकित्सा अधिकारी का सम्मान करते हुए अपने निवास पर चाय के लिए आमंत्रित किया है। उन्हें गणतंत्र दिवस के जिला स्तरीय समारोह में सम्मानित भी किया जाएगा। कोटा ब्लॉक के सुदूर जंगलों में निवासरत बैगा, बिरहोर सहित अन्य लोगों की सुविधा के लिए 4 बाइक एंबुलेंस की स्वीकृति भी प्रदान की गई। 

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सड़क सुरक्षा माह के तहत बिलासपुर पुलिस द्वारा चौक चौराहों पर जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। नुक्कड़ नाटक के माध्यम से लोगों को यातायात नियमों  के प्रति जागरूक किया जा रहा है। 


सिम्स : अब हर दो घंटे में मिलेगी बायोकेमिस्ट्री जांच रिपोर्ट, मरीजों के हित में लागू की नई व्यवस्था


 बिलासपुर। 
 TODAY छत्तीसगढ़  /  सिम्स अस्पताल बिलासपुर के बायोकेमिस्ट्री विभाग ने ओपीडी रोगियों के हित में दैनिक जांच रिपोर्ट हर दो घंटे में देने की व्यवस्था लागू की गई है। इस उत्कृष्ट इन्फ्रास्ट्रक्चर के माध्यम से ओपीडी में उपचार हेतु आने वाले समस्त मरीजों को उनके द्वारा सैंपल जमा करने के बाद से 2 घंटे के भीतर ही उनकी जांच रिपोर्ट उपलब्ध कराई जा रही है, जिससे उन्हें त्वरित उपचार मिल सके। बायोकेमिस्ट्री लैब का संचालन चौबीसों घण्टे हो रहा है जिससे कि रोगियों को हर समय जांच की सुविधा उपलब्ध हो सके। आकस्मिक जांच परीक्षणों की सुविधा सदैव उपलब्ध है और जांच हेतु सभी सैंपल एक ही स्थान पर लिए जा रहे हैं, जिससे मरीजों को किसी भी प्रकार की समस्या नहीं होने पाए। बायोकेमिस्ट्री विभाग द्वारा कई सारी ऐसी जांचे भी की जा रही हैं, जो बाहर अत्यंत महंगी है, जैसे कि थाइरोइड जाँच, विटामिन डी एवं बी 12, और विभिन्न फर्टिलिटी पैरामीटर्स की जांच। यह समस्त जांच शासन की विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत मुफ्त अथवा अत्यंत ही रियायती दाम पर उपलब्ध हैं। गर्भवती महिलाओं में होने वाली जेस्टेशनल डाईबेटिस की जांच के लिए भी विशेष ओरल ग्लूकोस टॉलरेंस टेस्ट विभाग द्वारा नियमित रूप से किया जा रहा है। 

सिकिल सेल की जांच सुविधा भी विभाग द्वारा शुरू कर दी गई है। इस हेतु रक्त सैंपल भी कलेक्शन सेण्टर में ही लिया जा रहा है। सिम्स के बायोकेमिस्ट्री विभाग ने पिछले वर्ष कुल 6,77,349 रक्त परीक्षण किए गए हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि इस संस्थान ने रोगियों की सेवा में अपने प्रतिबद्धता को बढ़ावा देने के लिए नई ऊंचाइयों को हासिल किया है। इस प्रकार समस्त पैरामीटर्स को मिला लें तो लगभग 50 तरह की विभिन्न जांचें आम जन के लिए विभाग द्वारा की जा रहीं हैं । बायोकेमिस्ट्री विभाग द्वारा किए जा रहे जांचों की गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए क्वालिटी कण्ट्रोल पर भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है विभाग जहाँ एक ओर आतंरिक गुणवत्ता पर काम कर रहा है वहीं बाह्य गुणवत्ता हेतु क्रिस्चियन मेडिकल कॉलेज वेल्लोर, के नैदानिक बायोकेमिस्ट्री विभाग द्वारा एक्सटर्नल क्वालिटी असश्युरेंस स्कीम (EQAS) में भी प्रतिभागी है। इस तरह विभाग द्वारा दिए जा रहे जांच रिपोर्ट उच्च गुणवत्ता युक्त हैं। इस सारे प्रयास के माध्यम से सिम्स, बिलासपुर ने रोगियों को सुरक्षित, त्वरित, और उच्च गुणवत्ता वाली चिकित्सा सेवाएं प्रदान करने में महती भूमिका निभा रहा है।


डॉ मनश्वी कुमार ने जिला अस्पताल और अर्बन PHC का किया निरीक्षण, मरीजों से मुलाकात कर ली इलाज और सुविधाओं की जानकारी


 बिलासपुर। 
 TODAY छत्तीसगढ़  /  भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के संयुक्त सचिव डॉ. मनश्वी कुमार आज एक दिवसीय प्रवास पर बिलासपुर जिला पहुंचे। उन्होंने आज जिला अस्पताल और राजकिशोर नगर स्थित शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र का निरीक्षण किया। उन्होंने सभी वार्डो का दौरा कर अस्पताल की विभिन्न व्यवस्थाओं का जायजा लिया। इस दौरान राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन संचालक डॉ जगदीश सोनकर, कलेक्टर अवनीश शरण, जिला पंचायत सीईओ अजय अग्रवाल, एसडीएम सूरज साहू, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ राजेश शुक्ला एवं संबंधित अधिकारी -कर्मचारी मौजूद थे।

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   संयुक्त सचिव डॉ. मनश्वी कुमार ने जिला अस्पताल में मरीजों के लिए पंजीयन कक्ष का जायजा लिया । इस दौरान गांधी चौक से इलाज कराने आए एक मरीज से पंजीयन के लिए आभा एप्प के संबंध में जानकारी ली। उन्होंने डॉक्टरों से कहा कि मरीजों के साथ सहानुभूतिपूर्वक व्यवहार किया जाए। अस्पताल में समरीज ऐसे भी परेशान हालात में आतें है। उन्होंने मरीजों के अस्पताल में आने से लेकर जाने तक की पूरी प्रक्रिया को समझा। अस्पताल में नियमित साफ- सफाई करने के निर्देश दिए। संयुक्त सचिव ने डायलिसिस कक्ष, आयुष्मान कार्ड पंजीयन केन्द, 100 बिस्तर मातृ शिशु अस्पताल का भी जायजा लिया। उन्होंने दवा वितरण केंद्र पर पहुंचकर दवा वितरण का जायजा लेते हुए भंडार कक्ष का गहन निरीक्षण किया। तत्पश्चात उन्होंने उपलब्ध दवाओं की बारीकी से जायजा लिया। उन्होंने दवा वितरण पंजी को भी देखा। वहां उपस्थित फार्मासिस्ट से उन्होंने गहन पूछताछ कर दवाईयों के बारे में जानकारी प्राप्त ली। इसके बाद संयुक्त सचिव डॉ. मनश्वी कुमार ने राजकिशोर नगर स्थित शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र का भी निरीक्षण किया। उन्होंने ओपीडी काउंटर पर काउंटर प्रभारी से जानकारी ली। पैथोलॉजी सेंटर का भी निरीक्षण किया गया। इसके बाद प्रसव वार्ड एवं प्रसव कक्ष का निरीक्षण किया गया। इसके अलावा इंजेक्शन, ड्रेसिंग कक्ष, औषधि कक्ष, ओ. पी. डी. महिला कक्ष, नर्सेस ड्यूटी कक्ष, ओ.पी.डी. पुरुष कक्ष, पुरुष वार्ड, नेत्र जाँच कक्ष, वैक्सीन भंडार कक्ष, टीकाकरण, परामर्श कक्ष, सहित पूरे परिसर का निरीक्षण करते हुए आवश्यक दिशा निर्देश दिए। उन्होंने मरीजों के लिए वेटिंग रूम में स्वास्थ्य एवं पोषण से संबंधित जानकारी देने के लिए एलईडी टीवी लगाने कहा। 

सिम्स में सुधार के लिए इलाज एवं प्रशासन दोनों अलग-अलग किये जाएंगे - स्वास्थ्य मंत्री


 बिलासपुर। 
  TODAY छत्तीसगढ़  /  स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री श्री श्याम बिहारी जायसवाल ने कहा कि सिम्स की व्यवस्था में और सुधार के लिए मरीजों के इलाज (क्लिीनिकल) एवं प्रशासनिक व्यवस्था दोनों को अलग-अलग किया जायेगा। अस्पताल प्रशासन के लिए एमबीए उत्तीर्ण प्रशासक और एक जनसम्पर्क अधिकारी नियुक्त किये जाएंगे। श्री जायसवाल स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री का प्रभार लेने के बाद पहली बार बिलासपुर पहुंचकर सिम्स में अधिकारियों की बैठक लेकर इस आशय के निर्देश दिए।

 उन्होंने शहर के बीचों-बीच स्थित सिम्स को कोनी में स्थानांतरित करने के लिए तैयारी शुरू करने को कहा है। कोनी में सिम्स के नये भवन के लिए लगभग 40 एकड़ भूमि आरक्षित रखी गई है। स्वास्थ्य मंत्री ने बैठक के पूर्व सिम्स अस्पताल के विभिन्न वार्डों का निरीक्षण भी किया। इलाज कराने पहुंचे मरीजों से मुलाकात कर व्यवस्था की जानकारी ली। बैठक एवं निरीक्षण के दौरानं बिलासपुर विधायक श्री अमर अग्रवाल, बिल्हा विधायक श्री धरमललाल कौशिक, तखतपुर विधायक श्री धर्मजीत सिंह, बेलतरा विधायक श्री सुशांत शुक्ला, अतिरिक्त मुख्य सचिव (स्वास्थ्य) श्रीमती रेणु जी पिल्लई, सिम्स के ओएसडी श्री आर.प्रसन्ना विशेष रूप से उपस्थित थे। स्वास्थ्य मंत्री श्री जायसवाल ने पिछले दो-तीन महीने में अस्पताल की व्यवस्था में आये उल्लेखनीय सुधार के लिए सिम्स अस्पताल प्रबंधन एवं चिकित्सकों की सराहना की। 

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         स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री श्री जायसवाल ने सिम्स मेडिकल कॉलेज के सभाकक्ष में लगभग घण्टे भर तक बैठक लेकर मरीजों के हित में कई निर्देश दिए। बैठक में सिम्स स्वास्थ्य प्रबंधन, जिला प्रशासन एवं स्वास्थ्य विभाग मंत्रालय से आये वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए। उन्होंने कोनी में निर्माणाधीन मल्टी स्पेश्यालिटी अस्पताल के बचे काम को जल्द पूर्ण करने के निर्देश दिए। मार्च महीने के प्रथम सप्ताह में इसका लोकार्पण किया जायेगा। केन्सर अस्पताल के काम में भी गति लाकर समयसीमा में पूर्ण करने को कहा है। श्री जायसवाल ने कहा कि सिम्स अस्पताल बिलासपुर संभाग का सबसे बड़ा अस्पताल हैं। रायपुर एम्स जैसी स्वास्थ्य सुविधाएं यहां विकसित की जायेंगी। अस्पताल में जो भी कमियां हैं, उन्हें दूर की जायेगी। पिछले दो तीन महीने में हुए सुधार पर स्वास्थ्य मंत्री ने संतोष प्रकट किया। डीन डॉ.केके सहारे एवं अधीक्षक डॉ. नायक ने सिम्स में वर्तमान में उपलब्ध सुविधाएं, व्यवस्था एवं पिछले दो-तीन महीनों में आये सुधार का तुलनात्मक प्रस्तुतिकरण दिया। मंत्री ने सिम्स अस्पताल के तमाम टॉयलेट को अगले तीन महीने में सुधार करने को कहा है। उन्होंने एक महीने के भीतर मरीजों के लिए वाटर प्यूरीफायर की व्यवस्था के निर्देश दिए। अस्पताल परिसर का वातावरण एवं प्रबंधन का बर्ताव इतना सद्भावना पूर्ण हो कि आते ही आधी बीमारी ऐसे ही दूर हो जाए। सिम्स की व्यवस्था में सुधार के लिए विधायक श्री अमर अग्रवाल, श्री धरमलाल कौशिक एवं श्री सुशांत शुक्ला ने भी अहम सुझाव दिए।

सिम्स अस्पताल का किया निरीक्षण  - 

स्वास्थ्य मंत्री श्री श्याम बिहारी जायसवाल ने पहले सिम्स अस्पताल का निरीक्षण किया। लगभग आधे घण्टे तक वे अस्पताल के विभिन्न वार्ड में गए। इलाज कराने आये मरीजों एवं उनके परिजनों से मुलाकात की। बीमारी की जानकारी लेकर त्वरित इलाज करने के निर्देश चिकित्सकों को दिए। श्री जायसवाल ने प्रमुख रूप से केजुअल्टी वार्ड, पंजीयन कक्ष, दवाई वितरण, ब्लड कलेक्शन सेन्टर, एक्सरे एवं सिटी स्कैन आदि वार्डों का निरीक्षण किया। मरीजों के पंजीयन में सुविधा के लिए जल्द टोकन सिस्टम व्यवस्था लागू करने के लिए कहा है। 

सिम्स के कैंसर विभाग में किये जा रहे कई नये अनुसंधान, मरीजों को मिलेगा फायदा

 


बिलासपुर।  TODAY छत्तीसगढ़  /  सिम्स चिकित्सालय में कैसर विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ.चन्द्रहास धु्रव, डॉ. हेमू टंडन, डॉ. सुमन कुमार कुजूर, डॉ. उपासना सिन्हा के अथक प्रयासों एवं कड़ी मेहनत के फलस्वरूप आज कैंसर मरीजों का इलाज सफलतापूर्वक किया जा रहा हैं। वर्तमान में कैंसर विभाग में मरीजों के साथ साथ कैंसर संबंधी अनेक विषयों पर अनुसंधान किये जा रहे हैं। मुंह एवं गले के कैंसर में जैविक परीक्षण एंव एंटीबायोटिक संवेदनशीलता परीक्षण कर एंटीबायोटिक के चयन का निर्धारित किया जा रहा हैं । ह्यूमन पैपीलोमा वायरस (एच०पी०वी०) के संक्रमण से होने वाले बच्चेदानी के मुंह का कैंसर (सर्विक्स कैंसर) में अनुसंधान किया जा रहा हैं। 

     छत्तीसगढ़ के जनजातीय समुदाय में कैंसर की महामारी विज्ञान (एपीडेमोलॉजी) का अध्ययन किया जा रहा है। महामारी विज्ञान (एपीडेमोलॉजी) का प्रयोग कैंसर के कारण का पता लगाने तथा बेहतर उपचार विकसित करने के लिए किया जाता है। इन अनुसंधान द्वारा कैंसर की घटनाओं का सूक्ष्मरूप से अवलोकन किया जा रहा है। परिणाम स्वरूप इन बहूमुल्य अनुसंधानों के निष्कर्षों की पुष्टि होने से कैंसर संबंधी अनेक तथ्य उजागर होंगे। निश्चित रूप से कैंसर रोगियों को इन अनुसंधानों के अध्ययन से लाभ होगा, जिससे मृत्यु दर में कमी आएगी तथा कैंसर के कारणों का पता लगाने तथा उन्नत इलाज में इजाफा होगा। अधिष्ठाता डॉ. के. के. सहारे ने कैंसर रोग विभाग के चिकित्सकों की प्रयासों की सराहना करते हुए मरीज हित में सभी प्रकार के सहयोग का भरोसा दिलाया है। 

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सिम्स के डीन लगातार कर रहे अस्पताल का निरीक्षण, मरीजों के स्वास्थ्य पर नजर


 बिलासपुर।
  TODAY छत्तीसगढ़  / सिम्स के डीन डॉ. के. के. सहारे शुक्रवार को सिम्स अस्पताल की विभिन्ना वार्डों का निरीक्षण किया। उन्होंने सबसे पहले पंजीयन काउन्टर पहुॅच कर पंजीयन कार्य में लगे आपरेटरों से चर्चा की व मरीज पंजीयन कार्य में जल्दी करने के निर्देश दियें। दवा काउन्टर में कार्यरत कर्मचारियों को सलाह दी गई कि दवा लेने लाईन में खड़े मरीज या परीजनों की पर्ची लेकर उन्हे हॉल में लगी कुर्सी में आराम से बिठाएं व दवा निकाल कर उन्हें बुलाकर दवा प्रदान करने का प्रयास किया जायें। जिससे आम जन को बहुत देर तकखड़ा ना होना पड़े।

महिलाओं की ओपीडी में पहुच कर अधिष्ठाता ने व्यक्तिगत रूप से वहां पहुचें मरीजों से चर्चा की व सुविधाओं के बारे में चर्चा की। वहाँ उपस्थित मरीज व परिजनों ने उपलब्ध सुविधाओं पर संतोष जताया। एसबीआई के द्वारा सीएसआर मद से चिकित्सालय को उपलब्ध कराये गये बेड साईड स्टूलों (मरीज बिस्तर के बाजू में लगाने के लिए) का निरीक्षण किया व तत्काल सभी स्टूलों को बैड़ के साथ लगवाने हेतु संबंधित को आदेशित किया। वर्तमान में 100 स्टूल चिकित्सालय में आ चुके है व 300 स्टूल अभी और मिलने वाले हैं।

       नेत्र रोग वार्ड पहुंच कर मरीजों से चर्चा की व चिकित्सालय द्वारा दी गई सुविधाओं के बारे में जानकारी ली। किसी भी प्रकार की असुविधा होने पर तत्काल ड्यूटी डॉक्टर को अवगत कराने व समाधान के लिए चिकित्सकों को निर्देश दिये। एमएम 3 में निरीक्षण के दौरान डीन प्रत्येक बिस्तर के पास जा कर मरीजों से चर्चा कर रहे थे । तभी उक्त वार्ड में भर्ती मरीज प्रेम सिंह उम्र 62 वर्ष के पास पहुचें। मरीज के परिजनों ने बताया की प्रेम सिंह के पूरे शरीर में सूजन हैं। अधिष्ठाता ने जब ड्युटी डॉक्टर से उक्त मरीज के बारे में चर्चा की तो डॉक्टरों ने बताया की प्रेम सिंह के शरीर में रक्त व प्रोटीन की कमी हैं व मरीज लकवा ग्रस्त हैं। शरीर में सूजन की वजह से रक्त नसें ढूंढनेे में समस्या हो रही हैं अधिष्ठाता डॉ. के. के. सहारे ने तत्काल वार्ड में उपलब्ध आवश्यक सामग्रियों का उपयोग करते हुए स्वय आईव्ही केनुला (जेल्को) प्रेम सिंह को लगाया व वहां उपस्थित समस्त कर्मचारियों को मार्गदर्शन दिया।

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सिम्स : प्रसूताओं को जल्द ही मिलेगी अतिरिक्त ओपीडी की सुविधा, निर्माण कार्य की रूपरेखा तैयार


 बिलासपुर।
  TODAY छत्तीसगढ़  /   संभाग के सबसे बड़े अस्पताल छत्तीसगढ़ आयुर्विज्ञान संस्थान (सिम्स) में मरीजों की सुविधा के लिए चिकित्सालय में अतिरिक्त गायनिक (स्त्री रोग) ओपीडी कक्ष निर्माण कार्य की रूपरेखा तैयार की जा रही है। सिम्स के उपचिकित्सा अधीक्षक ने इस संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि इस चरण में एमआरडी (मरीज पंजीयन शाखा) के उपर खाली छत का चयन कर उक्त स्थान पर गायनिक ओपीडी का निर्माण कार्य कराने हेतु मार्किंग कर तैयारी शुरू कर दी गई है। वर्तमान में सिम्स चिकित्सालय में 13 विभागों की ओपीडी व 38 वार्डाें में मरीजों को भर्ती कर स्वास्थ्य सुविधा का लाभ दिया जा रहा है। आने वाले 5 से 6 माह के भीतर उक्त कार्य को पूर्ण करने का लक्ष्य रखा गया है। ओपीडी बनने से चिकित्सालय में आने वाली प्रसूताओं को इसका लाभ मिलेगा। अतिरिक्त ओपीडी निर्माण से मरीज व परिजनों को सहूलियत होगी। यह निर्माण कार्य सीजीएमएससी द्वारा करवाया जाएगा।  TODAY छत्तीसगढ़ के WhatsApp ग्रुप में जुड़ने के लिए क्लिक करें   

सिम्स : डीन डॉ. सहारे निरीक्षण कर ले रहे है मरीजों के इलाज और सुविधाओं की जानकारी

 

बिलासपुर।  TODAY छत्तीसगढ़  /  छत्तीसगढ़ आयुर्विज्ञान संस्थान (सिम्स) के डीन  डॉ. के.के. सहारे नियमित रूप से चिकित्सालय का निरीक्षण कर रहे है। चिकित्सालय में होने वाली छोटी-बड़ी समस्याओं के निराकरण के लिए संबंधित अधिकारियों एवं कर्मचारियों को मार्गदर्शन दे रहे है। मरीजों की सुविधा को देखते हुए स्त्री रोग विभाग को प्रथम तल के दन्त रोग विभाग के स्थान पर स्थांनातरित किया गया हैं, वही दन्त रोग विभाग को तृतीय तल में चालू करवाया गया हैं। डीन ने उक्त दोनों विभागों का निरीक्षण कर मरीजों को हर संभव सुविधा देने हेतु संबंधित चिकित्सकों को निर्देश दिये है। 

आपातकाल वार्ड में भर्ती मरीजों को 24 घण्टे के अन्दर संबंधित विभाग में शिफ्ट करने हेतु उपस्थित चिकित्सकों को निर्देश दिये गये। वार्ड में निरीक्षण के दौरान डॉ. सहारे ने भर्ती मरीज व परिजनों से चर्चा कर मिल रहे इलाज व सुविधाओं के बारे में जानकारी ली। आपातकाल विभाग के पास नई लिफ्ट लगाने का कार्य चल रहा हैं मरीजों को आने जाने में तकलीफ ना हो, इसे देखते हुए बेरीगेड लगाकर कार्य को प्रारम्भ किया गया व जल्द से जल्द नई लिफ्ट को लोगों के लिए चालू करने कहा। लिफ्ट का कार्य पीडब्ल्यूडी द्वारा कराया जा रहा है। संबंधित अधिकारी ने बताया की नई लिफ्ट 15 से 20 दिन में तैयार कर दी जायेगी। वर्तमान में चिकित्सालय में 7 लिफ्ट मरीजों के लिए उपलब्ध हैं। जिसमें से 1 लिफ्ट पूर्ण रुप से खराब हो चुकी थी जिसके स्थान पर नई लिफ्ट लगाई जा रही हैं। चिकित्सालय में संचालित 38 वार्डाे, जिसमें कुल 750 बेड में मरीजों को भर्ती कर इलाज की सुविधा उपलब्ध कराई जाती हैं। सिम्स प्रबंधन द्वारा प्रत्येक वार्डाें में एक-एक कर पेस्ट कन्ट्रोल ट्रीटमेंट का कार्य शुरु करवाया हैं। जिससे वार्डों को कीट (कीडे-मकोड़े) से मुक्त रखा जा सकें। सिम्स प्रबंधन जानकारों के देखरेख में पेस्ट कन्ट्रोल ट्रीटमेंट प्रारम्भ करने के पूर्व वार्ड को खाली करवाने के बाद यह कार्य किया जा रहा है। अधिष्ठाता डॉ. केके सहारे ने सभी संबंधित अधिकारियों व कर्मचारियों को मरीज हित में  सतत् कार्य करने के निर्देश दिये।

नववर्ष : अनहोनी से निपटने सिम्स में विशेष इंतजाम, विशेषज्ञ चिकित्सकों की दो दिनों तक 24 घंटे विशेष ड्यूटी


 बिलासपुर। 
  TODAY छत्तीसगढ़  /  नए साल के उपलक्ष्य में दो दिनों के लिए किसी अनहोनी से निपटने के लिए सिम्स अस्पताल में डॉक्टरों की विशेष ड्यूटी लगाई गई है। कल 31 दिसंबर और 1 जनवरी के लिए अस्पताल प्रशासन द्वारा 8 वरिष्ठ डॉक्टरों की ड्यूटी लगाई गई है। ये डॉक्टर इन दो दिनों में 24 घंटे ऑन कॉल ड्यूटी पर उपलब्ध रहेंगे। अस्पताल की नियमित व्यवस्था के अलावा इन डॉक्टरों की ड्यूटी लगाई गई है। 

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नए साल के स्वागत और जश्न में आयोजित कार्यक्रमों में किसी तरह की अनहोनी की आशंका के मद्देनजर अस्पताल प्रशासन द्वारा पूर्व तैयारी की गई है। ताकि मरीज का तत्काल इलाज और निगरानी किया जा सके। सिम्स के डीन कार्यालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार जिन डॉक्टरों की ऑन कॉल ड्यूटी लगाई गई है, उनमें अस्थिरोग विभाग के सह प्राध्यापक डॉ.संजय घिल्ले, सर्जरी विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ.राजेंद्र कुमार सिंह व डॉ. कोमल प्रसाद देवांगन,मेडिसिन विभाग के  सहायक प्राध्यापक डॉ. विवेकानंद मिश्रा व सह प्राध्यापक डॉ अमित ठाकुर, स्त्री रोग विभाग के सह प्राध्यापक डॉ दीपिका सिंह व सहायक प्राध्यापक डॉ रचना जैन तथा शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ सलीम खलखो शामिल हैं। इस दौरान किसी भी प्रकार की घटना अथवा शिकायत के लिए सिम्स अस्पताल के मोबाइल फोन 75874/85907 पर संपर्क किया जा सकता है। इस बीच डीन डॉ. केके सहारे ने आज शाम 6 बजे अस्पताल के मेडिकल वार्ड 1, टीबी वार्ड और एनसीडी वार्ड का आकस्मिक निरीक्षण किया। उन्होंने मरीजों से चर्चा कर दवाइयां और भोजन के बारे में जानकारी ली। मरीजों ने संतोष व्यक्त किया।

ईलाज में लापरवाही, मरीज की मौत के सात साल बाद अपोलो के चार डॉक्टर गिरफ्तार


  बिलासपुर।  TODAY छत्तीसगढ़  /  ईलाज के दौरान लापरवाही बरतने की वजह से मरीज की मौत होने के मामले में लगे आरोप सच पाये जाने पर अपोलो अस्पताल के चार डॉक्टरो के खिलाफ गैर इरादतन हत्या तथा साक्ष्य छुपाने का अपराध दर्ज कर आज उन्हें गिरफ्तार किया गया है। मामला सरकंडा थाना क्षेत्र का है। करीब सात साल पहले गोल्डी छाबड़ा की इलाज के दौरान हुई मौत पर परिजनों ने अपोलो के चार डॉक्टरों पर गंभीर आरोप लगाये थे।  TODAY छत्तीसगढ़ के WhatsApp ग्रुप में जुड़ने के लिए क्लिक करें   

बता दें कि बिलासपुर के आदर्श कॉलोनी दयालबंद (थाना कोतवाली) में रहने वाले 29 वर्षीय गोल्डी उर्फ गुरविन छाबड़ा (पिता परमजीत सिंह की छाबड़ा) की मृत्यु अपोलो में इलाज के दौरान हो गई थी। गोल्डी की मौत के बाद परिजनों ने अपोलो प्रबंधन और चिकित्सकों के खिलाफ लापरवाही बरतने का गंभीर आरोप लगाया था। इसकी रिपोर्ट सरकंडा थाने में दर्ज करवाई गई थी। शिकायत और परिजनों की रिपोर्ट के आधार पर सरकंडा पुलिस ने जांच के दौरान मृतक का पोस्टमार्टम सिम्स से करवाया तथा जब्तशुदा पदार्थों का परीक्षण राज्य न्यायालयिक विज्ञान प्रयोगशाला रायपुर से करवाया गया। 

मृत्यु के संबंध में संभागीय मेडिकल बोर्ड छत्तीसगढ़ आयुर्विज्ञान संस्थान बिलासपुर के मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट प्राप्त हुई। जिसमें विशेषज्ञों के द्वारा अपोलो प्रबंधन व डॉक्टरों द्वारा ईलाज के दौरान लापरवाही का उल्लेख किया गया है। डायरेक्ट संचालनालय मेडिकोलोगल संस्थान गृह विभाग द्वारा भी अपोलो अस्पताल द्वारा लापरवाही किए जाने के संबंध में अलग अलग बिंदुओं पर उल्लेख किया गया था।

सभी रिपोर्टों के आधार पर थाना सरकंडा में अपोलो अस्पताल प्रबंधन बिलासपुर एवं संबंधित डॉक्टरों देवेंद्र सिंह, डॉक्टर राजीव लोचन, डॉक्टर मनोज राय, डॉक्टर सुनील केडिया के खिलाफ अपराध क्रमांक 1342/2023 धारा 304 ए, तथा साक्ष्य छुपाने की धारा 201,34 भादवि के तहत अपराध पंजीबद्ध कर गिरफ्तार किया गया।

मरीजों के पंजीयन के लिए अब टोकन सिस्टम शुरू होगा, कलेक्टर ने सिम्स का किया आकस्मिक निरीक्षण


 बिलासपुर।
 TODAY छत्तीसगढ़  /  कलेक्टर अवनीश शरण ने आज शाम सिम्स अस्पताल का आकस्मिक निरीक्षण किया। करीब घण्टे भर तक विभिन्न वार्डाे का दौरा कर अस्पताल की विभिन्न व्यवस्थाओं का जायजा लिया। कलेक्टर ने मरीजों की सुविधा के लिए पंजीयन विभाग में टोकन सिस्टम शुरू करने के निर्देश अस्पताल अधीक्षक को दिए ताकि मरीजों को लाईन में अनावश्यक खड़ा न रहना पड़े। स्त्री रोग विभाग के बाहर गलियारे में मरीजों के परिजनों के बैठने के लिए अतिरिक्त कुर्सिया लगाने कहा। कलेक्टर के निर्देश पर तत्काल कुर्सियां लगायी गई। सिम्स में खराब दो लिफ्ट तत्काल सुधरवाने के निर्देश दिए। मरीजों की सुविधा के लिए अतिरिक्त लिफ्ट का प्रस्ताव भी तैयार करने कहा। उन्होंने इलाज कराने आये मरीजों से मुलाकात कर कुशलक्षेम पूछी। अस्पताल की रसोईघर  पहुंचकर मरीजों के लिए बनाये गये भोजन की भी जानकारी ली। कंडम सामग्रियों को स्टोर रूम में रखने अथवा विनष्टीकरण की कार्रवाई के निर्देश दिए। इस दौरान नगर निगम कमिश्नर श्री कुणाल दुदावत, जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री अजय अग्रवाल, सीएमएचओ डॉ. राजेश शुक्ला, अस्पताल अधीक्षक डॉ. एस के नायक भी उपस्थित थे।

        कलेक्टर ने अस्पताल में घुम-घुमकर व्यवस्थाएं देखी। कॉकरोच से बचाव के लिए पेस्ट कंट्रोल सहित अन्य सुरक्षात्मक उपाय अपनाने के निर्देश दिए। अस्पताल में उपलब्ध विभिन्न सामग्रियों और इनका मरीजों के हित में उपयोग पर जोर दिया। टॉयलेट एवं वाशरूम का भी निरीक्षण किया। नियमित साफ-सफाई करने के निर्देश दिए। सफाईकर्मियों से भी चर्चा की। सफाईकर्मियों ने बताया कि उन्हें हर महीने लगभग 25 तारीख को भुगतान किया जाता है। कलेक्टर ने इस पर नाराजगी जाहिर करते हुए संबंधित एजेंसी को हर महीने की 05 तारीख तक भुगतान करने कहा। रेडक्रास सोसायटी को 100 कंबल सिम्स में और 50 कंबल जिला अस्पताल में मरीजों को उपलब्ध कराने के निर्देश दिए। उन्होंने डॉक्टरों की ड्यूटी चार्ट सुस्पष्ट अक्षरों में मोबाईल नम्बर के साथ प्रदर्शित करने को कहा है। कलेक्टर ने सीएमएचओ को निर्देश दिए कि प्राईवेट अस्पताल के डॉक्टर भी प्रिस्क्रीपशन कैपिटल अक्षरों में ही लिखेंगे। कलेक्टर ने अस्पताल में फर्श पर हुई टूटफूट की तत्काल मरम्मत के निर्देश दिए। उन्होंने अस्पताल परिसर में गुटखा खाकर आने वाले लोगों पर पाबंदी लगाने कहा। गुटखा खाने पर 500 रूपए का जुर्माना संबंधी निर्देश जगह-जगह पर डिस्पले करने कहा। 






कोरोना का नया सब वेरिएंट JN.1 सामने आने के बाद केंद्र ने जारी की एडवाइजरी

 


नई दिल्ली। 
 TODAY छत्तीसगढ़  /   देश में एक बार फिर कोरोना वायरस के मामले बढ़ने लगे हैं. इसे देखते हुए केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों को एडवाइजरी जारी की है. एडवाइजरी में कहा गया है कि आगामी त्योहारी सीजन को ध्यान में रखते हुए लोगों की सुरक्षा के मद्देनजर कुछ एहतियाती कदम उठाना जरूरी है ताकि इस वायरस के प्रसार के जोखिम को जितना हो सके, उतना कम किया जा सके. 

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इस एडवाइजरी में राज्यों को निर्देश दिए गए हैं कि वे इन्फ्लूएंजा जैसी बीमारियों के जिलेवार आंकड़ों पर नजर रखें. साथ ही नियमित तौर पर इस संबंध में अपडेट करते रहें. यह एडवाइजरी केरल में कोरोना के नए सबवैरिएंट JN.1 की पुष्टि के बाद जारी की गई है. दरअसल केरल की 79 साल की एक महिला में  इसकी पुष्टि हुई थी.महिला का 18 नवंबर को आरटी-पीसीआर टेस्ट रिजल्ट आया था. जिसमें इन्फ्लूएंजा जैसी बीमारी के हल्के लक्षण थे और वह कोविड-19 से ठीक हो चुकी है. इससे पहले सिंगापुर से लौटे तमिलनाडु के एक शख्स में भी JN.1 सब-वैरिएंट का पता चला था. वह व्यक्ति तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली जिले का रहने वाला था और उसने 25 अक्टूबर को सिंगापुर की यात्रा की थी.

वैध दस्तावेज नहीं मिला, मार्डन पैथोलेब में प्रशासन ने लगाया ताला


 बिलासपुर। TODAY छत्तीसगढ़  /  कलेक्टर अवनीश शरण के निर्देश पर स्वास्थ्य विभाग की टीम द्वारा बिलासपुर शहर के विभिन्न अस्पतालों एवं नर्सिंग होम का औचक निरीक्षण कर दस्तावेजों की जांच की गई। टीम द्वारा मिशन अस्पताल, यूनिटी अस्पताल, मॉडर्न सोनोग्राफी सेंटर, ओम नर्सिंग होम सरकंडा, साई बाबा अस्पताल जरहाभाठा का निरीक्षण किया गया। सिम्स अस्पताल के सामने स्थित मॉडर्न पैथोलैब द्वारा लैब संचालन हेतु वैध दस्तावेज निरीक्षण के दौरान प्रस्तुत नही किये जाने पर सीलबंद की कार्यवाही की गई। अनुपलब्ध दस्तावेज 03 दिवस के भीतर जमा करने के निर्देश संस्थानों के संचालक को दिए गए है। 

गौरतलब है कि आयुष विभाग की संचालक श्रीमती नम्रता गांधी ने बिलासपुर भ्रमण के दौरान जिले में बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं के लिए अस्पतालों एवं नर्सिंग होम का सतत निरीक्षण करने के निर्देश विभाग को दिए है। इसी कड़ी में तहसीलदार शशिभूषण सोनी, मुकेश देवांगन व आकाश गुप्ता के नेतृत्व में स्वास्थ्य विभाग द्वारा तीन अलग-अलग टीम का गठन कर निरीक्षण किया जा रहा है। 



कलेक्टर ने किया सामुदायिक अस्पताल का निरीक्षण, मरीजों का कुशलक्षेम जाना

 


बिलासपुर। 
TODAY छत्तीसगढ़  /  कलेक्टर अवनीश शरण ने आज बिल्हा स्थित समुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र का औचक निरीक्षण किया। उन्होंने संस्था द्वारा मरीजों और ग्रामीणों के लिए उपलब्ध कराई जा रही स्वास्थ्य सेवाओं की बीएमओ से जानकारी ली। अस्पताल  में भर्ती  मरीजों से उनका कुशलक्षेम पूछा। 

सद्य प्रसूता और उनके नवजात शिशु के वजन व स्वास्थ्य की जानकारी ली। रसोई घर में मेनू चार्ट लगाने के निर्देश दिए। हर वार्ड में कलर कोडेड चादर बिछवाने और आपात चिकित्सा वार्ड में नर्सेज की उपलब्धता सुनिश्चित करने को कहा है। अस्पताल की ओपीडी मरीजों की संख्या और दवाई वितरण व्यवस्था की भी जानकारी ली। उन्होंने जीवनदीप समिति के कामकाज की जानकारी लेकर एक्स रे सेवा फिर शुरू करने के निर्देश दिए।नगर निगम आयुक्त श्री कुणाल दुदावत, सीएमएचओ डॉ. राजेश शुक्ला, एसडीएम हरिओम द्विवेदी, बीएमओ सहित डॉक्टर और स्वास्थ्य कर्मचारी उपस्थित थे। TODAY छत्तीसगढ़ के WhatsApp ग्रुप में जुड़ने के लिए क्लिक करें    

जिला अस्पताल पहुंचें कलेक्टर, दो और पोषण पुनर्वास केंद्र खोलने का प्रस्ताव शासन को भेजें - अवनीश


बिलासपुर। 
 TODAY छत्तीसगढ़  /   कलेक्टर अवनीश शरण ने शुक्रवार को एक बार फिर जिला अस्पताल का औचक निरीक्षण किया। उन्होंने अस्पताल में भर्ती मरीजों से मुलाकात कर मिल रहे इलाज और अन्य सुविधाओं का जायजा लिया। कलेक्टर ने मरीजों के साथ संवेदनशील एवं मानवतापूर्ण बरताव करने के निर्देश दिए। 

कलेक्टर ने सीएमएचओ को सभी ब्लॉकों में शिविर के माध्यम से दिव्यांगों को प्रमाण पत्र जारी करने कहा। कलेक्टर ने अस्थिरोग विभाग के ओपीडी मंे मस्तूरी ब्लॉक के सोनलोहर्सी से आई दिव्यांग ननकी बाई का दिव्यांग प्रमाण पत्र तत्काल बनवाकर प्रदान किया। अस्पताल की साफ-सफाई एवं उपलब्ध बुनियादी सुविधाओं पर संतुष्टि जाहिर की। सिविल सर्जन कार्यालय में मेडिकल बोर्ड संचालन की पूरी प्रक्रिया की विस्तार से जानकारी ली।

निरीक्षण के दौरान कलेक्टर ने अस्पताल में संचालित पोषण पुनर्वास केंद्र में भर्ती कुपोषित बच्चों के संबंध में भी जानकारी ली। कुपोषित बच्चों को कार्ययोजना बनाकर योजना का लाभ दिलाने कहा। कलेक्टर ने मस्तुरी एवं रतनपुर में भी पोषण पुनर्वास केंद्र खोलने के संबंध में जल्द प्रस्ताव तैयार कर शासन को भेजने के निर्देश सीएमएचओ को दिए। अस्पताल परिसर में 100 बिस्तर युक्त मातृ एवं शिशु अस्पताल का भी सघन निरीक्षण किया। अस्पताल में मिल रहे भोजन एवं इलाज के बारे में मरीजों से पूछताछ की। कलेक्टर ने अस्पताल में मरीजों के लिए उपलब्ध दवाईयों एवं उसके वितरण कार्य का भी जायजा लिया। 

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मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं में उत्कृष्टता के लिए छत्तीसगढ़ को मिला एक्सीलेंस अवार्ड


TODAY छत्तीसगढ़  / रायपुर /  छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग को पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया संस्था द्वारा कोरोना काल में मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के अंतर्गत उत्कृष्ट सेवाओं के लिए ‘एक्सीलेंस इन मेन्टल हेल्थ’ अवार्ड से सम्मानित किया गया है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग तथा राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की संचालक डॉ. प्रियंका शुक्ला ने नई दिल्ली में आज आयोजित कार्यक्रम में राज्य की ओर से यह पुरस्कार ग्रहण किया।

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मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी सेवाओं को राज्य के दूरस्थ क्षेत्रों तक पहुंचाने के लिए छत्तीसगढ़ का चयन इस पुरस्कार के लिए किया गया है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग की संचालक डॉ. प्रियंका शुक्ला ने बताया कि कोविड-19 महामारी के समय राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन द्वारा मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत प्रशिक्षित मेडिकल ऑफिसर्स और ग्रामीण चिकित्सा सहायकों की सहायता से मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं से प्रभावित हज़ारों लोगों की काउन्सलिंग की गई।

इसके लिए राज्य स्तरीय नवाचार ‘चैम्प प्रोजेक्ट’ के अंतर्गत 1400 से अधिक मेडिकल ऑफ़िसर्स और ग्रामीण चिकित्सा सहायकों को देश की उत्कृष्ट संस्था नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरो साइंसेज (NIMHANS) बैंगलोर से प्रशिक्षण कराया गया है। इनके माध्यम से सभी स्वास्थ्य संस्थाओं तक मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी सभी सेवाओं को पहुंचाया गया। कोराना काल में जब बहुत से लोग मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे थे, तब स्वास्थ्य विभाग द्वारा मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के अंतर्गत टेलीकम्युनिकेशन सेवा के माध्यम से उनका मनोबल बढ़ाया गया एवं अन्य स्वास्थ्य सेवाएं भी मुहैया कराई गईं।

बंदूक साफ करते समय सीने में लगी गोली, डॉक्टरों ने सर्जरी कर बचाई जान

TODAY
 छत्तीसगढ़  / 
रायपुर / लखनपुर निवासी 20 वर्षीय युवक के छाती की हड्डी को चीरते हुए बायें फेफड़े में जा लगी बंदूक (एयरगन) की गोली को सर्जरी कर सफलतापूर्वक निकालते हुए बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो चुके फेफड़े को एसीआई के हार्ट चेस्ट एवं वैस्कुलर सर्जरी विभाग के डॉक्टर कृष्णकांत साहू के नेतृत्व में रिपेयर किया गया। फेफड़े की सर्जरी के बाद मरीज स्वास्थ्य लाभ प्राप्त कर रहा है तथा डिस्चार्ज लेकर घर जाने को तैयार है। 

20 वर्षीय युवक के मुताबिक कुछ दिनों पूर्व अपने घर पर बंदूक (चिड़ीमार बंदूक) को साफ करते-करते अचानक बटन के दब जाने से गोली छाती की हड्डी (स्टर्नम) को छेदते हुए सीधे बायें फेफड़े को जा लगी जिससे उसके फेफड़े का ऊपरी हिस्सा एवं निचली हिस्सा काफी क्षतिग्रस्त हो गया था। इस घटना से बायीं छाती के अंदर (प्लुरल केविटी) में बहुत अधिक खून भर गया था एवं फेफड़े के क्षतिग्रस्त होने के कारण हवा भर गया था जिससे हीमोन्युमोथोरेक्स (छाती की दीवार और फेफड़े के बीच रक्त का जमाव) कहते हैं। इस कारण मरीज ठीक से सांस नहीं ले पा रहा था। सबसे अच्छी बात यह रही कि यह गोली हार्ट के ठीक किनारे से निकल गई एवं हार्ट को कोई नुकसान नहीं हुआ। हार्ट को कोई नुकसान नहीं होने की वजह से ही मरीज समय पर अस्पताल पहुंच पाया।  

मरीज जब अस्पताल पहुंचा तब उसकी सांस फूल रही थी। फिर उसके छाती में ट्यूब डाला गया। ट्यूब डालने से हवा एवं खून बाहर निकल गया। इस प्रक्रिया के माध्यम से टेंशन नीमोथोरेक्स को रिलैक्स किया गया एवं हीमोडायनेमिकली (रक्तचाप और हृदय गति का स्थिर होना) स्थिर किया गया। फिर दूसरे दिन सर्जरी करने की योजना बनायी गई।  

ऐसे हुई सर्जरी

सर्जरी के संबंध में जानकारी देते हुए डॉ. कृष्णकांत साहू बताते हैं, बायीं छाती को खोल करके फेफड़े को रिपेयर किया गया। गोली को ढूंढा गया। गोली की साइज 8 मिमी. X 4 मिमी. थी जिसके कारण इतने बड़े फेफड़े में उसे ढूंढने में परेशानी हो रही थी। इसके लिए हार्ट, चेस्ट एवं वैस्कुलर सर्जरी विभाग में उपलब्ध अति उच्च तकनीक वाले डिजिटल एक्स-रे मशीन का उपयोग किया गया। इस पोर्टेबल डिजिटल एक्स-रे मशीन की खासियत है कि एक्स रे लेने के तुरंत बाद चंद सेकंड में ही इमेज प्राप्त हो जाती है जिसे एक्स रे मशीन में ही लगी बड़ी स्क्रीन के माध्यम से आसानी से देखा जा सकता है। इस मशीन में अन्य मशीनों की तुलना में समय बहुत कम लगता है तथा वास्तविक इमेज प्राप्त होती है। यह मशीन डिजीटल कैमरे की तरह होती है जो फोटो खींचने पर तुरंत छवि प्रदान करती है।  

चूंकि यह मशीन पोर्टेबल एवं मोबाइल है अर्थात् एक स्थान से दूसरे स्थान पर आसानी से ले जाया जा सकता है इसलिए इसे ऑपरेशन थियेटर के अंदर ले जाया गया एवं ऑपरेशन के दौरान एक्स रे के द्वारा पता लगाया गया कि यह गोली वास्तव में फेफड़े के किस स्थान पर स्थित है जिससे कि सटीकता के साथ उस जगह पर जाकर उसको निकाला जा सके एवं निकालने के दौरान फेफड़े में होने वाले क्षति को कम किया जा सके। मरीज को बेहोश करके उसके ट्रेकिया में डीएलटी (डबल ल्यूमेन ट्यूब) डाला गया जिससे कि सर्जरी के समय जिस फेफड़े में सर्जरी हो रहा है उस फेफड़े का श्वसन बंद किया जा सके।  

टीम में शामिल विशेषज्ञ

इस सर्जरी को सफलतापूर्वक करने में हार्ट चेस्ट एवं वैस्कुलर सर्जन एवं विभागाध्यक्ष डॉ. कृष्णकांत साहू के साथ डॉ. निशांत सिंह चंदेल, एनेस्थेटिस्ट डॉ. अनिल गुप्ता, एनेस्थेसिया टेक्नीशियन भूपेन्द्र तथा नर्सिंग स्टाफ में राजेन्द्र, मुनेश शामिल रहे।

CHHATTISGARH : कोरोना से बचाव के लिए अब तक 1.19 करोड़ टीके लगाए गए

TODAY छत्तीसगढ़  / रायपुर /  कोरोना से बचाव के लिए प्रदेश में अब तक (28 जुलाई तक) एक करोड़ 18 लाख 78 हजार 431 टीके लगाए गए हैं। प्रदेश के 96 लाख 24 हजार 588 लोगों को इसका पहला टीका और 22 लाख 53 हजार 843 को दोनों टीके लगाए जा चुके हैं। प्रदेश में तीन लाख नौ हजार 203 स्वास्थ्य कर्मियों, तीन लाख 17 हजार 010 फ्रंटलाइन वर्कर्स, 45 वर्ष से अधिक के 50 लाख 91 हजार 753 और 18 से 44 वर्ष आयु वर्ग के 39 लाख छह हजार 622 नागरिकों को कोरोना से बचाव का पहला टीका लगाया जा चुका है। वहीं दो लाख 44 हजार 653 स्वास्थ्य कर्मियों, दो लाख 26 हजार 034 फ्रंटलाइन वर्कर्स, 45 वर्ष से अधिक के 16 लाख 52 हजार 878 तथा 18 से 44 आयु वर्ग के एक लाख 30 हजार 278 लोगों को दोनों टीके लगाए जा चुके हैं।  

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प्रदेश में 91 प्रतिशत स्वास्थ्य कर्मियों, शत-प्रतिशत फ्रंटलाइन वर्कर्स, 45 वर्ष से अधिक के 87 प्रतिशत नागरिकों और 18 से 44 आयु वर्ग के 29 प्रतिशत युवाओं ने कोरोना से बचाव का पहला टीका लगवा लिया है। वहीं 72 प्रतिशत स्वास्थ्य कर्मियों, 77 प्रतिशत फ्रंटलाइन वर्कर्स और 45 वर्ष से अधिक के 28 प्रतिशत लोगों ने दोनों टीके लगवा लिए हैं। प्रदेश में कुल एक करोड़ 99 लाख 32 हजार 392 लोगों के टीकाकरण का लक्ष्य है। इनमें तीन लाख 39 हजार 732 स्वास्थ्य कर्मी, दो लाख 93 हजार 040 फ्रंटलाइन वर्कर्स, 45 वर्ष से अधिक के 58 लाख 66 हजार 599 तथा 18 से 44 आयु वर्ग के एक करोड़ 34 लाख 33 हजार 021 नागरिक शामिल हैं। 

एओर्टिक डायसेक्शन का सफल ऑपरेशन, 30 लाख लोगों में से एक को होती है यह दुर्लभ बीमारी

TODAY छत्तीसगढ़  / रायपुर /  पं. जवाहरलाल नेहरू स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय-डॉ. भीमराव अम्बेडकर स्मृति चिकित्सालय, रायपुर से संबद्ध एडवांस कार्डियक इंस्टीट्यूट के हार्ट, चेस्ट एवं वैस्कुलर सर्जरी विभाग में डॉक्टरों ने इन्फ्रारीनल एओर्टिक डायसेक्शन नामक बीमारी का सफल ऑपरेशन कर रायपुर निवासी 40 वर्षीय मरीज को नई जिंदगी दी। इस बीमारी में मरीज के धमनी की आंतरिक दीवार क्षतिग्रस्त हो गई थी और रक्त का प्रवाह धमनी के बाहर होने लगा था, जिसे एओर्टिक डायसेक्शन या महाधमनी विच्छेदन कहते हैं। हार्ट, चेस्ट एवं वैस्कुलर सर्जरी के विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. कृष्णकांत साहू एवं टीम ने ने इस दुर्लभ बीमारी का सफल ऑपरेशन करते हुए क्षतिग्रस्त महाधमनी के हिस्से को काटकर शरीर से अलग करते हुए महाधमनी की जगह में 7x14 साइज का कृत्रिम नस (आर्टिफिशियल ग्राफ्ट) लगाकर उसे दोनों पैरों की नसों से जोड़ दिया जिससे दोनों पैरों में पुनः रक्त संचार प्रारंभ हो गया। ऑपरेशन होने के पांच दिन बाद मरीज स्वस्थ है और डिस्चार्ज होकर घर जाने को तैयार है।

हार्ट, चेस्ट एवं वैस्कुलर सर्जन डॉ. कृष्णकांत साहू के अनुसार इन्फ्रारीनल एओर्टिक डायसेक्शन का यह राज्य में प्रथम तथा किसी भी शासकीय संस्थान में पहला ऑपरेशन है। यह डीबेकी टाइप 3 या स्टेनफोर्ड टाइप बी एओर्टिक डायसेक्शन है। यह दुर्लभ बीमारी तीस लाख लोगों में से एक को होती है तथा समय पर इलाज न मिलने से 50 प्रतिशत मरीज की मृत्यु 24 से 48 घंटे में हो जाती है। डॉ. साहू के अनुसार वर्तमान में राज्य के लगभग 90 प्रतिशत थोरेसिक एवं वैस्कुलर सर्जरी के केस एसीआई के कार्डियक सर्जरी विभाग में हो रहे हैं।

मरीज के बड़े भाई टी. अरैया के अनुसार मेरा 40 वर्षीय भाई तीन महीनों से पेट और कमर दर्द की समस्या से परेशान था। स्थानीय डॉक्टरों को दिखाने के बाद उसे किडनी की पथरी समझकर उसका उपचार किया। ओड़िशा के अस्पतालों में दिखाया। उसके बाद वहां पर भी कोई डायग्नोसिस नहीं पता चल पाया। अंततः थक हारकर हम एक बड़े हायर सेंटर में गये जहां पर उसके पेट की महाधमनी की एंजियोग्राफी (एओर्टोग्राम) की गई तो पता चला कि पेट के अंदर स्थित महाधमनी (एब्डामिनल एओर्टा) में किडनी के ठीक नीचे स्थित महाधमनी (इन्फ्रारीनल एओर्टा) की आंतरिक दीवार के फट जाने के कारण रक्त आंतरिक एवं मध्य दीवार के बीच भर रहा था जिसके कारण पेट से नीचे अंगों में रक्त पर्याप्त मात्रा में नहीं पहुंच पा रहा था जिसके कारण उसके पैरों एवं पेट में दर्द रहता था। हायर सेंटर से हम अपनी पूरी रिपोर्ट लेकर एसीआई के कार्डियक थोरेसिक एवं वैस्कुलर सर्जरी विभाग में विभागाध्यक्ष डॉ. कृष्णकांत साहू के पास पहुंचे। डॉ. साहू ने एंजियोग्राफी फिल्म को देखकर सर्जरी प्लान की। भर्ती होने के पांच दिन बाद मेरे भाई का ऑपरेशन हुआ और अब हम डिस्चार्ज लेकर घर जाने को तैयार है।

क्या है एओर्टिक डायसेक्शन

महाधमनी मानव शरीर की सबसे बड़ी और मुख्य धमनी होती होती है जो पूरे शरीर में रक्त का संचार करती है। कई बार धमनी की आंतरिक परत से रक्त का रिसाव (लीक) होने लगता है जिसे एओर्टिक डायसेक्शन या महाधमनी विच्छेदन के नाम से जाना जाता है। एओर्टिक डायसेक्शन एक गंभीर स्थिति है जिसमें धमनी की आंतरिक परत एंटाइमा (intima) में छेद होने के कारण रक्त का रिसाव आंतरिक परत एंटाइमा (intima) और मध्य परत मीडिया ( Media) के बीच होने लगता है। यही रक्त अगर महाधमनी के बाहरी दीवार से भी बाहर निकलने लगता है तो जानलेवा हो जाता है।

यह बीमारी 60 या 70 साल की अधिक उम्र में कोलेस्ट्रॉल जमने से या फिर नसों की जन्मजात बीमारी (मार्फेन सिंड्रोम) में भी कम उम्र के लोगों में होता है या फिर आंतरिक चोट लगने के कारण होता है। अत्यधिक ब्लड प्रेशर की समस्या होने के कारण भी होता है परंतु किडनी के ठीक नीचे महाधमनी में डायसेक्शन बहुत ही दुर्लभ है। इस बीमारी में सबसे बड़ी समस्या इस बीमारी का पता लगाना होता है और इसका समय पर इलाज भी जरूरी है। 

ऐसे हुआ ऑपरेशन

डॉ. कृष्णकांत साहू के अनुसार, मरीज को इस बीमारी के हाई रिस्क होने के बारे में समझा दिया गया था। इसमें किडनी खराब होने और पैर के काले पड़ जाने का तथा पेट से नीचे लकवा का बहुत ही ज्यादा रिस्क होता है। मरीज को बेहोश किया गया, पेट को खोला गया पेट खोलने के बाद किडनी के ऊपर महाधमनी (सुप्रारीनल एओर्टा) को लूप किया गया जिससे  आवश्यकता  पड़ने पर ब्लड सप्लाई को कंट्रोल किया जा सके। खून पतला करने की इंजेक्शन देने के बाद किडनी के नीचे महाधमनी में क्लैम्प लगाकर रक्त प्रवाह को पूरा रोक दिया गया और बीमारी वाले महाधमनी के हिस्से को काटकर शरीर से अलग कर दिया गया तथा टियर को रिपेयर किया गया। निकाले गये महाधमनी की जगह में 7x14 साइज का कृत्रिम नस ( आर्टिफिशियल  ग्राफ्ट) जिसे वाई ग्रॉफ्ट कहते हैं, लगाया गया एवं दोनों पैरों की नसों से जोड़ दिया गया जिससे कि दोनों पैरों में पुनः रक्त संचार प्रारंभ हो गया। ऑपरेशन के दौरान रक्त प्रवाह को लगभग 18 मिनट के लिए रोका गया, इस बीच किडनी एवं अन्य अंगों की रक्षा के लिए विशेष प्रकार की दवाई दी गई। कृत्रिम ग्राफ्ट लगाते समय यह ध्यान दिया गया कि पेट में स्थित अन्य अंगों को कोई नुकसान न हो। ऑपरेशन के बाद मरीज को 24 घंटे वेंटिलेटर में रखा गया तथा खून पतला करने की दवाएं दी गई तथा चार दिन तक केवल आईवी फ्लूड पर रखा गया। आज मरीज डिस्चार्ज होकर घर जाने को तैयार है। मरीज का इलाज स्वास्थ्य सहायता योजनांतर्गत हुआ।

इलाज से लेकर ऑपरेशन तक इन लोगों की रही मुख्य भूमिका

ऑपरेशन में विभागाध्यक्ष डॉ. कृष्णकांत साहू तथा डॉ. निशांत सिंह चंदेल, एनेस्थेटिस्ट डॉ. अनिषा नागरिया एवं डॉ. अनिल गुप्ता, नर्सिंग स्टाफ में राजेन्द्र, चोवा राम व मुनेश   तथा टेक्नीशियन के रूप में भूपेंद्र की मुख्य मुख्य भूमिका रही। 

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