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रायपुर में DGP/IGP कॉन्फ्रेंस का पहला दिन, सुरक्षा तंत्र पर हुई गहन चर्चा


रायपुर। 
TODAY छत्तीसगढ़  /   राजधानी रायपुर में आयोजित DGP/IGP कॉन्फ्रेंस के पहले दिन देश की सुरक्षा व्यवस्था के विभिन्न पहलुओं पर विस्तृत मंथन किया गया। देशभर से पहुंचे शीर्ष पुलिस अधिकारी राष्ट्रीय सुरक्षा, आंतरिक चुनौतियों और आधुनिक policing से जुड़े मुद्दों पर अपने अनुभव और विचार साझा करते नजर आए। इस आशय का ट्वीट प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने X पर किया है। 

सम्मेलन के दौरान अधिकारियों ने बतौर मंच इसका महत्व रेखांकित करते हुए कहा कि यह कॉन्फ्रेंस देशभर के पुलिस बलों के लिए सर्वोत्तम कार्य-प्रणालियों और नवीन नवाचारों को साझा करने का एक बेहतरीन अवसर प्रदान करती है। बदलती सुरक्षा जरूरतों को देखते हुए आपसी समन्वय और तकनीकी उन्नयन पर भी विशेष जोर दिया गया।

पहले दिन की बैठकों में राष्ट्रीय सुरक्षा से लेकर साइबर क्राइम, कानून-व्यवस्था और खुफिया व्यवस्था को मजबूत करने जैसे मुद्दों पर व्यापक विमर्श हुआ। सम्मेलन के आगामी सत्रों में भी कई अहम विषयों पर चर्चा जारी रहने की संभावना है।

CIMS: हाइडेटिड सिस्ट का पाँचवाँ सफल दूरबीन ऑपरेशन, लैप्रोस्कोपी से बनी बड़ी सर्जरी भी सुरक्षित


बिलासपुर। 
 TODAY छत्तीसगढ़  / छत्तीसगढ़ आयुर्विज्ञान संस्थान (सिम्स) बिलासपुर ने जटिल सर्जरी के क्षेत्र में एक और बड़ी कामयाबी दर्ज की है। सर्जरी विभाग की टीम ने दूरबीन (लैप्रोस्कोपिक) तकनीक का उपयोग करते हुए लिवर में मौजूद 10 सेंटीमीटर के हाइडेटिड सिस्ट को सुरक्षित रूप से निकाल दिया। यह सिम्स में इस तरह की पाँचवीं सफल लैप्रोस्कोपिक सर्जरी है।

मुंगेली की 20 वर्षीय तीजन नेताम पेट में भारीपन, भूख कम लगना और असहजता की शिकायत के साथ सिम्स पहुंची। सोनोग्राफी और सीटी स्कैन में लिवर के दाहिने हिस्से में बड़ा हाइडेटिड सिस्ट पाया गया। मामले की गंभीरता को देखते हुए सिम्स प्रशासन के मार्गदर्शन में इसे दूरबीन पद्धति से ऑपरेट करने का फैसला लिया गया।

विशेषज्ञ टीम ने बिना जटिलता के पूरा किया ऑपरेशन

सर्जरी विभागाध्यक्ष डॉ. ओ.पी. राज के नेतृत्व में डॉ. रघुराज सिंह, डॉ. बी.डी. तिवारी और डॉ. प्रियंका माहेश्वर की टीम ने ऑपरेशन को अंजाम दिया। एनेस्थीसिया विभाग से डॉ. मधुमिता मूर्ति, डॉ. भावना रायजादा, डॉ. मिल्टन, डॉ. मयंक आगरे व पीजी रेजिडेंट्स ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। रेडियोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. अर्चना सिंह ने सटीक रिपोर्टिंग कर सर्जरी में अहम सहयोग दिया। ओटी स्टाफ सिस्टर योगेश्वरी, संतोष पांडे और अश्वनी मिश्रा का काम भी सराहनीय रहा। लैप्रोस्कोपिक तकनीक की वजह सेबहुत कम चीरा लगा,रक्तस्राव लगभग नगण्य रहामरीज जल्द ही सामान्य दिनचर्या में लौट सकती है

क्या होता है हाइडेटिड सिस्ट?

यह एक परजीवी संक्रमण है, जो इकाईनोकोकस ग्रेन्यूलोसस (कुत्ता फीता कृमि) के कारण होता है। यह आमतौर पर लिवर और फेफड़ों को प्रभावित करता है। संक्रमण अक्सर दूषित पानी, संक्रमित भोजन, और कुत्तों-भेड़ों के संपर्क से फैलता है।

मुख्य लक्षण -  पेट दर्द, भारीपन, भूख कम लगना, जल्दी पेट भरने का एहसास इसके मुख्य लक्षण है। गहरे और बड़े सिस्ट लीवर की कार्यप्रणाली पर असर डालते हैं और फटने पर ऐनाफाइलैक्सिस जैसी जानलेवा स्थिति भी बन सकती है। स्वच्छ पानी, साफ भोजन और राष्ट्रीय कृमि मुक्ति अभियान के तहत क्रीमनाशक दवाओं का सेवन कर इस रोग से बचाव किया जा सकता है।

छत्तीसगढ़: धान खरीदी का सबसे संवेदनशील दौर—कड़ाई, निरीक्षण और बिलासपुर में पंडाल हटाने की घटना बनी बड़ी राजनीतिक चर्चा

 


रायपुर/बिलासपुर। 
TODAY छत्तीसगढ़  /  नवंबर के साथ ही छत्तीसगढ़ में धान खरीदी का सबसे निर्णायक चरण शुरू हो चुका है। राज्य शासन शून्य–त्रुटि नीति पर काम कर रहा है, और पूरे प्रशासनिक तंत्र को इस वर्ष की खरीदी को लेकर विशेष सतर्कता के साथ मैदान में उतारा गया है। टोकन प्रणाली से लेकर अवैध धान की रोकथाम तक, सरकार कई स्तरों पर सख्ती और मॉनिटरिंग कर रही है। इस बीच बिलासपुर में आंदोलनकारियों का पंडाल हटाए जाने की घटना ने राजनीतिक तापमान बढ़ा दिया है और धान खरीदी व्यवस्था पर नई बहस छेड़ दी है।

अवनीश शरण का मैराथन निरीक्षण — धान केंद्रों की व्यवस्था की जमीनी परख

धान खरीदी इस बार सरकार के लिए प्रतिष्ठा का विषय बन गई है। प्रभारी सचिव अवनीश शरण ने बलरामपुर, रामानुजगंज और वाड्रफनगर क्षेत्र के कई उपार्जन केंद्रों का औचक निरीक्षण किया। उन्होंने नमी मापक यंत्र, तौल उपकरण, स्टैकिंग, बारदाना, बिजली, पानी, शेड और सुरक्षा समेत सभी व्यवस्थाओं का बारीकी से परीक्षण किया। किसानों से सीधी बातचीत में यह बात सामने आई कि इस साल टोकन प्रणाली और खरीदी व्यवस्था में महत्वपूर्ण सुधार हुए हैं।

‘टोकन तुहर हाथ’ ऐप बना गेम चेंजर — भीड़ खत्म, सुविधा बढ़ी

घर बैठे मोबाइल से टोकन निकालने की सुविधा ने इस वर्ष खरीदी की रफ्तार बदल दी है। किसानों का कहना है कि अब उन्हें लाइन में लगने या भीड़ से जूझने की जरूरत नहीं पड़ रही। जिले के 129 केंद्रों में खरीदी शांतिपूर्वक चल रही है, जबकि किसान 3100 रुपये प्रति क्विंटल के समर्थन मूल्य को ऐतिहासिक कदम बता रहे हैं।

जशपुर में अवैध धान पर ‘ज़ीरो टॉलरेंस’ — सीमा पर पूरी रात जांच

झारखंड सीमा से लगे इलाकों में अवैध धान रोकने के लिए प्रशासन ने रातभर चेकपोस्ट पर कड़ी निगरानी रखी। तहसीलदार, फूड इंस्पेक्टर और अन्य अधिकारियों की टीमों ने वाहनों, दस्तावेजों और मूवमेंट की विस्तृत जांच की। जिला प्रशासन का स्पष्ट संदेश— अवैध परिवहन किसी कीमत पर बर्दाश्त नहीं।

कृषि उत्पादन आयुक्त सहला निगार का ग्राउंड ऑडिट — खुद कंप्यूटर पर काटा टोकन

कृषि उत्पादन आयुक्त सहला निगार ने निरीक्षण के दौरान सिर्फ कागजी समीक्षा नहीं की, बल्कि कार्यालय में लॉगिन कर स्वयं टोकन कटिंग प्रक्रिया की जांच की। उन्होंने तौल, स्टैकिंग, बारदाना उपलब्धता और किसानों से व्यवहार तक हर पहलू की सख्त समीक्षा की। उनका स्पष्ट संदेश— “किसान की मेहनत का मान रखा जाए, खरीदी में सुविधा सर्वोच्च प्राथमिकता है।”

बिलासपुर में आंदोलनकारी पंडाल हटाए जाने की घटना

धान खरीदी के बीच बिलासपुर में आंदोलनकारियों का पंडाल हटाए जाने से हालात अचानक तनावपूर्ण हो गए। प्रशासन का कहना है कि पंडाल सड़क अवरोध बन गया था और खरीदी व्यवस्था प्रभावित होने की आशंका थी। वहीं, आंदोलनकारियों का आरोप है कि उनकी आवाज दबाने की कोशिश की गई।


लापरवाह नहीं, जिम्मेदार बनिये ! बच्चों की सुरक्षा भगवान भरोसे

  


TODAY छत्तीसगढ़  / बिलासपुर / यह तस्वीर सिर्फ़ बच्चों की बेबसी नहीं, बल्कि हम सबकी जिम्मेदारी का आईना है।आज भी हमारे समाज में अनेक स्थानों पर बच्चे असुरक्षित तरीकों से हर दिन स्कूल आते-जाते हैं। यह तस्वीर हमें झकझोरती है कि किस तरह मासूम बच्चे एक ऑटो में ठूस-ठूसकर बैठाये गए है, आलम ये है कि कुछ बच्चे बगल में तो कुछ पीछे लटककर स्कूल फिर इसी तरह घर पहुँचते हैं। यह न केवल नियमों का खुला उल्लंघन है, बल्कि बच्चों के जीवन से भी हर दिन खिलवाड़ हो रहा है। ये तस्वीर ग्राम गनियारी (कोटा) से नेवरा के बीच ली गई है। इस तरह के दृश्य शहर से लेकर गाँव तक आम है, अफ़सोस कोई बोलने वाला नहीं है। 

     एक छोटी सी चूक या अचानक लगाई गई ब्रेक बच्चों की ज़िंदगी पर भारी पड़ सकती है। हर साल हजारों मासूम सड़क दुर्घटनाओं का शिकार होते हैं, जिनमें कई हादसे इसी तरह की लापरवाही से होते हैं। बच्चे हमारा भविष्य हैं। उनकी सुरक्षा हमारी पहली प्राथमिकता होनी चाहिए। 

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