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ठिठुरन बढ़ते ही कई स्कूलों ने बदला समय, केंद्रीय विद्यालय अब सुबह 7.50 बजे खुलेगा

 


कोरबा।
  TODAY छत्तीसगढ़  /  जिले में पिछले कई दिनों से चल रही सर्द हवाओं ने ठंड बढ़ा दी है। तापमान में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है, जिससे सुबह-शाम ठिठुरन महसूस की जा रही है। मौसम का असर लोगों की सेहत पर भी पड़ रहा है। बढ़ती ठंड को देखते हुए जिले के कई विद्यालयों ने कक्षाओं के समय में बदलाव किया है।

केंद्रीय विद्यालय प्रबंधन ने नई समय-सारिणी लागू करते हुए कक्षाएं अब सुबह 7.50 बजे से प्रारंभ करने का निर्णय लिया है। इससे पहले डीएवी स्कूल अपना समय बदल चुका है। इसके बावजूद अभी भी आधा दर्जन से अधिक स्कूल पूर्व निर्धारित समय पर ही संचालित हो रहे हैं, जिससे विद्यार्थियों को सुबह की ठिठुरन में स्कूल पहुंचने में कठिनाई हो रही है।

एक्यूवेदर के अनुसार जिले में न्यूनतम तापमान 10 डिग्री और अधिकतम तापमान 26 डिग्री दर्ज किया गया है। हालांकि दिनभर धूप खिलने से कुछ राहत रहती है और लोग धूप तापते नजर आ रहे हैं, वहीं रात होते ही अलाव का सहारा लेना पड़ रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में ठंड का असर और अधिक बढ़ गया है।

पिछले एक सप्ताह से मौसम में उतार-चढ़ाव जारी है, लेकिन बीते कुछ दिनों में ठंड अचानक तेज हो गई है। सुबह और शाम चलने वाली सर्द हवाओं के कारण तापमान में गिरावट दर्ज की गई है। ठंड के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए अभिभावक उम्मीद कर रहे हैं कि शेष स्कूल भी समय में बदलाव कर विद्यार्थियों को राहत देंगे।

लापरवाह नहीं, जिम्मेदार बनिये ! बच्चों की सुरक्षा भगवान भरोसे

  


TODAY छत्तीसगढ़  / बिलासपुर / यह तस्वीर सिर्फ़ बच्चों की बेबसी नहीं, बल्कि हम सबकी जिम्मेदारी का आईना है।आज भी हमारे समाज में अनेक स्थानों पर बच्चे असुरक्षित तरीकों से हर दिन स्कूल आते-जाते हैं। यह तस्वीर हमें झकझोरती है कि किस तरह मासूम बच्चे एक ऑटो में ठूस-ठूसकर बैठाये गए है, आलम ये है कि कुछ बच्चे बगल में तो कुछ पीछे लटककर स्कूल फिर इसी तरह घर पहुँचते हैं। यह न केवल नियमों का खुला उल्लंघन है, बल्कि बच्चों के जीवन से भी हर दिन खिलवाड़ हो रहा है। ये तस्वीर ग्राम गनियारी (कोटा) से नेवरा के बीच ली गई है। इस तरह के दृश्य शहर से लेकर गाँव तक आम है, अफ़सोस कोई बोलने वाला नहीं है। 

     एक छोटी सी चूक या अचानक लगाई गई ब्रेक बच्चों की ज़िंदगी पर भारी पड़ सकती है। हर साल हजारों मासूम सड़क दुर्घटनाओं का शिकार होते हैं, जिनमें कई हादसे इसी तरह की लापरवाही से होते हैं। बच्चे हमारा भविष्य हैं। उनकी सुरक्षा हमारी पहली प्राथमिकता होनी चाहिए। 

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