रूस / TODAY छत्तीसगढ़ / कजान में ब्रिक्स समिट से इतर पीएम मोदी और चीन के राष्ट्रपति जिनपिंग की मुलाकात हुई. दोनों नेताओं के बीच करीब एक घंटे तक बातचीत हुई. इस मुलाकात के बाद पीएम मोदी ने कहा कि सीमा पर शांति और स्थिरता बनाए रखना हमारी प्राथमिकता रहनी चाहिए. 5 साल के बाद हमारी (चीन के राष्ट्रपति जिनपिंग के साथ) मुलाकात हुई है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आपसी विश्वास, आपसी सम्मान और आपसी संवेदनशीलता हमारे कूटनीतिक संबंधों की आधारशिला होनी चाहिए. पीएम मोदी ने जिनपिंग से कहा कि हम सीमा समझौते का स्वागत करते हैं.
Met President Xi Jinping on the sidelines of the Kazan BRICS Summit.
— Narendra Modi (@narendramodi) October 23, 2024
India-China relations are important for the people of our countries, and for regional and global peace and stability.
Mutual trust, mutual respect and mutual sensitivity will guide bilateral relations. pic.twitter.com/tXfudhAU4b
बैठक के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने भारत-चीन संबंधों के महत्व को स्वीकार किया. प्रधानमंत्री ने कहा कि हम पांच साल बाद औपचारिक बैठक कर रहे हैं. हमारा मानना है कि भारत-चीन संबंध न केवल हमारे लोगों के लिए, बल्कि वैश्विक शांति, स्थिरता और प्रगति के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण हैं. मीटिंग के दौरान दोनों नेताओं ने सहमति व्यक्त की कि भारत-चीन सीमा के सवाल पर विशेष प्रतिनिधि सीमा क्षेत्रों में शांति और सौहार्द के प्रबंधन की देखरेख करेंगे. साथ ही इस मुद्दे का निष्पक्ष, उचित और पारस्परिक रूप से स्वीकार्य समाधान तलाशने के लिए जल्द ही बैठक करेंगे. दोनों नेताओं ने इस बात पर जोर दिया कि दो पड़ोसी और दुनिया के दो सबसे बड़े राष्ट्रों के रूप में भारत और चीन के बीच स्थिर, पूर्वानुमानित और सौहार्दपूर्ण द्विपक्षीय संबंधों का क्षेत्रीय वैश्विक शांति और समृद्धि पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा. यह मल्टीपोलर एशिया और मल्टीपोलर वर्ल्ड में भी योगदान देगा.
प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता के दौरान चीनी राष्ट्रपति जिनपिंग ने कहा कि दोनों देशों को मतभेदों को ठीक से संभालने के लिए अधिक संवाद और सहयोग करने की आवश्यकता है. जिनपिंग ने कहा कि दोनों पक्षों के लिए अधिक संवाद, सहयोग, अपने मतभेदों और असहमतियों को ठीक से संभालना और एक-दूसरे की विकास की आकांक्षाओं को आगे बढ़ाने में सहायता करना महत्वपूर्ण है. दोनों पक्षों के लिए अपनी अंतरराष्ट्रीय जिम्मेदारी को निभाना, विकासशील देशों की ताकत और एकता को बढ़ावा देने के लिए एक उदाहरण स्थापित करना और अंतरराष्ट्रीय संबंधों में बहु-ध्रुवीकरण और लोकतंत्र को बढ़ावा देने में योगदान देना भी महत्वपूर्ण है. (साभार / आज तक )