रायपुर में करणी सेना की महापंचायत, राजगीत का अपमान; पुलिस कार्रवाई के खिलाफ प्रदर्शन में जुटे मुठ्ठी भर लोग


रायपुर ।
  TODAY छत्तीसगढ़  / राजधानी में सूदखोरी के आरोपी हिस्ट्रीशीटर वीरेंद्र सिंह और रोहित तोमर के खिलाफ हुई पुलिस कार्रवाई के विरोध में रविवार को राजपूत करणी सेना ने महापंचायत आयोजित की। संगठन से जुड़े कार्यकर्ता अलग-अलग जिलों से रायपुर पहुंचे और तोमर परिवार के घर के सामने मैदान में इकट्ठा हुए।

महापंचायत के बाद करणी सेना के प्रतिनिधि शाम चार बजे गृहमंत्री विजय शर्मा के शासकीय निवास के सामने पहुंचे और अपनी मांगों को लेकर धरने पर बैठ गए। सेना की ओर से यह कार्रवाई आठ सूत्रीय मांग पत्र के आधार पर की जा रही है।


कार्यक्रम की शुरुआत छत्तीसगढ़ी राजगीत ‘अरपा पैरी के धार’ को बजाकर की गई। लेकिन आयोजन के दौरान कई कार्यकर्ता गीत बजने के समय बैठे रहे, जिससे विवाद की स्थिति बनी। राजगीत के दौरान खड़े होकर सम्मान देने का नियम अधिसूचित है और पुलिस सूत्रों के अनुसार इस मामले में प्रकरण दर्ज करने पर विचार किया जा रहा है। 
सेना क्या मांग कर रही है ?

करणी सेना का कहना है कि तोमर परिवार और संगठन से जुड़े अन्य लोगों के खिलाफ दर्ज मामले राजनीतिक और आधारहीन हैं। संगठन ने सरकार से निम्न मांगें की हैं — प्रमुख मांगों में संबंधित टीआई और सीएसपी पर कार्रवाई, सूदखोरी प्रकरणों में दर्ज एफआईआर को निरस्त किया जाये, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक की कार्यशैली की जाँच समेत अन्य मुद्दे हैं।  


गृहमंत्री विजय शर्मा के कार्यालय ने फिलहाल इस मामले पर टिप्पणी नहीं की है। पुलिस का कहना है कि शिकायतों और मांगों को विधि अनुसार जांच के बाद ही आगे की कार्रवाई तय की जाएगी।

Chhattisgarh: रजिस्ट्री दरों में बढ़ोतरी पर विवाद, मुख्यमंत्री ने पुनर्विचार के दिए संकेत


रायपुर ।
  TODAY छत्तीसगढ़  / छत्तीसगढ़ में जमीन की नई रजिस्ट्री (गाइडलाइन) दरों में बढ़ोतरी के विरोध के बीच मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कहा है कि सरकार जनता को किसी भी प्रकार की परेशानी नहीं होने देगी। साय का कहना है कि गाइडलाइन दर को लेकर विभागीय स्तर पर अभी भी चर्चा जारी है और जरूरत पड़ने पर सरकार पुनर्विचार करने के लिए तैयार है।


मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने बताया कि वर्ष 2017 के बाद से राज्य में जमीन की गाइडलाइन दरों में कोई संशोधन नहीं किया गया था, जबकि नियमों के अनुसार हर वर्ष इन दरों को अपडेट किया जाना चाहिए। साय ने कहा कि गाइडलाइन में बढ़ोतरी के कुछ सकारात्मक पहलू भी हैं, लेकिन वे अभी जनता को स्पष्ट रूप से समझ नहीं आ रहे हैं। उन्होंने भरोसा दिलाया कि यदि नई दरों से आम लोगों को असुविधा होती है, तो सरकार स्थिति की समीक्षा कर राहत विकल्पों पर विचार करेगी।


नई गाइडलाइन दरों को वापस लेने की मांग तेज होती जा रही है। भाजपा सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर चेतावनी दी थी कि दरों में वृद्धि से राज्य की अर्थव्यवस्था और रियल एस्टेट क्षेत्र प्रभावित हो सकता है। वहीं, विपक्षी दल इसके विरोध में लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं और दरों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं।

Chhattisgarh: DSP पर धोखाधड़ी और धमकी के आरोप, अधिकारी ने किया इनकार

DSP कल्पना वर्मा 
रायपुर।
  TODAY छत्तीसगढ़  / छत्तीसगढ़ में तैनात महिला डीएसपी कल्पना वर्मा पर एक दंपति ने गंभीर आरोप लगाए हैं। दंपति का कहना है कि कल्पना वर्मा ने प्रेम संबंध और शादी का दबाव बनाकर करोड़ों रुपये वसूले। वहीं डीएसपी ने इन आरोपों को पूरी तरह निराधार बताया है।


पीड़ित दीपक टंडन का कहना है कि उनकी मुलाकात वर्ष 2021 में डीएसपी कल्पना वर्मा से हुई, जिसके बाद उनके बीच निजी संबंध बन गए। दीपक के मुताबिक यह संबंध लगभग चार साल तक चला। उनका दावा है कि इस दौरान डीएसपी कल्पना वर्मा ने अलग-अलग जरूरतों का हवाला देकर उनसे दो करोड़ रुपये से अधिक की राशि ली। दीपक का आरोप है कि जब डीएसपी ने शादी का दबाव बनाया और उन्होंने पत्नी से तलाक देने से इनकार किया, तो पैसे को लेकर विवाद बढ़ गया। दीपक का कहना है कि विवाद के बाद उन्होंने वसूली गई रकम वापस करने की मांग शुरू की। 
दीपक के अनुसार, दो साल चले रिश्ते में कल्पना को बैंक-ऑनलाइन पेमेंट से ढाई करोड़ (Love Affair Extortion 2.5 Crore) दिए, जिसमें 12 लाख की हीरा की अंगूठी, 10 लाख का ब्रेसलेट, 5-5 लाख सोने की चेन-टॉप्स, महंगे कपड़े और मॉल में शॉपिंग खरीदारी शामिल है। इसके अलावा दीपक ने यह भी दावा किया है कि दबाव में उसने VIP रोड के एटमॉस्फेरिया होटल DSP के भाई के नाम रजिस्टर कराया। दीपक ने इसके लिए मोटी रकम चुकाई लेकिन कल्पना ने 30 लाख लगाकर अपने नाम कर लिया। इतना ही नहीं, DSP ने कारोबारी की पत्नी बरखा के नाम 22 लाख टोयोटा हाइराइडर कार भी कब्जे में ले ली। बरखा ने अपनी शिकायत में पति को बचाने की गुहार लगाई है। 


दीपक की पत्नी, बरखा टंडन का कहना है कि उनके पति देर रात तक डीएसपी से वीडियो कॉल पर बात करते थे और विरोध करने पर भी यह सिलसिला जारी रहा। बरखा ने दावा किया कि कल्पना वर्मा ने उनसे 45 लाख रुपये के चेक पर हस्ताक्षर करने का दबाव बनाया, जिसे बाद में बैंक से निकाल लिया गया। बरखा का आरोप है कि इसके बाद डीएसपी ने उल्टा उनके और उनके पति के खिलाफ थाने में शिकायत दर्ज करवा दी। दंपति का कहना है कि उन्होंने अपने दावों से जुड़े स्क्रीनशॉट भी पुलिस अधिकारियों को सौंपे हैं।


इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए डीएसपी कल्पना वर्मा ने दंपति द्वारा लगाए गए सभी आरोपों को “बेबुनियाद, झूठा और उन्हें फंसाने की कोशिश” बताया है। उनका कहना है कि इस आरोप के पीछे निजी स्वार्थ और दबाव बनाने की रणनीति है।


अधिकारियों के अनुसार, यह मामला अभी प्राथमिक स्तर पर है और दंपति द्वारा की गई शिकायत पर संबंधित विभाग दस्तावेज़ों और डिजिटल साक्ष्यों की जांच कर रहा है। जांच पूरी होने के बाद आगे की कार्रवाई तय की जाएगी।

📌 महत्वपूर्ण:
रिपोर्ट में शामिल सभी आरोप एक पक्ष द्वारा लगाए गए हैं। इस मामले में पुलिस जांच जारी है, और किसी भी निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले आधिकारिक जांच का परिणाम आना बाकी है।

Bilaspur Police: ऑनलाइन फाइनेंशियल फ्रॉड के मामले में दो अंतरराज्यीय आरोपियों को बिहार से गिरफ्तार किया

आरोपी कम ब्याज पर 50 लाख का लोन और PM समृद्धि योजना में 30% छूट का झांसा देते थे।

बिलासपुर।
  TODAY छत्तीसगढ़  / छत्तीसगढ़ के बिलासपुर रेंज साइबर थाना ने ऑनलाइन फाइनेंशियल फ्रॉड के एक मामले में कार्रवाई करते हुए बिहार के वैशाली ज़िले से दो लोगों को गिरफ़्तार किया है। पुलिस के अनुसार, आरोपी खुद को वित्तीय संस्थाओं का अधिकारी बताकर कम ब्याज पर लोन और सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने का झांसा देते थे। पुलिस का कहना है कि ये दोनों आरोपी एक मेडिकल व्यवसायी से 50 लाख रुपये का लोन दिलाने का वादा कर प्रधानमंत्री समृद्धि योजना के नाम पर 73 लाख रुपये से अधिक की ठगी कर चुके थे।


सकरी के रहने वाले मेडिकल व्यवसायी राजेश पांडे ने पुलिस को बताया कि फरवरी 2024 से सितंबर 2025 के बीच उन्हें अलग-अलग मोबाइल नंबरों से कई कॉल आए। कॉल करने वाले खुद को श्रीराम सिटी यूनियन फाइनेंस लिमिटेड, मुंबई का अधिकारी बताते थे।

पीड़ित का कहना है कि कम ब्याज पर 50 लाख रुपये का लोन और योजना के तहत 30 प्रतिशत छूट का लालच देकर उनसे लगातार ऑनलाइन भुगतान कराया गया। बाद में पता चला कि खाते और दस्तावेज़ फर्जी थे।


जांच में पता चला कि गिरोह फर्जी सिम कार्ड और फर्जी बैंक खातों का इस्तेमाल कर रहा था। इन्हीं खातों के जरिए ठगी की रकम जमा कर अन्य खातों में ट्रांसफर की जाती थी।

साइबर क्राइम पोर्टल, बैंक खातों की पड़ताल और तकनीकी विश्लेषण के आधार पर पुलिस की टीम बिहार पहुंची। दो दिनों की तलाश के बाद विकास कुमार उर्फ विक्रम सिंह और अमन कुमार सिंह उर्फ पीयूष को हिरासत में लिया गया। पुलिस के मुताबिक, आरोपियों ने पूछताछ में स्वीकार किया कि वे दिल्ली में किराये के मकान से ऑनलाइन ठगी का काम करते थे।


पुलिस ने ऑनलाइन लोन और सरकारी योजनाओं से जुड़े लालच में आने से बचने की अपील की है। अधिकारियों का कहना है कि लोन या योजना से जुड़ी जानकारी हमेशा संबंधित संस्थाओं की आधिकारिक वेबसाइट या कार्यालय से ही सत्यापित की जानी चाहिए।
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