सौम्या की रिमांड खत्म, 14 दिन की न्यायिक हिरासत; निरंजन पर नजर


रायपुर । 
TODAY छत्तीसगढ़  /  शराब घोटाले से जुड़े मामले में दूसरी बार गिरफ्तार की गई निलंबित अधिकारी सौम्या चौरसिया को अदालत द्वारा जेल भेजे जाने के बाद जांच में नया मोड़ आ गया है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने अहम कदम उठाते हुए पूर्व आबकारी सचिव निरंजन दास को पेश करने के लिए अदालत में प्रोडक्शन वारंट का आवेदन दिया है।

ईडी सूत्रों के अनुसार, बीते दो दिनों में सौम्या चौरसिया से की गई पूछताछ के दौरान मिली जानकारी के आधार पर यह कार्रवाई की गई है। निरंजन दास फिलहाल रायपुर केंद्रीय जेल में बंद हैं और उन्हें शुक्रवार को विशेष न्यायालय में पेश किया जा सकता है। 

उधर, ईडी ने शुक्रवार को तीन दिन की रिमांड अवधि पूरी होने के बाद सौम्या चौरसिया को विशेष न्यायालय में पेश किया। ईडी ने उन्हें 16 दिसंबर को दूसरी बार गिरफ्तार कर रिमांड पर लिया था। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद विशेष न्यायालय ने सौम्या चौरसिया को 14 दिन की न्यायिक रिमांड पर जेल भेजने का आदेश दिया।

बताया गया है कि इस दौरान बचाव पक्ष की ओर से कोई जमानत याचिका दायर नहीं की गई। जांच एजेंसी का कहना है कि शराब घोटाले में शामिल अन्य अधिकारियों और लेन-देन से जुड़े पहलुओं की जांच जारी है।

वीबी-जी राम जी बिल को लेकर राहुल गांधी का हमला, कहा—ग्रामीण गरीबों का सहारा छीना


नई दिल्ली। 
 TODAY छत्तीसगढ़  / कांग्रेस सांसद और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने शुक्रवार को केंद्र की मोदी सरकार पर 20 वर्ष पुरानी मनरेगा योजना को समाप्त करने का आरोप लगाया। उन्होंने संसद से पारित नए ‘वीबी-जी राम जी’ विधेयक को गांव और गरीब विरोधी करार दिया।

राहुल गांधी ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर कहा कि ‘वीबी-जी राम जी’ बिल मनरेगा का पुनर्गठन नहीं, बल्कि इसे खत्म करने की साजिश है। उन्होंने लिखा कि मोदी सरकार ने एक ही दिन में 20 साल पुरानी मनरेगा योजना को ढहा दिया। राहुल गांधी के अनुसार, मनरेगा ने ग्रामीण मजदूरों को सौदेबाजी की ताकत दी, जिससे शोषण और मजबूरी में होने वाला पलायन कम हुआ, मजदूरी बढ़ी और कामकाजी हालात बेहतर हुए।

उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार जानबूझकर इस योजना की ताकत कमजोर करना चाहती है। काम की सीमा तय कर और काम से इनकार के नए रास्ते बनाकर यह विधेयक ग्रामीण गरीबों के इकलौते सहारे को कमजोर करता है। 

राहुल गांधी ने कहा कि कोरोना महामारी के दौरान जब देश की अर्थव्यवस्था ठप पड़ गई थी, तब मनरेगा ने करोड़ों लोगों को भूख और कर्ज में डूबने से बचाया। उन्होंने यह भी कहा कि इस योजना से महिलाओं को सबसे अधिक लाभ मिला और हर वर्ष आधे से अधिक कार्य-दिवस महिलाओं के नाम रहे। कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि इस विधेयक को बिना पर्याप्त चर्चा और जांच के संसद में जल्दबाजी में पारित किया गया। विपक्ष की मांग के बावजूद इसे संसदीय स्थायी समिति के पास नहीं भेजा गया।

राहुल गांधी ने कहा कि कांग्रेस ग्रामीण गरीबों की आखिरी सुरक्षा को खत्म नहीं होने देगी। उन्होंने घोषणा की कि पार्टी मजदूरों, पंचायतों और राज्यों के साथ मिलकर इस कानून को वापस लेने के लिए देशव्यापी आंदोलन करेगी।

उल्लेखनीय है कि संसद ने गुरुवार देर रात ‘वीबी-जी राम जी’ विधेयक पारित किया, जो 20 वर्ष पुरानी महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) की जगह लागू किया जाएगा।

ACB: बोदरी नगर पंचायत की CMO और क्लर्क रिश्वत लेते गिरफ्तार

बिलासपुर। 
TODAY छत्तीसगढ़  /  जिले की नगर पालिका बोदरी एक बार फिर चर्चा में है। इस बार कारण विकास कार्य नहीं, बल्कि भ्रष्टाचार का गंभीर मामला है। बुधवार को एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) ने नगर पालिका बोदरी में छापा मारकर नक्शा पास कराने के नाम पर रिश्वत लेते एक बाबू और मुख्य नगर पालिका अधिकारी (सीएमओ) को गिरफ्तार किया है। एसीबी की टीम ने उप अभियंता के.एन. उपाध्याय के बाबू सुरेश सिहोरे को 12 हजार रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगेहाथ पकड़ा। इस मामले में सीएमओ भारती साहू को भी गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश करने की कार्रवाई की गई।


जानकारी के अनुसार, सरकंडा क्षेत्र के नूतन चौक निवासी वेदराम निर्मलकर ने 12 दिसंबर को एसीबी में शिकायत दर्ज कराई थी। शिकायत में बताया गया था कि नगर पंचायत बोदरी में मकान के नक्शे की स्वीकृति के लिए सीएमओ और बाबू द्वारा लगातार रिश्वत की मांग की जा रही है। शिकायत की जांच के बाद एसीबी ने योजनाबद्ध तरीके से कार्रवाई की और रिश्वत की रकम लेते ही दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। कार्रवाई के दौरान एसीबी ने नगर पालिका कार्यालय से कई महत्वपूर्ण दस्तावेज जब्त किए हैं। इस कार्रवाई से कार्यालय में अफरा-तफरी का माहौल रहा। एसीबी अधिकारियों ने बताया कि मामले की विस्तृत जांच की जा रही है और अन्य संलिप्त लोगों की भूमिका भी जांच के दायरे में है।


नगर पालिका के जनप्रतिनिधियों ने आरोप लगाया कि उप अभियंता के.एन. उपाध्याय के खिलाफ लंबे समय से भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी की शिकायतें मिलती रही हैं। बताया गया कि वे पिछले छह वर्षों से बोदरी नगर पालिका में पदस्थ हैं, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो सकी। जनप्रतिनिधियों का यह भी कहना है कि इंजीनियर और सीएमओ ने एक कर्मचारी को एजेंट के रूप में नियुक्त कर रखा था, जिसके माध्यम से आम नागरिकों से अवैध वसूली की जाती थी। हालांकि उनका आरोप है कि इस पूरे मामले का मुख्य सूत्रधार अब भी जांच से बाहर है।


मामले में उप अभियंता के.एन. उपाध्याय ने अपनी भूमिका से इनकार करते हुए कहा कि उनका इस प्रकरण से कोई संबंध नहीं है। नगर पालिका बोदरी में हुई इस कार्रवाई के बाद पूरे जिले में चर्चाओं का दौर तेज हो गया है। अब देखना होगा कि एसीबी की यह कार्रवाई केवल यहीं तक सीमित रहती है या फिर भ्रष्टाचार की जड़ तक पहुंच पाती है।

जयंती 18 दिसम्बर पर विशेष: संत गुरु घासीदास बाबा जी— सतनाम पंथ के नक्षत्र


भारतीय संत परंपरा के तत्वावधान में हमारे संतों ने बाहरी आडम्बरों , जाति- पाँति धार्मिक कट्टरता को शिथिल करते हुए समाज में प्रेम और सामजिक सद्भाव जैसी महत्वपूर्ण बातों पर जोर दिया | ऐसी ही संत परम्परा में कबीर, नानक, मीरा बाई, नामदेव, रविदास, सूरदास, आदि का नाम हम श्रद्धा और आदर से लेते हैं | उन्होंने अपनी वाणी के द्वारा लोगों में चेतना जाग्रत किया | जो कि भक्ति का मार्ग अपनाकर सामाजिक एकता कायम रख सके | ऐसी ही हमारे छत्तीसगढ़ में एक महान संत हुए जो संत गुरु घासीदास के नाम से जाने जाते हैं |

    ईश्वर ने हमें मानव जीवन दिया है। यह हमारे ऊपर निर्भर करता है कि हम अपना जीवन किस तरह जीना चाहते हैं। समय कोई भी हो, कितने ही युग बीत जायें मगर जिन्हें महान कार्य करना हो, समाज के उद्धार के लिए, दीन-दुखियों की सेवा के लिए, वे बाधाओें की परवाह किये बिना सदकार्य में लग जाते है। उन्हें उनके पथ से कोई डिगा नहीं सकता। ऐसे ही महान युग प्रवर्तक, समाज सेवक, निस्वार्थ, निष्काम सेवा भावी संत थे छत्तीसगढ़ के ग्राम गिरौदपुरी में जन्मे सतगुरु बाबा घासीदास। 

        जिस वक्त गुरुजी का आविर्भाव हुआ था तब छत्तीसगढ़ शिक्षा के क्षेत्र में एकदम पिछड़ा क्षेत्र था। केवल उच्च वर्ग के, धनाड्य , सम्पन्न घरों के बच्चे ही विद्याध्ययन कर पाते थे। क्योंकि तब शिक्षा को जरूरी नहीं समझा जाता था। जरूरी था तो बस इतना ही कि विद्यार्थी अक्षर ज्ञान प्राप्त कर ले। सो किसान वर्ग, श्रमिक वर्ग, हरिजन, आदिवासियों ने शिक्षा के प्रति ध्यान ही नहीं दिया। वैसे भी तब के जमींदार, मालगुजार या ब्राम्हण वर्ग नहीं चाहते थे कि निम्न वर्ग के बच्चे उनके बच्चों के साथ बैठकर विद्याध्ययन करें। तब उन्हें अछूत समझा जाता था। यही कारण है कि उनका बौद्धिक स्तर कम ही रहा। जनता दलित, पीड़ित और शोषित थी। अपने लोगों की इस दशा में गुरु घासीदास का हृदय द्रवीभूत हो गया था। उनका मन दलितों के उद्धार की ओर अग्रसर होने लगा। परिणाम स्वरूप उन्होंने ‘‘सतनाम पंथ’’ की स्थापना की। 

        उनके चिंतन से कहीं भी यह आभास नहीं होता है कि यह उपदेश या बातें किसी एक विशेष वर्ग के लिए कही गई है बल्कि समस्त मानव समुदाय और विश्व स्तर पर सभी धर्मावलम्बियों को प्रभावित किया है। 

      यही कारण है कि आज उनके अनुयायियों की संख्या लाखों में है। जिस समय आपका आविर्भाव हुआ देश गुलामी की जंजीरों में जकड़ा हुआ था। अंध विश्वास, कुरीति, सामाजिक रूढ़िवादिता, धर्मभीरूता, कुप्रथा, सामाजिक प्रतिबंध, छुआछूत जैसी सामाजिक अव्यवस्थायें हावी थीं। ऐसे वक्त में गुरुजी ने जो उपदेश दिया उसे सामाजिक एवं मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण रखकर आज के परिप्रेक्ष्य में रखकर विचार करें तो हम पाते हैं कि उनके उपदेश या कथन सभी वर्गो के लिए मान्य है | गुरु ने कहा है कि - न कोई जन्मना ऊँचा, न नीचा है, विभाजन कर्म की रेखा, उठाती है, गिराती है, विभाजित आचरण लेखा, नहीं वह नीच हो सकता, कि जिसका कर्म ऊँचा है, बड़ा वह हो नहीं सकता, कि जिसका कर्म नीचा है, हमारे वेद, श्रुतियाँ, उपनिषद, सिद्धांत शास्त्रों के, यही कहते, इसी में मर्म जीवन का समूचा है। 

         अर्थात न कोई जन्म से ऊँचा है और न कोई नीचा है। मुझे कहीं भी असमानता की स्थिति नजर नहीं आती और असमानता हो भी तो किस बात पर। मानव-मानव सब एक है फिर भेदभाव कैसा किन्तु, नासमझी की भावना ही हमें एक दूसरे से अलग करती है। हम विभाजन किसलिए करते हैं। एक ऊँचा एक नीचा यही प्रवृत्ति सबसे घातक होती है। हमारा कर्म, हमारी सोच ही हमें छोटा-बड़ा बनाती है। वही इंसान को ऊँचा उठाती है और वही नीचे गिराती है। स्पष्ट यह कि हमारा आचरण कैसा हो। 

    वे कहते हैं कि एक उच्च कुल का व्यक्ति यदि हत्या जैसे अपराध करता है वहीं एक निम्न कुल का व्यक्ति भी यह अपराध करता है तो दोनों एक ही स्तर के हुए। इनमें न कोई छोटा न बड़ा। दोनों का ही कुल एक हुआ और वह कुल है हत्यारे का। यहाँ जाति पीछे छूट जाती है और कर्म सामने आता है। सो बड़ा कर्म करने वाला ऊँचा और छोटा कर्म करने वाला नीचा, वह कैसे हो सकता है ? समानता का सिद्धांत होना चाहिए। यही हमारे वेद समस्त शास्त्र और श्रुतियाँ भी कहते हैं और इसी में जीवन का मर्म छिपा हुआ है। 

    गुरु घासीदास जी के द्वारा वाचिक परम्परा के माध्यम से प्राणित ‘‘26’’ उपदेशों को आत्मसात कर, उन्हीं के बताये मार्ग पर चलकर सभी वर्गों, सभी धर्मों के साथ समन्वय स्थापित किया जा सकता है।

 व्यक्तिगत रूप से मैं गुरु घासीदास जी द्वारा मानव जाति के लिए दिये गये संदेशों से, उपदेशों से, उनके समग्र व्यक्तित्व से बहुत प्रभावित हूँ। कौन कहता है कि वे एक वर्ग विशेष के हैं। वर्ग विशेष के वे तब थे जब उन्होंने समाज में व्याप्त भ्रान्तियों को दूर करने का बीड़ा उठाया था। आज तो वे समस्त वर्ग के आराध्य के रूप में पूजे जाते हैं । हमारा वर्तमान परिदृष्य यह कहता है कि आज समाज में ऊँच-नीच, छोटे-बड़े की बात बेमानी है। मनुष्य को आत्मा के शुद्धिकरण के लिए सोचना चाहिए न कि केवल तन के शुद्धिकरण की। यदि तन के शुद्धिकरण से ही समानता की बात होती तो पवित्र नदियों के तट पर बसने वालों में कहीं भी छोटा-बड़ा या ऊँच-नीच का वर्ग विष्लेषण नहीं होता। 

हमारी नदियों ने, हमारे पर्यावरण ने, हमारी प्रकृति ने हमें आपस में प्रेम, भाईचारा का पाठ पढ़ाया है। तभी तो महात्मा बुद्ध को बोधिवृक्ष के नीचे बैठकर ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। उसी तरह सतगुरु घासीदास बाबा जी ने भी तेंदू वृक्ष के नीचे बैठकर ज्ञान की प्राप्ति की थी, ज्ञान का बोध किया था। 

अतः इन संत महात्माओं ने हमें यह भी बोध कराया है कि हमें पर्यावरण के प्रति भी सजग रहना है यह कि पेड़ हमारें लिए कितना उपयोगी है। बिना पेड़-पौधों के प्राकृतिक वातावरण नष्ट होता है और हमारा पर्यावरणीय अस्तित्व संकट में पड़ जाता है। 

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