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उत्तरकाशी : बादल फटने से कई मकान ध्वस्त, तीन लोगों की मौत कई घायल

TODAY छत्तीसगढ़  / उत्तराखंड में बारिश के बाद पहाड़ों पर नदियां उफान पर आ गई हैं। इस बीच उत्तरकाशी में रविवार देर रात बादल फटने के बाद पैदा हुए हालात में तीन लोगों की मौत हो चुकी है। मांडो में 02 महिला व  01 बच्चे का शव बरामद किया गया है। शवों को जिला अस्पताल में लाया गया है। समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार बादल पटने की घटना के बाद से मांडो गांव में अब भी चार लोग लापता हैं। 

भारी बरसात के कारण अचानक भागीरथी नदी समेत गाड़-गदेरे उफान पर आ गए हैं। बादल फटने से गांव मांडो, निराकोट, पनवाड़ी और कंकराड़ी के आवासीय घरों में पानी घुस गया। साथ ही गदेरा उफान पर आने से तीन लोग मलबे में फंसकर घायल हो गए। 

एसडीआरएफ व आपदा प्रबंधन विभाग की टीम ने गणेश बहादुर पुत्र काली बहादुर, रविन्द्र पुत्र गणेश बहादुर, रामबालक यादव पुत्र मकुर यादव को रेस्क्यू कर अस्पताल पहुंचाया। घायलों का इलाज चल रहा है। डॉक्टरों के अनुसार तीनों खतरे से बाहर हैं।  जानकारी के अनुसार, मांडो गांव में नौ मकानों में पानी घुस गया। जबकि दो मकान पूरी तरह से धवस्त हो गए हैं। कई जगहों पर वाहनों के बहने की भी सूचना है। 

म़तकों के नाम:

1- माधरी पत्नी देवानन्द, उम्र 42 वर्ष, ग्राम मांडो

2- रीतू पत्नी दीपक, उम्र 38 वर्ष, ग्राम मांडो

3- कुमारी ईशू पुत्री दीपक, उम्र 06 वर्ष, ग्राम मांडो

सीएम ने दिए रावत बचाव कार्य के निर्देश

घटना की सूचना मिलने के बाद सीएम पुष्कर सिंह धामी ने डीएम को राहत और बचाव कार्य शीर्ष प्राथमिकता पर कराने के निर्देश दिए हैं। इधर मौसम विभाग के मुताबिक अगले 24 घंटे में देहरादून, हरिद्वार, नैनीताल और पौड़ी जैसे जिलों में अत्यंत भारी बारिश की संभावना है। राज्य के बाकी हिस्सों में भी भारी से बहुत भारी बारिश के आसार है। मौसम विभाग की ओर से ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है। 

कांवड़ यात्रा रद्द, मुख्यमंत्री ने कहा - लोगों की सुरक्षा हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता


TODAY छत्तीसगढ़  / देहरादून / उत्तराखंड सरकार ने कांड़ यात्रा पर बड़ा फैसला लिया है. कोरोना वायरस के चलते कांवड़ यात्रा को रद्द कर दिया गया है. इससे पहले मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कांवड़ यात्रा को लेकर कहा था कि बात आस्था की है, लेकिन लोगों की जिंदगी भी दांव पर है. भगवान को भी यह अच्छा नहीं लगेगा यदि लोग कांवड़ यात्रा के कारण कोविड से अपनी जान गंवाते हैं.

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सोमवार को कांवड़ यात्रा के संबंध में पूछे गए प्रश्न पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा था कि प्रदेश सरकार ने 30 जून की कैबिनेट की बैठक में फैसला किया था कि इस साल कांवड़ यात्रा नहीं होगी. कांवड़ यात्रा आस्था से जुड़ी है. फिर भी हम सोच रहे हैं कि अगर कोई गुंजाइश है तो उस बारे में हम उच्चस्तरीय बैठक करेंगे, लेकिन लोगों की सुरक्षा हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है. आज सरकार ने स्पष्ट कर दिया कि कांवड़ यात्रा नहीं होगी.

बता दें, इससे पहले जब कोरोना की दूसरी लहर चरम पर थी तब उत्तराखंड में कुंभ का आयोजन किया गया. कुंभ के दौरान कई साधु संत और अधिकारी संक्रमित हो गए थे. ऐसे में उत्तराखंड सरकार और बीजेपी विपक्ष के निशाने पर रही. सरकार की इस बात को लेकर आलोचना की गई कि जब देश कोरोना की त्रासदी से जूझ रहा है तब इतने बड़े धार्मिक आयोजन के नाम पर लोगों की भीड़ जुटने की इजाजत क्यों दी गई.

पुष्कर सिंह धामी को राज्यपाल ने मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई, उत्तराखंड के 11 वे CM होंगे


TODAY छत्तीसगढ़  / देहरादून / उत्तराखंड (Uttarakhand) के 11वें मुख्यमंत्री ने आज शपथ ले ली है. बारिश के बीच राजभवन में शपथ ग्रहहण समारोह हुआ. पुष्कर सिंह धामी (Pushkar Singh Dhami) अब उत्तराखंड के नए मुख्यमंत्री होंगे. धामी उत्तराखंड से सबसे कम उम्र के सीएम बने हैं. राज्यपाल बेबीरानी मौर्य ने उन्हें मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई.

ये बने उत्तराखंड के मंत्री

पुष्कर सिंह धामी  (Pushkar Singh Dhami) के साथ ही सतपाल महाराज, हरक सिंह रावत, बंशीधर भगत, यशपाल आर्य, बिशन सिंह, सुबोध उनियाल, अरविंद पांडे, गणेश जोशी, धनसिंह रावत, रेखा आर्य, यतीश्वरानंद ने मंत्री पद की शपथ ग्रहण की.

वरिष्ठ नेताओं से लिया 'आशीर्वाद'

पुष्कर सिंह धामी (Pushkar Singh Dhami) ने शपथ से पहले बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात की. धामी ने देहरादून में राज्य मंत्री सतपाल महाराज से उनके आवास पर मुलाकात की. इसके अलावा पूर्व मुख्यमंत्री मेजर जनरल भुवन चन्द्र खंडूरी से उनके आवास पर मुलाकात की.

'मतभेद की खबरें निराधार'

दूसरी तरफ उत्तराखंड भाजपा में पुष्कर सिंह धामी को मुख्यमंत्री चुने जाने को लेकर बगावत की खबरों के बीच मंत्रियों और वरिष्ठ नेताओं समेत कई नेताओं ने किसी भी तरह के कलह से इनकार किया. तीरथ सिंह रावत की सरकार में मंत्री हरक सिंह रावत, यशपाल आर्य और बिशन सिंह चुपल ने कहा, 'कोई अंदरूनी कलह नहीं है.' बीजेपी विधायक धन सिंह रावत ने भी नाराजगी की खबरों का खंडन किया.

हरक सिंह रावत ने दी सफाई

देहरादून में सुबह से ही जोरदार अफवाह चल रही थी कि धामी के चयन से नाखुश वरिष्ठ नेता और मंत्री सतपाल महाराज और हरक सिंह रावत दिल्ली पहुंच गए हैं. हरक सिंह रावत ने स्पष्ट किया कि वह देहरादून में हैं और पार्टी नेतृत्व के साथ हैं. हरक सिंह रावत ने कहा, 'मैं देहरादून में हूं और यहां सबके साथ बैठा हूं. केंद्रीय नेतृत्व के लिए समय मांगने के लिए दिल्ली में मेरी मौजूदगी की सभी खबरें निराधार और अफवाहें हैं.'  - जी न्यूज़ 

पुष्कर होंगे उत्तराखंड में नए मुख्यमंत्री, भाजपा ने युवा चेहरे पर जताया भरोसा

  TODAY छत्तीसगढ़  /  देहरादून / उत्तराखण्ड के सियासी गलियारों के तमाम अनुमानों और आंकलन को धता बताते हुए आज राज्य के नए मुख्यमंत्री के तौर पर 45 वर्षीय पुष्कर सिंह धामी के नाम पर अंतिम मुहर लग गई। आज तीन बजे देहरादून स्थित भाजपा मुख्यालय में विधायक दल की बैठक के दौरान सभी ने उनके नाम पर सहमति जताई। इस बैठक के दौरान केंद्रीय पर्यवेक्षक नरेंद्र सिंह तोमर, डी पुरंदेश्वरी और उत्तराखंड भाजपा के प्रभारी दुष्यंत कुमार गौतम व रेखा वर्मा भी मौजूद रहीं।

उत्तराखंड में बड़ी जिम्मेदारी मिलने के बाद पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि 'मेरी पार्टी ने एक सामान्य कार्यकर्ता को चुना है। हम एक साथ मिलकर लोगों के कल्याण के लिए काम करेंगे। हम लोगों के लिए काम करने की चुनौती को स्वीकार करते हैं।' पुष्कर सिंह धामी पिथौरागढ़ जिले के एक छोटे से गांव में पैदा हुए और उनके पिता एक पूर्व सैनिक हैं।

खटीमा से हैं विधायक

गौरतलब है कि शुरुआती दौर में पुष्कर सिंह धामी का नाम कहीं भी चर्चा में नहीं था। लेकिन अचानक से उन्होंने मुख्यमंत्री पद की रेस में सभी को पछाड़ दिया। पुष्कर सिंह धामी उधमसिंह जिले के खटीमा से विधायक हैं। वह यहां से लगातार दूसरी बार विधायक पद का चुनाव जीतने में कामयाब रहे हैं। पुष्कर 16 सितंबर 1975 को पिथौरागढ़ जिले के टुंडी गांव में पैदा हुए। उनके पिता सेना में रह चुके हैं। पुष्कर सिंह धामी तीन बहनों के बीच अकेले भाई हैं। पढ़ाई—लिखाई की बात करें तो पुष्कर सिंह धामी ने मानव संसाधन प्रबंधन के साथ—साथ औद्योगिक संबंध में मास्टर्स किया है।

 सबको छोड़ा पीछे

गौरतलब है कि प्रदेश में उपचुनाव की अनिश्चितताओं के बीच तीरथ सिंह रावत के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफे के बाद से ही उत्तराखंड में राजनीतिक हलचल तेज थी। इसके बाद पार्टी ने कई नामों पर चर्चा की। इन नामों में चौबातखाल से विधायक और कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज, श्रीनगर से विधायक धनसिंह रावत, पुष्कार सिंह धामी और रितू खंडूरी के साथ-साथ दोईवाला से विधायक पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की दावेदारी भी थी। लेकिन आखिर में विधायकों ने पुष्कर सिंह धामी के नाम पर मुहर लगाई। 

संवैधानिक संकट से घिरे मुख्यमंत्री का इस्तीफा ! नये चेहरे को मिल सकती है उत्तराखंड की जिम्मेदारी

TODAY छत्तीसगढ़  / नई दिल्ली / उत्तराखंड में 4 महीने के अंदर ही मुख्यमंत्री फिर बदल सकता है। मौजूदा मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत (Tirath Singh Rawat news) के इस्तीफें की चर्चा जोरों पर है।तीन दिनों से दिल्ली में डेरा जमाए उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने शुक्रवार को, पिछले चौबीस घंटों के भीतर दूसरी बार भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अध्यक्ष जे पी नड्डा से मुलाकात की। नड्डा के आवास पर उनसे मुख्यमंत्री की लगभग आधे घंटे की यह मुलाकात ऐसे समय में हुई है जब रावत के भविष्य को लेकर तमाम तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं। 

पौड़ी से लोकसभा सांसद रावत ने इस वर्ष 10 मार्च को मुख्यमंत्री का पद संभाला था। अपने पद पर बने रहने के लिए 10 सितंबर तक उनका विधानसभा सदस्य निर्वाचित होना संवैधानिक बाध्यता है। प्रदेश में फिलहाल विधानसभा की दो सीटें, गंगोत्री और हल्द्वानी रिक्त हैं जहां उपचुनाव कराया जाना है। चूंकि राज्य में अगले ही साल फरवरी-मार्च में विधानसभा चुनाव होना प्रस्तावित है और इसमें साल भर से कम समय बचा है, ऐसे में कानून के जानकारों का मानना है कि उपचुनाव कराए जाने का फैसला निर्वाचन आयोग के विवेक पर निर्भर करता है।

तमाम अटकलों के बीच उत्तराखंड के राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि रावत गढ़वाल क्षेत्र में स्थित गंगोत्री सीट से उपचुनाव लड़ सकते हैं। मुख्यमंत्री रावत बुधवार को अचानक दिल्ली पहुंचे थे। बृहस्पतिवार को देर रात उन्होंने नड्डा और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी। भाजपा विधायक गोपाल सिंह रावत का इस वर्ष अप्रैल में निधन होने से गंगोत्री सीट रिक्त हुई है जबकि कांग्रेस की वरिष्ठ नेता इंदिरा हृदयेश के निधन से हल्द्वानी सीट खाली हुई है। हालांकि, अभी तक चुनाव आयोग ने उपचुनाव की घोषणा नहीं की है ।

उपचुनाव का फैसला आयोग करेगा : रावत

पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात के बाद सीएम रावत ने कहा कि उपचुनाव का निर्णय चुनाव आयोग को करना है। केंद्र जो भी तय करेगा, हमें उस पर आगे बढ़ना है। रावत ने यह बात राज्य में उपचुनाव को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में कही। 

चारधाम यात्रा अग्रिम आदेशों तक स्थगित, उत्तराखंड सरकार ने जारी की नई एसओपी


TODAY छत्तीसगढ़  / उत्तराखंड सरकार ने मंगलवार सुबह चारधाम यात्रा को लेकर संशोधित एसओपी जारी कर दी। सरकार ने आगामी एक जुलाई से प्रस्तावित चारधाम यात्रा को अग्रिम आदेशों तक के लिए स्थगित कर दिया है। बता दें कि सोमवार को जारी एसओपी में सरकार ने उच्च न्यायालय की रोक के बावजूद चारधाम यात्रा एक जुलाई से शुरू करने का फैसला लिया था। जबकि दूसरे चरण की यात्रा 11 जुलाई से होनी तय की गई थी। 

सरकार ने पहले चरण में बदरीनाथ की यात्रा चमोली जिले के लोगों के लिए, केदारनाथ की रुद्रप्रयाग जिले के लोगों के लिए, गंगोत्री व यमुनोत्री की यात्रा उत्तरकाशी जिले के लोगों के लिए सशर्त खोलने का निर्णय लिया था। इसमें यात्रियों के कोविड जांच रिपोर्ट अनिवार्य की गई थी। माना जा रहा था कि पर्यटन व धर्मस्व विभाग अलग से एसओपी जारी करेगा। TODAY छत्तीसगढ़ के WhatsApp ग्रुप में जुड़ने के लिए क्लिक करें   

दो दिन पूर्व सोमवार को हाईकोर्ट ने सरकार के सारे तर्कों को सिरे से नकारते हुए एक जुलाई से चार धाम यात्रा कराने के कैबिनेट के निर्णय पर रोक लगा दी थी। सरकार की ये फजीहत कमजोर तर्कों और आधी अधूरी तैयारी के चलते हुई। कोर्ट ने कहा था कि सरकार के अधिकारी कोर्ट को बहुत हल्के ढंग से ले रहे हैं, लिहाजा मुख्य सचिव अधिकारियों को कोर्ट के समक्ष जवाब देने की ट्रेनिंग दें। अधिकारी गलत और अधूरी जानकारी देकर हमारे धैर्य की परीक्षा न लें। कोर्ट ने इस प्रकरण में अगली सुनवाई के लिए सात जुलाई की तिथि नियत की है।

इंसान मरा, मरी इंसानियात के सामने अब कुत्ते नोंच रहे हैं 'लाशें'

TODAY
 छत्तीसगढ़  /
 उत्तरकाशी / उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में नदी में लाश मिलने के बाद और भयानक तस्वीर यह है कि उत्तरकाशी में नदी में वह रही लाशों को आवारा कुते खाते हुए एक वीडियो में दिखाई दिए. कुत्तों के लाशे चबाने और नोचने का यह वीडियो भागीरथी के केदार घाट पर लगी लाशों का बताया जा रहा है. स्थानीय लोगों का कहना है कि हाल में कुछ दिनों से बारिश होने के चलते नदी का जलस्तर बढ़ गया है, जिसके कारण वो अधजली लाशे किनारों तक आ गई हैं, जिन्हें नदी में फेंक दिया गया होगा. इस घटना के एक प्रत्यक्षदर्शी ने इस वीभत्स तस्वीर को मानवता की मौत करार दिया. एक और स्थानीय व्यक्ति ने आशंका जताई कि हो सकता है कि ये लाश कोविड ग्रस्त मृतकों की रही हो, जो नदी किनारे लगी है, नगरीय प्रशासन को फौरन और कारगर एक्शन लेना चाहिए ताकि लाशों के जरिये संक्रमण फैलने की आशंका पैदा न हो. इस डर के साथ ही स्थानीय व्यक्तियों ने इस बात पर नाराजगी भी जाहिर की कि नगर पालिका और जिला प्रशासन से बार बार शिकायतें किए जाने के बावजूद शवों का अंतिम संस्कार उचित तरीके से नहीं करवाया जा रहा है.

चश्मदीद ने क्या कहा -

नदी किनारे पड़ी लाशों को कुतों द्वारा कुतरे जाने वाले दृश्य को एक स्थानीय व्यक्ति ने अपनी आंखों से देखने का दावा किया समाचार एजेंसी एएनआई ने अपनी रिपोर्ट में इस व्यक्ति के हवाले से लिखा में यहाँ पेंटिंग कर रहा था, तभी मैंने यहां कुत्तों को कुछ अधजली लाशें खाते हुए देखा, जिला प्रशासन और नगर पालिका को फौरन इसका संज्ञान लेना चाहिए और जरूरी कदम उठाने चाहिए, यह चिंता का विषय है और मुझे लगता है कि इंसानियत की मौत का चित्र है.

प्रशासन ने क्या कहा  -

नगर पालिका के प्रेसिडेंट रमेश सेमवाल ने इस मामले में कहा कि स्थानीय व्यक्तियों से इस तरह की शिकायतें मिलने पर केदार घाट पर अधजली लाशों के क्रियाकर्म और किनारे को धोने के लिए एक व्यक्ति की ड्यूटी लगाई गई है. पिछले कुछ दिनों में हमारे इलाके में मौते बढ़ी और मुझे भी पता चला कि शवों को ठीक ढंग से जलाया नहीं गया। गौरतलब है कि इससे पहले, उत्तर प्रदेश और बिहार में गंगा नदी में लाशों के मिलने संबंधी कई तरह की खबरें लगातार आई थी. यही नहीं, हाल में पिथौरागढ़ में भी नदी में लाशे तैरती हुई देखी गई थी, जिन पर स्थानीय लोगों ने काफी नाराजगी जताई थी और पीने के पानी के दूषित व संक्रमित होने का डर भी जाहिर किया था. 

गजराज को देख भागा वनराज, वायरल वीडियो कुछ ही घंटों में लाखों बार देखा गया


 TODAY छत्तीसगढ़  /  बाघ (Tigers) शिकार के मामले में बाकी सभी जानवरों से काफी तेज होते हैं और ये किसी से भी नहीं डरते. लेकिन कई बार ऐसा भी होता है कि खतरनाक बाघ, हाथियों (elephants) से डर जाते है. इन दिनों सोशल मीडिया पर एक ऐसा ही वीडियो वायरल हो रहा है, जिसे एक्ट्रेस और वन्यजीव कार्यकर्ता दीया मिर्जा (actress and wildlife activist Dia Mirza) ने शेयर किया है. इस वीडियो में आप एक बाघ को जंगल में हाथी के लिए रास्ता बनाते हुए देख सकते हैं. वीडियो में हाथी को जंगल के रास्ते पर चलते हुए दिखाया गया है, जिसके बीच में एक बाघ बैठा है.
आप वीडियो में देख सकते हैं कि बाघ बड़े शान से बीच रास्ते में बैठा और पीछे से एक हाथी मतवाली चाल में धीरे-धीरे बाघ की ओर आ रहा है. इतने में जैसे ही बाघ पीछे की ओर पलटकर देखता है सकी नजर हाथी पर पड़ती है. बाघ अचानक वहां से उठता है और तेजी से दौड़ लगाकर वहां से भाग खड़ा होता है. फिर हाथी के लिए आगे जाने का रास्ता साफ हो जाता है. सोशल साइट्स पर धूम मचा रहा यह वीडियो उत्तराखंड के कॉर्बेट टाइगर रिजर्व (सीटीआर) का है। 
ट्विटर पर वीडियो शेयर करते हुए दीया मिर्जा ने लिखा, "देखो अंत में क्या होता है!" लोग इस वीडियो पर जमकर कमेंट कर रहे हैं. इस वीडियो को अबतक 1 लाख से ज्यादा बार देखा जा चुका है."
IFS अधिकारी परवीन कस्वां (IFS officer Parveen Kaswan) ने लिखा, "जैसा कि मैं हमेशा कहता हूं 'हाथी जंगल का स्वामी होता है... कोई भी उसके खिलाफ खड़ा होकर मौका नहीं ले सकता है. जंगली में, बाघ आमतौर पर हिरण, बंदर और सूअर जैसे बड़े या मध्यम आकार के स्तनधारियों का शिकार करते हैं. पूर्ण विकसित हाथियों का शिकार करने वाले बाघों के उदाहरण दुर्लभ हैं, लेकिन अनसुने नहीं हैं. द न्यू इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, 2009 में, एराविकुलम वन्यजीव पार्क के अंदर एक बाघ द्वारा एक हाथी को मार दिया गया था.

'देवप्रयाग' जहां से 'गंगा' का उद्भव हुआ ...

[TODAY छत्तीसगढ़ ] / देवप्रयाग भारत के उत्तराखण्ड राज्य में स्थित एक नगर एवं प्रसिद्ध तीर्थस्थान है। यह अलकनंदा तथा भागीरथी नदियों के संगम पर स्थित है। इसी संगम स्थल के बाद इस नदी को पहली बार 'गंगा' के नाम से जाना जाता है। यहाँ श्री रघुनाथ जी का मंदिर है, जहाँ हिंदू तीर्थयात्री भारत के कोने कोने से आते हैं। देवप्रयाग अलकनंदा और भागीरथी नदियों के संगम पर बसा है। यहीं से दोनों नदियों की सम्मिलित धारा 'गंगा' कहलाती है। यह टेहरी से 18 मील दक्षिण-दक्षिण-पूर्व दिशा में स्थित है। प्राचीन हिंदू मंदिर के कारण इस तीर्थस्थान का विशेष महत्व है। संगम पर होने के कारण तीर्थराज प्रयाग की भाँति ही इसका भी नामकरण हुआ है।
देवप्रयाग समुद्र सतह से 1500 फ़ीट की ऊंचाई पर स्थित है और निकटवर्ती शहर ऋषिकेश से सड़क मार्ग द्वारा 70 किमी० पर है। यह स्थान उत्तराखण्ड राज्य के पंच प्रयागों में से एक माना जाता है। इसके अलावा इसके बारे में कहा जाता है कि जब राजा भगीरथ ने गंगा को पृथ्वी पर उतरने को राजी कर लिया तो 33 करोड़ देवी-देवता भी गंगा के साथ स्वर्ग से उतरे। तब उन्होंने अपना आवास देवप्रयाग में बनाया जो गंगा की जन्म भूमि है। भागीरथी और अलकनंदा के संगम के बाद यही से पवित्र नदी गंगा का उद्भव हुआ है। यहीं पहली बार यह नदी गंगा के नाम से जानी जाती है। अलकनंदा नदी उत्तराखंड के सतोपंथ और भागीरथ कारक हिमनदों से निकलकर इस प्रयाग को पहुंचती है। नदी का प्रमुख जलस्रोत गौमुख में गंगोत्री हिमनद के अंत से तथा कुछ अंश खाटलिंग हिमनद से निकलता है। 
गढ़वाल क्षेत्र में मान्यतानुसार भगीरथी नदी को सास तथा अलकनंदा नदी को बहू कहा जाता है। यहां के मुख्य आकर्षण में संगम के अलावा एक शिव मंदिर तथा रघुनाथ मंदिर हैं जिनमें रघुनाथ मंदिर द्रविड शैली से निर्मित है। देवप्रयाग प्राकृतिक संपदा से परिपूर्ण है। यहां का सौन्दर्य अद्वितीय है। निकटवर्ती डंडा नागराज मंदिर और चंद्रवदनी मंदिर भी दर्शनीय हैं। देवप्रयाग को 'सुदर्शन क्षेत्र' भी कहा जाता है। यहां कौवे दिखायी नहीं देते, जो की एक आश्चर्य की बात है। TODAY छत्तीसगढ़ के WhatsApp ग्रुप में जुड़ने के लिए क्लिक करें 
रामायण में लंका विजय उपरांत भगवान राम के वापस लौटने पर जब एक धोबी ने माता सीता की पवित्रता पर संदेह किया, तो उन्होंने सीताजी का त्याग करने का मन बनाया और लक्ष्मण जी को सीताजी को वन में छोड़ आने को कहा। तब लक्ष्मण जी सीता जी को उत्तराखण्ड देवभूमि के ऋर्षिकेश से आगे तपोवन में छोड़कर चले गये। जिस स्थान पर लक्ष्मण जी ने सीता को विदा किया था वह स्थान देव प्रयाग के निकट ही 4 किलोमीटर आगे पुराने बद्रीनाथ मार्ग पर स्थित है। तब से इस गांव का नाम सीता विदा पड़ गया और निकट ही सीताजी ने अपने आवास हेतु कुटिया बनायी थी, जिसे अब सीता कुटी या सीता सैंण भी कहा जाता है। यहां के लोग कालान्तर में इस स्थान को छोड़कर यहां से काफी ऊपर जाकर बस गये और यहां के बावुलकर लोग सीता जी की मूर्ति को अपने गांव मुछियाली ले गये। वहां पर सीता जी का मंदिर बनाकर आज भी पूजा पाठ होता है। बास में सीता जी यहाम से बाल्मीकि ऋर्षि के आश्रम आधुनिक कोट महादेव चली गईं। त्रेता युग में रावण भ्राताओं का वध करने के पश्चात कुछ वर्ष अयोध्या में राज्य करके राम ब्रह्म हत्या के दोष निवारणार्थ सीता जी, लक्ष्मण जी सहित देवप्रयाग में अलकनन्दा भागीरथी के संगम पर तपस्या करने आये थे। इसका उल्लेख केदारखण्ड में आता है। उसके अनुसार जहां गंगा जी का अलकनन्दा से संगम हुआ है और सीता-लक्ष्मण सहित श्री रामचन्द्र जी निवास करते हैं। देवप्रयाग के उस तीर्थ के समान न तो कोई तीर्थ हुआ और न होगा। इसमें दशरथात्मज रामचन्द्र जी का लक्ष्मण सहित देवप्रयाग आने का उल्लेख भी मिलता है तथा रामचन्द्र जी के देवप्रयाग आने और विश्वेश्वर लिंग की स्थापना करने का उल्लेख है।
देवप्रयाग से आगे श्रीनगर में रामचन्द्र जी द्वारा प्रतिदिन सहस्त्र कमल पुष्पों से कमलेश्वर महादेव जी की पूजा करने का वर्णन आता है। रामायण में सीता जी के दूसरे वनवास के समय में रामचन्द्र जी के आदेशानुसार लक्ष्मण द्वारा सीता जी को ऋषियों के तपोवन में छोड़ आने का वर्णन मिलता है। गढ़वाल में आज भी दो स्थानों का नाम तपोवन है एक जोशीमठ से सात मील उत्तर में नीति मार्ग पर तथा दूसरा ऋषिकेश के निकट तपोवन है। केदारखण्ड में रामचन्द्र जी का सीता और लक्ष्मण जी सहित देवप्रयाग पधारने का वर्णन मिलता है।
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