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20 बार गर्भवती हो चुकी महिला ने दिया 17वें बच्चे को जन्म, नवजात की मौत

TODAY छत्तीसगढ़ / महाराष्ट्र की एक प्रवासी महिला मजदूर ने हाल ही में कर्नाटक में सत्रहवें बच्चे को जन्म दिया लेकिन नवजात की मौत हो गई। एक स्वास्थ्य अधिकारी ने मंगलवार को यह जानकारी दी। अधिकारी ने बताया कि महाराष्ट्र के बीड जिले की माझलगांव तहसील की निवासी लंकाबाई (नाम परिवर्तित) ने कर्नाटक के बेलगाम जिले में एक गन्ने के खेत में एक बच्ची को जन्म दिया।
सूखे से प्रभावित बीड क्षेत्र से हजारों मर्द और औरत महाराष्ट्र के अन्य भागों और कर्नाटक के गन्ने के खेतों में काम करने जाते हैं। बीड के स्वास्थ्य अधिकारी डॉ आर बी पवार ने कहा, हमें पता चला है कि लंकाबाई ने अपने सत्रहवें बच्चे को जन्म दिया था जिसकी जल्दी ही मौत हो गई। हम अधिक जानकारी प्राप्त करने की कोशिश कर रहे हैं। महिला घुमंतू गोपाल समुदाय की है और उसके 11 बच्चे हैं जिनमें नौ लड़कियां हैं। (भाषा) 



एम्स में अब हैंडशेक नहीं जय जोहार बोलकर होगा अभिवादन

TODAY छत्तीसगढ़  / अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में अब चिकित्सक, मरीज और उनके परिजन एक दूसरे से हाथ मिलाकर नहीं बल्कि जय जोहार बोलकर एक दूसरे का अभिवादन (नमस्कार) करेंगे। भारतीय परंपरा के अनुसार स्वच्छता को बढ़ावा देने और संक्रमण नियंत्रण के लिए एम्स प्रबंधन ने यह कदम उठाया है।
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निदेशक प्रो. (डॉ.) नितिन म. नागरकर के निर्देशन पर सामान्य चिकित्सा विभाग ने इस संबंध में चिकित्सकों, मरीजों और उनके परिजनों को जागरूक बनाने के लिए अभियान शुरू किया है। कायाकल्प एवं स्वच्छता एक्शन प्लान के नोडल अधिकारी डॉ. सबा सिद्दकी के अनुसार जय जोहार की मदद से तेजी से फैलने वाले संक्रमण को आसानी के साथ रोका जा सकता है। हैंडशेक (हाथ मिलाने) परंपरा से एक-दूसरे के बीच कीटाणुओं के फैलने का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में हाथ जोड़कर जय जुहार करने से अभिवादन के साथ ही इस चुनौती का मुकाबला भी किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि विभाग के अन्य शिक्षक डॉ. केशव नागपुरे और चिकित्सा छात्रों ने इस संबंध में सघन अभियान छेड़कर सभी को जागरूक बनाने का बीड़ा उठाया है। इस अवसर पर चिकित्सा अधीक्षक डॉ. करन पिपरे ने भी चिकित्सकों और छात्रों को जय जोहार के लिए प्रोत्साहित किया।
डॉ. पिपरे ने बताया कि मरीजों के परिजनों के लिए नवनिर्मित कैंटीन 20 दिसंबर तक शुरू करने की योजना है। इससे परिजनों को खाने के लिए बाहर जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। इसके अलावा एम्स के डी ब्लाक में बन रहे 22 प्राइवेट और दो वीआईपी वार्ड भी निर्माण के अंतिम चरण में पहुंच गए हैं। इनके बनने के बाद मरीजों और उनके परिजनों को प्राइवेट हॉस्पिटल के समान सुविधाएं इन वार्ड में उपलब्ध हो सकेंगी।

ख़ून चढ़ाते ही गर्भवती महिला की मौत, परिजनों का आरोप संक्रमित खून चढाने से हुई मौत

TODAY छत्तीसगढ़  / बिलासपुर जिला अस्पताल में डिलीवरी के लिए भर्ती महिला की खून चढ़ाने के कुछ देर तबियत बिगड़ी और देखते ही देखते उसकी मौत हो गई। परिजन अस्पताल कर्मियों पर संक्रमित ब्लड चढ़ाने का अरोप लगाते हुए वार्ड में करीब आधे घंटे तक हंगामा करते रहे। मामले की सूचना पर तारबाहर पुलिस अस्पताल पहुंची। इसके बाद परिजनों को समझाइश देकर शांत करवाया गया ।
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जिला अस्पताल में 11 दिसम्बर को चकरभाठा में रहने वाली रानी यादव को डिलीवरी के लिए भर्ती किया गया था। आपरेशन से बच्चे को जन्म दिया। 12 दिसम्बर को डॉक्टर ने महिला के शरीर में खून की कमी होने की जानकारी दी। रानी के पति अजय यादव ने जिला अस्पताल से दूसरे ब्लड ग्रुप का खून देकर एक्सचेंज में भर्ती महिला के ग्रुप का खून लिया। प्रसव पीड़ा से कराहती महिला को स्टाफ नर्स ने उपलब्ध खून चढ़ाया, खून चढाने के कुछ ही देर बाद महिला की तबियत बिगड़ने लगी। डयूटी में मौजूद अस्पताल कर्मी कुछ समझ पाते उससे पहले ही महिला की मौत हो गई।  महिला की मौत के बाद परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन पर संक्रमित ब्लड चढ़ाने का आरोप लगाकर खूब हंगामा मचाया ।

डॉयल 112 वाहन में डिलीवरी, चलते वाहन में गूंजी किलकारी

TODAY छत्तीसगढ़  / बिलासपुर मुख्यालय से करीब 20 किलोमीटर दूर बिल्हा विकासखंड के ग्राम बेलटुकरी में आज एक गर्भवती महिला को पुलिस वैन 112 से प्रसव के लिए चिकित्सालय ले जाया जा रहा था उसी दौरान दर्द से कराहती महिला ने 112  में ही एक स्वस्थ्य बच्चे को जन्म दे दिया । रास्ते में प्रसव होने के बाद मां और नवजात बच्चे को स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया गया है जहां दोनों की स्थिति बेहतर बताई जा रही है  । 
जानकारी के अनुसार बीती रात बिल्हा पुलिस के हेल्पलाइन नंबर 112 को जानकारी मिली कि बेलटुकरी निवासी एक महिला को तत्काल मेडिकल सहयोग की जरूरत है। समय पर चिकित्स्कीय सुविधा नहीं मिलने से महिला की स्थिति बिगड़ सकती है लिहाजा सुचना मिलते ही पुलिस की हेल्पलाइन सुविधा ग्राम बेलटुकरी के लिए रवाना हुई। देर रात गाँव पहुंचकर पुलिस ने बेलटूकरी निवासी शशिकला निषाद पति रतिराम निषाद से संपर्क किया।
शशिकला ने बताया कि उर्मिला मरकाम पति गौकरन मरकाम गर्भवती है जिसकी डिलीवरी होने वाली है। मेडिकल सहयोग नहीं मिलने से उसे प्रसव में काफी परेशानी हो रही है। मौके से पीड़ित महिला और उसके परिजनों को लेकर पुलिस हेल्पलाइन वाहन बिल्हा के लिए रवाना हुआ, इसी बीच प्रसव पीड़ा से कराहती महिला ने एक नवजात को जन्म दिया।TODAY छत्तीसगढ़ के WhatsApp ग्रुप में जुड़ने के लिए क्लिक करें

मोदी केयर : गरीब बच्ची इलाज के लिए भटकती रही

[TODAY छत्तीसगढ़] / बीजापुर जिले के भैरमगढ़ ब्लाक का वह जांगला गांव जहां से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आयुष्मान भारत योजना की शुरुआत कर देश की जनता से कहा था कि अब स्वास्थ्य सेवाओं के लिए किसी को भटकना नहीं होगा। उसी जांगला गांव का बेहद गरीब सुखराम अपनी 2 वर्षीय बेटी के ब्रेन ट्यूमर के इलाज के लिए यहां रायपुर में भटकता रहा। अंबेडकर अस्पताल जाने पर उसे डीकेएस हॉस्पिटल भेज दिया गया, जहां हेल्थ स्मार्ट कार्ड, राशन कार्ड, आधार कार्ड नहीं होने पर उसे भर्ती नहीं किया गया। बाद में जगदलपुर विधायक रेखचंद्र जैन ने जब हॉस्पिटल प्रबंधन से चर्चा की, तब जाकर उसे भर्ती किया गया। ऑपरेशन कब होगा इसकी जानकारी फिलहाल परिजनों को नहीं दी गई है। 
समय पर इलाज नहीं मिलने से परेशान सुखराम का कहना है कि उसकी बच्ची का तीन दिनों तक जगदलपुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में इलाज चला। वहां डॉक्टरों ने जांच कर बताया कि उसकी बच्ची को ब्रेन ट्यूमर है और उसका वहां इलाज संभव नहीं है। उसने कुछ निजी अस्पतालों में इलाज कराने की बात कही, लेकिन वहां उसका खर्च काफी महंगा बताया गया। कल शाम वह रायपुर पहुंचा। यहां वह अपनी बच्ची को लेकर अंबेडकर अस्पताल पहुंचा, जहां से उसे डीकेएस हॉस्पिटल भेजा गया। डीकेएस हॉस्पिटल में भी जिस तरह से उसे खर्च बताया गया उसकी पूर्ति  संभव नहीं थी। हेल्थ स्मार्ट कार्ड, राशन कार्ड, आधार कार्ड भी उसके पास नहीं था। उसका कहना है कि उसका यह सब कार्ड नहीं बना है। ऐसे में वह अस्पताल, सड़क पर भटकता रहा। 
O प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने छत्तीसगढ़ के बीजापुर से आयुष्मान भारत योजना की शुरूआत इसी वर्ष की थी। मोदी सरकार ने इस स्कीम को मोदी केयर भी नाम दिया है। इस स्कीम से 50 करोड़ देशवासियों को फायदा होगा। इसमें 10.74 करोड़ वंचित परिवारों को शामिल किया जाएगा और प्रति परिवार को 5 लाख रुपये तक का हेल्थ कवर मिलेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 14 अप्रैल 2018 को डाक्टर भीमराव आंबेडकर की जयंती पर इस योजना की शुरुवात छत्तीसगढ़ के बीजापुर से की थी। 
O योजना का मुख्‍य उद्देश्‍य- आयुष्‍मान भारत योजना प्रोग्राम 2018 अथवा मोदीकेयर का उद्देश्‍य वर्ष 2025 तक संपूर्ण भारत को रोग मुक्‍त करके व‍िकास के पथ पर ले जाना है। इसके अंतर्गत प्रत‍ि वर्ष 50 करोड़ गरीब पर‍िवारों को स्‍वास्‍थ्‍य लाभ पहुंचाना तथा 5 लाख रुपये तक का मेडिकल बीमा कवर देना है।
O कौन- कौन सी बीमारियां होंगी शाम‍िल- आयुष्‍मान भारत योजना में प्रत‍ि परिवार हर साल 5 लाख रुपये तक का स्‍वास्‍थ्‍य बीमा ले सकता है। मोदी केयर में पुरानी बीमार‍ियों को भी कवर किया जायेगा। किसी बीमारी की स्‍थिति में अस्‍पताल में एडम‍िट होने से पहले और बाद के खर्च भी कवर किये जायेंगे। इसमें ट्रांसपोर्ट पर होनक वाला खर्च भी शाम‍िलहै। किसी बीमारी की स्‍थिति में सभी मेड‍िकल जांच, ऑपरेशन और इलाज आद‍ि इसके त‍हत कवर होंगे।
परिजनों का कहना है कि डीकेएस में भटकने के बाद भी इलाज नहीं होने पर उन लोगों ने जगदलपुर के नव-निर्वाचित विधायक रेखचंद्र जैन को इसकी शिकायत की। कहा कि आधार कार्ड नहीं होने पर दो वर्षीय ललिता का इलाज नहीं हो पा रहा है। विधायक ने इस संबंध में हॉस्पिटल प्रबंधन से चर्चा की, तब कहीं जाकर आज दोपहर उसे भर्ती किया गया। परिजनों का कहना है कि फिलहाल बच्ची का इलाज शुरू हुआ है। ऑपरेशन की तारीख अभी नहीं दी गई है। उन्हें भरोसा है कि अब उसकी बच्ची का आयुष्मान योजना के तहत यहां इलाज हो जाएगा। इनपुट-छत्तीसगढ़ 


टीबी : 30 देशों में भारत शीर्ष पर

 [TODAY छत्तीसगढ़] /  भारत में टीबी के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। टीबी एक जानलेवा रोग है, जिसका कारण बढ़ता प्रदूषण भी हो सकता है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार देश में नवंबर 2018 तक टीबी के मरीजों की संख्या 18.62 लाख हो गई है जबकि पिछले साल ये आंकड़ा 18.27 लाख था। आपको बता दें कि वर्ष 2016 में इस बीमारी से देश में 4,23,000 लोगों की मौत हुई।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने टीबी को पूरी तरह खत्म करने का लक्ष्य 2030 रखा है जबकि केंद्र की मौजूदा सरकार ने 2025 तक टीबी (तपेदिक) को पूरी तरह खत्म करने का लक्ष्य रखा है। इस लक्ष्य की पूर्ति के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय ने क्षय रोग (2017-2025) के लिए राष्ट्रीय रणनीतिक योजना (एनएसपी) विकसित की है। इसके तहत सभी टीबी मरीजों की यथाशीघ्र जांच, उपयुक्त मरीज सहायता प्रणाली के साथ गुणवत्ता वाली दवाओं और उपचार व्यवस्था मुहैया कराई जाएंगी।
 30 देशों में भारत शीर्ष पर -
भारत उन 30 देशों में शीर्ष पर है, जहां टीबी के मामले ज्यादा हैं। पिछले साल टीबी से ग्रस्त एक करोड़ लोगों में से 27 प्रतिशत भारत के थे। रिपोर्ट के मुताबिक, टीबी होने की जानकारी न देना या टीबी की सही जांच न हो पाना एक बड़ी चुनौती है। 2017 में टीबी से बीमार होने वाले एक करोड़ लोगों में से केवल 64 लाख लोगों के टीबी से बीमार होने के आधिकारिक आंकड़े दर्ज हुए। रिपोर्ट के मुताबिक, भारत, इंडोनेशिया और नाइजीरिया सूची में शीर्ष पर हैं।
प्रदूषण हो सकता है बड़ा कारण
अध्ययन बताते हैं कि प्रदूषण के कारण टीबी का खतरा 2-3 गुना बढ़ जाता है। प्रदूषण के कारण सिलकोसिस रोग का खतरा 30 गुना तक बढ़ जाता है और सिलकोसिस रोग टीबी का एक बड़ा कारण है। वैज्ञानिक शोध बताते हैं कि वातावरण में पीएम 2.5, नाइड्रोजन डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड व कार्बन मोनोऑक्साइड की मात्रा बढ़ने से टीबी होने का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में अगर प्रदूषण पर नियंत्रण नहीं किया गया, तो 2025 तक देश को टीबी मुक्त बनाने का लक्ष्य पूरा होना मुश्किल मालूम पड़ता है। 
क्या हैं टीबी के लक्षण
तीन हफ्ते से ज्यादा खांसी।
बुखार (जो खासतौर पर शाम को बढ़ता है)।
छाती में तेज दर्द।
वजन का अचानक घटना।
भूख में कमी आना।
बलगम के साथ खून का आना।
बहुत ज्यादा फेफड़ों का इंफेक्शन होना।
सांस लेने में तकलीफ।  [इनपुट्स- भाषा]

दिल के रोग, जागरूकता की कमी

TODAY छत्तीसगढ़  / महिलाओं में हृदय रोगों के लक्षण पुरुषों से अलग होते हैं। आमतौर पर प्रचलित लक्षणों से मिलान करने के कारण महिलाओं में होने वाले हृदय रोग के बारे में काफी देर से पता चलता है। यह बात हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष डॉ. केके अग्रवाल ने बुधवार को संवाददाता सम्मेलन में की। हाल ही में आयोजित हो रहे दिल का दरबार कार्यक्रम के लिए डॉ. अग्रवाल ने बताया कि महिलाओं में दिल की बीमारियों के लक्षण अलग होते हैं। जागरूकता की कमी के कारण रोग वक्त पर सामने नहीं आ पाता है। उन्होंने कहा कि स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर रोग की आशंका घटाई जा सकती है।

क्या है हार्ट अटैक

हार्ट अटैक वो है जिसमें किसी ब्लॉकेज के कारण दिल को खून नहीं मिल पाता है। जब दिल रक्त नलिकाओं में किसी तरह के अवरोध के कारण हृदय की धमनियों को खून नहीं मिल पाता या पर्याप्त मात्रा में नहीं मिल पाता तो वो मर जाती हैं। धमनियां चूंकि तीन होती हैं इसलिए दिल के जितने हिस्से को प्रभावित धमनी से खून मिल रहा था, दिल का उतना हिस्सा भी मर जाता है जबकि शेष दो धमनियों में मिलने वाले खून के सहारे दिल का बाकी हिस्सा चलता रहता है। इस कारण अगर कार्डियक अरेस्ट हो गया तो मरीज की मिनटों में मौत संभव है और अगर कार्डियक अरेस्ट नहीं हुआ है तो मरीज को बचाया भी जा सकता है।

कोरोनरी आर्टरी डिजीज के मुख्‍य कारण

कोरोनरी आर्टरी डिजीज या कार्डियो वस्क्युलर बीमारी के ज्यादातर मामलों का मुख्य कारण अथीरोमा कही जाने वाली वसा धमनियों के अंदर जम जाती है। समत के साथ-साथ ये सतह बढ़ी होती जाती है और खून के बहाव में रूकावट होने लगती है और एंजाइना का दर्द होने बन जाता है।  ऐसा अधिकतर तब होता है जब इस सतह पर खून का थक्का बन जाता है। ऐसा होने पर हृदय की मांसपेशी के एक हिस्से में अचानक खून की कमी हो जाती है और वह क्षतिग्रस्त हो जाता है। इस अवस्था को ही हार्ट अटैक कहते हैं। अगर ये क्षति सीमित हो तो हृदय अपनी पहली वाली अवस्था में लौट सकता है लेकिन यदि नुकसान अधिक हो तो मौत भी हो सकती है।

कैसे संभव है बचाव

दिल की तमाम बीमारियों की तरह इस बीमारी से बचाव के लिए भी आपको अपनी जीवनशैली में थोड़ा-बहुत बदलाव करना पड़ेगा। अच्छे, सेहतमंद और पौष्टिक आहार का सेवन करना, फास्टफूड्स से दूर रहना, सिगरेट-शराब आदि नशीले पदार्थों का सेवन न करना और शरीर की जरूरत के अनुसार भरपूर नींद लेना आदि बातों को अपने जीवन में शामिल करके आप एक स्वस्थ जीवन जी सकते हैं। और हां! सबसे महत्वपूर्ण बात जीवन में रोजाना थोड़ा बहुत व्यायाम और शारीरिक मेहनत जरूरी है। अगर आप कुछ नहीं कर सकते तो कम से कम कुछ समय पैदल चलिए, सीढ़ियां चढ़िये और डांस कीजिए। तनाव भी दिल की बीमारियों की एक बड़ी वजह है इसलिए तनाव न लें। TODAY छत्तीसगढ़ के WhatsApp ग्रुप में जुड़ने के लिए क्लिक करें -

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