STATE

नई दिल्ली, छत्तीसगढ़, Politics, बिहार

GUEST COLUMN

Guest Column

EDITOR CHOICE

Editor Choice

TRAVELLING STORY

TRAVELLING STORY

TCG EXCLUSIVE

टीसीजी एक्सक्लूसिव, इतिहास

VIDEO

VIDEO

कैमरे की कलम: 'फोटो फ्रेम में सत्ता, फुटनोट में जनता'


इन दिनों सोशल मीडिया पर यह तस्वीर कुछ इस तरह वायरल है, जैसे किसी सूबे में बाढ़ आ गई हो और हज़ारों परिवारों से आशियाने छिन गए हों। हालाँकि इस तस्वीर में सिर्फ मुस्कानें हैं - महँगी, सुरक्षित और वातानुकूलित। यह तस्वीर एक शादी समारोह की है। यहां सत्ता और ताक़तवर लोग केंद्र में हैं। दूल्हा है —अमन सिंह (रिटायर्ड आईआरएस ) का बेटा । अमन सिंह, छत्तीसगढ़ में डॉ. रमन सिंह की सरकार में सर्वशक्तिमान मुख्य सचिव रहे। राज्य की राजनीति जिनकी भौंहों की हरकत से दिशा तय करती थी और नौकरशाही जिनसे नज़र मिलाने से पहले कैलेंडर देखती थी। रिटायर हुए तो देश के सबसे ताकतवर पूंजीपतियों में शुमार अडानी समूह से जुड़ गये। यानि सरकारी फाइल से कॉरपोरेट फोल्डर तक की यात्रा, बिना किसी ब्रेकडाउन के।

इतने प्रभावशाली व्यक्ति के बेटे की शादी हो और सरकार बहादुर न पहुँचे — ऐसा सोचना लोकतंत्र के विरुद्ध है। दिल्ली दरबार से लेकर अलग-अलग सूबों के सियासतदान, चाहे सत्ता में हों या विपक्ष में। सब बारात में शरीक हुये। इस महफ़िल में वे पत्रकार भी मौजूद थे जो सत्ता और पूंजी के बीच पुल नहीं — फ्लाईओवर की भूमिका में हैं। ख़ुशनुमा माहौल में कैमरे क्लिक होते रहे, इतिहास सुरक्षित होता रहा और इन सबके बीच सैकड़ों सवाल कहीं बाहर छूट जाते हैं। 

मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में हुई यह शाही शादी आज के संदर्भ में इसलिए खास है क्योंकि तस्वीर में जो हँसी है वह छत्तीसगढ़ की हालिया सूरत से सीधा टकराती है। तस्वीर के केंद्र में — गौतम अडानी है। उनके इर्द-गिर्द — छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री और विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह, वर्तमान मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय, दिल्ली दरबार के बड़े नेता राजीव प्रताप रूड़ी, संगठन की कमान से सियासी अखाड़े में तीरंदाजी करने वाले सौदान सिंह, पूर्व सांसद और भाजपा की प्रभावशाली नेत्री सरोज पांडेय के अलावा सत्ता की निरंतरता के अन्य गवाह बैठे हैं।

यह पारिवारिक फोटो नहीं है। यह उस गठजोड़ का सामूहिक चित्र है जो चुनावों से नहीं बदलता। कहावत यूँ ही नहीं बनी — सियासत और पूंजीपतियों का हनीमून कभी खत्म नहीं होता। यह रिश्ता सात फेरों से नहीं, नीतियों, परियोजनाओं और एमओयू से बंधा होता है। यहाँ जनता की भूमिका साफ़ है, वह सिर्फ फोटोग्राफ़र है। वो तस्वीर खींचती है, जो हमेशा फ्रेम से बाहर रहती है। सरकारें बदलती हैं, घोषणापत्र बदलते हैं, नारे बदलते हैं लेकिन निवेशक वही रहते हैं। बस कुर्सी के सामने बैठने वाला चेहरा बदल जाता है।

शादी समारोह में भोजन की मेज पर जमी सत्ता और पूंजी की यह महफ़िल आगे और कितने गुल खिलाएगी यह भविष्य नहीं, बस्तर तय करेगा। फिलहाल तो राज्य के जंगल, खासकर हसदेव इस तस्वीर को देखकर सिहर रहा हैं। छत्तीसगढ़ के जंगल इन दिनों किसी प्राकृतिक आपदा से नहीं, बल्कि तथाकथित विकास पुरुषों की दृष्टि से सबसे अधिक संकट में हैं। फर्क बस इतना है कि इस आपदा को सरकारी फाइलों में “परियोजना”, कॉरपोरेट प्रस्तुतियों में “निवेश” और मीडिया की सुर्खियों में “रोज़गार सृजन” कहा जा रहा है। इनके लिये जंगल अब पेड़ों का समूह नहीं “अवरोध” बन चुके हैं। नदियाँ जीवनदायिनी नहीं बल्कि “अनुपयोगी संसाधन” हैं। आदिवासी समाज संस्कृति नहीं, बल्कि “पुनर्वास की समस्या” है और वन्यजीव ? वे तो विकास के रास्ते में आने वाले आंकड़े भर हैं। 

जिस देश में संविधान ने आदिवासियों को जंगलों का संरक्षक माना, उसी देश में उन्हें अपने ही घर में अवैध घोषित किया जा रहा है। ग्राम सभा की सहमति अब एक औपचारिक मुहर भर है, जिसे परियोजना की गति के अनुसार लगाया या हटाया जा सकता है। विडंबना यह है कि जिन लोगों ने सदियों तक जंगल बचाया, वे आज “वन भूमि पर अतिक्रमणकारी” कहलाते हैं, और जिनका जंगल से रिश्ता सिर्फ मुनाफ़े का है, वे विकास दूत बन गये हैं। 

जब तस्वीरों में सब बहुत सुरक्षित, बहुत खुश और बहुत संतुष्ट दिखें तो समझ लीजिए कहीं न कहीं कोई जंगल कट चुका है, कोई नदी दम तोड़ चुकी है और कोई आदिवासी पुनर्वास के वादे में गायब हो चुका है। यह मुलाक़ात शिष्टाचार की मिसाल भी हो सकती है लेकिन छत्तीसगढ़ के जंगलों, नदियों और ज़मीनों को विकास की रफ्तार में समय से भी तेज़ चलते देखकर मुझे तो डर लगता है। आपका पता नहीं ... 

उप मुख्यमंत्री से मिलीं अंतरराष्ट्रीय मुक्केबाज मैरी कॉम, राज्य में खेल सुविधाओं के विकास पर हुई चर्चा


बिलासपुर।
 TODAY छत्तीसगढ़  /उप मुख्यमंत्री तथा खेल एवं युवा कल्याण मंत्री अरुण साव से छह बार की बॉक्सिंग विश्व चैंपियन एवं ओलंपिक पदक विजेता, प्रसिद्ध मुक्केबाज एम.सी. मैरी कॉम ने सौजन्य मुलाकात की। श्री साव ने अपने नवा रायपुर स्थित शासकीय निवास कार्यालय में मुलाकात के दौरान उन्हें राज्य में खेलों के विकास और खेल प्रतिभाओं को तराशने के लिए किए जा रहे कार्यों की जानकारी दी। अंतरराष्ट्रीय मुक्केबाज मैरी कॉम जगदलपुर में आयोजित बस्तर ओलंपिक-2025 के संभाग स्तरीय प्रतियोगिताओं के शुभारंभ समारोह में शामिल होने छत्तीसगढ़ आई थीं। उन्होंने 11 दिसम्बर को इसमें शामिल होकर खिलाड़ियों की हौसला अफजाई की।

उप मुख्यमंत्री श्री साव ने अभावों और मुश्किलों के बीच अपनी प्रतिभा, मेहनत और दृढ़ संकल्प से विश्व चैंपियनशिप और ओलंपिक जैसे अंतरराष्ट्रीय मंचों में भारत का नाम रोशन करने वाली मैरी कॉम की लंबी खेल यात्रा की प्रशंसा की। श्री साव ने कहा कि मैरी कॉम देश का गौरव और प्रेरणा हैं। उनकी उपस्थिति से बस्तर के खिलाड़ियों को आगे बढ़ने और मेहनत करने की प्रेरणा जरूर मिली होगी। उन्होंने बस्तर ओलंपिक में शामिल होने छत्तीसगढ़ आने के लिए मैरी कॉम को धन्यवाद दिया। 

मैरी कॉम ने अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं के अपने अनुभव साझा करते हुए उप मुख्यमंत्री श्री साव से छत्तीसगढ़ के युवाओं के खेल में सुधार के लिए हरसंभव मदद की बात कही। उन्होंने बस्तर ओलंपिक के आयोजन की सराहना करते हुए कहा कि दूरस्थ गांवों से पहुंचे युवाओं को देख उनकी पुरानी यादें ताजा हो गईं। बस्तर ओलंपिक वहां के युवाओं को अपनी प्रतिभा दिखाने का अच्छा मंच है। उन्होंने आयोजन की व्यवस्थाओं की सराहना करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार खेलों और खिलाड़ियों को बढ़ावा देने के लिए अच्छा काम कर रही है। आने वाले समय में यहां के खिलाड़ी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी मेडल जरूर जीतेंगे। उन्होंने बस्तर ओलंपिक में शामिल होने के लिए आमंत्रित किए जाने पर राज्य शासन के प्रति आभार व्यक्त किया। 

#KOPRACALLING: बिलासपुर जिले का कोपरा जलाशय राज्य का पहला रामसर साइट घोषित, भारत ने बढ़ाई पर्यावरणीय ताकत


बिलासपुर। 
TODAY छत्तीसगढ़  / भारत ने छत्तीसगढ़ के कोपरा जलाशय (बिलासपुर) और राजस्थान की सिलिसेर झील को अंतरराष्ट्रीय महत्व वाले आर्द्र स्थलों की रामसर सूची में शामिल कर लिया है। इन दो नए स्थलों के जुड़ने से देश में रामसर स्थलों की संख्या बढ़कर 96 हो गई है। 

प्रदेश के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और वन मंत्री केदार कश्यप ने अपने ऑफिशियली सोशल हेंडल X पर ट्वीट करके ख़ुशी वक्त करते हुए पक्षी संरक्षण की दिशा में बड़ी उपलब्धि बताई है साथ ही यह उपलब्धि प्रदेश में इको-टूरिज्म व स्थानीय रोजगार के नए अवसर खोलेगी और वेटलैंड संरक्षण के प्रति जन-जागरूकता को भी मजबूत करेगी। 

कोपरा जलाशय : छत्तीसगढ़ का नया रामसर स्थल

छत्तीसगढ़ के बिलासपुर ज़िले में स्थित कोपरा जलाशय (स्थल संख्या 2583) महानदी के ऊपरी जलग्रहण क्षेत्र में बना एक महत्वपूर्ण जलाशय है। मूल रूप से सिंचाई के लिए निर्मित यह क्षेत्र आज आसपास की कृषि भूमि और गांवों का आधार है।

जलाशय के विस्तृत खुले जल क्षेत्र में उथले और पोषक तत्वों से समृद्ध बैकवाटर मौजूद हैं, जो इसे पारिस्थितिकी की दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण बनाते हैं। यहां 60 से अधिक प्रवासी पक्षी प्रजातियाँ पाई जाती हैं, जो घोंसले बनाने, भोजन और प्रवास के दौरान ठहरने के लिए इस पर निर्भर रहती हैं।

इनमें संकटग्रस्त greater spotted eagle (Aquila clanga) and the endangered Egyptian vulture (Neophron percnopterus) खासतौर पर उल्लेखनीय हैं। प्राकृतिक सौंदर्य और पक्षी अवलोकन के कारण यह स्थल स्थानीय लोगों और पर्यटकों के बीच लोकप्रिय है। हालांकि, गाद जमाव, आक्रामक प्रजातियों और कृषि विस्तार के कारण यह क्षेत्र खतरे का सामना कर रहा है। संरक्षण उपाय प्रस्तावित हैं, पर प्रबंधन योजना अभी तैयार की जानी है। 



सिलिसेर झील : राजस्थान का महत्वपूर्ण मानव-निर्मित आर्द्र क्षेत्र

राजस्थान के अलवर जिले में स्थित सिलिसेर झील (स्थल संख्या 2581) सरिस्का टाइगर रिज़र्व के बफर ज़ोन में बनी एक ऐतिहासिक मानव-निर्मित झील है। अर्ध-शुष्क क्षेत्र में स्थित यह झील आसपास की जैव विविधता के लिए एक प्रमुख जल स्रोत का कार्य करती है।

यहां 149 पक्षी और 17 स्तनधारी प्रजातियाँ पाई जाती हैं। इनमें संकटग्रस्त रिवर टर्न तथा लुप्तप्राय बाघ प्रमुख हैं। यह झील काली सारस की विश्व आबादी के 1% से अधिक को भी सहारा देती है, जो इसे वैश्विक स्तर पर भी महत्वपूर्ण बनाता है।

उन्नीसवीं सदी के मध्य में निर्मित यह झील समय के साथ एक सांस्कृतिक और सामाजिक पहचान बन चुकी है। सिलिसेर लेक पैलेस से घिरी यह झील स्थानीय समुदाय को लंबे समय से पेयजल उपलब्ध कराती रही है और पर्यटन का प्रमुख आकर्षण भी रही है। मगर बढ़ती कृषि गतिविधियाँ और मानव बस्तियों का विस्तार इसके लिए चुनौती बने हुए हैं। फिलहाल इसके संरक्षण और पुनर्स्थापन की योजना पर काम जारी है।

Bilaspur: ईंट भट्ठे पर बंधक बनाए गए 16 श्रमिकों की सकुशल घर वापसी


बिलासपुर। 
TODAY छत्तीसगढ़  / साप्ताहिक जनदर्शन में मंगलवार (9 दिसंबर 2025) को ग्राम सरगवां, मस्तूरी निवासी अमित कुमार मधुकर द्वारा एक गंभीर शिकायत प्रस्तुत की गई। शिकायत में बताया गया कि गांव के 16 श्रमिक (महिला, पुरुष) और दो बच्चे झारखंड के सेमडेगा जिले में स्थित एक ईंट भट्ठे पर बंधक बनाकर अमानवीय परिस्थितियों में काम कराया जा रहा है। श्रमिकों के साथ मारपीट, छेड़छाड़ और जबरन श्रम कराने की जानकारी भी दी गई। कलेक्टर संजय अग्रवाल ने मामले को अत्यंत संवेदनशील मानते हुए तत्काल श्रम विभाग को आवश्यक कार्रवाई के निर्देश दिए।


ठेकेदार को कारण बताओ नोटिस, कानूनी कार्रवाई की तैयारी

श्रम विभाग ने शिकायत को तत्काल संज्ञान में लेते हुए संबंधित लेबर ठेकेदार नीलकंठ अंबेडकर को कारण बताओ सूचना पत्र जारी किया है।
विभाग ने बताया कि आगामी दिनों में मामले को माननीय श्रम न्यायालय में प्रस्तुत कर अभियोजन की कार्रवाई प्रारंभ की जाएगी।


झारखंड प्रशासन से समन्वय, श्रमिकों को मुक्त कराने की पहल

बिलासपुर जिला प्रशासन ने मामले की गंभीरता को देखते हुए सेमडेगा जिला प्रशासन (झारखंड) से तुरंत संपर्क कर समन्वय स्थापित किया और श्रमिकों को मुक्त कराने की प्रक्रिया शुरू की।
प्रशासनिक स्तर पर तेज़ कार्रवाई के बाद श्रमिकों को बंधन से छुड़ाया जा सका।


10 दिसंबर की सुबह सभी श्रमिक सकुशल घर लौटे

प्रशासनिक प्रयासों के परिणामस्वरूप 10 दिसंबर की सुबह, सभी श्रमिक—महिला, पुरुष एवं दो बच्चे—सुरक्षित अपने गांव सरगवां, तहसील मस्तूरी वापस पहुंचे।
घर लौटने पर श्रमिकों और उनके परिजनों ने कलेक्टर, श्रम विभाग और जिला प्रशासन के प्रति आभार व्यक्त किया।

© all rights reserved TODAY छत्तीसगढ़ 2018
todaychhattisgarhtcg@gmail.com