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खेल महोत्सव का समापन, सांसद कला महोत्सव शुरू करने तोखन ने किया ऐलान


बिलासपुर। 
TODAY छत्तीसगढ़  /  केन्द्रीय राज्य मंत्री श्री तोखन साहू ने आज स्थानीय बहतराई खेल स्टेडियम में आयोजित समारोह में सांसद खेल महोत्सव का रंगारंग समापन किया। उन्होंने पहली बार आयोजित सांसद खेल महोत्सव की सफलता से उत्साहित होकर इसी तर्ज पर सांसद कला महोत्सव जल्द शुरू करने की घोषणा की। लगभग डेढ़ महीने तक चले इस महोत्सव में बिलासपुर एवं मुंगेली जिले की ग्राम पंचायत से जनपद एवं जिला स्तर पर 12 हजार से अधिक खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया। फाइनल प्रतियोगिता में विजेता खिलाड़ियों को केंद्रीय राज्य मंत्री तोखन साहू ने स्मृति चिन्ह, प्रमाण पत्र और नगद राशि देकर सम्मानित किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता विधायक बेलतरा श्री सुशांत शुक्ला ने की। 

     इस मौके पर तोखन साहू ने कहा कि प्रधानमंत्री ने वर्ष 2047 तक विकसित भारत बनाने का संकल्प लिया है। यह तभी संभव होगा जब हर आदमी स्वस्थ एवं फिट रहे। इसके लिए हर आदमी को अपनी रूचि के अनुरूप कोई न कोई खेल में हिस्सा लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि सांसद खेल महोत्सव में स्थानीय स्तर पर प्रचलित खेलों को शामिल किया गया ताकि अधिकाधिक लोग इसमें भाग लेकर अपनी प्रतिभा को निखार सकें। कबड्डी,खो-खो, रस्साकसी, नीबू दौड़, बोरा दौड़ जैसे एक दर्जन खेल प्रतियोगिताओं को शामिल किया गया। इन खेलों को हमें भूलना नहीं है। उन्होंने कहा भविष्य में सांसद खेल महोत्सव का दायरा और बढ़ाकर व्यापक रूप में आयोजित किया जायेगा। श्री साहू ने बताया कि आगामी 25 दिसम्बर को माननीय प्रधानमंत्री सांसद खेल महोत्सव में भाग लेने वाले खिलाड़ियों को वचुअल सम्बोधित करेंगे।  

      कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए विधायक सुशांत शुक्ला ने कहा कि प्रधानमंत्री  की मंशा के अनुरूप सांसद खेल महोत्सव आयोजित किये गए। मैं स्वयं ग्रामीण स्तर के कई आयोजन में शामिल हुआ। खेल के प्रति लोगों में अपार उत्साह देखा गया। एक प्रकार से हमारी प्राचीन और परम्परागत खेलों को एक बार फिर मंच मिल पाया है। खेलों से हमारी एकाग्रता और सामूहिकता की भावना बढ़ती है। 

फाइनल प्रतियोगिता के परिणाम -

कबड्डी बालक वर्ग में प्रथम स्थान मुंगेली, द्वितीय पथरिया, तृतीय बिल्हा, कबड्डी बालिका वर्ग में प्रथम स्थान मस्तुरी, द्वितीय पथरिया, तृतीय स्थान बिल्हा, रस्साकसी पुरुष वर्ग में प्रथम स्थान मस्तुरी, द्वितीय तखतपुर, तृतीय बिल्हा, रस्साकसी महिला वर्ग में प्रथम स्थान तखतपुर, द्वितीय बिल्हा, तृतीय पथरिया, फुटबॉल के पुरुष वर्ग में प्रथम स्थान कोटा, द्वितीय कोटा नगर पंचायत, तृतीय बिल्हा, फुटबॉल महिला वर्ग में प्रथम स्थान बिल्हा, द्वितीय कोटा, वॉलीबॉल पुरुष वर्ग में प्रथम स्थान तखतपुर, द्वितीय मस्तुरी, तृतीय लोरमी, वॉलीबॉल महिला वर्ग में प्रथम स्थान मस्तुरी, द्वितीय कोटा, तृतीय लोरमी, 100×4 मीटर दौड़ में प्रथम स्थान नगर पालिक निगम बिलासपुर, द्वितीय कोटा एवं तृतीय स्थान लोरमी को मिला। चैम्पियन ट्रॉफी में प्रथम एवं द्वितीय स्थान जनपद पंचायत कोटा को दिया गया। बिलासपुर जिले की मस्तुरी, बिल्हा, तखतपुर, कोटा एवं मुंगेली जिले की लोरमी, पथरिया एवं मुंगेली जिले के 12 हजार से ज्यादा खिलाड़ी प्रतियोगिता में शािमल हुए। कबड़डी, 4 सौ मीटर दौड़, बोरा दौड़, पैदल दौड़, रस्साकशी, 100 मीटर रिले दौड़, फूटबाल, नीबू दौड़, लगोरी, बालीबाल और तीरंदाजी प्रतियोगिता महोत्सव में शामिल थे। कलेक्टर संजय अग्रवाल एवं जिला पंचायत सीईओ संदीप अग्रवाल के मार्गदर्शन में खेल अधिकारी ए एक्का,बिल्हा सीईओ कुमार लहरे, मस्तुरी सीईओ जेआर भगत, कोटा सीईओ युवराज सिन्हा, तखतपुर सीईओ श्री तिवारी एवं पूरी टीम का सक्रिय योगदान रहा है।

पल्स पोलियो अभियान: जिले में 2 लाख 62 हजार से अधिक बच्चों को पिलाई गई दवा


बिलासपुर। 
TODAY छत्तीसगढ़  /  जिले में राष्ट्रीय पल्स पोलियो अभियान में  जिले के 2 लाख 62 हजार 816 बच्चों को पोलियो की खुराक पिलाई गई। जिले ने निर्धारित लक्ष्य के विरुद्ध 94.49 प्रतिशत उपलब्धि हासिल की है। बेलतरा विधायक श्री सुशांत शुक्ला और  महापौर श्रीमती पूजा विधानी ने शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, राजकिशोर नगर में बच्चों को पोलियो की खुराक पिलाकर अभियान का शुभारंभ किया। जिला स्तरीय पल्स पोलियो टीकाकरण अभियान का शुभारंभ मातृ एवं शिशु अस्पताल, जिला चिकित्सालय बिलासपुर  महापौर श्रीमती पूजा विधानी एवं कलेक्टर श्री संजय अग्रवाल द्वारा बच्चों को पोलियो की खुराक पिलाकर किया गया। 

        जिला अस्पताल में इस अवसर पर सीएमएचओ डॉ. शुभा गरेवाल,डॉ. अनिल गुप्ता सिविल सर्जन सह मुख्य अस्पताल अधीक्षक, जिला क्षय नियंत्रण अधिकारी डॉ. गायत्री बांधी, डॉ. रक्षित जोगी जिला सर्विलेंस अधिकारी/शहरी खण्ड चिकित्सा अधिकारी,सुश्री प्यूली मजूमदार (डीपीएम) एवं स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी-कर्मचारी उपस्थित थे। अभियान  के पहले दिन 21 दिसंबर 2025 को जिले में 1520 बूथों तथा ट्रांजिट दल/मोबाइल टीमों के माध्यम से बच्चों को पोलियो की खुराक पिलाई गई। शेष बच्चों को कवर करने के लिए अभियान के दूसरे एवं तीसरे दिन 22 व 23 दिसंबर 2025 को स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं,आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं व मितानिनों द्वारा घर-घर भ्रमण कर पोलियो की दवा पिलाई जाएगी।

   कलेक्टर श्री संजय अग्रवाल ने जिले के समस्त पालकों एवं अभिभावकों से अपील की है कि 0 से 5 वर्ष आयु वर्ग के कोई भी बच्चे पोलियो खुराक से वंचित न रहें। घर-घर भ्रमण के दौरान आने वाली स्वास्थ्य टीमों को सहयोग प्रदान कर अपने बच्चों को पोलियो की दवा पिलाकर इस महत्वपूर्ण अभियान को सफल बनाने में सहभागी बनें।

High Court: पुलिस अफसर पर यौन उत्पीड़न का आरोप, अग्रिम जमानत नामंजूर


बिलासपुर। 
 TODAY छत्तीसगढ़  / यौन उत्पीड़न के गंभीर आरोपों में फंसे एक पुलिस अधिकारी को छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट से कोई राहत नहीं मिली है। हाई कोर्ट की सिंगल बेंच ने आरोपी की अग्रिम जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा कि आरोपी पुलिस अफसर है और उसे अग्रिम जमानत देने पर गवाहों को प्रभावित करने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि आरोपों की प्रकृति अत्यंत गंभीर है, ऐसे में राहत देने का कोई आधार नहीं बनता।

मामला दुर्ग जिले के पुराना भिलाई थाना क्षेत्र का है। यहां रहने वाली एक महिला की शिकायत पर पुलिस अधिकारी अरविंद कुमार मेढ़े के खिलाफ यौन उत्पीड़न का अपराध दर्ज किया गया है। पीड़िता ने एफआईआर में बताया कि उसका बेटा पॉक्सो एक्ट के एक मामले में जेल में बंद है। इसी का फायदा उठाकर आरोपी अधिकारी ने बेटे की जमानत कराने का झांसा दिया और उससे संपर्क बढ़ाया।

पीड़िता के अनुसार, 18 नवंबर 2025 की शाम उसे थाने बुलाया गया, जहां महिला पुलिसकर्मियों द्वारा कुछ दस्तावेजों पर हस्ताक्षर कराए गए। इसके बाद आरोपी ने फोन कर उसे चरौदा बस स्टैंड बुलाया और अपनी गाड़ी में बैठाकर एक सुनसान जंगल वाले इलाके में ले गया। वहां आरोपी ने शारीरिक संबंध बनाने का दबाव डाला, गले लगाया और अश्लील हरकतें कीं। मासिक धर्म की जानकारी देने पर आरोपी ने उसे छोड़ दिया और दो दिन बाद फिर मिलने की बात कही।

घटना के लगभग 24 घंटे बाद, 19 नवंबर 2025 की शाम करीब छह बजे पीड़िता ने थाने में आरोपी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई। इसके बाद आरोपी की ओर से हाई कोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका दायर की गई, जिसमें आरोपों को निराधार बताते हुए एफआईआर में देरी और आपराधिक रिकॉर्ड न होने की दलील दी गई। हालांकि, कोर्ट ने इन तर्कों को स्वीकार नहीं किया और याचिका खारिज कर दी।

इस आदेश के जरिए हाई कोर्ट ने स्पष्ट संकेत दिया है कि वर्दी या पद की आड़ में किए गए अपराधों पर न्यायालय सख्त रुख अपनाएगा। साथ ही, यह फैसला यौन अपराधों में पीड़ितों की शिकायतों को गंभीरता से लेने और जांच को स्वतंत्र व निष्पक्ष बनाए रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।

जिस डॉक्टर पर एक्सपायर्ड दवा देने से मौत का आरोप, उसे ‘स्पेशलिस्ट’ बताकर फिर से सेवा ले रहा वन विभाग


रायपुर।
  TODAY छत्तीसगढ़  / छत्तीसगढ़ के जंगलों में इन दिनों जो हो रहा है, वह किसी प्राकृतिक आपदा का नतीजा नहीं, बल्कि प्रशासनिक निष्क्रियता का खुला प्रदर्शन है। बाघ, तेंदुआ, बाइसन और हाथी जैसा संवेदनशील, विशालकाय वन्यप्राणी एक-एक कर मारे जा रहे हैं, लेकिन जंगलों के तथाकथित रक्षक 'छत्तीसगढ़ वन विभाग' अब भी फाइलों और फार्मेलिटी की आड़ में बेशर्मी से छिपे हुए हैं। इसी बीच वन विभाग की कार्यप्रणाली पर एक और गंभीर सवाल खड़े करने वाला मामला सामने आया है, जिसमें जिस वन्यप्राणी चिकित्सक पर बाइसन की मौत का आरोप लगा उसी से शासन के स्पष्ट आदेशों के विपरीत दोबारा सेवाएं ली जा रही हैं। 

राज्य के अलग-अलग इलाकों से शिकार की लगातार सामने आ रही घटनायें इस बात का सबूत हैं कि राज्य में वन्यजीव संरक्षण व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त हो चुकी है। यह कहना अब गलत नहीं होगा कि छत्तीसगढ़ “शिकार का हॉटस्पॉट” नहीं, बल्कि “शिकारगढ़” बनता जा रहा है। अफसोस यह है कि इस बदलाव का श्रेय बंदूकधारी शिकारियों से ज्यादा दफ्तरों में बैठे अफसरों को जाता है। 

बीते दिनों सूरजपुर जिला में बाघ के शिकार, भोरमदेव अभ्यारण में चार बाइसन (गौर) की मौत, खैरागढ़, भोरमदेव और कांकेर में तेंदुओं के शिकार, तथा उदंती-सीता नदी टाइगर रिजर्व में दो सांभरों के शिकार की घटनाएं सामने आ चुकी हैं। इन घटनाओं ने वन विभाग की जवाबदेही और निगरानी व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं। ऐसे विपरीत हालातों में राज्य वन विभाग की कार्यप्रणाली पर एक और गंभीर सवाल खड़े करने वाला मामला सामने आया है, जिसमें जिस वन्यप्राणी चिकित्सक पर बाइसन की मौत का आरोप लगा उसी से शासन के स्पष्ट आदेशों के विपरीत दोबारा सेवाएं ली जा रही हैं। आखिर इसमें किसका कैसा स्वार्थ निहित है ? 


जनवरी 2025 में बरनावापारा अभ्यारण से गुरु घासीदास नेशनल पार्क भेजी गई एक मादा बाइसन की मौत के मामले में गंभीर आरोप लगे थे। विवेचना में मुख्य वन्यजीव संरक्षक (वन्यप्राणी) सह फील्ड डायरेक्टर उदंती-सीता नदी टाइगर रिजर्व सतोविषा समाजदार ने स्पष्ट उल्लेख किया कि एक्टिवान दवा के कालातीत (एक्सपायर्ड) होने और उसी दवा के उपयोग के कारण ट्रांसलोकेट की गई मादा गौर की मृत्यु संभावित प्रतीत होती है।


इस रिपोर्ट के आधार पर तत्कालीन प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) सुधीर अग्रवाल ने 2 मार्च 2025 को वन्यप्राणी चिकित्सक डॉ. राकेश वर्मा को आगामी आदेश तक वन्यप्राणी से जुड़े सभी कार्यों से तत्काल पृथक करने के आदेश जारी किए थे। साथ ही अलग आदेश में उन्हें वन्यप्राणी उपचार, निदान और संबंधित सभी कार्यों से हटाया गया था।

उल्लेखनीय है कि डॉ. राकेश वर्मा इससे पहले रायपुर जंगल सफारी में 17 चौसिंघा की मौत के मामले में भी विवादों में रह चुके हैं, जहां विधानसभा अध्यक्ष तक ने उन्हें हटाने के निर्देश दिए थे। इसके बावजूद अब उन्हें ‘स्पेशलिस्ट’ बताकर दोबारा सेवाओं में लिए जाने से वन विभाग की मंशा और पारदर्शिता पर गंभीर प्रश्नचिह्न लग गया है।

वन्यजीव संरक्षण जैसे संवेदनशील मुद्दे पर इस तरह की कथित मेहरबानी से न केवल विभाग की साख पर असर पड़ रहा है, बल्कि छत्तीसगढ़ में वन्यजीवों की सुरक्षा को लेकर आमजन की चिंताएं भी लगातार बढ़ती जा रही हैं।
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