पल्स पोलियो अभियान: जिले में 2 लाख 62 हजार से अधिक बच्चों को पिलाई गई दवा


बिलासपुर। 
TODAY छत्तीसगढ़  /  जिले में राष्ट्रीय पल्स पोलियो अभियान में  जिले के 2 लाख 62 हजार 816 बच्चों को पोलियो की खुराक पिलाई गई। जिले ने निर्धारित लक्ष्य के विरुद्ध 94.49 प्रतिशत उपलब्धि हासिल की है। बेलतरा विधायक श्री सुशांत शुक्ला और  महापौर श्रीमती पूजा विधानी ने शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, राजकिशोर नगर में बच्चों को पोलियो की खुराक पिलाकर अभियान का शुभारंभ किया। जिला स्तरीय पल्स पोलियो टीकाकरण अभियान का शुभारंभ मातृ एवं शिशु अस्पताल, जिला चिकित्सालय बिलासपुर  महापौर श्रीमती पूजा विधानी एवं कलेक्टर श्री संजय अग्रवाल द्वारा बच्चों को पोलियो की खुराक पिलाकर किया गया। 

        जिला अस्पताल में इस अवसर पर सीएमएचओ डॉ. शुभा गरेवाल,डॉ. अनिल गुप्ता सिविल सर्जन सह मुख्य अस्पताल अधीक्षक, जिला क्षय नियंत्रण अधिकारी डॉ. गायत्री बांधी, डॉ. रक्षित जोगी जिला सर्विलेंस अधिकारी/शहरी खण्ड चिकित्सा अधिकारी,सुश्री प्यूली मजूमदार (डीपीएम) एवं स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी-कर्मचारी उपस्थित थे। अभियान  के पहले दिन 21 दिसंबर 2025 को जिले में 1520 बूथों तथा ट्रांजिट दल/मोबाइल टीमों के माध्यम से बच्चों को पोलियो की खुराक पिलाई गई। शेष बच्चों को कवर करने के लिए अभियान के दूसरे एवं तीसरे दिन 22 व 23 दिसंबर 2025 को स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं,आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं व मितानिनों द्वारा घर-घर भ्रमण कर पोलियो की दवा पिलाई जाएगी।

   कलेक्टर श्री संजय अग्रवाल ने जिले के समस्त पालकों एवं अभिभावकों से अपील की है कि 0 से 5 वर्ष आयु वर्ग के कोई भी बच्चे पोलियो खुराक से वंचित न रहें। घर-घर भ्रमण के दौरान आने वाली स्वास्थ्य टीमों को सहयोग प्रदान कर अपने बच्चों को पोलियो की दवा पिलाकर इस महत्वपूर्ण अभियान को सफल बनाने में सहभागी बनें।

High Court: पुलिस अफसर पर यौन उत्पीड़न का आरोप, अग्रिम जमानत नामंजूर


बिलासपुर। 
 TODAY छत्तीसगढ़  / यौन उत्पीड़न के गंभीर आरोपों में फंसे एक पुलिस अधिकारी को छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट से कोई राहत नहीं मिली है। हाई कोर्ट की सिंगल बेंच ने आरोपी की अग्रिम जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा कि आरोपी पुलिस अफसर है और उसे अग्रिम जमानत देने पर गवाहों को प्रभावित करने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि आरोपों की प्रकृति अत्यंत गंभीर है, ऐसे में राहत देने का कोई आधार नहीं बनता।

मामला दुर्ग जिले के पुराना भिलाई थाना क्षेत्र का है। यहां रहने वाली एक महिला की शिकायत पर पुलिस अधिकारी अरविंद कुमार मेढ़े के खिलाफ यौन उत्पीड़न का अपराध दर्ज किया गया है। पीड़िता ने एफआईआर में बताया कि उसका बेटा पॉक्सो एक्ट के एक मामले में जेल में बंद है। इसी का फायदा उठाकर आरोपी अधिकारी ने बेटे की जमानत कराने का झांसा दिया और उससे संपर्क बढ़ाया।

पीड़िता के अनुसार, 18 नवंबर 2025 की शाम उसे थाने बुलाया गया, जहां महिला पुलिसकर्मियों द्वारा कुछ दस्तावेजों पर हस्ताक्षर कराए गए। इसके बाद आरोपी ने फोन कर उसे चरौदा बस स्टैंड बुलाया और अपनी गाड़ी में बैठाकर एक सुनसान जंगल वाले इलाके में ले गया। वहां आरोपी ने शारीरिक संबंध बनाने का दबाव डाला, गले लगाया और अश्लील हरकतें कीं। मासिक धर्म की जानकारी देने पर आरोपी ने उसे छोड़ दिया और दो दिन बाद फिर मिलने की बात कही।

घटना के लगभग 24 घंटे बाद, 19 नवंबर 2025 की शाम करीब छह बजे पीड़िता ने थाने में आरोपी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई। इसके बाद आरोपी की ओर से हाई कोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका दायर की गई, जिसमें आरोपों को निराधार बताते हुए एफआईआर में देरी और आपराधिक रिकॉर्ड न होने की दलील दी गई। हालांकि, कोर्ट ने इन तर्कों को स्वीकार नहीं किया और याचिका खारिज कर दी।

इस आदेश के जरिए हाई कोर्ट ने स्पष्ट संकेत दिया है कि वर्दी या पद की आड़ में किए गए अपराधों पर न्यायालय सख्त रुख अपनाएगा। साथ ही, यह फैसला यौन अपराधों में पीड़ितों की शिकायतों को गंभीरता से लेने और जांच को स्वतंत्र व निष्पक्ष बनाए रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।

जिस डॉक्टर पर एक्सपायर्ड दवा देने से मौत का आरोप, उसे ‘स्पेशलिस्ट’ बताकर फिर से सेवा ले रहा वन विभाग


रायपुर।
  TODAY छत्तीसगढ़  / छत्तीसगढ़ के जंगलों में इन दिनों जो हो रहा है, वह किसी प्राकृतिक आपदा का नतीजा नहीं, बल्कि प्रशासनिक निष्क्रियता का खुला प्रदर्शन है। बाघ, तेंदुआ, बाइसन और हाथी जैसा संवेदनशील, विशालकाय वन्यप्राणी एक-एक कर मारे जा रहे हैं, लेकिन जंगलों के तथाकथित रक्षक 'छत्तीसगढ़ वन विभाग' अब भी फाइलों और फार्मेलिटी की आड़ में बेशर्मी से छिपे हुए हैं। इसी बीच वन विभाग की कार्यप्रणाली पर एक और गंभीर सवाल खड़े करने वाला मामला सामने आया है, जिसमें जिस वन्यप्राणी चिकित्सक पर बाइसन की मौत का आरोप लगा उसी से शासन के स्पष्ट आदेशों के विपरीत दोबारा सेवाएं ली जा रही हैं। 

राज्य के अलग-अलग इलाकों से शिकार की लगातार सामने आ रही घटनायें इस बात का सबूत हैं कि राज्य में वन्यजीव संरक्षण व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त हो चुकी है। यह कहना अब गलत नहीं होगा कि छत्तीसगढ़ “शिकार का हॉटस्पॉट” नहीं, बल्कि “शिकारगढ़” बनता जा रहा है। अफसोस यह है कि इस बदलाव का श्रेय बंदूकधारी शिकारियों से ज्यादा दफ्तरों में बैठे अफसरों को जाता है। 

बीते दिनों सूरजपुर जिला में बाघ के शिकार, भोरमदेव अभ्यारण में चार बाइसन (गौर) की मौत, खैरागढ़, भोरमदेव और कांकेर में तेंदुओं के शिकार, तथा उदंती-सीता नदी टाइगर रिजर्व में दो सांभरों के शिकार की घटनाएं सामने आ चुकी हैं। इन घटनाओं ने वन विभाग की जवाबदेही और निगरानी व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं। ऐसे विपरीत हालातों में राज्य वन विभाग की कार्यप्रणाली पर एक और गंभीर सवाल खड़े करने वाला मामला सामने आया है, जिसमें जिस वन्यप्राणी चिकित्सक पर बाइसन की मौत का आरोप लगा उसी से शासन के स्पष्ट आदेशों के विपरीत दोबारा सेवाएं ली जा रही हैं। आखिर इसमें किसका कैसा स्वार्थ निहित है ? 


जनवरी 2025 में बरनावापारा अभ्यारण से गुरु घासीदास नेशनल पार्क भेजी गई एक मादा बाइसन की मौत के मामले में गंभीर आरोप लगे थे। विवेचना में मुख्य वन्यजीव संरक्षक (वन्यप्राणी) सह फील्ड डायरेक्टर उदंती-सीता नदी टाइगर रिजर्व सतोविषा समाजदार ने स्पष्ट उल्लेख किया कि एक्टिवान दवा के कालातीत (एक्सपायर्ड) होने और उसी दवा के उपयोग के कारण ट्रांसलोकेट की गई मादा गौर की मृत्यु संभावित प्रतीत होती है।


इस रिपोर्ट के आधार पर तत्कालीन प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) सुधीर अग्रवाल ने 2 मार्च 2025 को वन्यप्राणी चिकित्सक डॉ. राकेश वर्मा को आगामी आदेश तक वन्यप्राणी से जुड़े सभी कार्यों से तत्काल पृथक करने के आदेश जारी किए थे। साथ ही अलग आदेश में उन्हें वन्यप्राणी उपचार, निदान और संबंधित सभी कार्यों से हटाया गया था।

उल्लेखनीय है कि डॉ. राकेश वर्मा इससे पहले रायपुर जंगल सफारी में 17 चौसिंघा की मौत के मामले में भी विवादों में रह चुके हैं, जहां विधानसभा अध्यक्ष तक ने उन्हें हटाने के निर्देश दिए थे। इसके बावजूद अब उन्हें ‘स्पेशलिस्ट’ बताकर दोबारा सेवाओं में लिए जाने से वन विभाग की मंशा और पारदर्शिता पर गंभीर प्रश्नचिह्न लग गया है।

वन्यजीव संरक्षण जैसे संवेदनशील मुद्दे पर इस तरह की कथित मेहरबानी से न केवल विभाग की साख पर असर पड़ रहा है, बल्कि छत्तीसगढ़ में वन्यजीवों की सुरक्षा को लेकर आमजन की चिंताएं भी लगातार बढ़ती जा रही हैं।

अतिरिक्त महाधिवक्ता रणवीर सिंह मरहास ने दिया इस्तीफा, विधि सचिव को भेजा त्यागपत्र


बिलासपुर।
  TODAY छत्तीसगढ़  / छत्तीसगढ़ शासन के अतिरिक्त महाधिवक्ता रणवीर सिंह मरहास ने शनिवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने राज्य सरकार के विधि सचिव को त्यागपत्र भेजते हुए इसे तत्काल प्रभाव से स्वीकार करने का अनुरोध किया है।

गौरतलब है कि इससे पहले 17 नवंबर को तत्कालीन महाधिवक्ता प्रफुल्ल भारत ने अपने पद से त्यागपत्र दिया था। इसके बाद अतिरिक्त महाधिवक्ता विवेक शर्मा को नया महाधिवक्ता नियुक्त किया गया। विधि सचिव को प्रेषित अपने इस्तीफे में मरहास ने कहा है कि पिछले दो वर्षों तक इस महत्वपूर्ण पद पर सेवा देना उनके लिए सम्मान और सौभाग्य की बात रही। इस दौरान उन्हें राज्य से जुड़े कानूनी मामलों में योगदान देने, विभिन्न न्यायालयों में शासन का प्रतिनिधित्व करने और अनुभवी व समर्पित सहकर्मियों के साथ कार्य करने का अवसर मिला। 

मरहास ने अपने पत्र में राज्य सरकार द्वारा मिले विश्वास और सहयोग के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि शासन के समर्थन से ही वे अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन पूरी क्षमता के साथ कर सके। उन्होंने उल्लेख किया कि उन्होंने अपना कार्यकाल संतोषजनक रूप से पूरा किया है और अब पद छोड़ने का यह उचित समय है।

उल्लेखनीय है कि रणवीर सिंह मरहास भारतीय जनता पार्टी के विभिन्न अनुषांगिक संगठनों से जुड़े रहे हैं और सामाजिक गतिविधियों में भी सक्रिय भूमिका निभाते आए हैं। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट की स्थापना के बाद वे जबलपुर से बिलासपुर आए और न्यायिक क्षेत्र में निरंतर सक्रिय रहे। वे लंबे समय तक शासकीय अधिवक्ता के रूप में भी अपनी सेवाएं दे चुके हैं।


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