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" पहले मुझ पर पांच लोगों की हत्या का आरोप लगाया, फिर जंजीरों से जकड़कर ज़ुल्म की इन्तेहा पार की "

" एक पेड़ से मेरे पीछे के पांव मोटी जंजीर से बांध दिए गए, इतना कि आधा इंच भी पाँव आगे नहीं बढ़ सके। पेट में पांच बार मोटी जंजीर घुमा कर बांध दिया। न बैठ पाता, ना सो पता था, भूखा प्यासा रखा गया। बाद में मेरे सामने के और पीछे के दोनों पांव भी आपस में बांध दिए, मैं आजाद होने के लिए पूरी ताकत लगाता, इससे मेरे चारों पांव में बड़े गहरे जख्म हो गए कीड़े और पस पड़ गया। इस बीच बिलासपुर के एक वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर सत्य प्रकाश पांडेय ने मेरी फोटो ली, जो समाचार पत्र में छपी। एक वन्यजीव प्रेमी को फोटो ने व्याकुल कर दिया, वह कोर्ट पहुंच गए। "


 2015 की बात है, मैं 15 साल का था, अपने 15 सदस्य परिवार के साथ छत्तीसगढ़ के अचानक मार्ग टाइगर रिजर्व (रिजर्व) पंहुचा। हम हाथियों के परिवार में नर हाथी को 10 से 15 वर्षों की आयु में अलग कर दिया जाता है ताकि एक ही खून से वंशवृद्धि ना हो। मैं अपने परिवार और मां से बहुत प्यार करता था परंतु परिवार मुझे अकेला छोड़कर चला गया। रिजर्व में मैं अकेला जंगली हाथी था। अकेले में बहुत रोना आता था, अकेला घूमता था, अनाज खाने की लालच से ग्रामीणों के घर पहुंच जाता था, जरा सा छूने से दीवाल गिर जाती। जब मेरा परिवार रिजर्व आया था तो किसी सदस्य से एक जनहानि हो गई थी परंतु मुझ पर पांच लोगों को मारने का आरोप लगाया गया। विश्वास मानिए आज तक मुझसे एक भी जनहानि नहीं हुई, मैं बहुत शांत स्वभाव का हूं। खैर आदेश जारी हुआ मुझे पड़कर दूसरे हाथी रहवास में छोड़ दिया जावे। 

छत्तीसगढ़ के दो डॉक्टरों की टीम मुझे पकड़ने के लिए लगाई गई। रिजर्व में चार बंधक हाथी भी थे सिविल बहादुर, राजू, लाली और लाली की 10 साल की बेटी पूर्णिमा। मुझे हनी ट्रैप करने के लिए पूर्णिमा को जबरदस्ती जंगल में खदेड़ा जाता था। पूर्णिमा पास आती तो मैं पसंद नहीं करता था अपने छोटे हाथी दांतों से उसे मार भगा देता था। ऐसा कई दिन चला और एक दिन डाक्टरों ने मुझे बेहोश कर पकड़ लिया और उसी जगह ले गए जहां पर बाकी चार हाथी थे परंतु पूर्णिमा नहीं थी। मुझे बाद में पता चला कि मुझे पकड़ने के एक दिन पहले जब अपनी मां लाली के साथ खेल रही थी तब अचानक गिरी और मर गई। पोस्टमार्टम में उसे अंदरूनी चोटें शायद मेरे दांतों से लगी थी, परंतु दस साल की बच्ची को हनी ट्रैप के लिए मैंने तो नहीं बुलाया था, डॉक्टरों ने ही भेजा था। 

एक पेड़ से मेरे पीछे के पांव मोटी जंजीर से बांध दिए गए, इतना कि आधा इंच भी पाँव आगे नहीं बढ़ सके। पेट में पांच बार मोटी जंजीर घुमा कर बांध दिया। न बैठ पाता, ना सो पता था, भूखा प्यासा रखा गया। बाद में मेरे सामने के और पीछे के दोनों पांव भी आपस में बांध दिए, मैं आजाद होने के लिए पूरी ताकत लगाता, इससे मेरे चारों पांव में बड़े गहरे जख्म हो गए कीड़े और पस पड़ गया। इस बीच बिलासपुर के एक वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर सत्य प्रकाश पांडेय ने मेरी फोटो ली, जो समाचार पत्र में छपी। एक वन्यजीव प्रेमी को फोटो ने व्याकुल कर दिया, वह कोर्ट पहुंच गए। मेरे इलाज के लिए भारतीय एनिमल वेलफेयर बोर्ड ने दो डॉक्टर दूसरे प्रदेशों से भेजें। डॉक्टरों ने इलाज किया और अपनी रिपोर्ट दी, कहा मैं चार सप्ताह में ठीक हो जाऊंगा और उसके बाद मुझे जंगल में छोड़ दें। डॉक्टर ने लाली, सिविल, राजू की दुर्दशा भी रिपोर्ट में लिखी। सिविल बहादुर के मुंह के अंदर बहुत बड़ा फोड़ा था, जिसका इलाज भी नहीं किया गया था। सिविल, राजू, लाली के सामने के दोनों पांव को ऐसे बाँध कर रखे जाते थे कि वे आगे पीछे भी नहीं हो सकें। डॉक्टरों ने रिपोर्ट में किसी बड़ी सर्विस के दो अधिकारियों द्वारा मुझ पर अत्याचार करने के लिए बहुत भर्त्सना की, कहा अधिकारियों पर आपराधिक मुकदमा दर्ज किया जाए। कोर्ट में अधिकारियों ने कहा ठीक होते ही मुझे छोड़ देंगे। 

चार सप्ताह में मैं ठीक हो गया, खुश हो रहा था कि अत्याचार से आजादी मिलेगी। परन्तु अधिकारियों को बहुत बुरा लगा था कि दो पशु चिकित्सकों ने उनकी भर्त्सना कर दी। बस अपनी औकात और हैसियत बताने के लिए अधिकारियों ने मुझे नहीं छोड़ा। छोटा अधिकारी कहता था कि मैं पालतू हो गया हूं। मेरे ऊपर महावत को बैठा कर, लोहे के नुकीले अंकुश से मेरे कान के पीछे की नस जोर से दबाकर महावत कहता बैठ, तो दर्द के कारण में बैठ जाता, तो छोटा अधिकारी कहता यह तो पालतू हो गया, इसे कैसे छोड़ा जाए और मुझे नहीं छोड़ा गया। बड़ा अधिकारी पहले से ही मुझे पालतू बनाना चाहता था। चार महीने बाद बाहरी डॉक्टरों की टीम दोबारा आई लिख कर दिया कि मुझे तत्काल जंगल में छोड़ दिया जाए परंतु मेरी किस्मत में सुख नहीं लिखा था। 

कोर्ट के कहने पर डेढ़ साल बाद फिर वही डॉक्टरों की टीम बुलाई गई, डॉक्टर ने कहा कि डेढ़ साल हो गए, मुझे एक बार में छोड़ने की बजाय ऐसी जगह पर रखा जाए जहां जंगली हाथी हों उनसे मुझे मिलने दिया जाए, ताकि मैं धीरे-धीरे वापस जंगली जीवन अपना सकूं। डॉक्टर ने कहा कि राजू, सिविल और लाली से मेरी गहरी दोस्ती हो गई है, राजू और मेरा बहुत लगाव है, हम दोनों बहुत खेलते हैं। डॉक्टर ने कहा हम चारों को बिना बांधे जंगली हाथियों के क्षेत्र में रखा जाए। कोर्ट ने कहा कि कोर्ट डॉक्टर की रिपोर्ट को मानते हैं, परंतु मुझे कब छोड़ा जाए यह वह अधिकारियों की बुद्धि पर छोड़ते हैं। 

कुछ महीनों बाद सिविल और मुझको बहुत दूर रमकोला में बनाये रेस्क्यू सेंटर ले जाने दो ट्रक आए। मैंने महावत से पूछा कि डॉक्टर ने तो कहा था कि राजू, लाली, सिविल और मुझे चारों को जाना है, कोर्ट ने भी माना था, फिर राजू और लाली क्यों नहीं आ रहे? महावत ने कहा सरगुजा के एक हाथी एक्सपर्ट अधिकारी ने कहा है कि राजू और लाली रिजर्व में पेट्रोलिंग का काम करेंगे इसलिए यही रहेंगे। भाग्य की विडंबना देखिए पहले अपने परिवार से बिछड़ा, फिर अत्याचार सहे और अब अपने प्रिय और अजीज राजू से हरदम के बिछड रहा था, रोते रोते मै ट्रक चढ़ा और ट्रक रमकोला के लिए रवाना हो गया।

रमकोला में सिविल और मै दोनों ही थे। बाद में तीन नर और दो मादा कुनकी हाथी आए। मेरी उनसे दोस्ती नहीं हुई, मै पूरे समय में सिविल के साथ ही रहता, परंतु मेरा दुर्भाग्य देखिये एक दिन सिविल भी साथ छोड़कर हरदम के लिए चला गया। यहां भी हम हाथियों के पांव चेन से बांध के रखा जाता है, यहां के अत्याचार के बारे में फिर कभी और हां महावत बता रहा था कि वन्यजीव प्रेमी ने एक बार सबसे बड़े अधिकारी से पूछा कि मुझे छोड़ क्यों नहीं रहे? अधिकारी ने कहा याद नहीं है कोर्ट ने हमारी बुद्धि पर छोड़ा है, अभी हमको बुद्धि नहीं आई है। मेरा नाम सोनू है। 

खुड़िया क्षेत्र में हाथी के बच्चे की मौत, 48 घण्टे बाद वन विभाग को मिली खबर


 बिलासपुर / मुंगेली । 
TODAY छत्तीसगढ़  /  अचानकमार टाईगर रिजर्व क्षेत्र के बफर में हाथी के एक बच्चे (calf) का शव मिला है। मौत की वजह करंट लगना बताई गई है। विभागीय अमले का कहना है कि जिस क्षेत्र में हाथी के बच्चे की मौत हुई है सम्भवतः शिकारियों ने करंट प्रवाहित तार बिछा रखा था जिसकी चपेट में आकर हाथी का बच्चा मर गया। इस घटनाक्रम का दुःखद पहलू यह है कि हाथी के बच्चे (calf) की मौत के 48 घंटे बाद भी विभाग को ख़बर नहीं हुई। 

इस संबंध में मुंगेली वन मंडल के उप संचालक सत्यदेव शर्मा से मिली जानकारी के मुताबिक खुड़िया क्षेत्र के भूतकछार में संभवतः शिकारियों ने शिकार के लिए करंट प्रवाहित तार बिछाई गई होगी जिसकी चपेट में आने के कारण हाथी के एक बच्चे (calf) की मौत होने की जानकारी मिली है। इस मामले में विभागीय टीम पूछताछ करके सही तथ्यों को जुटाने की कोशिश  जुटी हुई है। तस्वीर में  शव की स्थिति देखकर स्पष्ट है कि हाथी का बच्चा दो  दिन पहले मर चुका होगा।  जानकारी के मुताबिक़ हाथी के बच्चे (calf)  की मौत सम्भवतः 21 या  22 नवंबर को हो चुकी थी जिसकी खबर आज  25 नवंबर को सुबह ग्रामीणों के माधयम से वन विभाग को मिली। जानकारी मिलने के बाद वन विभाग का अमला मौके पर पहुँचा।  


ATR : सरईपानी - साटापानी मार्ग में पर्यटक को दिखा बाघ, वीडियो हो रहा वायरल

सांकेतिक तस्वीर / TCG 

 बिलासपुर। 
 TODAY छत्तीसगढ़  /  अचानकमार टाइगर रिजर्व में आज शनिवार को सफारी के दौरान पर्यटकों को बाघ का दीदार हुआ। अचानकमार टाईगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर एस. जगदीशन ने इस बात की पुष्टि की है। बताया जा रहा है कि शनिवार की शाम सफारी में गई योद्धा वाहन में सवार पर्यटकों को सरईपानी-साटापानी मार्ग में सड़क पार करता बाघ दिखाई पड़ा। सड़क पार करते बाघ का वीडियो सोशल साइट्स पर जमकर वायरल हो रहा है। 


अचानकमार टाईगर रिजर्व बाघों को लेकर अक्सर सुर्ख़ियों में रहता है। यहां के जंगल की भौगोलिक स्थिति और बाघों की कम संख्या के चलते सफारी में गये पर्यटकों को बाघ के दीदार नहीं हो पाते लिहाजा बाघ दर्शन की लालसा में सफारी करने वाले अधिकाँश पर्यटक निराश लौटते हैं। 

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अचानकमार टाईगर रिजर्व के उपसंचालक विष्णु नायर ने इस सम्बन्ध में TODAY छत्तीसगढ़ को बताया कि "शनिवार को सफारी गये पर्यटकों को बाघ दिखाई पड़ा है, उनके द्वारा बनाया गया वीडियो देखकर अनुमान है कि वो AKT-17 बाघिन है क्यूंकि पिछले पाँच-छः महीने से वही दिखाई पड़ रही है। उन्होंने कहा कि AKT-17 बाघिन बीच-बीच में सफारी गये पर्यटकों के अलावा विभाग के कर्मियों को दिखी है।"

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पिछले दो साल से अचानकमार टाईगर रिजर्व प्रबंधन लगातार बाघों की संख्या को बढ़ाने की दिशा में गंभीरता से काम कर रहा है, यकीनन उसी का परिणाम है कि पिछले कुछ समय से अलग-अलग मार्ग में पर्यटकों को सफारी के दौरान बाघ दिखाई देने लगे हैं। आज शाम की सफारी में योद्धा वाहन में सवार राकेश यादव (पर्यटक) को बाघ दिखा जिसका उन्होंने मोबाइल पर वीडियो बनाया है जो सोशल साइटस पर जमकर वायरल हो रहा है। 

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रेंजर संदीप के निलंबन पर वन्यप्राणी प्रेमी भडक़े, सिंघवी बोले - शिकार बढ़ेगा और जंगल की कटाई बढ़ जाएगी


TODAY छत्तीसगढ़  / शुक्रवार को छत्तीसगढ़ विधानसभा के सदन में अचानकमार टाइगर रिजर्व में पूर्व में पदस्थ रेंजर संदीप सिंह जिनकी कि ग्रामीणों ने पिटाई की, उठक-बैठक लगवाई उनको तथाकथित रूप से ग्रामीणों को प्रताडि़त करने के आरोप में निलंबित करने के विरुद्ध वन्यजीव प्रेमी नितिन सिंघवी ने वन मंत्री को पत्र लिखकर कहा है कि इस कार्यवाही से आमजन में उचित सन्देश नहीं गया है।
सिंघवी ने बताया कि वास्तव में रेंजर के हिप ज्वाइंट का ऑपरेशन 2 साल पहले हुआ था परंतु ग्रामीणों द्वारा बंधक बनाए जाने के कारण, मजबूरीवश उन्हें दो महिला कर्मचारियों के साथ  उठक बैठक करना पड़ा। 6 घंटे बंधक बनाए रखने के दौरान उनके हिप ज्वाइंट में मारा गया। गार्ड के गले में चोट पहुंचाई गई। वन विभाग के 3 कर्मचारी अस्पताल में 3 दिन भर्ती रहे एवं रेंजर 7 दिन भर्ती रहे। विधान सभा को बताया कि ग्रामीणों द्वारा रेंजर की उठक बैठक करवाई गई, इसका वीडियो भी उपलब्ध है, इसके बावजूद भी रेंजर को निलंबित किया गया है।
रेंजर को मार्च 2020 में एक तेंदुए को जाल से पकडऩे के फोटो ट्रैप कैमरे में मिले थे जो कि कोर क्रिटिकल हैबिटेट सुरही रेंज के थे। जाल में फंसने एवं चोट लगने के कारण तेंदुए की तीन दिन बाद में कानन पेंडारी जू में मौत हो गई। अप्रैल 2020 में 4 ग्रामीण धनुष तीर के साथ ट्रैप कैमरे में उसी सुरही रेंज में पाए गए। रेंजर ने 12 कर्मचारियों तथा डॉग स्क्वायड के साथ शिकारी गतिविधियों के चलते इलाके के ग्राम निवासखार मैं छापा मारकर व्यापक मात्रा में हथियार, धनुष, तीर, तार जिन पर खून के निशान थे जप्त किए जिसके कारण ग्रामीणों ने रेंजर व कर्मचारियों को बंधक बनाकर पिटाई की। दूसरे दिन जाँच में गई पुलिस जीप पर भी पथराव किया गया।
वन विभाग के रेंजर एवं कर्मचारी जो शिकारियों को पकड़ते हैं, ग्रामीणों से पिटाई खाते हैं, घंटों बंधक रहते हैं, तदोपरांत इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती रहते हैं उनमें से एक, रेंजर संदीप सिंह को कर्तव्य पूर्ण करने के कारण निलंबन किए किया गया। इस कार्रवाई से कुछ बचे कर्तव्यनिष्ठ अधिकारी एवं कर्मचारी निरुत्साहित हो अकर्मण्य हो जाएंगे तथा वन संरक्षण एवं वन्यजीव संरक्षण के प्रति उनके मन में अरुचि उत्पन्न हो जाएगी जो कि हमारे जैसे राज्य जहां पर अवैध कटाई एवं शिकार बढ़ रहा है उस राज्य के हित में नहीं  है। सिंघवी ने मांग  की है कि रेंजर का निलंबन तत्काल वापस लिया जाये एवं जाँच उपरांत ही जो भी पक्ष दोषी हो उनके विरुद्ध कार्रवाई की जानी चाहिए।

प्रेरणा सिंह बिंद्रा पहले ही घटना का विरोध कर चुकी है-

देश के वन्यजीव संरक्षण में कार्यरत, प्रसिद्ध लेखिका, नेशनल बोर्ड फॉर वाइल्ड लाइफ की स्टैंडिंग समिति की एव उत्तराखंड वाइल्डलाइफ बोर्ड की पूर्व सदस्य प्रेरणा सिंह ने मई 2020 में मामले का संज्ञान लेते हुए राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण को अचानकमार के तेंदुए शिकार प्रकरण में कार्यवाही करने की मांग करते हुए पत्र लिखा था कि अपमानित किये गए फ्रंट लाइन स्टाफ के साथ न्याय होना चाहिए। छत्तीसगढ़ की हालत पर वे बहुत दुखी है वहां ना तो टाइगर सेल है ना ही स्पेशल टाइगर प्रोटेक्शन फोर्स।

ATR का बाघ पर्यटक के कैमरे में हुआ कैद

बाघ की यह तस्वीर सांकेतिक है, पर्यटक द्वारा खींची गई तस्वीर नीचे देखिये 
TODAY छत्तीसगढ़  / बाघ प्रेमियों के लिए ये खबर किसी बड़ी खुशखबरी से कम नहीं होगी, राज्य के अचानकमार टाईगर रिजर्व में सोमवार की शाम सफारी पर निकले बिलासपुर के पर्यटक हीरोज़ बागड़े को न सिर्फ टाइगर के दीदार हुए बल्कि उन्होंने उसे तस्वीर की शक्ल में कैमरे में कैद भी कर लिया। मोबाइल कैमरे से उतारी गई बाघ की इस तस्वीर ने उन लोगों के संशय को थोड़ी राहत देने का काम किया होगा जिनका स्पष्ट रूप से यह मानना है की एटीआर में बाघ है ही नहीं। बिलासपुर के हीरोज बागड़े शायद पहले ऐसे टूरिस्ट होंगे जिन्होंने एटीआर के बाघ को आँखों के अलावा कैमरे में कैद कर लिया।
 हालांकि यू ट्यूब पर Help World चैनल ने वर्ष 2016 में एटीआर के भीतर बाघ भ्रमण का एक वीडियो अपलोड  कर रखा है।   TODAY छत्तीसगढ़ के WhatsApp ग्रुप में जुड़ने के लिए क्लिक करें 
                                                 
  इधर छत्तीसगढ़ के अचानकमार टाइगर रिजर्व में पांच साल पहले 28 बाघ होने का दावा किया गया था। 2018 की गणना में यह मात्र 11 बाघ पाए गए। राष्ट्रीय बाघ प्राधिकरण की रिपोर्ट आने के बादराष्ट्रीय बाघ प्राधिकरण की रिपोर्ट आने के बाद वन विभाग के अधिकारी यह नहीं बता पा रहे कि अचानकमार टाइगर रिजर्व से 12 बाघ कहां गायब हो गए है। जबकि 2014 की गणना में यहां सबसे अधिक 28 बाघ के होने का दावा किया गया था। लेकिन, 2018 की गणना में यहां मात्र 11 बाघ ही मिलने का दावा किया गया है।                                                                 
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