TODAY छत्तीसगढ़ / शुक्रवार को छत्तीसगढ़ विधानसभा के सदन में अचानकमार टाइगर रिजर्व में पूर्व में पदस्थ रेंजर संदीप सिंह जिनकी कि ग्रामीणों ने पिटाई की, उठक-बैठक लगवाई उनको तथाकथित रूप से ग्रामीणों को प्रताडि़त करने के आरोप में निलंबित करने के विरुद्ध वन्यजीव प्रेमी नितिन सिंघवी ने वन मंत्री को पत्र लिखकर कहा है कि इस कार्यवाही से आमजन में उचित सन्देश नहीं गया है।
सिंघवी ने बताया कि वास्तव में रेंजर के हिप ज्वाइंट का ऑपरेशन 2 साल पहले हुआ था परंतु ग्रामीणों द्वारा बंधक बनाए जाने के कारण, मजबूरीवश उन्हें दो महिला कर्मचारियों के साथ उठक बैठक करना पड़ा। 6 घंटे बंधक बनाए रखने के दौरान उनके हिप ज्वाइंट में मारा गया। गार्ड के गले में चोट पहुंचाई गई। वन विभाग के 3 कर्मचारी अस्पताल में 3 दिन भर्ती रहे एवं रेंजर 7 दिन भर्ती रहे। विधान सभा को बताया कि ग्रामीणों द्वारा रेंजर की उठक बैठक करवाई गई, इसका वीडियो भी उपलब्ध है, इसके बावजूद भी रेंजर को निलंबित किया गया है।
रेंजर को मार्च 2020 में एक तेंदुए को जाल से पकडऩे के फोटो ट्रैप कैमरे में मिले थे जो कि कोर क्रिटिकल हैबिटेट सुरही रेंज के थे। जाल में फंसने एवं चोट लगने के कारण तेंदुए की तीन दिन बाद में कानन पेंडारी जू में मौत हो गई। अप्रैल 2020 में 4 ग्रामीण धनुष तीर के साथ ट्रैप कैमरे में उसी सुरही रेंज में पाए गए। रेंजर ने 12 कर्मचारियों तथा डॉग स्क्वायड के साथ शिकारी गतिविधियों के चलते इलाके के ग्राम निवासखार मैं छापा मारकर व्यापक मात्रा में हथियार, धनुष, तीर, तार जिन पर खून के निशान थे जप्त किए जिसके कारण ग्रामीणों ने रेंजर व कर्मचारियों को बंधक बनाकर पिटाई की। दूसरे दिन जाँच में गई पुलिस जीप पर भी पथराव किया गया।
वन विभाग के रेंजर एवं कर्मचारी जो शिकारियों को पकड़ते हैं, ग्रामीणों से पिटाई खाते हैं, घंटों बंधक रहते हैं, तदोपरांत इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती रहते हैं उनमें से एक, रेंजर संदीप सिंह को कर्तव्य पूर्ण करने के कारण निलंबन किए किया गया। इस कार्रवाई से कुछ बचे कर्तव्यनिष्ठ अधिकारी एवं कर्मचारी निरुत्साहित हो अकर्मण्य हो जाएंगे तथा वन संरक्षण एवं वन्यजीव संरक्षण के प्रति उनके मन में अरुचि उत्पन्न हो जाएगी जो कि हमारे जैसे राज्य जहां पर अवैध कटाई एवं शिकार बढ़ रहा है उस राज्य के हित में नहीं है। सिंघवी ने मांग की है कि रेंजर का निलंबन तत्काल वापस लिया जाये एवं जाँच उपरांत ही जो भी पक्ष दोषी हो उनके विरुद्ध कार्रवाई की जानी चाहिए।
प्रेरणा सिंह बिंद्रा पहले ही घटना का विरोध कर चुकी है-
देश के वन्यजीव संरक्षण में कार्यरत, प्रसिद्ध लेखिका, नेशनल बोर्ड फॉर वाइल्ड लाइफ की स्टैंडिंग समिति की एव उत्तराखंड वाइल्डलाइफ बोर्ड की पूर्व सदस्य प्रेरणा सिंह ने मई 2020 में मामले का संज्ञान लेते हुए राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण को अचानकमार के तेंदुए शिकार प्रकरण में कार्यवाही करने की मांग करते हुए पत्र लिखा था कि अपमानित किये गए फ्रंट लाइन स्टाफ के साथ न्याय होना चाहिए। छत्तीसगढ़ की हालत पर वे बहुत दुखी है वहां ना तो टाइगर सेल है ना ही स्पेशल टाइगर प्रोटेक्शन फोर्स।