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शैक्षणिक भ्रमण : वनवासी विद्यार्थियों ने देखी विधानसभा की कार्रवाही

TODAY छत्तीसगढ़  / सोमवार 2 दिसम्बर को वनवासी शिक्षा दूत स्व. श्री प्रभुदत्त खेडा द्वारा स्थापित शाला अभ्यारण शिक्षम समिति छपरवा के विद्यार्थियों ने शैक्षणिक भ्रमण में राज्य विधानसभा का अवलोकन किया।
सुबह ग्राम छपरवा से अपने शिक्षको के साथ रवाना होकर विद्यार्थी बिलासपुर होते हुए रायपुर पहुंचें। स्कूल शिक्षा विभाग के लिये यह गौरव का दिन रहा कि वनवासी शिक्षा दूत प्रभुदत्त खेडा के वर्षों के परिश्रम से जिन बैगा वनवासी बच्चो ने शिक्षा के माध्यम से समाज की मुख्यधारा से जुड़कर अपना स्थान मुक्कमल किया है वे सोमवार को जंगल से निकलकर राज्य की विधानसभा पहुंचें और वहां के संबंध में विस्तार से जानकारियां जुटाईं और सदन की कार्रवाही को प्रत्यक्ष रूप से देखा ।  स्वर्गीय खेड़ा जी ने हमेशा वनवासी बच्चों और उनके परिजनों को सामाजिक व्यवस्था से जोड़कर उन्हें आगे बढ़ाने की कोशिशें की। सोमवार को कराया गया शैक्षणिक भ्रमण जिला प्रशासन एवं स्कूल शिक्षा विभाग के सहयोग से हुआ । TODAY छत्तीसगढ़ के WhatsApp ग्रुप में जुड़ने के लिए क्लिक करें
 वनवासी बैगा बच्चो के साथ सजग टीम के संदीप चोपडे, सहायक संचालक, अजय नाथ परियोजना संचालक, मनोज वैद्य, कोस्तब चटर्जी, रविकांत चारी,संजय बडेरा और श्रीमती स्मिता चोपडे प्राचार्यगण मौजूद रहे ।
ख़ास बात यह रही कि वनवासी बैगा बच्चो के साथ प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल,विधानसभा अध्यक्ष डॉ चरणदास महंत, स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ प्रेमसायसिंग, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री अमर जीत भगत, मुख्य सचिव आर पी मंडल, समेत कई प्रशासनिक अधिकारीयों ने ग्रुप फोटो भी खिंचवाई। 

ATR में 'नवरंगा' पुकार रहा, प्यासा है ...

[TODAY छत्तीसगढ़] / मध्य भारत के अलावा छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के नया रायपुर स्थित भाटागांव, बलौदा बजार के महराजी-अर्जुनी, बारनवापारा, मुंगेली जिले के अचानकमार टाइगर रिजर्व, शिवतराई, बिलासपुर के भैंसाझार, सीपत समेत प्रदेश के कई इलाकों में 'नवरंगा' यानी इंडियन पित्ता ने दस्तक दे दी है। 
इंडियन पित्ता जिसे नवरंग पक्षी भी कहते है इसका  Binomial नाम Pitta Brachyura है। नवरंगा भारतीय उपमहाद्वीप में कई जगह पर पाया जाता है।  भारत में हिमालय, सिक्किम , दक्षिण मध्य भारत, कर्नाटक और पश्चिमी घाट में देखा जा सकता है। भारत के अलावा इसकी और प्रजाति  श्रीलंका, नेपाल पाकिस्तान में भी पाई जाती है । यह प्रायः पर्णपाती और घने सदाबहार वनों में पाया जाने वाला खूबसूरत पक्षी  है । यह पक्षी ज्यादातर जंगल में जमीन पर दिखाई देंगे,  जंगल में इन्हें खोजना थोड़ा मुश्किल होता है लेकिन इनकी मधुर आवाज और खूबसूरत रंग इनके करीब ले जाने में मददगार होती है । 'नवरंगा' बेहद शर्मिला पक्षी है, ये सदाबहार जंगल में रहना पसंद करते हैं। इन्हे भोजन के रूप में छोटे कीट-फतिंगे पसंद हैं। 'नवरंगा' यानी इंडियन पित्ता जमीन पर चलकर अपने भोजन की तलाश पूरी करते हैं। प्रदेश के विजिटर बर्ड के रूप में अपनी पहचान बना चुके इन पक्षियों के पास एक विशिष्ट दो नोट सीटी काल है जिसे जंगल के भीतर आसानी से सुना जा सकता है। इस पक्षी की एकदम अलग और मधुर आवाज ही इनके जंगल में आमद देने की सूचना देती है। 
ये मेहमान पक्षी एक समय केवल बलौदा-बाजार जिले के महराजी-अर्जुनी में करीब डेढ़ दशक से मेहमानी करने आते रहें है, अब ये राज्य के अलग-अलग जंगलों में भी अपना अस्थाई ठिकाना बनाते हैं।  इस पक्षी में नौ रंग का समावेश होता है, इसलिए इस सुन्दर और आकर्षक पक्षी को 'नवरंगा' कहते है ।  इसकी पूंछ एकदम छोटी होती है,  आँख के पास मोटी काले रंग की पट्टी होती है । यह पेड़ों में रहता है और उसी पर अपना घोंसला बनाता है । इनका ब्रीडिंग सीजन  जून से अगस्त तक दक्षिण-पश्चिम मानसून के दौरान होता है । यह मध्य भारत में जून में तथा उत्तर भारत में जुलाई में ब्रीडिंग करते है । मादा पित्ता एक बार में चार से पांच अंडे देती है । इनकी साइज लगभग 18 सेंटीमीटर विंग्सपेन वजन लगभग  47 ग्राम से लगभग 66 ग्राम के आस पास होता है । मध्य और पश्चिमी भारत तथा  हिमालय की पहाड़ियों वाले जंगलों में यह पक्षी सामन्यतः प्रजनन करते है । सन 1975 में भारत सरकार द्वारा इस पक्षी के नाम से डाक टिकट भी जारी किया गया था जिसका मूल्य 25 पैसे था जो की इंडियन पित्ता नवरंग के नाम से था ।
इस प्रवासी पक्षी ने एक बार फिर छत्तीसगढ़ के जंगलों में अपनी आमद दे दी है। राज्य के विभिन्न हिस्सों में इनकी मधुर आवाज और खूबसूरती पक्षी प्रेमियों के अलावा छायाकारों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। बिलासपुर जिले के भैंसाझार, सीपत, मुंगेली के अचानकमार टाइगर रिजर्व, बलौदा बाजार के अर्जुनी-महराजी, बारनवापारा समेत रायपुर और अन्य वन क्षेत्रों में नवरंगा इन दिनों खूब लुभा रहा है। तस्वीरें / अचानकमार टाइगर रिजर्व से ...     

ATR में वन्यप्राणियों के शिकार के लिए बिछाया जाल, 8 गिरफ्तार

[TODAY छत्तीसगढ़] / अचानकमार टाइगर रिजर्व के सुरही परिक्षेत्र में वन्यप्राणियों के शिकार के लिए फैलाये गए जाल में आठ लोग खुद फंस गए हैं। टाइगर रिजर्व के सुरही क्षेत्र में गश्त करते वन कर्मियों की मुस्तैदी के चलते नए साल की पहली ही तारीख को आठ लोग गिरफ्तार किये गए हैं जिनके पास से तीर-धनुघ और तार से बनाया गया जाल बरामद किया गया है। आज बुधवार को आरोपियों को न्यायालय में पेश कर पूछताछ के लिए न्यायिक रिमांड में लेने का आवेदन वन अफसरों ने न्यायालय में प्रस्तुत किया। वन अफसरों की माने तो पकडे गए आरोपियों से शिकार से संबंधित मामलों की और भी जानकारी जुटाई जा सकती है।
विभागीय सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के मुताबिक़ मुंगेली जिले के अचानकमार टाइगर रिजर्व के सुरही परिक्षेत्र में नियमित गश्त के दौरान एक जनवरी की शाम कक्ष क्रमांक 523 R.F. में एक जगह मोटरसाइकिल क्लच तार और अन्य तरह के तार से बना हुआ जाल जमीन में बिछाया गया है। संरक्षित वन क्षेत्र के कोर इलाके में बिछाये गए जाल को देखकर वन्यप्राणियों के शिकार  हुआ। वनकर्मियों ने मामले की गंभीरता को देखते हुए आस-पास में पूछताछ शुरू की। इस दौरान ग्राम सुरही का रहने वाला चन्दर पिता पंचू सिंह बैगा [25वर्ष] संदिग्ध हालत में दिखाई पड़ा, वन कर्मी को देख चन्दर कुछ हड़बड़ाया। चन्दर को पकड़कर वन अफसरों की मौजूदगी में पूछताछ की गई, शुरुवाती दौर में चन्दर  वन्य प्राणियों के शिकार के लिए बिछाए जाल से खुद को अनभिज्ञ बताता रहा। हालांकि सिलसिलेवार हुई पूछताछ में चन्दर बैगा ने शिकार करने के उद्देश्य से जाल बिछाने की बात कबूल करते हुए अपने अन्य आठ साथियों के नाम भी बताये। 
चन्दर के बयान और निशानदेही पर वन अफसरों ने लोरमी थाना क्षेत्र के लक्षमण बैगा, मोटू पिता भुरुवा बैगा, सुकलाल बैगा, रामप्रसाद बैगा, छोटू पिता भुरुवा बैगा, शत्रुघन बैगा और जोहन बैगा को गिरफ्तार कर लिया है। पकडे गए सभी आरोपी लोरमी थाना क्षेत्र के ग्राम सुरही के निवासी हैं। जानकारी के मुताबिक़ रेंज के वन अफसर को इस बात की लगातार खबर मिल रही थी की कुछ ग्रामीण जंगल के भीतर वन्यप्राणियों के शिकार की तलाश में रहते हैं। सुचना पर रेंज अफसर ने सह कर्मियों को मुस्तैद कर रखा था।   


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