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ATR में 'नवरंगा' पुकार रहा, प्यासा है ...

[TODAY छत्तीसगढ़] / मध्य भारत के अलावा छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के नया रायपुर स्थित भाटागांव, बलौदा बजार के महराजी-अर्जुनी, बारनवापारा, मुंगेली जिले के अचानकमार टाइगर रिजर्व, शिवतराई, बिलासपुर के भैंसाझार, सीपत समेत प्रदेश के कई इलाकों में 'नवरंगा' यानी इंडियन पित्ता ने दस्तक दे दी है। 
इंडियन पित्ता जिसे नवरंग पक्षी भी कहते है इसका  Binomial नाम Pitta Brachyura है। नवरंगा भारतीय उपमहाद्वीप में कई जगह पर पाया जाता है।  भारत में हिमालय, सिक्किम , दक्षिण मध्य भारत, कर्नाटक और पश्चिमी घाट में देखा जा सकता है। भारत के अलावा इसकी और प्रजाति  श्रीलंका, नेपाल पाकिस्तान में भी पाई जाती है । यह प्रायः पर्णपाती और घने सदाबहार वनों में पाया जाने वाला खूबसूरत पक्षी  है । यह पक्षी ज्यादातर जंगल में जमीन पर दिखाई देंगे,  जंगल में इन्हें खोजना थोड़ा मुश्किल होता है लेकिन इनकी मधुर आवाज और खूबसूरत रंग इनके करीब ले जाने में मददगार होती है । 'नवरंगा' बेहद शर्मिला पक्षी है, ये सदाबहार जंगल में रहना पसंद करते हैं। इन्हे भोजन के रूप में छोटे कीट-फतिंगे पसंद हैं। 'नवरंगा' यानी इंडियन पित्ता जमीन पर चलकर अपने भोजन की तलाश पूरी करते हैं। प्रदेश के विजिटर बर्ड के रूप में अपनी पहचान बना चुके इन पक्षियों के पास एक विशिष्ट दो नोट सीटी काल है जिसे जंगल के भीतर आसानी से सुना जा सकता है। इस पक्षी की एकदम अलग और मधुर आवाज ही इनके जंगल में आमद देने की सूचना देती है। 
ये मेहमान पक्षी एक समय केवल बलौदा-बाजार जिले के महराजी-अर्जुनी में करीब डेढ़ दशक से मेहमानी करने आते रहें है, अब ये राज्य के अलग-अलग जंगलों में भी अपना अस्थाई ठिकाना बनाते हैं।  इस पक्षी में नौ रंग का समावेश होता है, इसलिए इस सुन्दर और आकर्षक पक्षी को 'नवरंगा' कहते है ।  इसकी पूंछ एकदम छोटी होती है,  आँख के पास मोटी काले रंग की पट्टी होती है । यह पेड़ों में रहता है और उसी पर अपना घोंसला बनाता है । इनका ब्रीडिंग सीजन  जून से अगस्त तक दक्षिण-पश्चिम मानसून के दौरान होता है । यह मध्य भारत में जून में तथा उत्तर भारत में जुलाई में ब्रीडिंग करते है । मादा पित्ता एक बार में चार से पांच अंडे देती है । इनकी साइज लगभग 18 सेंटीमीटर विंग्सपेन वजन लगभग  47 ग्राम से लगभग 66 ग्राम के आस पास होता है । मध्य और पश्चिमी भारत तथा  हिमालय की पहाड़ियों वाले जंगलों में यह पक्षी सामन्यतः प्रजनन करते है । सन 1975 में भारत सरकार द्वारा इस पक्षी के नाम से डाक टिकट भी जारी किया गया था जिसका मूल्य 25 पैसे था जो की इंडियन पित्ता नवरंग के नाम से था ।
इस प्रवासी पक्षी ने एक बार फिर छत्तीसगढ़ के जंगलों में अपनी आमद दे दी है। राज्य के विभिन्न हिस्सों में इनकी मधुर आवाज और खूबसूरती पक्षी प्रेमियों के अलावा छायाकारों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। बिलासपुर जिले के भैंसाझार, सीपत, मुंगेली के अचानकमार टाइगर रिजर्व, बलौदा बाजार के अर्जुनी-महराजी, बारनवापारा समेत रायपुर और अन्य वन क्षेत्रों में नवरंगा इन दिनों खूब लुभा रहा है। तस्वीरें / अचानकमार टाइगर रिजर्व से ...     
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