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International Tiger Day 2021 : 'SAVE TIGER' जैसे राष्ट्रीय अभियानों की बदौलत देश में बाघों की संख्या में वृद्धि हुई, छत्तीसगढ़ में स्थिति चिंताजनक

 TODAY छत्तीसगढ़  /  हर साल पूरे विश्व में 29 जुलाई को विश्व बाघ दिवस मनाया जाता है। भारत का राष्ट्रीय पशु है। यह देश की शक्ति, शान, सतर्कता, बुद्धि और धीरज का प्रतीक माना जाता है। यह भारतीय उपमहाद्वीप में उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र को छोड़कर पूरे देश में पाया जाता है। शुष्क खुले जंगल, नम और सदाबहार वन से लेकर मैंग्रोव दलदलों तक इसका क्षेत्र फैला हुआ है। चिंता की बात ये है कि बाघ को वन्यजीवों की लुप्त होती प्रजाति की सूची में रखा गया है। लेकिन राहत की बात ये है कि 'SAVE TIGER' जैसे राष्ट्रीय अभियानों की बदौलत देश में बाघों की संख्या में वृद्धि हुई है। 

बाघ संरक्षण के काम को प्रोत्साहित करने, उनकी घटती संख्या के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए साल 2010 में रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में आयोजित एक शिखर सम्मेलन में अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस मनाने की घोषणा हुई थी। इस सम्मेलन में मौजूद विभिन्न देशों की सरकारों ने 2022 तक बाघों की आबादी को दोगुना करने का लक्ष्य तय किया था। 

O क्या है इस दिवस का महत्व

बाघों की लुप्त होती प्रजातियों की ओर ध्यान आकर्षित करने, उनकी रक्षा करने और बाघों के पारिस्थितिकीय महत्व बताने के लिए अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस मनाया जाता है। वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन सोसाइटी ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2017 में 116 और 2018 में 85 बाघों की मौत हुई है। 2018 में हुई गणना के अनुसार बाघों की संख्या 308 है। साल 2016 में 120 बाघों की मौतें हुईं थीं, जो साल 2006 के बाद सबसे ज्यादा थी। वहीं, साल 2015 में 80 बाघों की मौत की पुष्टि की गई थी। इस दिवस के जरिए बाघ के संरक्षण के प्रति जागरूक किया जाता है। 

O बाघों को लेकर अच्छी खबर क्या है ?

बाघों के बारे में यह जानकर आपको खुशी होगी कि देश में बाघों की संख्या बढ़ी है। विश्व बाघ दिवस की पूर्व संध्या पर मंगलवार को ही देश में बाघों की गणना की विस्तृत रिपोर्ट जारी करते हुए केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावडेकर ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि दुनिया के 70 फीसदी बाघ भारत में मौजूद हैं। मालूम हो कि बाघों की गणना की प्रारंभिक रिपोर्ट पिछले साल ही आ चुकी है। इसमें देश में बाघों की संख्या में भारी बढ़ोतरी का खुलासा हुआ था। साल 2018 की रिपोर्ट के तहत देश में बाघों की संख्या बढ़कर 2967 हो गई है। पूर्व में हुई गणना के लिहाज से देखा जाए तो साल 2014 के मुकाबले 741 बाघों की बढ़ोतरी हुई है।

O अन्य देशों की भी मदद करेगा भारत 

बाघों के संरक्षण को लेकर भारत अब दुनिया के दूसरे देशों की मदद करेगा। राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) ने दुनियाभर में 13 ऐसे देशों की पहचान की है, जहां मौजूदा समय में बाघ पाए जाते हैं, लेकिन संरक्षण के अभाव में इनकी संख्या कम है। ऐसे में भारत इन देशों को बाघों के संरक्षण के लिए बेहतर तकनीक और योजना मुहैया कराएगा।

राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) ने वर्ष 2018 में हुई बाघों की गणना की रिपोर्ट जारी कर दी है। इसमें अचानकमार टाइगर रिजर्व में केवल पांच बाघ होने की पुष्टि हुई है। जबकि 2014 की गणना में यहां 12 बाघ थे। एकाएक संख्या घटने से वन विभाग में हड़कंप मचा हुआ है।

O छत्तीसगढ़ की स्थिति बेहद चिंताजनक 

 राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण के निर्देश पर चार साल में एक साथ देशभर के टाइगर रिजर्व में बाघों की गणना होती है। इसी के तहत 2018 में अंतिम में गणना हुई थी। ट्रैप कैमरे और पगमार्क के आधार पर टाइगर रिजर्व प्रबंधन ने रिपोर्ट भेजी। इसके आधार पर एनटीसीए ने 29 जुलाई 2019 को राज्यवार आंकड़ा जारी किया था। इसमें छत्तीसगढ़ की स्थिति बेहद चिंताजनक थी।

देशभर में जहां संख्या में 33 प्रतिशत इजाफा हुआ है। वहीं छत्तीसगढ़ में 60 प्रतिशत कमी आई है। रिपोर्ट में छत्तीसगढ़ में 46 से घटकर बाघों की संख्या 19 पहुंच गई। 

रायपुर के वन्यजीव प्रेमी नितिन सिंघवी ने बताया कि जनहित याचिका से भी वन्य जीवों का संरक्षण किया जा सकता है.  वर्ष 2010 और 2011 के मध्य छत्तीसगढ़ में तीन बाघों का शिकार हुआ था. जिसके बाद उन्होंने सूचना का अधिकार के तहत जानकारी निकाल कर के जनहित याचिका दायर की. इसके पश्चात वन विभाग ने रैपिड रेस्क्यू टीम का गठन किया, निश्चेतना की बंदूकें और दवाइयां खरीदी. याचिका के दौरान कोर्ट को बताया कि वन विभाग में 240 बीट गार्ड की कमी है, जिसके पश्चात कोर्ट में बीट गार्ड भर्ती के आदेश दिए और वन विभाग में भर्ती की. अचानकमार टाइगर रिजर्व में प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण के तहत बनाए जा रहे मकानों के निर्माण में रोक लगा दी गई. तथा भोरमदेव अभ्यारण होते हुए चिल्पी से रेंगाखार जाने वाले 150 करोड की लागत वाले रास्ते के निर्माण में रोक लगा दी गई.

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