[TODAY छत्तीसगढ़] / मंगलवार को शासन ने हाईकोर्ट को बताया है कि अरपा साडा के दायरे में आने वाली भूमि की बिक्री, खरीदी व भवन निर्माण के लिए एनओसी समाप्त कर दी गई है। इससे संतुष्ट होने पर कोर्ट ने परियोजना के खिलाफ पेश याचिका को निराकृत किया है।
प्रदेश सरकार ने अरपा नदी के संरक्षण के लिए अरपा साडा परियोजना का गठन किया था। इसके साथ नदी के दोनों ओर 200 मीटर तक जमीन की बिक्री-खरीदी और सभी प्रकार के निर्माण पर रोक लगा दी गई। निर्माण के लिए शासन से एनओसी अनिवार्य किया गया था। इसके खिलाफ कांग्रेस नेता रामशरण यादव समेत अन्य ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की। इसमें कहा गया कि पिछले 10 वर्ष से इस क्षेत्र की जमीन बिक्री, खरीदी व निर्माण पर रोक के कारण लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। रुपये की आवश्यकता होने के बाद भी भू स्वामी जमीन नहीं बेच पा रहे हैं। पूर्व में हाईकोर्ट ने शासन को नोटिस जारी कर पूछा था कि सरकार अरपा साडा परियोजना पर क्या कर रही है। मंगलवार को चीफ जस्टिस की डीबी में याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान शासन की ओर से जवाब प्रस्तुत कर बताया गया कि परियोजना के दायरे में आने वाली जमीन की बिक्री, खरीदी व किसी भी प्रकार के निर्माण के लिए शासन की अनुमति की आवश्यकता नहीं है। सरकार ने इस पर लगे रोक को समाप्त कर दिया है। भू स्वामी जमीन बेचने व निर्माण करने के लिए स्वतंत्र हैं। शासन के जवाब से संतुष्ट होते हुए हाईकोर्ट ने याचिका को निराकृत कर दिया है।
प्रदेश सरकार ने अरपा नदी के संरक्षण के लिए अरपा साडा परियोजना का गठन किया था। इसके साथ नदी के दोनों ओर 200 मीटर तक जमीन की बिक्री-खरीदी और सभी प्रकार के निर्माण पर रोक लगा दी गई। निर्माण के लिए शासन से एनओसी अनिवार्य किया गया था। इसके खिलाफ कांग्रेस नेता रामशरण यादव समेत अन्य ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की। इसमें कहा गया कि पिछले 10 वर्ष से इस क्षेत्र की जमीन बिक्री, खरीदी व निर्माण पर रोक के कारण लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। रुपये की आवश्यकता होने के बाद भी भू स्वामी जमीन नहीं बेच पा रहे हैं। पूर्व में हाईकोर्ट ने शासन को नोटिस जारी कर पूछा था कि सरकार अरपा साडा परियोजना पर क्या कर रही है। मंगलवार को चीफ जस्टिस की डीबी में याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान शासन की ओर से जवाब प्रस्तुत कर बताया गया कि परियोजना के दायरे में आने वाली जमीन की बिक्री, खरीदी व किसी भी प्रकार के निर्माण के लिए शासन की अनुमति की आवश्यकता नहीं है। सरकार ने इस पर लगे रोक को समाप्त कर दिया है। भू स्वामी जमीन बेचने व निर्माण करने के लिए स्वतंत्र हैं। शासन के जवाब से संतुष्ट होते हुए हाईकोर्ट ने याचिका को निराकृत कर दिया है।
