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सिलारी रेंज में पहली बार 4 शावकों के साथ दिखाई पड़ी बाघिन, कैमरे में कैद

[TODAY छत्तीसगढ़] / सतपुड़ा की पर्वत श्रृंखलाओं से घिरे पेंच टाइगर रिजर्व की खूबसूरती और वहां के वन्यजीवन की बहुलता देश-विदेश के पर्यटकों के आकर्षण का बड़ा केंद्र है। पेंच नदी के दोनों ओर टाइगर रिजर्व और राष्ट्रीय उद्यान है। पेंच नदी के एक हिस्से में महाराष्ट्रा की समृद्ध वन भूमि में सघन वन क्षेत्र है। मूलतः सागौन का जंगल अपने बीच कई और पेड़-पौधों को आश्रय देता है। विभिन्न वनस्पतियों और पशु पक्षियों की पेंच में मौजूदगी सैलानियों को अनायास ही अपनी तरफ खींचती है। 
इस खूबसूरत वनक्षेत्र से कइयों सैलानियों की अविस्मरणीय यादे जुडी हुई हैं। कुछ उसी तरह के ना भूल पाने वाले लम्हे को वाइल्डलाइफ छायाकार इमरान खान ने अपने कैमरे में कैद किया है। पर्यावरण और वन्यजीवन को करीब से देखते इमरान खान ने उस लम्हे को TODAY छत्तीसगढ़ से भी शेयर किया। पेंच महाराष्ट्र के सिलारी रेंज में शनिवार [19 अप्रैल 2019] की सुबह ओल्ड बोट कैम्प एरिया में सफारी कर रहे इमरान खान के लिए ना भूल पाने वाला दिन साबित हुआ। उन्होंने बताया की सफारी के दौरान उन्हें सिलारी रेंज में एक बाघिन अपने विचार शावकों के साथ नजर आई। वाइल्डलाइफ छायाकार इमरान खान और पेंच महाराष्ट्र के वन्य जीवन से जुड़े जानकारों की माने तो ऐसा पहली बार हुआ है जब कोई बाघिन अपने चार शावकों के साथ सिलारी रेंज में पर्यटकों को दिखाई पड़ी हो। इमरान ने शावकों और बाघिन की तस्वीरें कैमरे में कैद की और TODAY छत्तीसगढ़ से साझा भी की हैं। ऐसा माना जा रहा है की कैमरे में चार शावकों के साथ कैद हुई बाघिन नान टूरिज्म क्षेत्र की है। जानकारों की माने तो तस्वीर में कैद हुए शावकों की उम्र चार से पांच माह की है। पेंच महाराष्ट्र और पेंच मध्यप्रदेश का वन क्षेत्र बाघों की बहुलता के लिए देश में अलग पहचान रखता है।                      आपको बता दें कि ठीक इसी तरह 12 अप्रैल को पेंच मध्यप्रदेश के टुरिया रेंज में विश्व प्रसिद्ध बाघिन 'कॉलरवाली' अपने चार शावकों के साथ कुछ पर्यटन को दिखाई पड़ी जिसकी तस्वीरें सोशल मीडिया में खूब वायरल हुई। दरअसल सुपरमॉम के नाम से पहचान बना चुकी 'कॉलरवाली' पिछले दिनों [12 अप्रैल 19 ] को तीन महीने के लम्बे अंतराल में शावकों के साथ दिखी थी, अब तक इस विश्व प्रसिद्ध बाघिन ने 30 बच्चों को जन्म दिया है।  

सुपर मॉम : 29 शावक जन्म देने वाली 'कॉलरवाली'

[TODAY छत्तीसगढ़] / पेंच नेशनल पार्क सतपुड़ा की पहाड़ियों के दक्षिणी भाग में स्थित है। इस स्थान का नामकरण पेंच नदी के कारण हुआ है जो कि पेंच नेशनल पार्क के साथ-साथ उत्तर से दक्षिण की ओर बहती है। यह पार्क मध्य प्रदेश की दक्षिणी सीमा में महाराष्ट्र के पास स्थित है। महाराष्ट्र सरकार द्वारा इसे 1983 में नेशनल पार्क घोषित किया गया और 1992 में इसे अधिकारिक रूप से भारत का उन्नीसवा टाइगर रिजर्व घोषित किया गया। इस नेशनल पार्क में हिमालयी प्रदेशों के लगभग 210 प्रजातियों के पक्षी आते हैं। अनेक दुर्लभ जीवों और प्रवासी पक्षियों की मेजबानी करने वाला पेंच नेशनल पार्क तेजी से पर्यटकों को अपनी ओर खींच रहा है। पेंच राष्ट्रीय उद्यान [मध्यप्रदेश] की मशहूर बाघिन 'कॉलरवाली' की ये तस्वीर कई मायनों में ख़ास है। 27 दिसंबर 2018 को चार शावकों को जन्म देने के बाद वो कल पहली बार कैमरे में कैद हुई है। ये दावा नेशनल पार्क के प्रबंधन का है। 
अब जरा 'कॉलरवाली' की खासियत भी जान लीजिये, ये सम्भवतः विश्व की पहली ऐसी बाघिन है जिसने आठवीं बार शावकों को जन्म दिया है। दिसंबर में चार शावकों को जन्म देने से पहले तक इस बाघिन के नाम 25 शावकों को जन्म देने का रिकार्ड है। इस बार की संख्या मिला दें तो 29 शावकों को जन्म देने वाली शायद ये पहली बाघिन है। उम्र दराज [14 साल] 'कॉलरवाली' बाई को चार शावकों के साथ इसी माह  [12 अप्रैल 19 ] चंद पर्यटकों की भीड़ में मैंने भी कैमरे में कैद किया। इसके पहले इन चार बच्चों के साथ 'कॉलरवाली' की तस्वीर सामने नहीं आई थी। 'सुपर मॉम' के नाम से प्रसिद्ध 'कॉलरवाली' बाघिन का जन्म सितंबर 2005 में हुआ था। T - 15 यानी 'कॉलरवाली' को 11 मार्च 2008 में सुरक्षा के लिहाज रेडियो कॉलर लगाया गया था, तभी से इस बाघिन को 'कॉलरवाली' के नाम से पुकारा जाने लगा। मई 2008 में 'कॉलरवाली' पहली बार माँ बनी, उसने 3 शावकों को जन्म दिया। उसके बाद 2009, 2010 में तीसरी बार माँ बनी। मई 2012 में 3 शावकों को जन्म देकर चौथी बार माँ बनने का गौरव हासिल किया। 2013 में पांचवीं बार फिर 2015 में लगातार 6 वीं बार माँ बनकर 'कॉलरवाली' ने 4 शावकों को जन्म दिया। अप्रैल 2017 में 'कॉलरवाली' सातवीं बार माँ बनी और तीन बच्चों को जन्म देकर 25 शावक जन्म देने का रिकार्ड बनाया। इस बार की संख्या मिलाकर इस 'सुपर मॉम' के नाम 29 शावक जन्म देने का रिकार्ड विभागीय दस्तावेज में दर्ज हो गया है। जानकार बताते हैं की बेहद चालाक और फुर्तीली 'कॉलरवाली' ने इसके पहले यानी 25 में से 21 शावकों को सुरक्षित तरीके से वयस्क किया है। इस बार भी वो अपने शावकों को लेकर सतर्क है और जल्दी उन्हें लेकर सामने नहीं आ रही है। 

सर गायब, रीढ़ की हड्डी टूटी हुई हालत में मिली सब एडल्ट बाघिन की क्षत-विक्षत लाश

[TODAY छत्तीसगढ़] / बाघ प्रबंधन और उसके संरक्षण को लेकर महाराष्ट्रा सरकार और महाराष्ट वन विभाग कितना गंभीर है इसका एक और प्रमाण आज सामने आया है। आज खुरसापार [महाराष्ट्र] के 509 कक्ष क्रमांक में एक बाघ के बच्चे की क्षत-विक्षत लाश तीन हिस्से में मिली है। मृत मिले बच्चे की उम्र 12 माह बताई जा रही है। मामले में विभागीय अधिकारीयों ने जांच किये जाने के बाद ही कुछ कहने का हवाला देकर अपना पल्ला झाड़ लिया है लेकिन महाराष्ट्रा के खुरसापार इलाके में गश्त को लेकर अब सवाल खड़े होने लगे हैं।
क्षत-विक्षत हालत में मिली सब एडल्ड बाघिन, उम्र 12 माह
विभागीय अमले से मिली जानकारी के मुताबिक पेंच टाइगर रिजर्व [महाराष्ट्र] के देवलपार क्षेत्र के खुरसापार बीट के कक्ष क्रमांक 509 में आज गुरुवार की सुबह वन रक्षक कोमलदेवकरे को गश्त के दौरान बाघ के एक बच्चे की लाश दिखाई पड़ी। मामले की सुचना तत्काल आला अफसरों को दी गई, खुर्सापार इलाके में मिली बाघ के बच्चे की लाश काफी क्षत-विक्षत हालत में थी। मृत शावक की उम्र 12 माह बताई गई है जो मादा थी। जानकारी के मुताबिक़ इस मादा बच्चे का सर गायब था और उसके मेरुदंड टूटे हुए पाए गए। मामले में प्रथम दृष्टया ये बात स्पष्ट होती है की इस सब एडल्ड मादा को किसी बड़े बाघ ने अपना शिकार बनाया है। हालांकि विभाग जांच की बात कह रहा है, इधर लाश पोस्टमार्डम के बाद जला दी गई है। बताया जा रहा है की हाल ही में दुर्गा बाघिन ने तीन बच्चों को जन्म दिया था, उनमें से ही एक ये मादा बाघिन थी जिसकी उम्र महज 12 माह थी। एक बच्चा अभी मिसिंग बताया जा रहा है जबकि एक बच्चे को कुछ दिन पहले माँ दुर्गा के साथ देखा गया है।
लाश पोस्टमार्डम के बाद जला दी गई 
पेंच टाइगर रिजर्व महाराष्ट्र और पेंच टाइगर रिजर्व मध्यप्रदेश को जोड़ने वाली स्टेट फायर लाइन तेलिया क्षेत्र होकर बाघ पेंच से खुरसापार की तरफ आते-जाते रहे हैं। केवल 60 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला खुरसापार क्षेत्र जहां तीन बाघिन दुर्गा, बिंदु और बारस और एक बड़ा बाघ हेंडसम है। संख्या के अनुपात में इनका वन क्षेत्र काफी कम है जबकि ये माना जाता है की एक बाघ का इलाका कम से कम 40 वर्ग किलोमीटर का होता है ऐसे में इनके इलाको को बढ़ाया जा सके इस दिशा में प्रबंधन को गंभीरता से ध्यान देने की जरूरत है। महाराष्ट्रा में बाघों की संख्या निश्चित रूप से काफी है लेकिन उचित प्रबंध और विभागीय अमले की उदासीनता के चलते बाघ मौत के गाल में समाते जा रहें हैं।
    


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