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सर गायब, रीढ़ की हड्डी टूटी हुई हालत में मिली सब एडल्ट बाघिन की क्षत-विक्षत लाश

[TODAY छत्तीसगढ़] / बाघ प्रबंधन और उसके संरक्षण को लेकर महाराष्ट्रा सरकार और महाराष्ट वन विभाग कितना गंभीर है इसका एक और प्रमाण आज सामने आया है। आज खुरसापार [महाराष्ट्र] के 509 कक्ष क्रमांक में एक बाघ के बच्चे की क्षत-विक्षत लाश तीन हिस्से में मिली है। मृत मिले बच्चे की उम्र 12 माह बताई जा रही है। मामले में विभागीय अधिकारीयों ने जांच किये जाने के बाद ही कुछ कहने का हवाला देकर अपना पल्ला झाड़ लिया है लेकिन महाराष्ट्रा के खुरसापार इलाके में गश्त को लेकर अब सवाल खड़े होने लगे हैं।
क्षत-विक्षत हालत में मिली सब एडल्ड बाघिन, उम्र 12 माह
विभागीय अमले से मिली जानकारी के मुताबिक पेंच टाइगर रिजर्व [महाराष्ट्र] के देवलपार क्षेत्र के खुरसापार बीट के कक्ष क्रमांक 509 में आज गुरुवार की सुबह वन रक्षक कोमलदेवकरे को गश्त के दौरान बाघ के एक बच्चे की लाश दिखाई पड़ी। मामले की सुचना तत्काल आला अफसरों को दी गई, खुर्सापार इलाके में मिली बाघ के बच्चे की लाश काफी क्षत-विक्षत हालत में थी। मृत शावक की उम्र 12 माह बताई गई है जो मादा थी। जानकारी के मुताबिक़ इस मादा बच्चे का सर गायब था और उसके मेरुदंड टूटे हुए पाए गए। मामले में प्रथम दृष्टया ये बात स्पष्ट होती है की इस सब एडल्ड मादा को किसी बड़े बाघ ने अपना शिकार बनाया है। हालांकि विभाग जांच की बात कह रहा है, इधर लाश पोस्टमार्डम के बाद जला दी गई है। बताया जा रहा है की हाल ही में दुर्गा बाघिन ने तीन बच्चों को जन्म दिया था, उनमें से ही एक ये मादा बाघिन थी जिसकी उम्र महज 12 माह थी। एक बच्चा अभी मिसिंग बताया जा रहा है जबकि एक बच्चे को कुछ दिन पहले माँ दुर्गा के साथ देखा गया है।
लाश पोस्टमार्डम के बाद जला दी गई 
पेंच टाइगर रिजर्व महाराष्ट्र और पेंच टाइगर रिजर्व मध्यप्रदेश को जोड़ने वाली स्टेट फायर लाइन तेलिया क्षेत्र होकर बाघ पेंच से खुरसापार की तरफ आते-जाते रहे हैं। केवल 60 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला खुरसापार क्षेत्र जहां तीन बाघिन दुर्गा, बिंदु और बारस और एक बड़ा बाघ हेंडसम है। संख्या के अनुपात में इनका वन क्षेत्र काफी कम है जबकि ये माना जाता है की एक बाघ का इलाका कम से कम 40 वर्ग किलोमीटर का होता है ऐसे में इनके इलाको को बढ़ाया जा सके इस दिशा में प्रबंधन को गंभीरता से ध्यान देने की जरूरत है। महाराष्ट्रा में बाघों की संख्या निश्चित रूप से काफी है लेकिन उचित प्रबंध और विभागीय अमले की उदासीनता के चलते बाघ मौत के गाल में समाते जा रहें हैं।
    


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