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GGU में रोवर्स–रेंजर्स यूनिट का गठन एवं प्रवेश पाठ्यक्रम का आयोजन


 
 TODAY छत्तीसगढ़  /  बिलासपुर, 12 अक्टूबर।  भारत स्काउट्स एवं गाइड्स, छत्तीसगढ़ के तत्वावधान में गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय बिलासपुर में रोवर्स–रेंजर्स यूनिट का गठन कर प्रवेश पाठ्यक्रम का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम राज्य शिक्षा मंत्री श्री गजेंद्र यादव, राज्य मुख्य आयुक्त श्री इन्द्रजीत सिंह खालसा, राज्य सचिव श्री जितेन्द्र कुमार साहू के मार्गदर्शन में एवं विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आलोक कुमार चक्रवाल के निर्देशानुसार संपन्न हुआ।

      जिला मुख्य आयुक्त श्री चन्द्र प्रकाश बाजपेयी, राज्य संगठन आयुक्त (स्काउट) श्री विजय कुमार यादव, एवं जिला शिक्षा अधिकारी श्री विजय कुमार टांडे के नेतृत्व में रोवर्स क्रू एवं रेंजर्स टीम का गठन किया गया। प्रवेश पाठ्यक्रम के दौरान जिला संगठन आयुक्त (स्काउट) श्री महेन्द्र बाबू टंडन तथा रोवर स्काउट लीडर श्री शशांक विश्वकर्मा ने प्रतिभागियों को स्काउटिंग का इतिहास, संकेत (साइन), सलामी (सैल्यूट), मोटो, बाएं हाथ से मिलना, प्रतिज्ञा, नियम, प्रार्थना, झंडा गीत, नॉटिंग, लेशिंग तथा प्राथमिक उपचार के विषय में विस्तृत जानकारी दी। इस कार्यशाला में विश्वविद्यालय स्काउट–गाइड समन्वयक डॉ. योगेश वैष्णव एवं डॉ. मधुलिका सिंह मुख्य रूप से उपस्थित रहें।

CIMS: एमबीबीएस बैच 2025-26 का वाइट कोट सेरेमनी एवं इंडक्शन डे सम्पन्न


TODAY छत्तीसगढ़  /  बिलासपुर। छत्तीसगढ़ इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज़ (सिम्स), बिलासपुर में शनिवार 4 अक्टूबर को एमबीबीएस बैच 2025-26 के लिए इंडक्शन डे एवं वाइट कोट सेरेमनी उत्साहपूर्वक आयोजित की गई। कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन एवं सरस्वती वंदना के साथ हुआ। सहायक स्टूडेंट सेल प्रभारी डॉ. सचिन पांडेय ने नए विद्यार्थियों का स्वागत करते हुए उन्हें संस्थान की शैक्षणिक एवं नैतिक परंपराओं से अवगत कराया।

डीन डॉ. रमणेश मूर्ति ने अपने संबोधन में चिकित्सा क्षेत्र में प्रवेश के लिए विद्यार्थियों को बधाई दी। उन्होंने कहा, “वाइट कोट सिर्फ एक परिधान नहीं, बल्कि यह सेवा, संवेदना और जिम्मेदारी का प्रतीक है।” उन्होंने अनुशासन, करुणा और निरंतर सीखने की भावना को चिकित्सा पेशे की आधारशिला बताया।

समारोह के दौरान नए छात्रों को प्रतीकात्मक रूप से ‘वाइट कोट’ पहनाकर चिकित्सा सेवा के प्रति उनकी निष्ठा को औपचारिक रूप दिया गया। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि इस प्रतिष्ठित संस्थान में प्रवेश पाना अनेक विद्यार्थियों का सपना होता है।

इस वर्ष विशेष गौरव का विषय रहा कि संभाग आयुक्त, बिलासपुर श्री महादेव क़वारे एवं रायगढ़ मेडिकल कॉलेज के अधिष्ठाता डॉ. दिलीप जैन के सुपुत्र ने भी सिम्स में एमबीबीएस में प्रवेश लिया है। इससे संस्थान की प्रतिष्ठा और आकर्षण में निरंतर वृद्धि परिलक्षित होती है।

सिम्स की शुरुआत वर्ष 2001 में पहले बैच के 100 विद्यार्थियों के साथ हुई थी, जो अब 2025 में बढ़कर 150 छात्र-छात्राओं तक पहुंच गई है। यह प्रदेश का दूसरा मेडिकल कॉलेज होने के साथ-साथ निरंतर प्रगति पर अग्रसर है।

कार्यक्रम में ,  डॉ. मधुमिता मूर्ति (प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष, एनेस्थीसिया),डॉ  अर्चना सिंह( प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष रेडियो डायग्नोसिस) डॉ. आरती पांडेय (प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष, ईएनटी), डॉ संगीता रमन जोगी (प्रोफेसर विभागध्यक्ष स्त्री रोग विभाग) डॉ भूपेंद्र कश्यप( नोडल अधिकारी सिम्स)  सहित विभिन्न विभागों के विभागाध्यक्ष, फैकल्टी सदस्य, अभिभावक एवं वरिष्ठ छात्र बड़ी संख्या में सम्मिलित हुए।

कार्यक्रम का समापन फिजियोलॉजी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर एवं मेडिकल एजुकेशन यूनिट के प्रभारी डॉ. केशव कश्यप द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।


Supreme Court : 'बुलडोज़र एक्शन' बिना कारण बताओ नोटिस के कार्रवाई नहीं, जारी हुए दिशा-निर्देश

नई दिल्ली / TODAY छत्तीसगढ़  / सुप्रीम कोर्ट की दो सदस्यीय बेंच ने बुधवार को देश में बुलडोज़र से संपत्तियों को तोड़े जाने को लेकर दिशा निर्देश जारी किए हैं. जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने कहा है कि किसी व्यक्ति के घर या संपत्ति को सिर्फ़ इसलिए तोड़ दिया जाना कि उस पर अपराध के आरोप हैं, क़ानून के शासन के ख़िलाफ़ है.

सुप्रीम कोर्ट ने ये दिशा-निर्देश घरों को बुलडोज़र से तोड़े जाने के ख़िलाफ़ दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए दिए हैं. अपना आदेश सुनाते हुए जस्टिस गवई ने कहा, ''एक आम नागरिक के लिए घर बनाना कई सालों की मेहनत, सपनों और महत्वाकांक्षाओं का नतीजा होता है.'' कई राज्यों में प्रशासन ने ऐसे लोगों के घरों को तोड़ा है, जिन पर सरकार के ख़िलाफ़ विरोध-प्रदर्शनों में शामिल होने का शक़ था.

उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के शासन में बुलडोज़र का महिमामंडन भी किया गया है. उनके कई समर्थक राजनीतिक रैलियों में बुलडोज़र लेकर आते रहे.

अपना आदेश सुनाते हुए जस्टिस गवई और जस्टिस विश्वनाथन की बेंच ने कहा, ''हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि अगर कार्यपालिका मनमाने ढंग से किसी नागरिक के घर को केवल इस आधार पर तोड़ देती है कि वह किसी अपराध का अभियुक्त है तो कार्यपालिका क़ानून के शासन के सिद्धांतों के ख़िलाफ़ कार्य करती है.''

''अगर कार्यपालिका न्यायाधीश के रूप में कार्य करते हुए किसी नागरिक पर केवल अभियुक्त होने के आधार पर विध्वंस का दंड लगाती है तो यह शक्तियों के विभाजन के सिद्धांत का भी उल्लंघन है.''

एकतरफ़ा कार्रवाई रोकने के लिए अदालत ने क्या निर्देश दिए - 

सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में ये भी कहा है कि ऐसे मामलों में जो अधिकारी क़ानून अपने हाथ में लेते हुए इस तरह की मनमानी कार्रवाई करते हैं, उन्हें भी जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस तरह की मनमानी, एकतरफ़ा और भेदभावपूर्ण कार्रवाइयों को रोकने के लिए कुछ दिशा निर्देश ज़रूरी है.

अदालत ने ऐसी परिस्थितियों से निबटने के लिए कई दिशा-निर्देश भी जारी किए हैं.

पूर्व में कारण बताओ नोटिस दिए बिना विध्वंस की कोई कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए. इस नोटिस का उत्तर या तो स्थानीय नगरपालिका क़ानूनों में निर्धारित समय के अनुसार या नोटिस दिए जाने के पंद्रह दिनों के भीतर दिया जा सके.

नोटिस पंजीकृत डाक से भेजा जाए और संपत्ति पर भी चिपकाया जाए. नोटिस में विध्वंस के आधार स्पष्ट हो.

नोटिस को पूर्व तिथि पर जारी किए जाने के आरोपों से बचने के लिए, जैसे ही नोटिस संपत्ति के स्वामी या वहां रहने वालों को भेजा जाए, उसके बारे में जानकारी ज़िलाधिकारी कार्यालय या कलेक्टर ऑफ़िस में भी भेजी जाए.

देश की हर स्थानीय नगर पालिका प्राधिकरण को, इन दिशा निर्देशों के प्रकाशन के तीन महीनों के भीतर एक डिज़िटल पोर्टल बनाना करना होगा, जिस पर नोटिस दिए जाने, नोटिस चिपकाए जाने, नोटिस के जवाब और इस संबंध में जारी आदेश की कॉपी सार्वजनिक हो.

प्रशासन को पीड़ित को सुनवाई का मौक़ा देना होगा और इसकी बैठक की रिकॉर्डिंग भी की जाए.

विध्वंस के आदेश के ख़िलाफ़ अपील किए जाने और न्यायिक समीक्षा का अवसर भी होना चाहिए.

विध्वंस के आदेश को डिज़िटल पोर्टल पर प्रदर्शित किया जाना चाहिए.

संपत्ति के स्वामी को अवैध हिस्से को पंद्रह दिनों के भीतर स्वयं गिराने का अवसर दिया जाना चाहिए और अगर अपील प्राधिकरण विध्वंस आदेश पर स्थगन आदेश ना दे, तब ही विध्वंस की कार्रवाई की जानी चाहिए.

विध्वंस की कार्रवाई की वीडियोग्राफ़ी की जानी चाहिए और विध्वंस रिपोर्ट तैयार की जानी चाहिए.

किसी भी निर्देश का उल्लंघन होने पर अवमानना की कार्रवाई की जाएगी. अगर विध्वंस की कार्रवाई में अदालत के निर्देशों का उल्लंघन पाया जाता है तो संबंधित अधिकारियों अपने निजी खर्च पर गिराई गई संपत्ति की पुनर्स्थापना कराएंगे.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि ये आदेश ऐसे मामलों में लागू नहीं होंगे जहां सार्वजनिक स्थलों, जैसे कि सड़क पर कोई अवैध संरचना हो. किसी अदालत द्वारा दिए गए विध्वंस के आदेशों पर भी यह दिशा निर्देश लागू नहीं होंगे.

इससे पहले अदालत ने अपने आदेश सुरक्षित करते हुए आश्वासन दिया था कि वह दोषी क़रार दिए गए अपराधियों की भी वैध निजी संपत्तियों की राज्य प्रायोजित दंडात्मक विध्वंस कार्रवाइयों से रक्षा करेगी. (सोर्स/ साभार - बीबीसी)


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