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सफ़ेद बाघ की मौत : जानकारी छिपाना वन अफसर अजय शर्मा को पड़ा महंगा, देना होगा 50 हजार रूपये अर्थदंड

TODAY छत्तीसगढ़  / रायपुर, / पिछले कुछ सालों से वन्य प्राणियों की असामयिक मौत को लेकर सुर्ख़ियों में रहने वाले कानन पेंडारी मिनी जू बिलासपुर की चर्चा एक बार फिर गर्म हो चली है। मामला है सफ़ेद बाघ की सर्पदंश से हुई मौत के संबंध में मांगी गई जानकारी का। दिसंबर 2018 में कानन पेंडारी मिनी जू में एक सफेद बाघ को सांप ने काट लिया और उसकी मौत हो गई। सफ़ेद बाघ की मौत पर कानन प्रबंधन के इस बयान को लेकर काफी चर्चा भी हुई, कई वन्यजीव जानकारों ने मौत पर संदेह भी जताया मगर वन अफसरों ने अपनी करतूत को बाघ के अंतिम संस्कार के साथ दफन कर दिया। चूँकि इस मामले को लेकर प्रदेश के नामचीन वन्यजीव प्रेमी नितिन सिंघवी ने सुचना के अधिकार के तहत जानकारी मांग ली, जू प्रबंधन ने सिंघवी के आवेदन को नज़र अंदाज कर दिया और उन्हें कोई भी जानकारी नहीं दी गई। 

इस मामले को लेकर सिंघवी ने सुचना आयुक्त से शिकायत कर अपनी बात रखी, सूचना आयुक्त एके अग्रवाल ने सूचना प्रदाय न करने के कारण कानन पेंडारी जू के तत्कालीन वनपरीक्षेत्र अधिकारी एवं जन सूचना अधिकारी अजय शर्मा जो कि वर्तमान में प्रभारी वन परीक्षेत्र अधिकारी रतनपुर है, दोनों पर  25000 रूपये प्रत्येक प्रकरण के हिसाब से रु 50,000 की पेनल्टी अभी रोपित कर वन मंडल अधिकारी बिलासपुर को निर्देशित किया है कि दंड  राशि की वसूली दोषी जन सूचना अधिकारी के वेतन से वसूल कर शासन के कोष में जमा करने की कार्यवाही करें। आपको बता दें कि दिसंबर 2018 में जिस सफ़ेद बाघ की संदेहास्पद मौत को सर्पदंश से होना बताया गया उसमें कई तथ्य विभागीय अफसरों ने छिपाए। सफ़ेद बाघ की मौत के बाद कानन जू प्रशासन ने एक प्राइवेट डॉक्टर और पशुधन विकास विभाग के वेटरनरी डॉक्टर को सीधे बुलवाकर पोस्टमार्टम कराकर मामला रफा दफा कर दिया।  यहां बताना लाजिमी होगा की दिसंबर 2019 में भी कुछ ऐसा ही किया गया। रेस्क्यू की गई एक स्वस्थ मादा भालू की मोत के बाद कानन प्रबंधन ने उसी प्राइवेट डॉक्टर को पोस्टमार्टम के लिए बुलाया था।

  बता दें शासकीय जू में वन्य प्राणी की मौत होने पर निजी पशु चिकित्सक से पोस्टमार्टम कराने का प्रावधान नहीं है. पशुधन विकास विभाग के वेटरनरी डॉक्टर को भी उपसंचालक अथवा संयुक्त संचालक पशुधन विकास विभाग के माध्यम से ही बुलाया जाता है। सूचना का अधिकार के तहत रायपुर के नितिन सिंघवी ने कानन पेंडारी जू में 2 आवेदन लगा करके जानना चाहा कि सफेद बाघ का पोस्टमार्टम किन वेटरनरी डॉक्टरों ने किया ओर पोस्टमार्टम रिपोर्ट मांगी गई। दूसरे आवेदन में जानकारी चाही गई की पोस्टमार्टम के लिए उपसंचालक अथवा संयुक्त संचालक पशुधन विकास विभाग को क्या कोई पत्र लिखा गया था ? 

जू प्रशासन ने आवेदक को कोई भी जानकारी नहीं प्रदान की। सूचना आयोग में शिकायत प्रकरण के दौरान बताया गया कि पोस्टमार्टम बिलासपुर के निजी चिकित्सक एवं एक पशु चिकित्सा अधिकारी द्वारा किया गया परंतु उपसंचालक अथवा संयुक्त संचालक पशुधन विभाग को कोई  पत्राचार नहीं किया गया। वहीँ पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी सर्पदंश से मृत्यु का स्पष्ट उल्लेख नहीं किया गया है. इसके विपरीत सर्प विष के समान कोई विषैले पदार्थ के कारण मौत होना बताया गया है.

खूंखार भालू बताकर JCB मशीन से किया रेस्क्यू, देखिये वायरल वीडियो में सच

TODAY छत्तीसगढ़ /  छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले में एक आदमखोर भालू को रेस्क्यू ऑपरेशन चलाकर पकड़ा गया है. तस्वीर में दिखाई देता ये वही खूंखार भालू है, जिसने शनिवार को खरसिया के देवगांव में दो लोगों की जान ले ली थी. इसके अलावा इस भालू पर कई लोगों को घायल करने का भी आरोप है . बताया जा रहा है की भालू के हमले की वजह से इलाके के लोग दहशत में जी रहे थे. 
दरअसल वन विभाग की टीम शनिवार (21 दिसंबर) से भालू को पकड़ने के लिए रेस्क्यू चला रही थी. आखिरकार कड़ी मशक्कत के बाद उस भालू को दूसरे दिन यानी 22 दिसंबर को पकड़ने में वन विभाग के जाबांज कर्मियों को सफलता मिल गई। भालू को पकड़ने के लिए खरसिया प्रभारी रेंजर छोटे लाल डनसेना, एसडीओ एचसी पहारे और उनकी टीम लगी हुई थी.
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भालू के रेस्क्यू की ख़बरें दूसरे दिन विभागीय तस्वीरों के साथ प्रकाशित हुईं, रेस्क्यू आपरेशन की सफलता और उसके पीछे काम कर रही विभागीय टीम की कार्यकुशलता को देखने या फिर समाचार पत्रों में पढ़ने वालों को यकीनन उस बड़ी हकीकत से बे खबर रखा गया जो रात के अँधेरे में विभागीय टीम के निर्देश पर हुआ। 
                                             
रायगढ़ वन मंडल के वन अफसरों की करतूतों को देखने और स्याह रात में उनकी जिम्मेदारियों को समझने के लिए यह वीडियो काफी होगा। शेड्यूल वन के प्राणी भालू के आतंक से चिंतित अफसरों ने रेस्क्यू आपरेशन के दौरान जो हरकत की है वो भी कम जंगली नहीं है। रेस्क्यू आपरेशन का यह वीडियो मौके पर मौजूद एक शख्स ने बनाया और वन विभाग की घोर लापरवाहियों का सच सामने आ गया। एक भालू को पकड़ने के लिए ना सिर्फ जेसीबी मशीन का इस्तेमाल किया गया बल्कि उसे बड़ी ही बेरहमी से उठाने की कोशिश की जाती रही। इस वीडियो को देखकर वन्य प्राणी से वास्ता रखने वाले जानकार समझ सकते हैं की रायगढ़ वन मंडल के अफसरों की सोच वन्य प्राणियों को लेकर कितनी गंभीर और संवेदनशील है। इस वीडियो को विभागीय मंत्री संज्ञान में लें और उन तमाम अफसरान और कर्मचारियों पर सख्त से सख्त कारवाही हो जिनके मार्गदर्शन में यह रेस्क्यू आपरेशन चलाया गया। आपको याद दिला दें की करीब डेढ़ बरस पहले अम्बिकापुर क्षेत्र में आपरेश पद्मावती चलाकर एक घायल हथनी को मशीन के माध्यम से गढ्ढे से बाहर निकाला गया था जिसकी वजह से उसकी रीढ़ की हड्डी टूटने की बात सामने आई थी। विभागीय लापरवाही और जानकारी के अभाव में हुए उस रेस्क्यू आपरेशन में आखिरकार हथनी की मौत हो गई थी। अब विभाग एक नई कहानी लिखने की कूट रचना तैयार करता दिखाई दे रहा है, पकडे गए भालू को खूंखार बताकर उसे पकड़ने का दावा करने वाले अफसर इस संभावना को पहले ही व्यक्त कर चुके हैं की भालू खुद को नुक्सान पहुंचा सकता है। मतलब भालू इस रेस्क्यू आपरेशन के दौरान घोर लापरवाही से घायल हुआ और बाद में उसकी मौत होती है तो कोई दोषी न ठहराया जाए। प्रदेश के वन मंत्री वन्यप्राणियों को लेकर बेहद संजीदा हैं, उन्हें इस मामले में तत्काल कोई ठोस कदम उठाना होगा ताकि वन अफसरों की वन्य प्राणियों के साथ बरती जा रही क्रूरता पर लगाम लग सके।   
विभागीय दावे के अनुसार आदमखोर भालू को ट्रेंकुलाइज करने के लिए रायपुर से डॉक्टर को बुलाया गया था. डॉक्टर के पहुंचने के बाद भालू पर लगातार नजर रखा गया था. विभागीय कर्मचारियों की संयुक्त टीम ने भालू को चारों ओर घेर रखा था. ताकि मौका मिलने पर भालू को सुरक्षित रूप से बेहोश किया जा सके. इसके बाद सुबह करीब सात बजे जब भालू को देखा गया, तो उसे एक्सपर्ट डॉक्टर ने ट्रेंकुलाइज किया गया. इस दौरान भालू ने कई बार विभाग के अधिकारियों-कर्मचारियों पर हमला करने की कोशिश की भी.
भालू को पकड़ने के बाद एक पिंजरे में कैद किया गया, फिर खरसिया लाया गया. वहां उपचार के बाद बिलासपुर के कानन पेंडारी भेजा गया. अब इस इलाके के लोग सुकून से इधर-उधर घूम फिर पा रहे है, वरना पहले घर से निकलना भी दुश्वार हो गया था.

अकबर ने पूछा कैसे मरा 'विजय', वन मंत्री पहुंचे कानन जू

[TODAY छत्तीसगढ़] / प्रदेश के वन मंत्री मोहम्मद अकबर सोमवार को बिलासपुर प्रवास पर रहे। उन्होंने इस दौरान कानन पेंडारी जुलाजिकल पार्क पहुंचकर वहां के हालात देखे और अफसरों से जरूरी जानकारियां जुटाईं ।प्रदेश के वन मंत्री ने सफेद बाघ विजय की मौत को लेकर काफी गंभीरता दिखाई। उन्होंने अफसरों से सिलसिलेवार सवाल किये, मौत की वजह से लेकर जांच रिपोर्ट तक की जानकारी लेने वाले वन मंत्री ने स्पस्ट कर दिया है अफसर समय रहते अपनी कार्यशैली में बदलाव ले आएं। सफ़ेद बाघ की मौत के मामले को गंभीरता से लेते हुए वन मंत्री ने कानन पेंडारी के अन्य जानवरों के संबंध में भी जानकारी ली। उन्होंने जांच में शामिल डॉक्टरों की टीम से भी सवाल-जवाब किया। वन मंत्री ने पोस्टमार्डम की रिपोर्ट भी तलब की।  
गौरतलब है कि पिछले माह 27 दिसंबर को कानन पेंडारी में सफेद बाघ विजय की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत का मामला सामने आया था। वन विभाग के चिकित्सक और अफसरों ने विजय की मौत सांप के काटने से होना बताया । कानन में सफेद बाघ की मौत की वजह भले ही अफसर सर्पदंश बता रहे हों लेकिन वन्यजीव जानकार मौत के कारणों नहीं उतार पा रहें हैं।  मामले में कानन प्रबंधन की लापरवाहियों की बात भी सामने आई है, इधर आज जब राज्य के वन मंत्री ने चिकित्सकों से साँप काटने और बाघ की मौत को लेकर सवाल किया तो चिकित्सक सकते में आ गए, वन मंत्री के समक्ष चिकित्सक विजय की मौत का कोई ठोस कारण नहीं बता सके । गौरतलब है कि इससे पहले मामले को दबाने के लिए बिलासपुर वन मंडल के डीएफओ संदीप बलगा ने बताया था कि जब सफेद बाघ का पोस्टमार्टम किया गया था तो उसके शरीर में जहर पाया गया था। इस दौरान मोहम्मद अकबर ने जानने का प्रयास किया कि क्या बाघ के शरीर पर सांप काटने के निशान पाए गये है। डाॅक्टरों ने बताया कि चूंकि  बाघ के शरीर पर बाल होने के कारण सर्पदंश के निशान नहीं दिखे। लेकिन पीएम के दौरान बाघ के हृदय में कालापन पाया गया। मुंह से झाग भी निकला है। इस प्रकार के लक्षण कोबरा के दंश से होता है। डॉक्टरों से पूछताछ के बाद मोहम्मद अकबर ने पत्रकारों से बताया कि बाघ के अंगों को जांच के लिए बरेली भेजा गया है। विस्तृत रिपोर्ट आने के बाद  बाघ की मृत्यु के कारणों की वास्तविक जानकारी सबके सामने आ जाएगी। 
आपको याद दिला दें कि शायद 2007 के बाद कानन पेंडारी के निरीक्षण को लेकर किसी मंत्री ने वहां रुख किया है। मतलब पुरे 12 बरस बाद कोई मंत्री जानवरों की सेहत और उनके रखरखाव को देखने कानन आया। तत्कालीन भाजपा सरकार में वन मंत्री और अफसरों के पास इतना वक्त ही नहीं था की वे विभागीय जिम्मेदारियों को पूरा कर पाते। एक दशक बाद विभागीय मंत्री की कानन में हुई दस्तक से प्रशासनिक अमला सकते में हैं। ऐसा माना जा रहा है की विजय की मौत के मामले में सही तथ्य पर कुछ अफसरों, कर्मियों पर कारवाही की गाज गिर सकती है। 


  

नए साल का पहला रविवार, दस हजार पर्यटक कानन पहुंचे


[TODAY छत्तीसगढ़] / बिलासपुर जिला मुख्यालय से महज 8 किलोमीटर दूर कानन पेंडारी जुलाजिकल पार्क में नए साल के पहले रविवार को 9 हजार 500 पर्यटक पहुंचे। इस दौरान दिनभर मौज- मस्ती के बीच गुजारे। इससे जू प्रबंधन के खाते में एक लाख 40 हजार 770 रुपये का राजस्व जमा हुआ। भीड़ देखकर प्रबंधन को आनन- फानन में अतिरिक्त व्यवस्था भी करनी पड़ी।
ऐसा माना जाता है कि शहर के नजदीक भ्रमण के लिए कानन पेंडारी जू से बेहतर कोई जगह नहीं है। यही वजह है कि सामान्य दिनों में लगभग तीन से चार हजार पर्यटकों की भीड़ से जू गुलजार रहता है। रविवार को संख्या लगभग पांच हजार के करीब पहुंच जाती है। लेकिन इस रविवार को आंकड़ा इतना अधिक हो गया कि जू प्रबंधन को उन्हें संभालने मशक्कत करनी पड़ी। एक जनवरी को 21 हजार से अधिक पर्यटक पहुंचे थे। सुबह नौ बजे जू खुलने के बाद प्रबंधन को जरा भी उम्मीद नहीं थी कि इतनी अधिक संख्या में पर्यटक पहुंचेंगे। सुबह 11 बजे तक कुछ पर्यटक ही नजर आए। लेकिन दोपहर 12 बजे के बाद पर्यटकों के पहुंचने का सिलसिला जो शुरू हुआ शाम 4.30 बजे तक वह चलता रहा। एकाएक भीड़ होने की स्थिति में टिकट काउंटर के बाहर अव्यवस्था भी हुई। बच्चों में खास उत्साह नजर आया। मोगली गार्डन व राजीव उद्यान में हाथीनुमा फिसलपट्टी, झूले और मनोरंज से जुड़ी अन्य चीजों का जमकर लुत्फ उठाया।
शिखा के शावकों को ढूंढते रहे- 
इस भीड़ में ज्यादा ऐसे पर्यटक थे जो बाघिन शिखा के शावकों को ढूंढते रहे। हर कोई शावकों की अठखेलियों को देखने बेचैन थे। लेकिन उन्हें मायूस होकर लौटना पड़ा। कुछ पर्यटकों ने जानकारी ली तो उन्हें बताया गया कि मार्च के प्रथम सप्ताह से दोनों शावकों को खुले केज में लाया जाएगा।

'शिखा' के दोनों शावक का दीदार मार्च के बाद कर सकेंगे सैलानी

[TODAY छत्तीसगढ़] / बिलासपुर जिले के कानन पेंडारी जुलाजिकल गार्डन में 'शिखा' के दोनों शावकों को पर्यटक मार्च के बाद देख सकेंगे। कानन की बाघिन शिखा ने 11 नवंबर 2018 को दो शावकों को जन्म दिया था। शिखा के शावकों में एक नर और एक मादा है। कानन प्रबंधन की माने तो शिखा बाघिन और दोनों शावक स्वस्थ्य हैं। प्रबंधन द्वारा दी गई जानकारी के लिहाज से आज की तारीख में दोनों शावकों का वजन करीब 9 किलोग्राम है। शावकों को सीसीटीवी की निगरानी में पृथक इन्क्लोजर में रखा गया है। 
इन शावकों को पर्यटकों के दीदार के लिए मार्च के बाद खुले इन्क्लोजर में रखा जाएगा। कानन में आये इन नए मेहमानों से मुखातिब होने के लिए सैलानियों को चंद महीने का इन्तजार और करना होगा।  


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