TODAY छत्तीसगढ़ / छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले में एक आदमखोर भालू को रेस्क्यू ऑपरेशन चलाकर पकड़ा गया है. तस्वीर में दिखाई देता ये वही खूंखार भालू है, जिसने शनिवार को खरसिया के देवगांव में दो लोगों की जान ले ली थी. इसके अलावा इस भालू पर कई लोगों को घायल करने का भी आरोप है . बताया जा रहा है की भालू के हमले की वजह से इलाके के लोग दहशत में जी रहे थे.
दरअसल वन विभाग की टीम शनिवार (21 दिसंबर) से भालू को पकड़ने के लिए रेस्क्यू चला रही थी. आखिरकार कड़ी मशक्कत के बाद उस भालू को दूसरे दिन यानी 22 दिसंबर को पकड़ने में वन विभाग के जाबांज कर्मियों को सफलता मिल गई। भालू को पकड़ने के लिए खरसिया प्रभारी रेंजर छोटे लाल डनसेना, एसडीओ एचसी पहारे और उनकी टीम लगी हुई थी.
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भालू के रेस्क्यू की ख़बरें दूसरे दिन विभागीय तस्वीरों के साथ प्रकाशित हुईं, रेस्क्यू आपरेशन की सफलता और उसके पीछे काम कर रही विभागीय टीम की कार्यकुशलता को देखने या फिर समाचार पत्रों में पढ़ने वालों को यकीनन उस बड़ी हकीकत से बे खबर रखा गया जो रात के अँधेरे में विभागीय टीम के निर्देश पर हुआ।
रायगढ़ वन मंडल के वन अफसरों की करतूतों को देखने और स्याह रात में उनकी जिम्मेदारियों को समझने के लिए यह वीडियो काफी होगा। शेड्यूल वन के प्राणी भालू के आतंक से चिंतित अफसरों ने रेस्क्यू आपरेशन के दौरान जो हरकत की है वो भी कम जंगली नहीं है। रेस्क्यू आपरेशन का यह वीडियो मौके पर मौजूद एक शख्स ने बनाया और वन विभाग की घोर लापरवाहियों का सच सामने आ गया। एक भालू को पकड़ने के लिए ना सिर्फ जेसीबी मशीन का इस्तेमाल किया गया बल्कि उसे बड़ी ही बेरहमी से उठाने की कोशिश की जाती रही। इस वीडियो को देखकर वन्य प्राणी से वास्ता रखने वाले जानकार समझ सकते हैं की रायगढ़ वन मंडल के अफसरों की सोच वन्य प्राणियों को लेकर कितनी गंभीर और संवेदनशील है। इस वीडियो को विभागीय मंत्री संज्ञान में लें और उन तमाम अफसरान और कर्मचारियों पर सख्त से सख्त कारवाही हो जिनके मार्गदर्शन में यह रेस्क्यू आपरेशन चलाया गया। आपको याद दिला दें की करीब डेढ़ बरस पहले अम्बिकापुर क्षेत्र में आपरेश पद्मावती चलाकर एक घायल हथनी को मशीन के माध्यम से गढ्ढे से बाहर निकाला गया था जिसकी वजह से उसकी रीढ़ की हड्डी टूटने की बात सामने आई थी। विभागीय लापरवाही और जानकारी के अभाव में हुए उस रेस्क्यू आपरेशन में आखिरकार हथनी की मौत हो गई थी। अब विभाग एक नई कहानी लिखने की कूट रचना तैयार करता दिखाई दे रहा है, पकडे गए भालू को खूंखार बताकर उसे पकड़ने का दावा करने वाले अफसर इस संभावना को पहले ही व्यक्त कर चुके हैं की भालू खुद को नुक्सान पहुंचा सकता है। मतलब भालू इस रेस्क्यू आपरेशन के दौरान घोर लापरवाही से घायल हुआ और बाद में उसकी मौत होती है तो कोई दोषी न ठहराया जाए। प्रदेश के वन मंत्री वन्यप्राणियों को लेकर बेहद संजीदा हैं, उन्हें इस मामले में तत्काल कोई ठोस कदम उठाना होगा ताकि वन अफसरों की वन्य प्राणियों के साथ बरती जा रही क्रूरता पर लगाम लग सके।
विभागीय दावे के अनुसार आदमखोर भालू को ट्रेंकुलाइज करने के लिए रायपुर से डॉक्टर को बुलाया गया था. डॉक्टर के पहुंचने के बाद भालू पर लगातार नजर रखा गया था. विभागीय कर्मचारियों की संयुक्त टीम ने भालू को चारों ओर घेर रखा था. ताकि मौका मिलने पर भालू को सुरक्षित रूप से बेहोश किया जा सके. इसके बाद सुबह करीब सात बजे जब भालू को देखा गया, तो उसे एक्सपर्ट डॉक्टर ने ट्रेंकुलाइज किया गया. इस दौरान भालू ने कई बार विभाग के अधिकारियों-कर्मचारियों पर हमला करने की कोशिश की भी.
भालू को पकड़ने के बाद एक पिंजरे में कैद किया गया, फिर खरसिया लाया गया. वहां उपचार के बाद बिलासपुर के कानन पेंडारी भेजा गया. अब इस इलाके के लोग सुकून से इधर-उधर घूम फिर पा रहे है, वरना पहले घर से निकलना भी दुश्वार हो गया था.