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मस्तूरी गोलीकांड: अकबर खान गिरफ्तार, आरोपी लंबे समय से आपराधिक नेटवर्क चला रहा था


 बिलासपुर। TODAY छत्तीसगढ़  /  छत्तीसगढ़ के बिलासपुर ज़िले में हुए मस्तूरी गोलीकांड मामले की जांच में पुलिस ने दो और आरोपियों को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार लोगों में मोपका निवासी पूर्व कांग्रेस नेता अकबर ख़ान का नाम सबसे अधिक सुर्खियों में है। पुलिस का कहना है कि अकबर ख़ान लंबे समय से अपराध से जुड़ी गतिविधियों में शामिल रहा है, लेकिन राजनीतिक संरक्षण के कारण अब तक किसी बड़े कानूनी शिकंजे में नहीं आया था।वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक रजनेश सिंह (भा.पु.से.) के नेतृत्व में गठित विशेष टीम ने अब तक इस मामले में कुल नौ आरोपियों को गिरफ्तार किया है।

हमला राजनीतिक रंजिश का परिणाम - 

बिलासपुर पुलिस का कहना है कि मस्तूरी गोलीकांड कोई आकस्मिक वारदात नहीं थी, बल्कि यह राजनीतिक वर्चस्व और निजी रंजिश का नतीजा था। पुलिस के अनुसार, हमले की योजना पहले से बनाई गई थी और कई लोगों ने इसमें सक्रिय भूमिका निभाई। पुलिस सूत्रों के मुताबिक, मुख्य आरोपी विश्वजीत अनंत और नितेश सिंह के बीच भूमि विवाद और राजनीतिक प्रतिस्पर्धा को लेकर पुराना तनाव था। इसी रंजिश के चलते 28 अक्टूबर को मस्तूरी मेन रोड पर फायरिंग की गई, जिसमें राजू सिंह और चंद्रभान सिंह घायल हुए थे।

अकबर ख़ान की भूमिका पर सवाल - 

पुलिस की जांच में सामने आया है कि अकबर ख़ान शहर में एक आपराधिक नेटवर्क चलाता था और कई पुराने मामलों में उसका नाम सामने आया था। पुलिस ने बताया कि इस बार वह हमले की साज़िश में सीधे तौर पर शामिल पाया गया। अकबर ख़ान कांग्रेस से जुड़े कुछ स्थानीय नेताओं के संपर्क में रहा है, हालांकि पार्टी ने अब तक इस पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है।

अब तक की कार्रवाई - 

अब तक पुलिस ने जिन आरोपियों को गिरफ्तार किया है, उनमें शामिल हैं — विश्वजीत अनंत, अरमान उर्फ बलमजीत, चाहत उर्फ विक्रमजीत, मोहम्मद मुस्तकीम, मोहम्मद मतीन, ब्रायनजीत उर्फ आरजू, एक किशोर, और हाल में गिरफ्तार किए गए देवेश सुमन उर्फ निक्कू सुमन और अकबर ख़ान। पुलिस ने आरोपियों से तीन देशी पिस्तौल, दो कट्टे, छह मैगज़ीन, पाँच जिंदा कारतूस, तेरह खाली खोखे और पाँच मोबाइल फ़ोन जब्त किए हैं।

संगठित अपराध की धारा जोड़ी गई - 

बिलासपुर पुलिस ने इस मामले में धारा 111 BNS (संगठित अपराध) जोड़ी है। पुलिस का कहना है कि सभी आरोपी पहले भी गंभीर अपराधों में लिप्त रहे हैं, और अब इस नेटवर्क को पूरी तरह समाप्त करने की कार्रवाई जारी है।

राजनीतिक संरक्षण पर उठे सवाल - 

अकबर ख़ान का नाम कई मामलों में सामने आने के बावजूद उस पर कार्रवाई न होने को लेकर स्थानीय स्तर पर सवाल उठाए जा रहे हैं। स्थानीय निवासियों का कहना है कि अगर अपराधियों को राजनीतिक सुरक्षा मिलती रही, तो “कानून का डर खत्म हो जाएगा।” बिलासपुर पुलिस की इस कार्रवाई की सराहना की जा रही है, लेकिन अब जनता की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि क्या राजनीतिक छत्रछाया में पल रहे अपराधियों पर भी कार्रवाई उतनी ही सख़्ती से जारी रहेगी।

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