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अचनाकमार टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या दोगुनी, WWF INDIA की रिपोर्ट में सामने आई खुशखबरी

 ATR:  2017 में 5 से बढ़कर 2024 में 10 बाघ

TODAY छत्तीसगढ़  /  रायपुर। बाघ संरक्षण की दिशा में छत्तीसगढ़ के लिए बड़ी उपलब्धि दर्ज हुई है। डब्ल्यूडब्ल्यूएफ-इंडिया ने “रिकवरिंग स्ट्राइप्स – अ पॉपुलेशन स्टेटस ऑफ टाइगर्स एंड देयर प्रे इन अचनाकमार टाइगर रिजर्व, छत्तीसगढ़” शीर्षक से एक रिपोर्ट जारी की है, जिसमें अचनाकमार टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है।

रिपोर्ट के अनुसार, 2017 में जहां अचनाकमार में केवल 5 बाघ दर्ज किए गए थे, वहीं 2024 तक यह संख्या बढ़कर 10 हो गई है। इनमें पड़ोसी बांधवगढ़ और कान्हा टाइगर रिजर्व से आए बाघ भी शामिल हैं। यह स्वस्थ परिदृश्य-स्तरीय कनेक्टिविटी का संकेत है।

डब्ल्यूडब्ल्यूएफ-इंडिया के वरिष्ठ प्रोजेक्ट अधिकारी उपेंद्र दुबे ने बताया कि लगभग 15 वर्षों में पहली बार अचनाकमार में प्रजनन योग्य आयु वाले नर-मादा बाघ मौजूद हैं। संतुलित लैंगिक अनुपात और शावकों की मौजूदगी रिजर्व के लिए स्थायी जनसंख्या वृद्धि का बड़ा मोड़ साबित हो सकती है। 

कनेक्टिविटी है अहम - 

अचनाकमार का मध्य भारत में रणनीतिक स्थान इसे टाइगर कॉरिडोर नेटवर्क का अहम हिस्सा बनाता है, जो कान्हा और बांधवगढ़ जैसे बड़े टाइगर रिजर्व से जुड़ा हुआ है। यह कनेक्टिविटी बाघों की आवाजाही, आनुवंशिक विविधता और दीर्घकालिक अस्तित्व के लिए बेहद जरूरी है।

 सीसीएफ (वन्यजीव) व फील्ड डायरेक्टर मनोज कुमार पांडेय ने बताया कि अध्ययन में वैज्ञानिक पद्धतियों से बाघों और उनके शिकार प्रजातियों की घनत्व का आकलन किया गया। “यह रिपोर्ट अचनाकमार में प्रभावी प्रबंधन और संरक्षण रणनीतियां बनाने के लिए महत्वपूर्ण जानकारी उपलब्ध कराती है।”

सामूहिक प्रयासों का नतीजा - 

अध्ययन में शिकार प्रजातियों की मजबूत आबादी की अहमियत भी रेखांकित की गई है, क्योंकि यही बाघों की दीर्घकालिक मौजूदगी का आधार है। डब्ल्यूडब्ल्यूएफ-इंडिया और छत्तीसगढ़ वन विभाग लंबे समय से अचनाकमार में आवास प्रबंधन, वनकर्मियों के प्रशिक्षण और स्थानीय समुदायों की सहभागिता जैसे कार्यक्रम चला रहे हैं।

रिपोर्ट के निष्कर्ष इन प्रयासों की सफलता को दर्शाते हैं और यह भी साबित करते हैं कि विज्ञान-आधारित रणनीति और सतत सहयोग से ही भारत में बाघों का भविष्य सुरक्षित किया जा सकता है।


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