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Uttarkashi Tunnel Rescue : चट्टान का सीना फाड़ बाहर निकल आये 41 श्रमिक, उत्तरकाशी में दिवाली जैसा जश्न

 " उत्तराखंड के उत्तरकाशी में टनल में फंसे मजदूरों को बाहर निकाला जा चुका है. सुरंग में खुदाई पूरी हो गई है. 800 मिमी व्यास के पाइप के जरिए सभी मजदूरों को बाहर खींचकर निकाल लिया गया है. एनडीआरएफ की टीम पाइप के जरिए मजदूरों तक पहुंची, फिर उन्हें बाहर निकालने का काम शुरू किया गया. मजदूरों को एंबुलेंस में बैठाकर अस्पताल भेजने का सिलसिला भी शुरू हो गया है. वहीं सुरंग के अंदर मजदूरों के परिजनों को भेजा गया है. वो सर्दी के हिसाब से कपड़े लेकर वहां गए हैं."

उत्तरकाशी ।  TODAY छत्तीसगढ़  /   उत्तराखंड में सिलक्यात सुरंग में पिछले 16 दिन से फंसे सभी 41 श्रमिकों को मंगलवार को सकुशल बाहर निकाल लिया गया। अधिकारियों ने बताया कि श्रमिकों को एक-एक करके 800 मिमी के उन पाइपों के जरिए बाहर निकाला गया जिन्हें मलबे में ड्रिल करके अंदर डालकर एक रास्ता बनाया गया था। 

चारधाम यात्रा मार्ग पर निर्माणाधीन साढ़े चार किलोमीटर लंबी सिलक्कारा-बढ़‌कोट सुरंग का 12 नवंबर को एक हिस्सा बहने से उसमें फंसे श्रमिकों को निकालने के लिए युद्धस्तर पर अभियान चला रहे बचावकर्मियों को 17वें दिन यह सफलता मिली। मजदूरों को निकाले जाने के दौरान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग राज्य मंत्री जनरल (सेवानिवृत्त) वीके सिंह भी मौजूद रहे। बाहर निकल रहे श्रमिकों को मुख्यमंत्री ने अपने गले लगाया तथा उनसे बातचीत की। बचाव कार्य में जुटे लोगों के साहस की भी उन्होंने सराहना की।

मजदूरों को बाहर निकाले जाने के बाद सुरंग के बाहर खड़ी एंबुलेस के जरिए उन्हें सिलक्वारा से 30 किलोमीटर दूर चिन्यालीसौड़ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में बनाए गए अस्पताल में ले जाया गया। इस मौके पर मुख्यमंत्री ने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि श्रमिकों और उनके परिजनों के चेहरे की खुशी ही उनकी 'ईगास और बग्वाल (दीवाली के दस दिन बाद पर्वतीय क्षेत्र में मनाई जाने वाली दीवाली) है।

उन्होंने अभियान के सफल होने का श्रेय बचाव दल की तत्परता, तकनीकी मदद, अंदर फंसे श्रमिकों की जीवटता, प्रधानमंत्री द्वारा पल-पल की गई निगरानी और बौखनाग देवता की कृपा को दिया। मुख्यमंत्री ने जरूरी होने पर श्रमिकों को अची चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने के आदेश भी अधिकारियों को दिए। उन्होंने कहा कि बचाव अभियान से जुड़े एक-एक सदस्य का वह हृदय से आभार प्रकट करते है जिन्होंने देवदूत बनकर इस अभियान को सफल बनाया।

बचाव अभियान में कई बाधाएं आई लेकिन अंततः सफलता हाथ लगी। सुरंग में मलबा हटाने के लिए सबसे पहले जेसीबी लगाई गई लेकिन ऊपर से मलबा गिरने के कारण इसमें सफलता नहीं मिली जिसके बाद अमेरिकी ऑगर मशीन मंगाकर मलवे में ड्रिलिंग शुरू की गई। हालाकि, मलबे के अंदर 47 मीटर द्विलिंग करने के बाद ऑगर मशीन के हिस्से मलबे के अंदर फंस गए और बचाव अभियान में बाधा आ गई। मशीन के हिस्सो को हैदराबाद से पलाज्मा कटर मंगाकर काटकर अलग किया गया और उसके बाद सोमवार को रेट होल माइनिंग तकनीक की मदद से हाथ से ड्रिलिंग शुरू की गई जिसके बाद मंगलवार को मलबे में पाइप को आर-पार करने में सफलता मिल गई। बचाव अभियान में एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, बीआरओ, आरवीएनएल, एसजेवीएनएल, ओएनजीसी, आईटीबीपी, एनएचएआईडीसीएल, टीएचडीसी, उत्तराखंड सरकार, जिला प्रशासन, सेना, वायुसेना समेत तमाम संगठनों की अहम भूमिका रही।

इस दौरान विज्ञान को साथ ही आस्था का भी सहारा लिया गया। सिलधारा के आसपास के ग्रामीणों और श्रमिकों के परिजनों ने ईश्चर से अपनों के सकुशल बाहर आने की प्रार्थना की। इसके साथ ही मुख्यमंत्री धामी, केंद्रीय मंत्री सिंह और बचाव कायों में सह‌योग के लिए बुलाए गए इंटरनेशनल टनलिंग एक अंडरग्राउड स्पेस एसोसिएशन के अध्यक्ष अष्ट दिवस ने भी सुरंग के बाहर बने स्थानीय देवता बौखनाग मंदिर में सिर झुकावार श्रमिकले की सकुराल निकासी के लिए ईचर से आदमाना। 

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