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राज्य के प्राकृतिक सौंदर्य, पर्यटन, ऐतिहासिक एवं पौराणिक धरोहरों को विश्व मानचित्र पर लाने की जरूरत - भूपेश बघेल

TODAY छत्तीसगढ़  /  रायपुर / मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण छत्तीसगढ़ जंगल, पहाड़, नदियों से आच्छादित प्रदेश है। यहां 44 प्रतिशत जंगल, बारहमासी नदियां, बांध, सुंदर झरने, ऐतिहासिक एवं पौराणिक धरोहरें विद्यमान है। इसको सहेजने और विश्व मानचित्र पर लाने की आवश्यकता है। भगवान श्री राम ने अपने वनवास काल का सर्वाधिक समय छत्तीसगढ़ में व्यतीत किया है। चंदखुरी स्थित माता कौशल्या का मंदिर, तालाब और पूरे परिसर का सौंदर्यीकरण कराया जा रहा है। शिवरीनारायण को पर्यटन के दृष्टि से विकसित किया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ के सिरपुर में दस वर्ग किलोमीटर में प्राचीन बौद्ध विहार, बौद्धकालीन मूर्तियां एवं भवन के अवशेष है। इसको पर्यटन की दृष्टि से विकसित करने की जरूरत है।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल आज विधानसभा परिसर स्थित कार्यालय के सभाकक्ष से छत्तीसगढ़ पर्यटन मण्डल के नवनियुक्त अध्यक्ष अटल श्रीवास्तव, उपाध्यक्ष श्रीमती चित्ररेखा साहू एवं सदस्य द्वय  नरेश ठाकुर एवं निखिल द्विवेदी के पदभार ग्रहण कार्यक्रम को वर्चुअल रूप से सम्बोधित कर रहे थे। मुख्यमंत्री ने पर्यटन मण्डल के नवनियुक्त पदाधिकारियों को बधाई और शुभकामनाएं देते हुए आगे कहा कि छत्तीसगढ़ के विभिन अंचलों में निवासरत विशेष पिछड़ी जनजातियों पण्डो, बैगा, कमार, अबूझमाड़िया के जीवन शैली के बारे में लोग जानना और समझना चाहते हैं। इसके लिए हमें इन इलाकों में पर्यटकों के लिए सुविधाएं विकसित करने की जरूरत है। 

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उन्होंने प्रसिद्ध चित्रकूट वाटर फॉल, सरगुजा जिले की रामगढ़ की पहाड़ियों में स्थित पांच हजार वर्ष पूर्व की प्राचीन नाट्यशाला कुटुमसर गुफा का उल्लेख करते हुए कहा कि पर्यटन की दृष्टि से छत्तीसगढ़ बेहद समृद्ध राज्य है। छत्तीसगढ़ पर्यटन मण्डल का यह दायित्व है कि वह राज्य के पर्यटन स्थलों को सहेजने और सवारने के साथ-साथ पर्यटकों के लिए इन स्थानों पर सुविधाएं विकसित करे। पर्यटन के विकास से राज्य में रोजगार भी बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि हमें योजनाबद्ध तरीके से काम करने की जरूरत है।  


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