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दो सौ यूनिट से अधिक बिजली खपत पर दो पैसे बिल में बढ़ोत्तरी

TODAY छत्तीसगढ़  /  कोयले एवं तेल की कीमत में वृद्धि का आंकलन कर छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत नियामक आयोग द्वारा जारी नियमों तथा दिशा-निर्देशों के तहत बिजली उपभोक्ताओं से वेरियबल कास्ट एडजस्टमेंट (वीसीए) चार्ज लेने का निर्णय लिया गया है। इसके अन्तर्गत प्रथम सौ यूनिट तक खपत पर पूर्व में निर्धारित वीसीए चार्ज यथावत 17 पैसा प्रति यूनिट ही देय होगा अर्थात इस श्रेणी के उपभोक्ताओं के वीसीए चार्ज में कोई भी बढ़ोत्तरी नहीं की गई है। सौ से ऊपर 2 सौ यूनिट तक 2 पैसा तथा इससे अधिक बिजली खपत पर प्रति यूनिट मात्र 3 पैसा अतिरिक्त वीसीए चार्ज देय होगा। यह निर्णय नवम्बर-दिसम्बर 2019 के विद्युत देयकों पर लागू होगा। उक्त जानकारी पॉवर कंपनीज के चेयरमेन शैलेन्द्र शुक्ला ने दी . 
श्री शुक्ला ने बताया कि कोयले और डीजल के दाम में वृद्धि से विद्युत उत्पादन से लेकर कोल परिवहन की दरें घटती-बढ़ती रहती हैं। इस आधार पर बिजली की प्रचलित दर में वीसीए चार्ज को घटाने-बढ़ाने का प्रावधान इलेक्ट्रिसिटी एक्ट की धारा 62(4) के तहत् किया गया है। वीसीए के निर्धारण में राज्य शासन अथवा पॉवर कंपनी की कोई निर्णायक भूमिका नहीं रहती। वीसीए चार्ज का समायोजन देश के सभी विद्युत वितरण कंपनियों द्वारा समय-समय पर किया जाना अनिवार्य होता है। इसका अनुपालन छत्तीसगढ़ में भी किया जा रहा है। छत्तीसगढ़ में 30 जून 2012 से बिजली उपभोक्ताओं से वीसीए चार्ज लेना आरंभ किया गया था।
उन्होंने बताया कि विद्युत उत्पादन हेतु मुख्य रूप से कोयला एवं तेल की आवश्यकता ईंधन के रूप में विद्युत गृहों में होती है । इन दोनों प्रमुख घटकों की कीमत बाजार मूल्य के अनुरूप घटती-बढ़ती रहती है, जिसका निर्धारण केन्द्र सरकार द्वारा किया जाता है। इसी तरह विद्युत दरों का निर्धारण राज्य विद्युत नियामक आयोग द्वारा किया जाता है। विद्युत दरों के निर्धारण के उपरांत कोयला एवं तेल की कीमत में बढ़ी अथवा घटी हुई कीमत का समायोजन हेतु वीसीए की दर की गणना मई 2012 से लेकर सितम्बर 2015 तक त्रैमासिक आधार पर की जाती रही है तत्पश्चात यह दर द्विमासिक आधार पर की जा रही है। वर्तमान में प्रदेश में हाफ रेट पर बिजली भुगतान की योजना जारी है जिसके अन्तर्गत घरेलू उपभोक्ताओं को प्रथम 4 सौ यूनिट की बिजली खपत पर आधे दर से भुगतान करना होता है। इस योजना का लाभ वीसीए चार्ज पर भी मिलेगा।                                               
एक आंकलन के मुताबिक किसी भी वितरण कंपनी के कुल खर्चे का लगभग 75 से 80 प्रतिशत खर्चा पॉवर परचेस के रूप में व्यय होता है, जो कि ईंधन के रूप में क्रय मूल्य में कमी अथवा बढ़ोत्तरी के कारण अनिश्चित-अनियंत्रित रहता है।  वित्तीय वर्ष प्रारंभ होने के पूर्व राज्य नियामक आयोग द्वारा विद्युत दर का निर्धारण कर दिया जाता है। दर निर्धारण के पश्चात अन्य कारणों से विद्युत दर में बढ़ोत्तरी होने की स्थिति में विद्युत वितरण कंपनी पर पडऩे वाली अतिरिक्त वित्तीय भार को समायोजित करने का प्रावधान इलेक्ट्रिसिटी एक्ट की धारा 62(4) में किया गया है। TODAY छत्तीसगढ़ के WhatsApp ग्रुप में जुड़ने के लिए क्लिक करें -
इस धारा के तहत विद्युत अपीलीय प्राधिकरण नई दिल्ली द्वारा 11 नवम्बर 2011 को जारी आदेश के तहत राज्य नियामक आयोगों को निर्दिशत किया गया कि वितरण कंपनी पर फ्यूल तथा पॉवर परचेस कास्ट के कारण पडऩे वाले अतिरिक्त भार को मासिक आधार पर समायोजित करने के लिये एक रेग्यूलेशन (विनियमन) जारी किया जाए। इस निर्देश के तहत् छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत नियामक आयोग द्वारा 30 जून 2012 से फयूल कास्ट तथा विरेयबल कास्ट समायोजन करने की प्रक्रिया को अधिसूचित किया गया है। जिसके तहत् मई 2012 के पश्चात् सभी उपभोक्ताओं के मासिक बिलों में फयूल तथा वेरियबल कास्ट (जिसे वीसीए के रूप में परिभाषित किया गया है) के रूप में समायोजित किया जा रहा है। 
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