TODAY छत्तीसगढ़ / बैहर, 1 अक्टूबर। मध्य प्रदेश के मंडला ज़िले में स्थित कन्हा नेशनल पार्क में जंगल सफ़ारी सीज़न की शुरुआत आज 1 अक्टूबर से हो गई है। बुधवार को खटिया गेट पर आयोजित कार्यक्रम में कैबिनेट मंत्री सम्पतिया उइके ने हरी झंडी दिखाकर पर्यटकों के वाहनों को रवाना किया। इस अवसर पर कन्हा नेशनल पार्क का प्रबंधन दल भी मौजूद रहा। इस सीज़न में पर्यटक कन्हा की वादियों में बाघ, बारहसिंगा समेत कई दुर्लभ वन्यजीव प्रजातियों को नज़दीक से देखने का अनुभव ले सकेंगे। पार्क प्रबंधन के मुताबिक पर्यटन की यह शुरुआत न केवल पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाएगी, बल्कि स्थानीय लोगों के लिए रोज़गार और आर्थिक गतिविधियों को भी नया बल देगी।
आपको बता दें कि 30 जून को हर साल कान्हा, बांधवगढ़,पेंच समेत देश के अधिकाँश राष्ट्रीय उद्यान तीन माह के लिए बंद हो जाते हैं। नये सीजन की शुरुआत 1 अक्टूबर से होती है, आज से देश के सभी टाईगर रिजर्व, राष्ट्रीय उद्यान (छत्तीसगढ़ को छोड़कर) पर्यटकों के लिए खोल दिए गए हैं।
🌿 कान्हा नेशनल पार्क की विशेषताएं
स्थापना: 1955 में राष्ट्रीय उद्यान घोषित, 1973 में प्रोजेक्ट टाइगर के अंतर्गत आया।
स्थान: मध्यप्रदेश के मंडला और बालाघाट ज़िलों में फैला।
क्षेत्रफल: लगभग 940 वर्ग किलोमीटर का कोर एरिया और 1,067 वर्ग किलोमीटर का बफर ज़ोन।
मुख्य आकर्षण:
बाघ, तेंदुआ और जंगली कुत्ता (ढोल), भालू, गौर, साम्भर, गिद्ध, के अलावा कई शिकारी वन्यजीव।
विश्व प्रसिद्ध बारहसिंगा (Swamp Deer) की विशेष प्रजाति, जो केवल कान्हा में पाई जाती है।
वनस्पति: साल, बांस और मिश्रित वनों का अनोखा विस्तार।
पर्यटन ज़ोन: खटिया, किसली, मुक्की और सरही मुख्य गेट हैं।
विशेष पहचान: "जंगल बुक" के लेखक रुडयार्ड किपलिंग की कहानियों का प्रेरणास्थल माना जाता है।

