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कलह के बीच पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष बनाए गए सिद्धू

 TODAY छत्तीसगढ़  / नई दिल्ली / पंजाब कांग्रेस में जारी अंदरूनी कलह के बीच पार्टी नेतृत्व की ओर से आखिरकार नवजोत सिंह सिद्धू को राज्य का पार्टी अध्यक्ष बना दिया गया है. इसके अलावा संगत सिंह गिलजियां, सुखविंद्र सिंह डैनी, पवन गोयल और कुलजीत सिंह नागरा को पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी का वर्किंग अध्यक्ष बनाया गया है. 

पाकिस्तानी खालिक को उसी के घर में हराकर ‘फ्लाइंग सिख’ बने मिल्खा, कोरोना से ज़िंदगी की रेस हार गए

TODAY छत्तीसगढ़  /  'फ्लाइंग सिख' के नाम से मशहूर भारत के महान धावक मिल्खा सिंह का कल देर रात निधन हो गया. 91 वर्षीय मिल्खा सिंह को कोरोना होने पर अस्पताल में भर्ती कराया गया था जहां गुरुवार को उनकी रिपोर्ट निगेटिव तो आ गई थी लेकिन कल उनकी हालत नाजुक हो गई और उन्होंने जिंदगी का साथ छोड़ दिया. मिल्खा सिंह भारत के खेल इतिहास के सबसे सफल एथलीट थे. देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु से लेकर पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति फील्ड मार्शल अयूब खान तक सब मिल्खा के हुनर के मुरीद थे. 

मिल्खा सिंह का जन्म 20 नवम्बर 1929 गोविंदपुरा (जो अब पाकिस्तान का हिस्सा हैं) में एक सिख परिवार में हुआ था. उनका बचपन बेहद कठिन दौर से गुजरा. भारत के विभाजन के बाद हुए दंगों में मिल्खा सिंह ने अपने मां-बाप और कई भाई-बहन को खो दिया. उनके अंदर दौड़ने को लेकर एक जुनून बचपन से ही था. वो अपने घर से स्कूल और स्कूल से घर की 10 किलोमीटर की दूरी दौड़ कर पूरी करते थे. 

मिल्खा सिंह को मिले 'फ्लाइंग सिख' के खिताब की कहानी बेहद दिलचस्प है और इसका संबंध पाकिस्तान से जुड़ा हुआ है. 1960 के रोम ओलिंपिक में पदक से चूकने का मिल्खा सिंह के मन में खासा मलाल था. इसी साल उन्हें पाकिस्तान में आयोजित इंटरनेशनल एथलीट कम्पटिशन में हिस्सा लेने का न्योता मिला. मिल्खा के मन में लंबे समय से बंटवारे का दर्द था और वहां से जुड़ी यादों के चलते वो पाकिस्तान नहीं जाना चाहते थे. हालांकि बाद में तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के समझाने पर उन्होंने पाकिस्तान जाने का फैसला किया. 

पाकिस्तान में उस समय एथलेटिक्स में अब्दुल खालिक का नाम बेहद मशहूर था. उन्हें वहां का सबसे तेज धावक माना जाता था. यहां मिल्खा सिंह का मुकाबला उन्हीं से था. अब्दुल खालिक के साथ हुई इस दौड़ में हालात मिल्खा के खिलाफ थे और पूरा स्टेडियम अपने हीरो का जोश बढ़ा रहा था लेकिन मिल्खा की रफ्तार के सामने खालिक टिक नहीं पाए. रेस के बाद पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति फील्ड मार्शल अयूब खान ने मिल्खा सिंह को 'फ्लाइंग सिख' का नाम दिया और कहा 'आज तुम दौड़े नहीं उड़े हो. इसलिए हम तुम्हें फ्लाइंग सिख का खिताब देते हैं.' इसके बाद से ही वो इस नाम से दुनिया भर में मशहूर हो गए. खेलों में उनके अतुल्य योगदान के लिये भारत सरकार ने उन्हें भारत के चौथे सर्वोच्च सम्मान पद्मश्री से भी सम्मानित किया है. 

चार बार कोशिश करने के बाद साल 1951 में मिल्खा सिंह सेना में भर्ती हुए. भर्ती के दौरान हुई क्रॉस-कंट्री रेस में वो छठे स्थान पर आये थे, इसलिए सेना ने उन्हें खेलकूद में स्पेशल ट्रेनिंग के लिए चुना था. इस दौरान सिकंदराबाद के EME सेंटर में ही उन्हें धावक के तौर पर अपने टैलेंट के बारे में पता चला और वही से उनके करियर की शुरुआत हुई. मिल्खा पर एथलीट बनने का जुनून इस कदर हावी हो गया था कि वो अभ्यास के लिए चलती ट्रेन के साथ दौड़ लगाते थे. इस दौरान कई बार उनका खून भी बह जाता था और सांस भी नहीं ली जाती थी, लेकिन फिर भी वो दिन-रात लगातार अभ्यास करते रहते थे.  

1956 में मेलबर्न में आयोजित हुए ओलंपिक खेलों में उन्होंने पहली बार 200 मीटर और 400 मीटर की रेस में भाग लिया. एक एथलीट के तौर पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उनका ये पहला अनुभव भले ही अच्छा न रहा हो लेकिन ये टूर उनके लिए आगे चलकर बेहद फायदेमंद साबित हुआ. उस दौरान विश्व चैंपियन एथलीट चार्ल्स जेनकिंस के साथ हुई मुलाकात ने उनके लिए भविष्य में बहुत बड़ी प्रेरणा का काम किया.  

मिल्खा सिंह ने साल 1958 में कटक में आयोजित नेशनल गेम्स में उन्होंने 200 मीटर और 400 मीटर स्पर्धा में रिकॉर्ड बनाए. इसके बाद उसी साल टोक्यो में आयोजित हुए एशियन गेम्स में उन्होंने 200 मीटर और 400 मीटर की दौड़ में भी गोल्ड मेडल अपने नाम किया. साल 1958 में ही इंग्लैंड के कार्डिफ में आयोजित कॉमनवेल्थ गेम्स में मिल्खा ने एक बार फिर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाते हुए 400 मीटर की रेस  में गोल्ड मेडल अपने नाम किया. उस समय आजाद भारत में कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत को स्वर्ण पदक जीताने वाले वे पहले भारतीय थे.

1958 के एशियाई खेलो में मिली सफलता के बाद मिल्खा सिंह को आर्मी में जूनियर कमीशन का पद मिला. साल 1960 में रोम में आयोजित ओलंपिक खेलों में उन्होंने 400 मीटर की रेस में शानदार प्रदर्शन किया लेकिन अंतिम पलों में वे जर्मनी के एथलीट कार्ल कूफमैन से सेकेंड के सौवें हिस्से से पिछड़ गए थे और कांस्य पदक जीतने से मामूली अंतर से चूक गए थे. इस दौरान उन्होंने इस रेस में पूर्व ओलंपिक कीर्तिमान भी तोड़ा और 400 मीटर की दौड़ 45.73 सेकेंड में पूरी कर नेशनल रिकॉर्ड भी बनाया. 400 मीटर की रेस में उनका ये रिकॉर्ड 40 साल बाद जाकर टूटा.


पंजाब में कांग्रेस की रार : सिद्धू ने ठुकराया डिप्टी CM का पद


TODAY छत्तीसगढ़  / पंजाब में कांग्रेस हाईकमान ने सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू के बीच चल रही रार को थामने के लिए एक कमिटी का गठन किया था, लेकिन उसके तमाम प्रयास असफल होते दिख रहे हैं। कैप्टन की लीडरशिप बनी रहने और डिप्टी सीएम का पद दिए जाने की पेशकश को सिद्धू ने ठुकरा दिया है। कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि सिद्धू ने मल्लिकार्जुन खड़गे की लीडरशिप वाले पैनल से साफ कह दिया है कि वह कैप्टन अमरिंदर के साथ काम करने में सहज नहीं रहेंगे। कहा जा रहा है कि उन्होंने पैनल से कहा है कि यदि वह डिप्टी सीएम का पद स्वीकार भी कर लेते हैं, तब भी सहज नहीं रहेंगे। 

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 कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक सिद्धू ने पैनल से कहा कि कैप्टन अमरिंदर सिंह पहुंच से दूर रहते हैं। यही नहीं उन्होंने दावा किया कि राज्य में कांग्रेस के विधायकों, पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं को नजरअंदाज किया जा रहा है। यही नहीं बादल परिवार पर हमेशा हमलावर रहने वाले सिद्धू ने कहा है कि वे पंजाब सरकार के कामकाज को प्रभावित कर रहे हैं। पैनल के सामने सिद्धू की इस राय से साफ हो गया है कि पंजाब में कांग्रेस की रार को थाम पाना हाईकमान के लिए टेढ़ी खीर है। माना जा रहा था कि पैनल की ओर से कांग्रेस को जो रिपोर्ट दी गई है, उस पर वह जल्दी ही कुछ कार्रवाई करेगी। लेकिन अब सिद्धू की अतिमहत्वाकांक्षा के चलते सारे प्रयास पटरी से उतर सकते हैं। 

                                                  

भारतीय सेना का लड़ाकू विमान Mig-21 क्रैश, पायलट की मौत

 



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 छत्तीसगढ़  / [नवदीप सिंह, मोगा, जी न्यूज़ ] / पंजाब के मोगा में गुरुवार देर रात करीब 11 बजकर 15 मिनट पर वायु सेना (Indian Air Force) का एक फाइटर एयरक्राफ्ट मिग-21 क्रैश (IAF Fighter Aircraft Mig-21 Crashed In Punjab) हो गया. फाइटर एयरक्राफ्ट मोगा के गांव लंगेआना के पास दुर्घटनाग्रस्त हुआ. इस क्रैश में पायलट अभिनव चौधरी की मौत हो गई. TODAY छत्तीसगढ़ के WhatsApp ग्रुप में जुड़ने के लिए क्लिक करें   

रूटीन ट्रेनिंग पर था मिग-21

बता दें कि इस मिग-21 ने राजस्थान के सूरतगढ़ एयरबेस से उड़ान भरी थी. मिग-21 इनायतपुरा में प्रैक्टिस करके वापस सूरतगढ़ लौट रहा था. पायलट रूटीन ट्रेनिंग कर रहा था. दुर्घटना की खबर मिलते ही वायु सेना की टीमें बठिंडा एयरफोर्स स्टेशन और हलवारा एयरफोर्स स्टेशन से मौके पर पहुंची.

आबादी से दूर खेतों में क्रैश हुआ फाइटर प्लेन मिग-21

मिग-21 देर रात करीब 11:15 बजे लंगेआना गांव के घरों से लगभग 500 मीटर दूरी पर खेतों में जा गिरा. दुर्घटना में पायलट की मौत हो गई. 4 घंटे की मशक्कत के बाद पायलट अभिनव चौधरी का शव खेतों से बरामद हुआ. हालांकि प्लेन क्रैश की वजह से गांव में किसी भी तरह का नुकसान नहीं हुआ.

पायलट को ढूंढने के लिए किया गया टीमों का गठन

एसपी हेड क्वार्टर गुरदीप सिंह ने कहा कि मोगा के गांव में एक जहाज के दुर्घटनाग्रस्त होने का कंट्रोल रूम से मैसेज मिला था. जिसके बाद मोगा के एसएसपी हरमनबीर सिंह गिल समेत पुलिस के तमाम आला अधिकारी मौके पर पहुंचे और पायलट को ढूंढने के लिए अलग-अलग टीमों का गठन किया. उन्होंने बताया कि मौके पर बठिंडा एयरफोर्स और हलवारा एयरफोर्स की टीमें भी पहुंच गई थीं, जिन्होंने पायलट अभिनव चौधरी को ढूंढना शुरू किया. लगभग 4 घंटे की मशक्कत के बाद पायलट अभिनव चौधरी का शव खेतों से मिला. गुरदीप सिंह ने बताया कि पायलट अभिनव चौधरी ने सूरतगढ़ से जगराओं के इनायतपुरा एयरबेस के लिए उड़ान भरी थी, उसके बाद वे वापस सूरतगढ़ जा रहे थे. इस दौरान यह दुर्घटना हो गई.

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