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LOVE STORY : राजमिस्त्री के साथ मिलकर पत्नी ने कराई पति की सुपारी किलिंग, सड़क दुर्घटना में हुई मौत का राज खुला

 कानपुर। TODAY छत्तीसगढ़  /   उत्तरप्रदेश के कानपुर में एक शिक्षक राजेश गौतम की कार से कुचलकर मौत मामले में आखिरकार चौकाने वाला खुलासा सामने आया है। कानपुर पुलिस ने घटना के 25 दिनों बाद मामले को सुलझाने में सफलता हासिल की है। शिक्षक राजेश गौतम की मौत एक्सीडेंट में नहीं बल्कि उसकी हत्या कार्रवाई गई थी और इसके लिए कार चालक को सुपारी दी गई थी। आपको जानकर हैरानी होगी कि शिक्षक की सुपारी देने वाली कातिल कोई और नहीं बल्कि मृतक की पत्नी और उसका राजमिस्त्री प्रेमी था। पुलिस ने जब आरोपियों को गिरफ्तार किया और उनसे पूछताछ की तो कई हैरान कर देने वाले खुलासे हुए, जिन्हें सुनकर कानपुर पुलिस भी हैरान रह गई। 

दरअसल, सरसौल ब्लाक के जूनियर हाईस्कूल में पदस्थ शिक्षक राजेश गौतम ने 2021 में देहली सुजानपुर में घर बनवाने अपने दोस्तों के व्हाट्सएप ग्रुप पर राजमिस्त्री व ठेकेदार के लिए मैसेज डाला था। मैसेज के बाद ठेकेदार हेमन्त सोनकर ने संपर्क किया। ठेकेदार ने राजमिस्त्री के तौर पर अपने रिश्तेदार शैलेंद्र सोनकर का परिचय करवाया। इसके बाद शैलेन्द्र का राजेश गौतम के घर आना-जाना शुरू हुआ। घर बार बार आने पर उसकी बातचीत राजेश की खूबसूरत पत्नी पिंकी से होने लगी। शैलेन्द्र जब पहली बार पिंकी को देखा तो उसे वो पसंद करने लगा था। फिर क्या था राजेश के नहीं रहने पर वो काम के बहने पिंकी के पास आता और उससे घंटों बाते करता रहता था, पिंकी को भी पता लगने लगा था कि शैलेन्द्र उसकी ओर आकर्षित हो रहा है। फिर क्या था दोनों एक दूसरे के करीब आ गए और दोनों में अवैध संबंध भी बनने लगा।

इधर पत्नी की हरकतों का पता राजेश को हो गया और पिंकी से इस बात को लेकर विवाद होने लगा। राजेश कई बार गुस्से के पिंकी के साथ गाली-गलौज कर मारपीट करता रहता था। इस बात से नाराज पिंकी ने अपने राजमिस्त्री प्रेमी शैलेन्द्र सोनकर के साथ मिलकर पति की हत्या की साजिश रची। राजेश की पत्नी पिंकी ने प्लानिंग बनाई की राजेश को मरवाकर उसकी 45 करोड़ की संपत्ति और करोड़ो का बीमा हड़पकर प्रेमी के साथ खुशी-खुशी जीवन बितायेगी । प्लांनिग के तहत शैलेन्द्र ने ममेरे भाई विकास सोनकर के जरिये आवास विकास-3 निवासी ड्राइवर सुमित कठेरिया उर्फ गोलू से संपर्क किया। चार लाख में ट्रक से एक्सीडेंट करने की बात हुई, लेकिन चार माह बीतने के बाद भी प्लानिंग पूरी नहीं हुई तो ड्राइवर सुमित ने खुद ही एक्सीडेंट करने की ठानी। उसने अपनी कार से चार नवम्बर को जब राजेश टहल रहा था तो उसके ऊपर कार चढ़ा दी।

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Ramnath Kovind in Home Village : अपने गांव की माटी को लगाया सर माथे, 'कभी कल्पना नहीं की थी कि देश के सर्वोच्च पद के दायित्व-निर्वहन का सौभाग्य मिलेगा ...'

TODAY छत्तीसगढ़  / कानपुर / राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद इन दिनों अपने गृह जनपद कानपुर में हैं। यहां वह अपनी जन्मभूमि कानपुर देहात के परौंख गांव पहुंचे। यहां राष्ट्रपति का अभिनंदन किया गया। इसके बाद वह स्थानीय मंदिर में पूजा-अर्चना करने पहुंचे। 

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वह अजब नजारा था। हर किसी की आंखें थोड़ी देर के लिए नम सी हो गईं, जब राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अपनी माटी को सर से लगाया। राष्ट्रपति कोविंद इन दिनों अपने गृह जनपद उत्तर प्रदेश के कानपुर में हैं। यहां वह अपनी जन्मभूमि कानपुर देहात के परौंख गांव पहुंचे। यहां राष्ट्रपति का अभिनंदन किया गया।

राष्ट्रपति ने कहा, 'मैंने सपने में भी कभी कल्पना नहीं की थी कि गांव के मेरे जैसे एक सामान्य बालक को देश के सर्वोच्च पद के दायित्व-निर्वहन का सौभाग्य मिलेगा। लेकिन हमारी लोकतांत्रिक व्यवस्था ने यह कर के दिखा दिया।'

अपनी जन्मभूमि, अपने गांव पहुंचे राष्ट्रपति भावुक हो गए। उन्होंने कहा, 'मैं कहीं भी रहूं, मेरे गांव की मिट्टी की खुशबू और मेरे गांव के निवासियों की यादें सदैव मेरे हृदय में विद्यमान रहती हैं। मेरे लिए परौंख केवल एक गांव नहीं है, यह मेरी मातृभूमि है, जहां से मुझे, आगे बढ़कर, देश-सेवा की सदैव प्रेरणा मिलती रही।'

राष्ट्रपति ने कहा, 'मातृभूमि की इसी प्रेरणा ने मुझे हाई कोर्ट से सुप्रीम कोर्ट, सुप्रीम कोर्ट से राज्यसभा, राज्यसभा से राजभवन व राजभवन से राष्ट्रपति भवन तक पहुंचा दिया।'

राष्ट्रपति कोविंद के कानपुर देहात में अपने पैतृक गांव परौंख के दौरे में बाबासाहेब डॉ बीआर आंबेडकर मिलन केंद्र और वीरांगना झलकारी बाई इंटर कॉलेज पहुंचे। यहां उन्होंने एक समारोह को संबोधित किया।

राष्ट्रपति ने कहा कि जन्मभूमि से जुड़े ऐसे ही आनंद और गौरव को व्यक्त करने के लिए संस्कृत काव्य में कहा गया है, जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी अर्थात जन्म देने वाली माता और जन्मभूमि का गौरव स्वर्ग से भी बढ़कर होता है।

प्रेसिडेंट ने कहा कि गांव में सबसे वृद्ध महिला को माता तथा बुजुर्ग पुरुष को पिता का दर्जा देने का संस्कार मेरे परिवार में रहा है, चाहे वे किसी भी जाति, वर्ग या संप्रदाय के हों। आज मुझे यह देख कर खुशी हुई है कि बड़ों का सम्मान करने की हमारे परिवार की यह परंपरा अब भी जारी है।

भारतीय संस्कृति में ‘मातृ देवो भव’, ‘पितृ देवो भव’, ‘आचार्य देवो भव’ की शिक्षा दी जाती है। हमारे घर में भी यही सीख दी जाती थी। माता-पिता और गुरु तथा बड़ों का सम्मान करना हमारी ग्रामीण संस्कृति में अधिक स्पष्ट रूप से दिखाई पड़ता है। [एनबीटी ]

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