बिलासपुर। TODAY छत्तीसगढ़ / छत्तीसगढ़ राज्य के रजत जयंती वर्ष के अवसर पर महिला एवं बाल विकास विभाग ने महिलाओं और बच्चों के पोषण, सुरक्षा और सशक्तिकरण के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति दर्ज की है। विभाग की योजनाओं ने पिछले दो दशकों में न केवल कुपोषण दर को कम किया है, बल्कि महिलाओं को आर्थिक और सामाजिक रूप से भी मज़बूत आधार दिया है।
राज्य गठन से पहले बिलासपुर ज़िले में केवल 780 मुख्य आंगनबाड़ी केंद्र संचालित थे, जो अब बढ़कर 1,925 केंद्रों तक पहुँच गए हैं। इसी तरह 2000 के दशक की शुरुआत में जहाँ 212 आंगनबाड़ी भवन थे, वहीं अब 1,661 भवनों को स्वीकृति मिल चुकी है — यानी 1,449 नए भवनों का निर्माण हुआ है। इन केंद्रों के विस्तार से ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में पोषण, बाल शिक्षा और मातृ स्वास्थ्य सेवाओं को मज़बूती मिली है।
कुपोषण में 48 प्रतिशत से अधिक की कमी
विभाग के आँकड़ों के अनुसार, वर्ष 2003 में पाँच वर्ष से कम आयु के बच्चों में कुपोषण की दर 57.80% थी, जो अब घटकर सिर्फ 9.68% रह गई है। यह 48.2 प्रतिशत अंकों की कमी विभाग की योजनाओं और जन-जागरूकता अभियानों की सफलता को दर्शाती है। वर्ष 2002 में पूरक पोषण आहार कार्यक्रम के तहत 82,285 हितग्राही लाभान्वित हो रहे थे, जो अब बढ़कर 1,56,678 हो चुके हैं।
महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण की दिशा में कदम
महिला एवं बाल विकास विभाग ने महिलाओं को आर्थिक, सामाजिक और मानसिक रूप से सशक्त बनाने के लिए कई योजनाएँ चलाई हैं। मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना (2005 से) के अंतर्गत अब तक 5,728 कन्याओं का विवाह संपन्न कराया गया है, जिसमें 5 करोड़ 50 लाख 63 हजार 502 रुपये की राशि व्यय की गई है। छत्तीसगढ़ महिला कोष योजना के तहत 2,022 स्व-सहायता समूहों को 6 करोड़ 12 लाख 68 हजार रुपये का ऋण दिया गया। इसके अलावा 115 महिला हितग्राहियों को व्यक्तिगत रूप से 1 करोड़ 20 लाख 80 हजार रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान की गई है।
मातृ और शिशु स्वास्थ्य में सुधार
प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना (2017 से) के अंतर्गत अब तक 72,125 माताओं को 35.15 करोड़ रुपये की राशि प्रदान की गई है। वहीं महतारी वंदन योजना से 4 लाख से अधिक माताएँ लाभान्वित हुई हैं, जिनके लिए 78.73 करोड़ रुपये वितरित किए गए। इन योजनाओं से गर्भवती और धात्री महिलाओं को पोषण व आर्थिक सहयोग मिला है, जिससे मातृ और शिशु मृत्यु दर में कमी आई है।
महिलाओं की सुरक्षा और पुनर्वास के लिए पहलें
सखी वन स्टॉप सेंटर योजना (2015 से) के अंतर्गत अब तक 1,841 प्रकरणों में सहायता दी गई, जिनमें से 1,788 मामलों का सफल निराकरण किया गया है। साथ ही नवा बिहान योजना के तहत 2,365 पीड़ित महिलाओं को संरक्षण, परामर्श और पुनर्वास की सुविधाएँ उपलब्ध कराई गई हैं। इन योजनाओं ने महिलाओं को संकट की स्थिति में त्वरित सहायता, कानूनी परामर्श और स्वावलंबन की दिशा में नई शुरुआत दी है।
राज्य की महिलाओं और बच्चों के लिए सशक्त भविष्य
महिला एवं बाल विकास विभाग का कहना है कि उसका लक्ष्य केवल योजनाएँ चलाना नहीं, बल्कि महिलाओं और बच्चों के जीवन में स्थायी परिवर्तन लाना है। राज्य के रजत जयंती वर्ष में यह उपलब्धियाँ छत्तीसगढ़ को पोषण, सुरक्षा और स्वावलंबन के नए युग में प्रवेश कराने का प्रतीक मानी जा रही हैं।

