बिलासपुर। TODAY छत्तीसगढ़ / (सत्यप्रकाश पांडेय ) जब जंगल का व्यक्ति, जंगल और वन्यप्राणी को अपनी प्रतिष्ठा बना ले तो यक़ीन मानिये उस पूरे इलाके की समृद्धि, सम्पन्नता और वैभव का आलोक दूर तक फैला नज़र आता है। छत्तीसगढ़ राज्य के नक़्शे में अपनी अलग पहचान बना चुकी बारनवापारा वाइल्डलाइफ सेंचुरी बदलते वक्त के साथ काफी बदली-बदली सी नज़र आती है। यहाँ नेपाल ठाकुर जैसे जिप्सी (मालिक) चालक और दीपक यादव जैसे कई कुशल मार्गदर्शक (गाईड) हैं जो प्रत्येक पर्यटक को जंगल के इतिहास, भूगोल और वहाँ मौजूद वन्यप्राणियों के बारे में विस्तार से बताते हैं । मैं और वाइल्डलाइफ में सिद्धहस्त श्री प्राण जी चढ्ढा ने पिछले दो दिनों तक इस सेंचुरी की ख़ाक छानी और जितना अधिक हो सका ज्ञान, तस्वीर साथ लेकर घर लौटे।
बारनवापारा वाइल्डलाइफ सेंचुरी राज्य में तेंदुओं के लिये अलग पहचान बनाती दिखाई देती है। यहाँ अलग-अलग क्षेत्र में 50 से अधिक तेंदुए हैं जो सफारी के दौरान पर्यटकों के आकर्षण और रोमांच का बड़ा हिस्सा हैं। इसके अलावा नील गाय, भालू, साम्भर, चीतल, ब्लैक बक, गौर, वुल्फ, जंगली सुअर, गोल्डन जैकाल आसानी से बड़ी संख्या में दिखाई देते हैं।
वन्यप्राणियों की बहुलता से सम्पन्न बारनवापारा पर्यटकों के साथ-साथ वाइल्ड प्रेमियों के आकर्षण का बड़ा केंद्र @ChhattisgarhCMO @PMOIndia @KedarKashyapBJP pic.twitter.com/IkLaLuoJMr
— satyaprakash pandey (@satya4prakash) February 3, 2024
बारनवापारा वाइल्डलाइफ सेंचुरी में तेंदुए की बढ़ती संख्या के पीछे की मुख्य वजह सोन कुत्तों की कमी होना है। करीब एक दशक पहले तक इस सेंचुरी में वाइल्ड डॉग (सोन कुत्ता) का आतंक था। बारनवापारा वाइल्डलाइफ सेंचुरी में जंगली हाथियों की मौजूदगी भी है जो वन के अलावा वन्यप्राणियों की सुरक्षा का बड़ा कवच है। यह सेंचुरी आज की स्थिति में वन और वन्यप्राणियों के अलावा पक्षियों, तितलियों, कीट-फतिंगों की विभिन्न प्रजातियों से भरी पड़ी है। इस सेंचुरी में एक वक्त ऐसा भी रहा जब शिकारियों के खौफ से न सिर्फ वन्यप्राणी छिपे रहते थे बल्कि वन महकमें के तात्कालीन अफसरों और कर्मियों की हवाइयाँ उड़ी रहती थी। बारनवापारा वाइल्डलाइफ सेंचुरी कभी सिर्फ ऐशगाह के नाम से जानी जाती थी, अब यहां के वन्यप्राणी और स्वच्छ आबो-हवा पर्यटकों को अपनी ओर खींचती है। बारनवापारा वाइल्डलाइफ सेंचुरी प्रबंधन ने पर्यटकों की बुनियादी जरूरतों का विशेष ख्याल रखा है। यहां के म्यूजियम में बलौदाबाजार में मिलने वाले विभिन्न स्टोन, बारनवापारा में पाएं जाने वाले पशु-पक्षियों का जीवंत चित्रण एवं जानकारी उपलब्ध है, जो बच्चों एवं आने वाले सैलानियों के लिए आकर्षक एवं ज्ञानवर्धक है। मुख्य चौक में नया पर्यटक सुविधा केंद्र बनाया गया है, जिससे यहां आने वाले पर्यटकों को सभी जानकारियां मिल जाएगी।
बारनवापारा वाइल्डलाइफ सेंचुरी में आकाश से बातें करते ऊँचे-ऊँचे वृक्षों को देखिये, फिर आँख बंद करके क्षेत्र से गुजरने वाली जीवनदायनी दो नदियां बालमदेही और जोंक का कल-कल स्वर महसूस कीजिये। बारनवापारा वाइल्डलाइफ सेंचुरी की भौगोलिक संरचना प्रत्येक प्राणी, वन्यप्राणी के लिहाज से अनुकूल है। इस अभ्यारण्य में मैदानी और छोटे-बड़े पठारी इलाकों के बीच अनेक वनस्पति, औषधीय पौधों के अलावा सागौन, साजा, बीजा, लेंडिया, हल्दू, सरई, धौंरा, आंवला, अमलतास, कर्रा जैसे छोटे-बड़े वृक्ष दिखाई देते हैं।
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