[TODAY छत्तीसगढ़] / सुकमा के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक जितेंद्र शुक्ला के द्वारा मंत्री की बात ना मानना उसके बाद हुई कारवाही को लेकर सोशल मीडिया पर अपनी मंशा जाहिर करना प्रदेश के पुलिस प्रमुख को नागवार गुजरा है। पुलिस अधीक्षक जीतेन्द्र शुक्ला के तबादले के बाद मचा विवाद अब थमने का नाम नहीं ले रहा है। आबकारी मंत्री कवासी लखमा और जितेंद्र शुक्ला के बीच संवाद के सोशल मीडिया में वायरल होने के बाद डीजीपी डीएम अवस्थी ने सख्त स्र्ख अपनाया है और अधिकारीयों को कड़े दिशा निर्देश जारी किये हैं ।
राज्य के पुलिस महानिदेशक डीएम अवस्थी ने सभी विभागाध्यक्ष और एसपी को पत्र लिखकर कहा है कि कोई भी अधिकारी केंद्र या राज्य सरकार की नीतियों की आलोचना करता है, तो उसके खिलाफ अनुशानात्मक कार्रवाई होगी। डीजीपी ने कहा कि अखिल भारतीय सेवा के आचरण नियम 1968 के नियम 7 में स्पष्ट है कि अखिल भारतीय सेवा के सदस्य किसी भी आदेश को सोशल मीडिया में जारी नहीं करेंगे। दस्तावेज को सार्वजनिक करना प्रतिबंधित है। शासकीय अधिकारियों व कर्मचारियों के द्वारा सोशल मीडिया के उपयोग संबंधी मार्गदर्शी निर्देश का कड़ाई से पालन किया जाए। ये वो पत्र है जिसे जिले के प्रभारी मंत्री कवासी लखमा ने जीतेन्द्र शुक्ला को लिखा -
दरसअल, दो दिन पहले ही कवासी लखमा और जितेंद्र शुक्ला के बीच हुए संवाद का पत्र सोशल मीडिया में वायरल हुआ। इसको लेकर सरकार ने नाराजगी जातई, जिसके बाद डीजीपी ने सभी प्रमुखों को पत्र जारी किया है। सुकमा एसपी रहे जितेंद्र शुक्ला को मंत्री कवासी लखमा ने एक थानेदार का तबादला करने का निर्देश दिया था, जिसका एसपी ने पालन नहीं किया। इसके बाद जितेंद्र को सुकमा से हटाकर पुलिस मुख्यालय में पदस्थ कर दिया गया। यह विवाद यही नहीं थमा। जितेंद्र ने तबादले के बाद फेसबुक पर पोस्ट किया, जिस पर तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं आई।
तत्कालीन पुलिस अधीक्षक जीतेन्द्र शुक्ला ने बस्तर को बाय-बाय कहते हुए काफी भावनात्मक पोस्ट फेसबुक पर लिखी ...
तत्कालीन पुलिस अधीक्षक जीतेन्द्र शुक्ला ने बस्तर को बाय-बाय कहते हुए काफी भावनात्मक पोस्ट फेसबुक पर लिखी ...