Slider

यूथ कांग्रेस से सीएम तक का सफर, जानिए भूपेश बघेल को

फ़ाइल फोटो- भूपेश बघेल                                                                                                            छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री 
[TODAY छत्तीसगढ़] / एमपी और राजस्थान के बाद आखिरकार कांग्रेस ने लम्बे इंतज़ार के बाद आज छत्तीसगढ़ में भी मुख्यमंत्री पद के लिए नाम की घोषणा कर दी। लंबी खींचतान के बाद कांग्रेस ने भूपेश बघेल को छत्तीसगढ़ की जिम्मेदारी सौपने का फैसला किया है। छत्तीसगढ़ कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष भूपेश ने अपनी सियासी पारी की शुरुआत यूथ कांग्रेस से की थी। ओबीसी समुदाय से आने वाले 57 साल के भूपेश बघेल अब छत्तीसगढ़  राज्य की कांग्रेस सरकार के मुखिया होंगे। कल राजधानी रायपुर के साइंस कालेज मैदान में वे शपथ लेंगे उसके बाद मंत्रीमंडल का गठन होगा। प्रदेश सरकार के नए मंत्री बाद में शपथ लेंगे। जानते हैं छत्तीसगढ़ के नए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का सियासी सफरनामा -  
          
मध्‍य प्रदेश (अब छत्तीसगढ़) के दुर्ग में 23 अगस्त, 1961 को जन्‍मे भूपेश बघेल ने 80 के दशक में कांग्रेस के साथ ही राजनीतिक पारी शुरू की थी। दुर्ग जिले में ही वह यूथ कांग्रेस अध्यक्ष बने। वह 1990 से 94 तक जिला युवक कांग्रेस कमिटी, दुर्ग (ग्रामीण) के अध्यक्ष रहे। मध्य प्रदेश हाउसिंग बोर्ड के 1993 से 2001 तक निदेशक भी रहे। 2000 में जब छत्तीसगढ़ अलग राज्य बना तो वह पाटन सीट से विधानसभा पहुंचे। इस दौरान वह कैबिनेट मंत्री भी बने। 2003 में कांग्रेस के सत्ता से बाहर होने पर भूपेश को विपक्ष का उपनेता बनाया गया। 2014 में उन्हें छत्तीसगढ़ कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया और तब से वह इस पद पर हैं। 
आक्रामक राजनेता, प्रशासन पर नकेल कसने का हुनर- 
दूसरे कांग्रेसी नेताओं के उलट बीजेपी ने बघेल को हमेशा एक आक्रामक राजनेता के तौर पर देखा। इस साल अप्रैल में राज्य की पुलिस ने एक पत्रकार को गिरफ्तार किया था। पत्रकार का दावा था कि उसके पास एक मंत्री की सेक्स सीडी है। पुलिस ने इस मामले में पीसीसी चीफ बघेल के खिलाफ आईटी ऐक्ट की धाराओं में केस दर्ज किया था। मामले की जांच कर रही सीबीआई ने बीजेपी नेता कैलाश मोरारका के अलावा भूपेश बघेल के खिलाफ इस केस में चार्जशीट भी दाखिल की थी। बघेल ने जमानत के लिए अपील करने के बजाए न्यायिक हिरासत में रहना पसंद किया। उनके इस जुझारू तेवर से खुश कांग्रेस आलाकमान ने बेल दिलाने के बाद चुनाव में प्रचार के लिए उन्हें आगे किया। 
CM की रेस में आगे निकलने की वजह - 
मुख्यमंत्री चयन में कुर्मी जनाधार भी भूपेश के लिए प्लस पॉइंट रहा। भूपेश पहली बार 1993 में विधायक बने थे। वह मध्य प्रदेश की दिग्विजय सिंह सरकार में कैबिनेट मंत्री भी रह चुके हैं। इसके अलावा वर्ष 2000 में अजित जोगी सरकार में भी वह कैबिनेट मंत्री रहे। बघेल की दावेदारी इसलिए भी मजबूत रही क्योंकि उन्होंने इस बार विधानसभा चुनाव में संगठन में गुटबाजी को काफी कम करने में अहम भूमिका निभाई। 
पार्टी के लिए लम्बा संघर्ष -  
भूपेश बघेल ने लंबे समय तक पार्टी के लिए सड़कों पर संघर्ष किया है। उन्होंने रमन सिंह सरकार के साथ-साथ पार्टी से अलग हुए अजीत जोगी से मिली चुनौती का भी सामना किया। कुर्मी क्षत्रिय परिवार से ताल्‍लुक रखने वाले बघेल राज्‍य में पार्टी की जीत पर कह चुके हैं कि राहुल गांधी ने उन्‍हें छत्तीसगढ़ में कांग्रेस को बहुमत दिलाने की जिम्मेदारी सौंपी थी और उन्‍होंने यह कर दिखाया। 
किसान परिवार से ताल्‍लुक रखने वाले भूपेश बघेल राजनीतिक गलियारे में अपने आक्रामक तेवर के लिए जाने जाते हैं। 90 सीटों वाले छत्तीसगढ़ विधानसभा में कांग्रेस ने 68 सीटों पर जीत हासिल की है। बीजेपी महज 15 सीटों पर सिमट कर रह गई। इस जीत का सेहरा बघेल के सिर ही बांधा जा रहा है, क्‍योंकि विधानसभा चुनाव से लेकर नगरीय निकाय चुनाव और पंचायत चुनाव की सारी रणनीति उन्‍होंने ही बनाई। कार्यकर्ताओं को तवज्जो देकर निकाय और पंचायत चुनाव में बघेल ने जो नतीजे हासिल किए, उसने पार्टी आलाकमान और वर्कर्स में विश्वास जगाने का काम किया।                                                


साभार-NBT 
© all rights reserved TODAY छत्तीसगढ़ 2018
todaychhattisgarhtcg@gmail.com