Slider



[TODAY छत्तीसगढ़ ] /  इस्लाम धर्म में विश्वास करने वाले लोगों का मुहर्रम एक प्रमुख महीना है। इस माह की उनके लिए विशेष महत्ता है। इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार मुहर्रम हिजरी संवत का प्रथम मास है। पैगंबर मुहम्मद साहब के नवासे इमाम हुसैन एवं उनके साथियों की शहादत इस माह में हुई थी। उसी याद में आज बिलासपुर शहर में मुस्लिम समुदाय के लोग ताजिया लेकर निकले और इमाम हुसैन की शहादत को याद कर जुलुस निकाला, इस जुलुस में बड़ी संख्या में महिला-पुरुष और बच्चे शामिल रहे। 












 जानकार बताते हैं की कर्बला यानी आज का इराक जहां सन् 60 हिजरी को यजीद इस्लाम धर्म का खलीफा बन बैठा। वह अपने वर्चस्व को पूरे अरब में फैलाना चाहता था, जिसके लिए उसके सामने सबसे बड़ी चुनौती थी पैगम्बर मुहम्मद के खानदान के इकलौता चिराग इमाम हुसैन जो किसी भी हालत में यजीद के सामने झुकने को तैयार नहीं थे। इस वजह से सन् 61 हिजरी से यजीद के अत्याचार बढ़ने लगे। ऐसे में वहां के बादशाह इमाम हुसैन अपने परिवार और साथियों के साथ मदीना से इराक के शहर कुफा जाने लगे लेकिन रास्ते में यजीद की फौज ने कर्बला के रेगिस्तान पर इमाम हुसैन के काफिले को रोक दिया ! वह 2 मुहर्रम का दिन था, जब हुसैन का काफिला कर्बला के तपते रेगिस्तान पर रुका। वहां पानी का एकमात्र स्त्रोत फरात नदी थी, जिस पर यजीद की फौज ने 6 मुहर्रम से हुसैन के काफिले पर पानी के लिए रोक लगा दी थी। बावजूद इसके इमाम हुसैन नहीं झुके। यजीद के प्रतिनिधियों की इमाम हुसैन को झुकाने की हर कोशिश नाकाम होती रही और आखिर में युद्ध का ऐलान हो गया।
 इतिहास कहता है कि यजीद की 80000 की फौज के सामने हुसैन के 72 बहादुरों ने जिस तरह जंग की, उसकी मिसाल खुद दुश्मन फौज के सिपाही एक-दूसरे को देने लगे। लेकिन हुसैन कहां जंग जीतने आए थे, वह तो अपने आपको अल्लाह की राह में कुर्बान करने आए थे। उन्होंने अपने नाना और पिता के सिखाए हुए सदाचार, उच्च विचार, अध्यात्म और अल्लाह से बेपनाह मुहब्बत में प्यास, दर्द, भूख और पीड़ा सब पर विजय प्राप्त कर ली। दसवें मुहर्रम के दिन तक हुसैन अपने भाइयों और अपने साथियों के शवों को दफनाते रहे और आखिर में खुद अकेले युद्ध किया फिर भी दुश्मन उन्हें मार नहीं सका। आखिर में अस्र की नमाज के वक्त जब इमाम हुसैन खुदा का सजदा कर रहे थे, तब एक यजीदी को लगा की शायद यही सही मौका है हुसैन को मारने का। फिर, उसने धोखे से हुसैन को शहीद कर दिया। लेकिन इमाम हुसैन तो मर कर भी जिंदा रहे और हमेशा के लिए अमर हो गए। पर यजीद तो जीत कर भी हार गया।
                                                                      ---------------
         [TODAY छत्तीसगढ़ ] /  छत्तीसगढ़ प्रवास पर आ रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को काला झंडा दिखाकर विरोध करने का ऐलान कांग्रेस ने किया है। प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी का विरोध करने कल 22 सितम्बर को सुबह 9 बजे प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष भूपेश बघेल, नेता प्रतिपक्ष टीएस सिंहदेव, पूर्व मंत्री चरणदास महंत समेत कइयों वरिष्ठ नेता - कार्यकर्ताओ के साथ प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय राजीव भवन से काला झंडा लेकर जांजगीर चांपा जायेंगे।  प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने बताया कि बिलासपुर जगदलपुर एवं बेमेतरा में कांग्रेस भवनों में प्रशासनिक आतंकवाद द्वारा हमला किया गया। इन हमलावरों को भाजपा सरकार का सरक्षंण प्राप्त है। लोकतंत्र में विपक्ष की आवाज को दबाने, कुचलने के लिए भाजपा सरकार अलोकतांत्रिक तरीके अपना रही है। उन्होंने कहा कि बिलासपुर में हुए लाठीचार्ज के दोषी अधिकारी के ऊपर अभी तक एफआईआर दर्ज नहीं किया गया है ना ही दोषी अधिकारी को संरक्षण देने वाले मंत्री अमर अग्रवाल का इस्तीफा लिया गया है।
                                                                    ---------------
© all rights reserved TODAY छत्तीसगढ़ 2018
todaychhattisgarhtcg@gmail.com