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34 साल बाद देश में लागू होगी नई शिक्षा नीति, स्कूल-कॉलेज की व्यवस्था में बड़े बदलाव

TODAY छत्तीसगढ़  / केंद्र की मोदी सरकार ने नई शिक्षा नीति को मंजूरी दे दी है. बुधवार को कैबिनेट की बैठक में इस पर फैसला लिया गया. कैबिनेट बैठक में लिए गए फैसलों की जानकारी केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में दी. उन्होंने बताया कि 34 साल बाद भारत की नई शिक्षा नीति आई है. स्कूल-कॉलेज की व्यवस्था में बड़े बदलाव किए गए हैं.
प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि पीएम मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में नई शिक्षा नीति को मंजूरी दी गई है. 34 साल से शिक्षा नीति में परिवर्तन नहीं हुआ था. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सरकार ने शिक्षा नीति को लेकर 2 समितियां बनाई थीं. एक टीएसआर सुब्रमण्यम समिति और दूसरी डॉ. के कस्तूरीरंगन समिति बनाई गई थी. उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति के लिए बड़े स्तर पर सलाह ली गई. 2.5 लाख ग्राम पंचायतों, 6600 ब्लॉक्स, 676 जिलों से सलाह ली गई. सरकार की ओर से बताया गया कि नई शिक्षा नीति के तहत कोई छात्र एक कोर्स के बीच में अगर कोई दूसरा कोर्स करना चाहे तो पहले कोर्स से सीमित समय के लिए ब्रेक लेकर कर सकता है.
सरकार की ओर से बताया गया कि नई नीति को लेकर एक व्यापक चर्चा की गई है. 2.5 लाख ग्राम पंचायतों, 6600 ब्लॉक्स, 676 जिलों से सलाह ली गई. लोगों की सलाह ली गई कि आप नई नीति में क्या बदलाव चाहते हैं. उच्च शिक्षा में हम 2035 तक ग्रॉस एनरोलमेंट रेशियो में 50 फीसदी तक पहुंचेंगे. इसके लिए मल्टीपल एंट्री और एग्जिट सिस्टम लाई जा रही है.
सरकार की ओर से बताया गया कि आज की व्यवस्था में 4 साल इंजीनियरिंग पढ़ने के बाद या 6 सेमेस्टर पढ़ने के बाद अगर कोई छात्र आगे नहीं पढ़ सकता है तो उसके पास कोई उपाय नहीं है. छात्र आउट ऑफ द सिस्टम हो जाता है. नए सिस्टम में ये रहेगा कि एक साल के बाद सर्टिफिकेट, दो साल के बाद डिप्लोमा, तीन या चार साल के बाद डिग्री मिल सकेगी.TODAY छत्तीसगढ़ के WhatsApp ग्रुप में जुड़ने के लिए क्लिक करें
सरकार ने बताया कि मल्टीपल एंट्री थ्रू बैंक ऑफ क्रेडिट के तहत छात्र के फर्स्ट, सेकंड ईयर के क्रेडिट डिजीलॉकर के माध्यम से क्रेडिट रहेंगे. जिससे कि अगर छात्र को किसी कारण ब्रेक लेना है और एक फिक्स्ड टाइम के अंतर्गत वह वापस आता है तो उसे फर्स्ट और सेकंड ईयर रिपीट करने को नहीं कहा जाएगा. छात्र के क्रेडिट एकेडमिक क्रेडिट बैंक में मौजूद रहेंगे. ऐसे में छात्र उसका इस्तेमाल अपनी आगे की पढ़ाई के लिए करेगा.

0 फिजिक्स के साथ फैशन डिजाइनिंग, केमिस्ट्री के साथ पढ़ सकेंगे म्यूजिक

सरकार ने बताया कि मौजूदा शिक्षा नीति के तहत फिजिक्स ऑनर्स के साथ केमिस्ट्री, मैथ्स लिया जा सकता है. इसके साथ फैशन डिजाइनिंग नहीं ली जा सकती थी. लेकिन नई नीति में मेजर और माइनर की व्यवस्था होगी. जो मेजर प्रोग्राम हैं उसके अलावा माइनर प्रोग्राम भी लिए जा सकते हैं. इसके दो फायदे होंगे.
आर्थिक या अन्य कारण से जो लोग ड्रॉप आउट हो जाते हैं वो वापस सिस्टम में आ सकते हैं. इसके अलावा जो अलग-अलग विषयों में रूचि रखते हैं, जैसे जो म्यूजिक में रूचि रखते हैं, लेकिन उसके लिए कोई व्यवस्था नहीं रहती है. नई शिक्षा नीति में मेजर और माइनर के माध्यम से ये व्यवस्था रहेगी.

0 HRD मंत्रालय अब शिक्षा मंत्रालय के नाम से जाना जाएगा

मानव संसाधन मंत्रालय को फिर से शिक्षा मंत्रालय के नाम से जाना जाएगा. पहले इस मंत्रालय का नाम शिक्षा मंत्रालय ही था. साल 1985 में इसे बदलकर मानव संसाधन मंत्रालय नाम दिया गया था.

0 स्कूली शिक्षा में 10+2 फॉर्मेट खत्म 

नई शिक्षा नीति के तहत स्कूली शिक्षा में 10+2 फॉर्मेट को खत्म कर दिया गया है. इसे 10+2 से 5+3+3+4 फॉर्मेट में ढाला गया है. इसका मतलब है कि अब स्कूल के पहले पांच साल में प्री-प्राइमरी स्कूल के तीन साल और कक्षा 1 और कक्षा 2 सहित फाउंडेशन स्टेज शामिल होंगे. फिर अगले तीन साल को कक्षा 3 से 5 की तैयारी के चरण में विभाजित किया जाएगा. इसके बाद में तीन साल मध्य चरण (कक्षा 6 से 8) और माध्यमिक अवस्था के चार वर्ष (कक्षा 9 से 12) होंगे.

नान घोटाला : 107 पन्नों का खुलेगा रहस्य, एसआईटी गठित

[TODAY छत्तीसगढ़] / साल 2019 के पहले ही दिन छत्तीसगढ़ सरकार ने नान घोटाले की नये सिरे से जांच के आदेश देते हुए एसआईटी का गठन कर दिया है। पुलिस महानिरीक्षक [आईजी] के नेतृत्व में ये एसआईटी काम करेगी। मंगलवार को भूपेश कैबिनेट की बैठक में नान घोटाले के उस अनछुए पन्नों को नये सिरे से जांच में लाया जाएगा जिन्हे पिछली सरकार में दबा दिए जाने का संदेह है। 
सरकार का दावा है की नान घोटाले के 107 पन्नों में कई महत्वपूर्ण लोगों के नाम सांकेतिक तौर पर लिखे गये हैं, राज्य सरकार की तरफ से उन सभी नामों को लेकर लिखी गयी बातों की जांच करायी जायेगी। दरअसल घोटाले को लेकर जब्त हुई डायरी में से सिर्फ 6 पेज की ही जांच करायी गयी थी, जबकि 107 पन्नों का रहस्य अभी भी बरकरार है। नान घोटाले के संबंध में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने डीजीपी डीएम अवस्थी के साथ चर्चा कर पूरे मामले का अवलोकन कर लिया है। लिहाजा जांच की गुंजाईश बनते देख कैबिनेट में मंगलवार को इस बात का फैसला लिया गया है कि नान घोटाले की विशेष जांच करवाकर आरोपियों और सांकेतिक रूप से लिखे नामों का खुलासा किया जाएगा। TODAY छत्तीसगढ़ के WhatsApp ग्रुप में जुड़ने के लिए क्लिक करें -
आपको बता दें की साल 2015 में नान घोटाले के खुलासे के बाद से ही कई चौकाने वाले मामले और तथ्य सामने आये थे । नान घोटाले में दो आईएएस अनिल टुटेजा और आलोक शुक्ला को आरोपी भी बनाया गया। जिनके खिलाफ कोर्ट में चालान पेश हो गया है। वहीं 17 अन्य लोगों को भी आरोपी बनाया गया है। जिनमें कुछ जमानत पर हैं, तो कुछ अभी भी जेल में बंद हैं। 
मंत्रिमण्डल की बैठक में शराब बंदी के प्रस्ताव को कैबिनेट ने खारिज कर दिया। बैठक में किसानों के हित से जुड़ी विभिन्न योजनाओं को लेकर विस्तार से चर्चा की गई। इस दौरान यह प्रस्ताव तैयार किया गया कि कृषि विभाग का नाम बदलकर कृषक कल्याण विभाग किया जाए। कैबिनेट की बैठक के बाद रविंद्र चौबे ने कहा कि सरकार बदले की नहीं बल्कि विधि सम्मत कार्रवाई कर रही है। जांच में जो पहलू सामने आयेगा, उसके आधार पर कार्रवाई की जायेगी।
सबूत है तो कोर्ट में पेश करें - धरमलाल 
भारतीय जनता पार्टी प्रदेशाध्यक्ष धरमलाल कौशिक ने प्रदेश सरकार द्वारा नान घोटाले के मद्देनजर एसआईटी गठित किए जाने के फैसले पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि यह प्रकरण पूर्व से ही न्यायालय के अधीन है यदि कोई सबूत इनके पास हो तो इन्हें कोर्ट में पेश करना चाहिए। यह तो आरोपी का सहारा लेकर कांग्रेस बदले की राजनीति कर रही हैं, उन्होंने इसे प्रतिशोध की राजनीति करार दिया है। 


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