Chhattisgarh: कड़ाके की ठंड और गहरी रात के बावजूद वन कर्मियों ने टार्च की रोशनी और जिप्सी के हूटर की मदद से हाथियों को गांव की सीमा से दूर करने का अभियान शुरू किया। यह रेस्क्यू ऑपरेशन लगभग तीन से चार घंटे तक चला। पूरी रात डीएफओ और वन विभाग की टीम जंगल में डटी रही तथा ग्रामीणों के बीच रहकर हालात पर नजर बनाए रखी।
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| सांकेतिक तस्वीर / TCG NEWS |
अंधेरी रात, कड़ाके की ठंड और हाथियों की धमक… गुरुवार की रात जटगा रेंज के वनग्राम भंवरकछार और झुमकीडीह में ऐसा ही मंजर था। तकरीबन 65 हाथियों का दल दो गांवों को चारों ओर से घेरकर खेतों में पकी धान की फसल रौंद रहा था। अचानक हुए इस घटनाक्रम से ग्रामीणों में अफरा-तफरी मच गई। कई लोग घरों में दुबक गए, जबकि कई महिलाएं-बच्चे सुरक्षित ठिकानों की तलाश में जंगल की ओर भाग निकले।
सूचना मिलते ही डीएफओ कुमार निशांत वन विभाग के दल के साथ मौके पर पहुंचे और तत्काल रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू कराया। कड़ाके की ठंड और घनघोर अंधेरे के बीच टार्च की रोशनी, जिप्सी के हूटर और वनकर्मियों की हकलाने की आवाज़ों के सहारे हाथियों को गांव की सीमा से दूर खदेड़ने की कोशिशें तेज की गईं। करीब तीन से चार घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद वन विभाग की टीम हाथियों को जंगल की ओर मोड़ने में सफल रही।
DFO कुमार निशांत ने बताया कि इन दिनों जटगा रेंज के जंगलों में हाथियों का 65 सदस्यीय दल लगातार विचरण कर रहा है। खेतों में पकी धान की फसल और घरों में संग्रहित चावल हाथियों को गांव की तरफ आकर्षित कर रहा है। कई बार हाथी मिट्टी के मकानों को तोड़कर अंदर रखे धान तक पहुंच जाते हैं, जिससे जनहानि की आशंका बनी रहती है।
गुरुवार रात भी हाथियों की गतिविधि को देखते हुए ग्रामीणों को एहतियातन सुरक्षित स्थानों पर ठहराया गया। डीएफओ ने बताया कि हाथियों की मूवमेंट स्पष्ट होने के बाद ही ग्रामीणों को वापस गांव आने की अनुमति दी जाएगी।
उन्होंने कहा कि क्षेत्र में हाथियों की गतिविधियों पर कड़ी नजर रखी जा रही है। हाथियों को सुरक्षित जंगल की ओर खदेड़ने और ग्रामीणों में जागरूकता बढ़ाने के लिए हाथी मित्र दल का गठन किया गया है, जो वन विभाग के साथ मिलकर लगातार अभियान चला रहा है। हमारा प्रयास यही रहता है कि न तो हाथियों को किसी प्रकार की हानि पहुंचे और न ही ग्रामीणों को कोई नुकसान हो।
