Slider

Raigarh : करंट से तीन हाथी मरे, क्या लापरवाह बिजली विभाग और बेपरवाह वन अमला मौत की जिम्मेदारी लेगा - सिंघवी


रायपुर  / 
TODAY छत्तीसगढ़  / रायगढ़ जिले के धरघोड़ा वन परिक्षेत्र में चुहकीमार नर्सरी के पास 11kv लाइन के झूलते तार से टकराने के कारण आज तीन हाथियों की मौत हो गई। इस मामले की ख़बर मिलते ही वाइल्डलाइफ और पर्यावरण प्रेमी नितिन सिंघवी ने बिजली कंपनी की लापरवाही और गलती बताते हुए छत्तीसगढ़ पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड से स्पष्ट शब्दों में पूछा है कि वह वन्यजीवों की बिजली करंट से मौत रोकना चाहते हैं या नहीं चाहते ?

हाथियों को बिजली करंट से बचाने लगाई गई थी दूसरी बार जनहित याचिका -

पिछले एक दशक से वन्यजीवों की सुरक्षा, संरक्षण के लिये प्रयासरत नितिन सिंघवी द्वारा दूसरी बार लगाई गई जनहित याचिका का निराकरण हाल (03 अक्टूबर 2024) ही में छत्तीसगढ़ उच्च न्यायलय ने किया। तब बिजली कंपनी ने स्वीकार किया कि वह बिजली लाइन की ऊंचाई बढ़ाकर बिजली लाइनों को कवर्ड कंडक्टर में और एरियल बंच केबल में चरणबद्ध तरीके से करेंगे। श्री सिंघवी ने बिजली कंपनी से पूछा कि चरणबद्ध तरीके से यह कार्य कैसे होगा और कब तक होगा ? बिजली कंपनी को खुलासा करना चाहिए।

बिजली कंपनी बताए कि उसने 1674 करोड़ क्यों मांगे -

नितिन सिंघवी ने खुलासा किया कि 2018 में जब पहली बार उन्होंने हाथियों को बिजली करंट से बचाने के लिए जनहित याचिका दायर की थी तब बिजली कंपनी ने वन विभाग से 33 केवी  की 810 किलोमीटर लाइन, 11 केवी की 3781 किलोमीटर  लाइन में बेयर कंडक्टर  के स्थान पर कवर्ड कंडक्टर लगाने के लिए और निम्न दाब की 3976 किलोमीटर लाइन के तारों को एरियल बंच केबल में करने और सभी लाइन की ऊंचाई बढ़ाने के लिए रुपए 1674 करोड़ वन विभाग से मांगे थे। जबकि 2024 में बिजली कंपनी ने लागत की जो जानकारी दी है उसके हिसाब से यह काम 6 साल बाद भी 975 करोड रुपए में हो सकता है। अगर यह काम 6 साल पहले ही कर दिया जाता तो यह काम अधिकतम 300 करोड रुपए में हो जाता और उन इलाको में वन्यजीवों की मौते, शिकार और बिजली चोरी रुक जाती। 

इस गति से करेंगे तो 150 साल लगेंगे -    

बिजली कंपनी ने पिछले छ: सालो में बिजली तारों के लूज पॉइंट सुधारने, कुछ पोल लगाने और और प्रस्तावित 3976 किलोमीटर निम्नदाब लाइन में से सिर्फ 239 किलोमीटर को बदला, 33 केवी और 11 केवी की एक किलोमीटर लाइन भी कवर्ड कंडेक्टर में नहीं बदली। अभी तक सिर्फ 34 करोड रुपए खर्च किया है यानी प्रतिवर्ष 6 करोड़। इसी गति से अगर बिजली कंपनी काम करेगी तो बिजली लाइन की ऊंचाई बढाकर कवर्ड कंडक्टर करने में 150 साल से ज्यादा लगेंगे। बिजली कंपनी को खुलासा करना चाहिए कि 6 साल पहले उसने 1674 करोड रुपए वन विभाग से मांग कर विवाद की स्थिति क्यों उत्पन्न की और छ: साल बाद अब काम करने को क्यों तैयार हो गई? जब कि भारत सरकार की पहले से जारी गाइडलाइंस के अनुसार बिजली कंपनी को मालूम था कि ये कार्य उसे ही करना है। 

45 प्रतिशत हाथी पिछले छ: साल में मरे -

पिछले 6 सालों में ही बिजली करंट से 35 हाथी मरे हैं जो कि अभी तक बिजली करंट से मरे 78 हाथियों का 45 प्रतिशत होता है। 2001 से लेकर 2024 तक कुल 224  हाथियों की मौत हुई उनमे से 78 हाथी बिजली करंट से मरे हैं। 

वन विभाग भी सो रहा था क्या ? 

भारत सरकार की गाइडलाइंस कहती है कि बिजली कंपनी और वन विभाग संयुक्त रूप से वनों से गुजर रही बिजली लाइनों का निरीक्षण समय-समय पर करेंगे और वन विभाग भी बिजली कंपनी को झूलती लाइनों के बारे में बताएगा। जानकारी के अनुसार जिस लाइन से टकराकर के हाथियों की मौत हुई वह कई दिनों से झूल रही थी और वन विभाग की नर्सरी के पास ही थी। ऐसा लगता है कि वन विभाग के अधिकारी कर्मचारी भी सो रहे थे जब कि सभी को मालूम था कि वहां हाथी विचरण होता है। 

जहां सबसे ज्यादा खतरा वहां सबसे पहले लाइनों को ठीक कराया जाए - 

2018 की याचिका का निराकार करते वक्त उच्च न्यायालय ने कहा है कि धरमजयगढ़ क्षेत्र में सबसे ज्यादा हाथियों की मृत्यु करंट से हो रही है।  सिंघवी ने मांग की कि बिजली कंपनी और वन विभाग को चाहिए कि वह उन इलाकों में जहां पर लाइन नीचे हैं सबसे पहले लाइनों को भारत सरकार की गाइडलाइंस के अनुसार 20 फीट ऊंचा करें और बजट के अनुसार ऐसे क्षेत्रों में सबसे पहले कवर्ड कंडक्टर और एरियल बंच केवल लगाने का कार्य करें।

© all rights reserved TODAY छत्तीसगढ़ 2018
todaychhattisgarhtcg@gmail.com