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जंगल राज : राजकीय पशु वन भैंसा पर करोड़ों खर्च, संख्या केवल एक वो भी अंधा और बूढा

बाकी वन भैंसा हाइब्रिड, जू अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने कहा "वो किसी काम के नहीं"


रायपुर।  TODAY छत्तीसगढ़  /  सच को सामने आने में थोड़ा वक्त जरूर लग सकता है लेकिन झूठ का मायाजाल और उसकी निगहबानी करने वालों का घेरा काफी बड़ा होता है लिहाजा सच सामने होकर भी दिखाई नहीं पड़ता। अफसरशाही के झूठे मायाजाल में फंसा छत्तीसगढ़ का राजकीय पशु अपनी संख्या और वजूद दोनों को लेकर संघर्ष करता दिखाई पड़ रहा है। वैसे डिप्टी डायरेक्टर उदंती सीतानदी टाइगर रिज़र्व के एक पत्र ने वन विभाग के कुछ बड़े अफसरों की पोल खोल दी है। 

 अब यह अधिकारिक है कि छत्तीसगढ़ में शुद्ध रक्तता का सिर्फ एक राजकीय वन भैंसा बचा है वन विभाग दावा करता रहा है कि छत्तीसगढ़ में 8 वन भैंसे है, छ: उदंती सीतानदी में बाड़े में, एक उदंती सीतानदी के जंगल में स्वतंत्र विचरण कर रहा है और एक जंगल सफारी में है परन्तु डिप्टी डायरेक्टर उदंती सीतानदी टाइगर रिज़र्व के पत्र ने वन विभाग की पोल खोल दी है। 

जू अथॉरिटी के पत्र के बाद सकते में आ गया वन विभाग  -

दरअसल वन विभाग ने असम से लाई गई पांच मादा वन भैसों से, छत्तीसगढ़ के सात नर वन भैसों द्वारा प्रजनन कराने का ब्रीडिंग प्लान बना कर सेन्ट्रल जू अथॉरिटी को भेजा, साथ में छत्तीसगढ़ के वन भैसों के नामों की सूची भी भेजी। जू अथॉरिटी ने जवाब में कहा कि जो नाम भेजे हैं उनमे सिर्फ छोटू वन भैंसा ही शुद्ध नस्ल का है, बाकी सब हाइब्रिड है, इनसे प्रजनन नहीं कराया जा सकता, अथॉरिटी के नियम इसकी अनुमति नहीं देते।

जीव दया जागी वन विभाग के मन में, संविधान का दिया हवाला और भाग जाने दिया  -

जू अथॉरिटी की आपत्ति के बाद वन्य जीवों को आजीवन बंधक बनाने की मानसिकता रखने वाले वन विभाग में अचानक जीव दया जाग गई। 10 अगस्त 2023 से उदंती सीतानदी में बाड़े में बंद हाइब्रिड भैंसों को फ़ूड सप्लीमेंट (दलिया, मक्का, विटामिन सप्लीमेंट) देना बंद कर दिया गया। खाना देना बंद करने के 21 दिन बाद डिप्टी डायरेक्टर ने प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) को पत्र लिखा कि भारतीय संविधान के अनुसार प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है कि वे सभी जीवित प्राणियों के प्रति दया भाव रखे, प्राकृतिक पर्यावरण की रक्षा करे। डिप्टी डायरेक्टर ने लिखा कि संविधान के अनुसार राज्य का भी कर्तव्य है कि राज्य पर्यावरण रक्षा और सुधार करने तथा देश के सभी वनों और वन्य जीवों की सुरक्षा करने का प्रयास करेगा। डिप्टी डायरेक्टर ने जू अथॉरिटी की आपत्ति का हवाला देकर लिखा कि समस्त हाइब्रिड वन भैसों को स्वतंत्र विचरण हेतु छोड़ा जाना उचित होगा। 


तीन लॉट में भागे हाइब्रिड वन भैंसे - 

वन भैंसों को खाना देना बंद करने के 23 दिन बाद 3 सितम्बर की रात भूख के कारण 11 हाइब्रिड वन भैंसे बाड़ा तोड़ कर भाग गए, उसके बाद 24 सितम्बर की रात 5 और 17 अक्टूबर को 2 कुल 18 वन भैंसा जंगल भाग गए। 

बाड़े में कौन कौन तीन बचे -

1. एक मात्र बचा शुद्ध नस्ल का छोटू वन भैंसा, 23 वर्ष का उम्रदराज वन भैंसा है, बाड़े में वीरा नामक वन भैंसा से हुई लड़ाई के दौरान उसकी दोनों आँख ख़राब हो गई, वह लगभग अँधा है। बताया जाता है कि बाड़े में लगे लोहे के बाहर निकले टुकडों से टकरा कर उसकी आखें ख़राब हो गई है। 

2.हाइब्रिड प्रिंस पूर्णत: अँधा है बताया जाता है, वह स्वछंद विचरण करता था परन्तु अज्ञात कारणों से उसकी दोनों आँख ख़राब हो गई, उसे अलग बाड़े में रखा गया है।

3.हाइब्रिड आनंद बीमार है। आनंद की वीरा से लड़ाई के दौरान दोनों सिंग ऊपर से टूट गए थे। आज से तीन माह पूर्व उसमे पस पड़ा हुआ था, उसके बाद उसे और कोई डॉक्टर देखने नहीं गया। 

रायपुर के वन्यजीव प्रेमी नितिन सिंघवी ने उदंती सीतानदी में जीव दया दिखा कर वन भैंसों को बाड़ा तोड़कर जाने को मजबूर करने पर और जाने देने के लिए वन विभाग को बधाई दी है। उन्होंने चर्चा में बताया कि कुछ साल पहले ग्रामीणों से रम्भा और मेनका नामक हाइब्रिड वन भैंसा ले कर आ गया था, उन दोनों का परिवार बढ़ गया और सब जंगल भाग गए। पछले 3 महीने से वे जंगल में स्वच्छंद और स्वतंत्र घूम रहे हैं। 

महाराष्ट्र के कोलामारका कंजर्वेशन रिजर्व में है शुद्ध नस्ल के वन भैंसे 

अब सेंट्रल इंडिया में शुद्ध नस्ल के कुछ ही वन भैंसे स्वतंत्र विचरण करने वाले बचे हैं, जो कि अधिकतर समय महाराष्ट्र के गडचिरोली के कोलामारका कंजर्वेशन रिजर्व में रहते हैं, कभी-कभी इंद्रावती नदी पार करके वह छत्तीसगढ़ में आ जाते हैं। छत्तीसगढ़ वन विभाग दावा करता है कि वह छत्तीसगढ़ के हैं।

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