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बिलासपुर हाईकोर्ट का धारा 91 पर ऐतिहासिक फैसला, उच्च न्यायालय ने कहा FIR दर्ज किए बिना पुलिस किसी को भी थाने नहीं बुला सकती


TODAY छत्तीसगढ़  / बिलासपुर / दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 91 को लेकर हाईकोर्ट जस्टिस संजय के. अग्रवाल की एकलपीठ ने एक बड़ा फैसला सुनाया है। फैसले में कहा है कि सीआरपीसी की धारा 154 के अंतर्गत एफआईआर के पूर्व प्रारंभिक जांच में दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 91 लागू नहीं होगी। बिलासपुर जिले के सरकंडा थाने में छत्तीसगढ़ इंस्टीट्यूट ऑफ एजुकेशन बोर्ड के डायरेक्टर ने राजेश्वर शर्मा के खिलाफ लिखित शिकायत की।

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शिकायत में कहा गया कि राजेश्वर ने उनकी जमीन पर कब्जा कर लिया है। शिकायत के आधार पर सरकंडा पुलिस ने राजेश्वर शर्मा को दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 91 के तहत नोटिस जारी कर बार-बार थाने बुलाया और प्रताड़ित किया। प्रताड़ना से तंग आकर राजेश्वर शर्मा ने अधिवक्ता सौरभ शर्मा के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर की। इसमें बताया कि पुलिस बिना एफआईआर दर्ज किए उसके खिलाफ धारा 91 का दुरुपयोग करते हुए दिन रात थाने में बुलाकर प्रताड़ित करती है। मामले की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट की एकलपीठ ने मामले को गंभीरता से लेते हुए एक बड़ा और ऐतिहासिक फैसला सुनाया। इसमें हाईकोर्ट ने कहा है कि सीआरपीसी की धारा 154 के अंतर्गत एफआईआर के पूर्व प्रारंभिक जांच में दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 91 लागू नहीं होगी। 

                                             
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