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दोस्त बनकर पीढीयों तक साथ निभाने का महत्त्व है ...


यूं तो दोस्ती का न कोई नाम होता है और न ही कुछ खास दिन।बस दोस्तों के साथ बिताया हर पल ही खास होता है।लेकिन आज के परिवेश में फ्रेंडशिप डे का कुछ अलग ही क्रेज देखने को मिलता है।आज हमारी फ्रेंडलिस्ट सोशल मीडिया पर बहुत लंबी भले ही हो लेकिन रियल लाइफ में स्कूल, कॉलेज और काम के दौरान बनाए गए दोस्त ही काम आते हैं।किस्से तो दोस्ती के आप सबने भगवान राम व हनुमान एवं कृष्ण और सुदामा के भी खूब सुने होंगे।लेकिन आज आपको छत्तीसगढ़ में वर्षों पुरानी दोस्ती की परंपरा के बारे में बताएंगे।छत्तीसगढ़ में दोस्ती की शुरुआत महाप्रसाद से होती है।महाप्रसाद एक ऐसी परंपरा है जो मित्रता की सबसे बड़ी मिसाल मानी जाती है।एक बार अगर मित्र महाप्रसाद बन गया तो कई पीढ़ियों तक इसे निभाया जाता है।छत्तीसगढ़ की ये अनोखी परंपरा आज भी ग्रामीण इलाकों में सबसे ज्यादा प्रचलित हैं।छत्तीसगढ़ में बेस्ट फ्रेंड या यूं कहें जिगरी दोस्त को महाप्रसाद कहा जाता है।ग्रामीण इलाकों में महाप्रसाद बनाने की परंपरा आज भी कायम है।जहाँ महाप्रसाद को एक सम्मान की तरह माना जाता है।छत्तीसगढ़ के अलग-अलग इलाकों में इसे अलग-अलग नाम से जाना जाता है।ग्रामीण बुजुर्गों के अनुसार जगन्नाथ पुरी के प्रसाद को लाकर पूरे विधि विधान के साथ अपने मित्र को दिया जाता है और फिर यहीं से उनके महाप्रसाद बनने की प्रक्रिया शुरू होती है।जब जगन्नाथपुरी के प्रसाद को एक मित्र दूसरे मित्र को ला कर देता है और उसे वचन देता है कि वह पूरे जीवन भर उसकी मित्रता को निभाएगा और उस दिन से ही वे एक दूसरे के लिए महाप्रसाद बन जाते हैं और आजीवन कभी भी एक दूसरे का नाम अपने मुंह से नहीं लेते हैं।हमेशा एक दूसरे को महाप्रसाद कहकर ही संबोधित करते हैं।एक बार गांव में महाप्रसाद बनने के बाद गांव के कई परिवार पीढ़ी दर पीढ़ी इस परंपरा को निभाते हैं।हालांकि नई पीढ़ी में इस परंपरा को लेकर जागरूकता काफी कम है और अब इस परंपरा का चलन भी निम्न होता जा रहा है।फिर भी कई ऐसे लोग हैं जो आज भी आधुनिक दौर में महाप्रसाद बनाने की परंपरा को जीवित रखे हुए हैं।ग्रामीण इलाकों में खासकर ऐसे लोगों की संख्या ज्यादा है जो महाप्रसाद जैसी मित्रता बनाए रखते हैं।जो हर संबंध से महाप्रसाद का दर्जा ऊंचा होने के साथ एक दूसरे से काफी घनिष्ठता और परिवारिक संबंध होता है तथा विश्वास और सम्मान उन्हें दिया जाता है।इसके अलावा परिवार के सुख-दुख के पलों में वे हमेशा साथ रहते हैं।भले ही आज हमारी फ्रेंडलिस्ट सोशल साइट पर बहुत लंबी क्यों ना हो लेकिन रियल लाइफ में हमारे सुख-दुख के गिनेचुने ही दोस्त हैं।फ्रेंडशिप डे के मौके पर उन सभी दोस्तों का दिल से शुक्रिया जो हमारी जिंदगी में आए और न जाने कितनी ही खुशी हमारे नाम कर गए।

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