[TODAY छत्तीसगढ़] / दिल्ली पुलिस द्वारा पटियाला हाउस कोर्ट में जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया सहित 10 छात्रों पर चार्जशीट दायर करने के मामले में नया मोड़ आ गया है। दरसअल, शनिवार को जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय राजद्रोह मामले में दिल्ली पुलिस की बड़ी फजीहत हो गई। कोर्ट ने पुलिस को बिना अप्रूवल के ही आने पर खरी खरी सुना दी।
पटियाला हाउस कोर्ट ने पुलिस से कहा, ‘आपको कानूनी विभाग से मंजूरी नहीं है, आपने बिना मंजूरी के चार्जशीट क्यों दायर की?’ जिसके जवाब में दिल्ली पुलिस का कहना ने कहा कि 10 दिन में मंजूरी मिल जाएगी। अब इस मामले में छह फरवरी को सुनवाई होगी। दरअसल, जेएनयू मामले में कन्हैया कुमार व अन्य के खिलाफ दायर चार्जशीट के लिए दिल्ली सरकार ने अब तक दिल्ली पुलिस को अनुमति नहीं दी है। इसे लेकर ही कोर्ट में पुलिस की फजीहत हो गई।
बता दें कि, पटियाला हाउस कोर्ट में सोमवार (14 जनवरी 2019) को पुलिस एक भारी बक्से में कागजात लेकर पहुंची थी। 1200 पन्नों की चार्जशीट भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की विभिन्न धाराओं के तहत दर्ज हुई है। इसमें कन्हैया के अलावा उनके सहयोगी उमर खालिद, अनिर्बान भट्टाचार्य, आकिब हुसैन, मुजीब हुसैन, मुनीब हुसैन, उमर गुल, राइया रसूल और बशील भट समेत कुछ और लोगों के नाम हैं।
गौरतलब है कि, जेएनयू परिसर में नौ फरवरी 2016 को आयोजित एक कार्यक्रम को लेकर कन्हैया व उनके साथियों के खिलाफ दाखिल एफआईआर दर्ज हुई थी, जिसके आधार पर दिल्ली पुलिस ने चार्जशीट दायर की है। एफआइआर के मुताबिक, उस दिन संसद हमले के दोषी अफजल गुरु को फांसी देने के विरोध पर कथित रूप से देश-विरोधी नारेबाजी हुई थी। ऐसा तब हुआ था, जब इससे पहले अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की शिकायत पर प्रशासनिक विभाग ने कार्यक्रम को लेकर अनुमति देने से इनकार कर दिया था।
कन्हैया, उमर और अनिर्बान पर तब इस कार्यक्रम का आयोजन कराने के आरोप में गिरफ्तार भी किए गए थे। हालांकि, बाद में तीनों को जमानत भी मिल गई थी, जबकि शुरू में वसंत कुंज (उत्तरी) पुलिस थाने में 11 फरवरी 2016 को आईपीसी की 124-ए (राजद्रोह) के तहत मामला दर्ज हुआ था। बाद में दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल को यह मामला सौंप दिया गया था।
JNU sedition case: Delhi Court fixes the matter for 6th February. The court asks Delhi Police to get required sanction approval by then. https://t.co/mTT21IcPOa— ANI (@ANI) January 19, 2019
समाचार एजेंसी एएनआइ के मुताबिक, शनिवार को दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट में सुनवाई के दौरान कानूनी विभाग से चार्जशीट की अनुमति नहीं लेने पर जज महोदय ने कहा, बिना सरकार की अनुमति के कैसे चार्जशीट दाखिल की। गौरतलब है कि जेएनएयू देशद्रोह के मामले में CRPC के सेक्शन 196 के तहत जब तक सरकार मंजूरी नहीं दे देती, तब तक कोर्ट चार्जशीट पर संज्ञान नहीं ले सकता।
बता दें कि जेएनयू में 9 फरवरी, 2016 को आतंकी अफजल गुरु की बरसी पर देश के खिलाफ हुई नारेबाजी को लेकर 14 जनवरी को दिल्ली पुलिस ने पटियाला हाउस कोर्ट में कन्हैया कुमार समेत 10 लोगों के खिलाफ 1200 पेज की चार्जशीट दाखिल की है। इस चार्जशीट में शामिल 10 लोगों में जेएनयू छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार, सैयर उमर खालिद और अनिर्बान भट्टाचार्य के नाम शामिल हैं। कन्हैया कुमार के साथ अपराजिता राजा का नाम भी पुलिस ने केस में दर्ज किया है। शहला राशिद और सीपीआइ लीडर डी राजा की बेटी अपराजिता राजा इस मामले में आरोपी हैं। चार्जशीट पर कन्हैया कुमार ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि मैं मोदी और पुलिस का धन्यवाद देना चाहता हूं।
दिल्ली पुलिस ने आरोप लगाया है कि कन्हैया ने देशद्रोही नारों का समर्थन किया है। इसे दिल्ली पुलिस ने लोगों के बयान से स्टेबलिश किया है। वहीं, कन्हैया की मौजूदगी को वीडियो से स्टेबलिश किया गया है। इस केस में पुलिस ने कन्हैया कुमार को मुख्य आरोपी बनाया है।
वहीं अनिर्बान, उमर खालिद और सात कश्मीरी छात्र भी आरोपित हैं। पुलिस को कन्हैया का भाषण देते हुए एक वीडियो भी मिला है। चार्जशीट के मुताबिक कन्हैया कुमार ने भी लगाए देश विरोधी नारे लगाए हैं। बताया जा रहा है कि स्पेशल सेल ने इस संबंध में दिल्ली पुलिस कमिश्नर और अभियोग से जरूरी निर्देश ले लिए हैं।
कन्हैया पर है यह आरोप-
जेएनयू के पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार पर आरोप है कि उसने 9 फरवरी की शाम प्रदर्शनकारियों का नेतृत्व किया था। आरोप यह भी है कि जेएनयू परिसर में अफजल गुरु की बरसी पर आयोजित होने वाले कार्यक्रम के लिए अनुमति की प्रक्रिया अधूरी थी।
इस पर कन्हैया ने पिछले दिनों बेगूसराय (बिहार) में भी कहा था कि वर्तमान सरकार के पास कोई मुद्दा ही नहीं बचा है सिर्फ पाकिस्तान, मंदिर और हिंदू-मुसलमान की बात कर रही है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार पूरी तरह डिप्रेशन के दौर से गुजर रही है और दोबारा सत्ता पाने के लिए वह किसी भी हद से गुजरने को तैयार हैं। आने वाले चुनाव में जनता सरकार को सबक सिखाएगी।
बता दें कि संसद पर हमले के दोषी अफजल गुरु को फांसी पर लटकाए जाने के विरोध में वर्ष 2016 में जेएनयू कैंपस में एक कार्यक्रम आयोजित किया गया था। इस विवादस्पद कार्यक्रम से लोगों में नाराजगी फैली थी और छात्रों पर आरोप लगे थे कि कार्यक्रम के दौरान कथित रूप से देश विरोधी नारे लगाए गए थे। - जागरण