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कल से जनता को नहीं मिलेगी 'बस', बेबस मालिक जल समाधी की तैयारी में

TODAY छत्तीसगढ़  / रायपुर/  कल मंगलवार से यात्री बसों के पहिए थम जाएंगे। यात्री बसों के पहिए थमने से लाखों यात्रियों को परेशानियों का सामना करना पड़ेगा। एक दिन में लगभग 5 लाख यात्रियों को यात्रा करने में असुविधा होगी। महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष अनवर अली बताया कि बीते कई दिनों से संघ की ओर से किराया बढ़ाने के लिए मांग की जा रही थी। दो सप्ताह से महासंघ के पदाधिकारी इस मुद्दे पर प्रशासन और सरकार के मंत्रियों से मुलाकात कर रहे थे। लेकिन सरकार इस पर राजी नहीं है। इसलिए मंगलवार से बसों का संचालन बंद करने का एलान किया है। बताया गया है कि प्रदेश में कुल 12 हजार बसें और 9 हजार बस संचालक हैं। 

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संघ ने बताया कि 2018 में 60 रुपए प्रति लीटर में बिकने वाला डीजल अब 2021 में लगभग 97 रुपए प्रति लीटर की दर पर बिक रहा है। छत्तीसगढ़ में यात्री किराया नहीं बढ़ने की वजह से बस संचालाकों को नुकसान हो रहा है। बीते दो सालों में लॉकडाउन और कोरोना के असर की वजह से आर्थिक परेशानी बढ़ी है। पड़ोसी राज्य जैसे मध्यप्रदेश में सरकार ने यात्री किराया बढ़ाने पर मंजूरी दी जिससे वहां के बस ऑपरेटरों को थोड़ी ही सही राहत मिली है।

चेतावनी - 

कल 13 जुलाई को बस सेवा बंद करने के बाद 14 जुलाई को जल समाधी की तैयारी है। छत्तीसगढ़ यातायात महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष ने बताया कि हम सभी संचालाकों का परिवार आर्थिक परेशानी से जूझ रहे हैं। चूंकि हमारी मांगों पर सरकार ध्यान नहीं दे रही है। इसलिए में हम परिवार के साथ खारुन नदी में समधी ले लेंगे। 14 जुलाई को 3 बजे हम नदी के तट पर पहुंचेंगे अगर कोई अनहोनी होती है तो जिम्मेदार सरकार होगी। 


ट्राई के नए नियम : विरोध में केबल ऑपरेटर हड़ताल पर

[TODAY छत्तीसगढ़] /  प्रदेशभर के केबल टीवी ऑपरेटर शुक्रवार से हड़ताल पर हैं. ट्राई के नए नियमों के विरोध में केबल टीवी ऑपरेटर ने ब्लैक आउट किया है. छत्तीसगढ़ में लगभग 250 केबल ऑपरेटर हड़ताल पर हैं, जिनके लगभग 2.50 लाख केबल कनेक्शन हैं.
केबल ऑपरेटर संघ के अध्यक्ष सुबोध कटियार ने कहा, ये प्रदर्शन एक दिन का सांकेतिक है. ट्राई द्वारा चैनलों पर जो एमआरपी लागू की गई है, उससे उपभोक्ताओं का भला नहीं होगा. चैनलों का रेट तीन से चार गुना महंगा होने वाला है. हम इस आधार पर कह रहे है कि क्योकि जो ट्राई ने लिस्ट जारी की गई है, उसमें जो पे चैनल पहले दो या तीन रुपये में हुआ करते थे, वो 18-19 रुपए तक पहुंच गया है. इससे उपभोक्ताओं की जेब कटेगी. तीन सौ चैनलों का प्रसारण तीन सौ रुपये में हुआ करता था, वह अब 700 रुपए के ऊपर जाएगा. डॉ. कटियार ने कहा प्रसारण की कीमतों में ही बढ़ोतरी का विरोध करते हुए प्रसारण बंद किया गया है।

5 दिन बैंक बंद : हड़ताल है

[TODAY छत्तीसगढ़] / बैंकों में आज से हड़ताल है, आज से पांच दिन तक बैंक बंद रहेंगे। ऑल इंडिया बैंक ऑफीसर्स कन्फेडरेशन (ऑयबॉक) ने केन्द्र सरकार और भारतीय बैंक संघ (आईबीए) के विरोध में इस हड़ताल का आह्वान किया है। 21 और 26 दिसम्बर को बैंक कर्मचारी हड़ताल पर रहेंगे। जबकि 22 दिसम्बर को चौथा शनिवार और 23 को रविवार होने के नाते बैंक बंद रहेंगे। 24 दिसम्बर को एक दिन खुलने के बाद क्रिसमस डे पर फिर 25 को बैंकों की बंदी है। ऐसे में पांच दिनों तक बैंक बंद रहेंगे। 

गुरुवार को ऑयबॉक के प्रांतीय महामंत्री दिलीप चौहान ने कहा कि न्यूनतम वेतन, कोर बिजनेस, एनपीए वसूली, नई पेंशन स्कीम को समाप्त करना, पेंशन अद्यतन पुनरीक्षण एवं एवं पारिवारिक पेंशन में सुधार जैसी मांगों पर बैंक कर्मचारी शुक्रवार और 26 दिसम्बर को हड़ताल पर रहेंगे। बताया कि आईबीए के साथ वेतन समझौता हमेशा स्केल एक से स्केल सात तक के अधिकारियों के लिए होता था। लेकिन इस बार आईबीए केवल स्केल तीन तक का वेतन समझौता करने का प्रस्ताव दिया है जिसके विरोध में आईबीए की बैठक का भी बहिष्कार किया गया। उन्होंने कहा कि आईबीए पिल्लई कमेटी की संस्तुतियों को लागू करना चाहिए जिसमें बैंक अधिकारियों का वेतन सिविल सेवा अधिकारी के समान होना चाहिए। 

21 से 26 दिसम्बर तक छह दिन में सरकारी बैंक केवल एक दिन ही खुलेंगे। हालांकि हड़ताल वाले दिनों में प्राइवेट बैंकों में कामकाज होता रहेगा। अन्य दो दिन यानि चौथा शनिवार और रविवार रहने के कारण प्राइवेट बैंक बंद रहेंगे।  संगठन के प्रांतीय अध्यक्ष पवन कुमार ने बताया कि 21 दिसम्बर की हड़ताल केन्द्र सरकार और आईबीए की नींव हिलाने के लिए मील का पत्थर साबित होगी। उन्होंने कहा कि ऑयबॉक ने चार्टर ऑफ डिमांड के अनुरूप 11वें द्विपक्षीय समझौता करने की मांग करता है। इस चार्टर में न्यूनतम वेतन, कोर बिजनेस, एनपीए वसूली, नई पेंशन स्कीम को समाप्त करना, पेंशन अद्यतन पुनरीक्षण एवं एवं पारिवारिक पेंशन में सुधार तघथा तीन सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों व ग्रामीण बैंकों के विलय के विरोध के साथ ही बैंक अधिकारियों पर पूरे देश में हो रहे हमले, चिकित्सा सुविधाओं में कटौती तथा स्वास्थ्य बीमा के प्रीमियम में बढ़ोत्तरी समेत अन्य मुद्दे शामिल हैं। 

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