बिलासपुर। TODAY छत्तीसगढ़ / जिला के सकरी थाना क्षेत्र स्थित बरदुलापारा गाँव में शराब दुकान को लेकर ऐसा अनोखा घटनाक्रम सामने आया है, गाँव अब दो हिस्सों में बटा हुआ दिखाई पड़ता है। आमतौर पर शराब दुकान खुलने की सूचना के बाद ग्रामीणों द्वारा विरोध, धरना–प्रदर्शन, और नारेबाज़ी देखी जाती है, लेकिन ग्राम बरदुलापारा में स्थिति बिल्कुल उलट निकली। अब गाँव दो हिस्सों में बंट गया है, एक पक्ष शराब दुकान के खिलाफ, तो दूसरा पक्ष दुकान खुलवाने की ज़िद पर अड़ा है। शराब दुकान खुलवाने की जिद पर अड़े पक्ष के कुछ लोग सोमवार को कलेक्टोरेट पहुँचे। उन्होंने ज्ञापन के माध्यम से अपनी बात कलेक्टर तक पहुंचाने की कोशिश की है।
दरअसल 16 नवंबर की रात गाँव में नई शराब दूकान में पहली बार स्टॉक (शराब) लेकर वाहन पहुँचा। शराब से भरे वाहन को देखते ही ग्रामीणों का एक बड़ा समूह विरोध में सड़क पर उतर आया। ग्रामीणों ने जमकर हंगामा किया और कहा कि “हमारे गाँव में शराब दुकान नहीं खुलेगी!” विरोध के मद्देनज़र मदिरा वाहन बिना माल उतारे ही वापस लौट गया। गाँव में तनाव बढ़ता देख पुलिस और प्रशासन ने स्थिति को नियंत्रित करने की कोशिश की।
इस मामले का सबसे दिलचस्प और गौर करने वाला पहलु आज कलेक्टोरेट के सामने देखने को मिला। गाँव के दूसरे पक्ष ने कलेक्टर कार्यालय पहुँचकर शराब दुकान खुलने की मांग को लेकर प्रदर्शन शुरू कर दिया। शराब दूकान खुलवाने की वकालत करने वालों के हाथ में तख्तियां थी, हाथ में ज्ञापन। कलेक्टरेट परिसर में गूंजते नारे—“मदिरा दुकान खुलनी चाहिए!”—ने अधिकारियों को भी हैरान कर दिया।
शराब दूकान का विरोध करने वाले पक्ष का कहना है कि दुकान खुलने से नशाखोरी, अपराध और घरेलू विवाद बढ़ेंगे। वहीँ दुकान खुलने से रोज़गार, सुविधाएँ और आर्थिक गतिविधियाँ बढ़ेंगी ऐसा उन ग्रामीणों का मानना है जो शराब दुकान के पक्ष में हैं।

